RE: Antarvasna kahani मासूम
काफ़ी देर लगी लेकिन मेरा लंड अब पूरा भाभी की गंद मे था मुझे बहुत मज़ा आरहा था अब मैने आराम से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और भाभी ने दोबारा अपने चुतड़ों को फैला कर अपनी गंद को खोल दिया
"हां दिपु अब थोड़ा तेज तेज अंदर बाहर करो, चोदो मुझे......चोदो अपनी भाभी की गंद को, और करो......हां भैया पूरा लंड बाहर निकाल कर फिर अंदर करो........आहह........उउईई........ओह भैया ऐसे ही करो मुझे बहुत मज़ा आरहा है हूंम्म्ममम... ........मेरी चूत को भी रब करो मेरे बूब्स को मस्लो हां भैया और मेरी चूत मे उंगली भी करो हां..........ऐसे ही दबाओ मेरे बूब्स को बहुत मज़ा आरहा है भैया बहुत अच्छा लग रहा है मुझे, चोदो भैया और चोदो मुझे......मरो देवर जी और ज़ोर से मारो अपनी भाभी गंद फाड़ दो इसे आज........और ज़ोर भैया और ज़ोर से आहह.......बहुत मज़ा आरहा है भैया आहह......जितना ज़ोर से कर सकते हो उतनी ज़ोर से करो भैया उफ्फ........और डालो भैया पूरा लंड अंदर घुसेड दो प्ल्ज़.......मुझे बहुत मज़ा आरहा है भैया अभी अपनी दो उंगलिया पेलो मेरी चूत मे हां.......यस.......यस.........ऐसे हाई.........मारो भैया मारो मेरी गंद आज से मेरी गंद और चूत तुम्हारी ही है अब तुम उन्हे जब दिल करे तब चोद लेना......आहह.......हूंम्म्मम......." भाभी चुदाई के नशे मे बड़बड़ाती जा रही थी और वो जैसा कह रही थी मैं वैसा ही कर रहा था
मेरा लंड भाभी की गंद मे सतसट इन आउट हो रहा था और मेरे एक हाथ की दो उंगलिया भाभी की गीली चूत मे अंदर बाहर हो रही थी जबकि दूसरे हाथ से मैं उनकी एक चुचि को मसल रहा था
"आहह.......भैया और ज़ोर से चोदो प्ल्ज़ तेज तेज मैं अभी झड़ने वाली हूँ........बहुत मज़ा आरहा है भैया प्ल्ज़ ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाओ फाड़ दो मेरी गंद को आह.......अफ........ऊऊओ......माआ........मैं तो गई.........." ऐसे ही बड़बड़ाते हुए भाभी झड़ने लगी
भाभी झड गई थी और मैं भी उनकी गंद मे ही झड गया था फिर भाभी आराम से बेड पर लेट गई मैं भाभी के साथ उनके उपर ही लेट गया मेरा लंड अभी भी उनकी गंद मे ही था और मेरा वीर्य भाभी की टाइट गंद मे गिर रहा था भाभी की गंद ने भी उनकी चूत की ही तरह मेरे सारे माल को निगल लिया था और मेरा लंड पूरी खाली हो गया था भाभी की गंद मे लंड फसाए हुए मुझे बहुत मज़ा आरहा था
कुच्छ देर बाद मैने अपना लंड भाभी की गंद से बाहर निकाला मेरा हाफ टाइट लंड भाभी की गरम गंद से टाइट होकर बाहर निकला
अब मैं भाभी के बाजू मे ही बेड पर लेट गया हम दोनो ही गहरी गहरी साँसे ले रहे थे भाभी मुझे गले से लगा कर लेट गई थी मैने भी भाभी को अपनी बाहों मे जकड़ा हुआ था और भाभी के मादक बदन पर हाथ फेर रहा था और पता नही चला कि कब ऐसा करते हुए दो बार की चुदाई की थकान की वजह से हम दोनो सो गये........
सुबह दरवाजा खटखटाने की आवाज़ से हम दोनो की नींद खुली हम दोनो ने जल्दी से अपने कपड़े पहने फिर मैं आँखे बंद करके लेट गया और भाभी ने डोर खोला तो सामने कविता दीदी थी
"भाभी नाश्ता बन गया है आप फ्रेश हो कर नाश्ता कर लो फिर हॉस्पिटल जाना है तो वहाँ भी हो आओ" कविता दीदी बोली
"जी दीदी मैं अभी आती हूँ" भाभी बोली
भाभी के खुले बाल और उनकी हालत देख कर कविता दीदी को कुच्छ शक हुआ लेकिन इस टाइम वो कुच्छ नही बोली और वहाँ से चली गई
भाभी तैयार होकर बाहर चली गई फिर मैं भी उठा और नहा धोकर नाश्ता करने आगया
नाश्ते की टेबल पर भाभी मुझे सेक्सी नज़रो से देख रही थी और मेरी गंद फट रही थी की मेरी बहनो मे से कोई खास कर कविता दीदी के नोटीस ना कर ले खैर जैसे तैसे नाश्ता ख़तम हुआ और उसके बाद भाभी प्रीति दीदी और मेरी ममेरी बहने रूपा और दीपा सभी हॉस्पिटल चली गई अब घर मे मैं और कविता दीदी ही थे
कुच्छ देर बाद कविता दीदी ने मुझे अपने रूम मे बुलाया तो मैं वहाँ पहुचा
"जी दीदी.........क्या बात है?" मैने पुछा
"दिपु तुम भाभी के रूम मे क्यों सो रहे थे" जवाब मे दीदी ने पुछा
मुझे पता था कि दीदी को शक हुआ है और वो इस बारे मे ज़रूर पुछेगि तो मैं तैयार था उनकी बात का जवाब देने के लिए
"दीदी मैं भाभी से बाते कर रहा था कि वहीं मेरी आँख लग गयी और फिर मुझे किसी ने उठाया ही नही" मैं बोला
"बेटा सच सच बताओ कि क्या हुआ भाभी के रूम मे कल रात" आन दीदी थोड़ी गंभीर लहजे मे बोली
"दीदी क्या होना था, मैं तो सो गया था और बाद मे कुच्छ हुआ हो तो मुझे नही पता" मैं मासूम बनते हुए बोला "लेकिन दीदी कहीं आप मुझ पर और भाभी पर शक तो नही कर रही हो"
"नही दिपु शक नही कर रही लेकिन सुबह भाभी की वैसी हालत देखी तो सोचा" कविता दीदी बोली
"क्या सोचा दीदी आपने" मैने पुछा
"कुच्छ नही, रहने दो ऐसे ही पुच्छ रही थी मैं" कविता दीदी लंबी सांस लेते हुए बोली
"ठीक है दीदी लेकिन अब मेरी सबसे बड़ी इच्छा तो पूरी कर दो आज क्योंकि आज घर पर कोई भी नही है" मैं बोला
"कोन्सि इच्छा?" दीदी ने पुछा
"दीदी मुझे अपनी ब्रा दिखाओ ना प्ल्ज़ कि कैसे पहनी है प्ल्ज़ दीदी अगर आप मुझे प्यार करती हो तो दिखा दो ना प्ल्ज़" मैं गिड़गिडाता हुआ बोला
"दिपु तुम ना बहुत बिगड़ गये हो पहले ही बदल भैया की इतनी टेन्षन है और तुम्हे अपनी ही लगी रहती है.....लो देख लो" कहते हुए कविता दीदी ने अपनी कुरती उपर कर दी और उनकी ब्रा नज़र आने लगी
"बस अब खुश हो, देख ली ना अब" दीदी बोली
"नही दीदी ऐसे नही अपनी कुरती उतार कर दिखाओ मैने पूरी तरह देखना है हर तरफ से" मैं बोला
और मैं दीदी पास गया और उनकी कुरती उठा कर उसे निकाल दिया दीदी कुच्छ नही बोली अब वो मेरे सामने उपर से सिर्फ़ ब्रा मे बैठी थी और बहुत सेक्सी लग रही वैसे मेरी बाकी बहनो और भाभी के बूब्स काफ़ी बड़े थे लेकिन कविता दीदी के उनसे भी बड़े थे और ब्रा से बाहर आने को मचल रहे थे
मैं दीदी के पिछे आगया और उनकी पीठ और कमर पर हाथ फिराने लगा दीदी की पीठ बहुत सॉफ्ट थी और मुझे बहुत मज़ा आरहा था मेरा लंड भी अब हरकत मे आगया था
"दिपु.....बेटा क्या कर रहे हो, लाओ अब कुरती मुझे दो अब तो जो देखना था देख लिया ना तुमने" दीदी बोली
"प्ल्ज़ दीदी कुच्छ देर और देखने दो ना सच मे आप बहुत हॉट &सेक्सी लग रही हो अभी बस थोड़ा सा टच करने दो ना प्लीज़ दीदी, प्लीज़ मना मत करना दीदी" मैं मिन्नत करते हुए बोला
अब दीदी कुच्छ नही बोली तो मैं उनकी पीठ सहलाने लगा और फिर मैने पास आकर उनकी पीठ पर किस कर लिया
"भैया प्ल्ज़ ऐसा ऐसा मत करो, भाई बहन ये सब नही करते प्लीज़" दीदी कसमसाते हुए बोली
"दीदी किसने कहा कि भाई बहन ऐसा नही कर सकते, प्लीज़ अब थोड़ी देर चुप रहो आप प्लीज़" मैं उनकी पीठ पर एक किस और करते हुए बोला
अब मैने अपने हाथ मे पकड़ी हुई दीदी की कुरती को साइड मे रखा और बेड पर दीदी के पिछे बैठ कर अपने दोनो हाथो से उनकी कमर सहलाने लगा साथ साथ मैं उनकी पीठ पर हर जगह किस भी करते जा रहा था दीदी एकदम खामोश थी वो ना तो कुच्छ कह रही थी और ना ही मुझे रोक रही थी
"दीदी आप थोड़ा लेट जाओ ना प्ल्ज़ मुझे आसानी होगी और मैं बस कुच्छ किस ही करूँगा" मैं बोला
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