RE: Antarvasna kahani मासूम
आज की दोपहर मेरे लंड के लिए जितनी अच्छी गई थी शाम उतनी ही बुरी साबित हो रही थी एक तो कविता दीदी के साथ मस्ती मे मेरे लंड को वैसे ही बहुत परेशान किया था उस पर प्रिया दीदी के रूम मे कीर्ति की मौजूदगी ने और बड़ा सदमा दे दिया था
प्रीति दीदी के रूम मैं सोने जा रहा हूँ.
मैं प्रीति दीदी के रूम मे आया वो सो रही थी मैं उनके पिछे आकर लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा लेकिन मेरा लंड हार्ड था अब मैं उसका क्या करता मेरे सामने प्रीति दीदी थी लेकिन मैं उनके साथ कोई रिस्क नही लेना चाहता था क्योंकि एक तो वो उमर मे भी कम थी और बहुत गुस्से वाली भी थी और मुझे तो लगता था कि उन्हे चुदाई उड़ाई के बारे मे कुच्छ मालूम भी नही था फिर भी मैं पिछे से प्रीति दीदी से सट कर सोने लगा जिससे मेरा लंड प्रीति दीदी की गान्ड से सट गया और मैं धीरे धीरे नींद के आगोश मे डूब गया
मेरी आँख लगे अभी कुच्छ ही टाइम हुआ था कि अचानक किसी ने मुझे हिला कर उठाया मैने उठ कर देखा तो प्रिया दीदी थी
प्रिया दीदी ने मुझे बाहर आने का इशारा किया और चुपचाप रूम से बाहर चली गई मैं भी धीरे से उठा और रूम से बाहर आगया
"हां दीदी क्या बात है" मैने बाहर आकर दीदी से पुछा
"भाई मुझे नींद नही आरहि है और तुम्हारे साथ प्यार करने का बहुत दिल कर रहा है" प्रिया दीदी मेरा हाथ पकड़ कर बोली
"लेकिन दीदी करेंगे कहाँ कोई भी जगह खाली नही है" मैं बोला
"चलो बाहर वाले बाथरूम मे चलते है" दीदी बोली और वो मुझे अपने साथ बाथरूम मे ले गई हम बाथरूम के अंदर पहुचे तो दीदी ने गैट लॉक कर लिया और मुझे गले से लगा कर किस करने लगी मैने भी दीदी की किस का जवाब देना शुरू कर दिया
"भाई ज़्यादा टाइम नही है हमारे पास किस विस्स फिर कभी कर लेंगे अभी असली काम करते है" दीदी मेरा लंड दबाते हुए बोली
"ठीक है दीदी जैसा आप कहे" मैं बोला
अब दीदी और मैने जल्दी से अपने अपने कपड़े उतार दिए और हम दोनो ही नंगे एक दूसरे के सामने खड़े थे
प्रिया दीदी ने अपनी पीठ मेरे सामने कर दी और झुक कर टाँगे खोल दी मैने भी देर ना करते हुए अपना लंड पकड़ कर प्रिया दीदी की चूत पर रखा और धक्का दिया मेरा लंड दीदी की टाइट चूत की दीवारो से रगड़ते हुए उनकी गरम और गीली चूत मे घुस गया
"भाई वहाँ से भी पिछे से करो जहाँ से अभी कविता दीदी को कर रहे थे" प्रिया दीदी बोली शायद वो कविता दीदी के रूम मे हम दोनो को उस पोज़िशन मे देख कर यही समझी थी कि मैं कविता दीदी की गान्ड मार रहा था
"लेकिन दीदी उसमे तो बहुत दर्द होता है पहली बार मे" मैं बोला
"क्या बड़ी दीदी को भी हुआ था क्या?" दीदी ने पुछा
"हां पहली बार मे हुआ था" मैने सॉफ झूठ बोला लेकिन मैं पहले सुन चुका था कि पहली बार गान्ड मरवाने मे बहुत दर्द होता है
"और अब भी होता है क्या" दीदी ने फिर पुछा
"नही अब तो नही होता अब तो वो मज़े से करवाती है" दीदी की गान्ड मारने के चक्कर मे मेरे झूठ बढ़ते ही जा रहे थे
"तो ठीक है मुझे मंजूर है लेकिन आराम से करना" दीदी बोली और पास ही पड़ी अपनी चुनरी को गोल करके अपने मूह मे भर लिया मैं समझ गया कि दर्द की वजह से शोर ना हो इसीलिए उन्होने ऐसा किया है
प्रिया दीदी की बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गया था सेक्स लाइफ स्टार्ट होने के पहले ही दिन मुझे दोपहर मे चूत और रात मे गान्ड मारने को मिल रही थी वो भी बिल्कुल कुवारि और मुझे क्या चाहिए था वैसे भी मैं बता चुका था कि मेरी तीनो ही बहनो मे सबसे सेक्सी फिगर प्रिया दीदी का ही था जिसमे प्लस पॉइंट उनकी गान्ड ही थी जिसे वो खुद आगे होकर मेरे लिए पेश कर रही थी तो मैं कोई पागल तो था नही हो इतना सुनहरा मौका छोड़ता. .
अब मैने प्रिया दीदी की चूत से अपना लंड बाहर निकाल लिया जो दीदी की चूत के पानी से बहुत गीला था फिर मैने दीदी की गान्ड खोली और उस के छेद पर अपनी उंगली घुमाने लगा मेरे ऐसा करने से दीदी सिहर सो गई उसकी गान्ड का छेद खुलने बंद होने लगा
फिर मैने अपनी उंगली को थूक से गीला किया और और दीदी की गंद मे घुसेड दिया दीदी अचानक हुए इस हमले से चौंक गई और दर्द से कराह उठी
दीदी ने अपनी गान्ड टाइट कर ली और बोली "आह.......भाई आराम से करो दर्द होता है"
दीदी की बात सुनकर मैं चुप रहा और फिर आराम आराम से उंगली अंदर बाहर करने लगा जब मेरी एक उंगली आराम से उनकी गान्ड मे जाने लगी तो मैने दो उंगलियो से कोशिश करनी शुरू कर दी मैं नही चाहता था कि जब मेरा मोटा लंड दीदी की गान्ड मे जाए तो उन्हे ज़्यादा दर्द हो जब दोनो ही उंगलिया आराम से इन आउट होने लगी तो मैने दीदी की गान्ड को अपने थूक से अच्छे से गीला कर दिया
"दीदी अब थोड़ा और झुक जाओ और अपनी गान्ड बाहर को निकाल लो" मैं अपने लंड को जोकि पहले से ही दीदी के पानी से गीला था को अपने थूक से और गीला करते हुए बोला
मेरी बात सुनकर दीदी चुप चाप सामने का पाइप पकड़ कर झुक गई और अपनी गान्ड बाहर को निकाल दी तो मैने अपना लंड पकड़ कर दीदी की गंद पर लगाया और धीरे धीरे आयेज दबाव बनाने लगा मेरा लंड दीदी की गंद को चौड़ी करते हुए आयेज बढ़ने लगा मुझे बहुत मज़ा आरहा था जब लंड 1/4 अंदर घुस गया तो दीदी ने मुझे रोक दिया
"भाई अभी रूको दर्द हो रहा है" दीदी कराहती हुई बोली
दीदी की बात सुनकर मैं थोड़ी देर रुक गया तब मैने और थूक निकाल कर दीदी की गान्ड पर लगा दिया और जितना लंड अंदर गया था उतनी ही जगह मे आगे पिछे करने लगा
मेरे ऐसा करने से दीदी भी अपनी गान्ड को कभी टाइट तो कभी लूस कर रही थी जिससे इतना मज़ा आरहा था कि बयान करना मुश्किल है
मैं लंड आगे पिछे करने के साथ थोड़ा थोड़ा आगे भी बढ़ा रहा था जिस वजह से अब तक मेरा आधे से भी ज़्यादा लंड दीदी की गान्ड मे था
मैं बार बार दीदी की गान्ड को अपने थूक से चिकना कर रहा था और अब तो मैने उनकी कमर पकड़ कर ज़ोर के धक्के लगाने शुरू कर दिए थे मेरा लगभग पूरा ही लंड दीदी की गान्ड मे था और अब इन आउट करने मे भी परेशानी नही हो रही थी अब शYआड दीदी का भी दर्द ख़तम हो गया था और उसे मज़ा आरहा था क्योंकि अब वो भी अपनी गान्ड आगे पिछे करके मेरा साथ दे रही थी और मेरे धक्को की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी
"भाई धीरे करो ये मेरा पहली बार है दर्द हो रहा है, वैसे भाई दर्द तो कविता दीदी को भी हुआ होगा ना और तुम्हे दीदी के साथ ज़्यादा मज़ा आया या मेरे साथ ज़्यादा मज़ा आरहा है" दीदी गान्ड मरवाते हुए बोली
अब मैं उन्हे क्या बताता कि कविता दीदी के साथ तो कभी किया ही नही है और बेचारी प्रिया दीदी ग़लत फ़हमी मे ही आज अपनी दोनो सील मुझसे तुडवा चुकी थी
"दीदी कविता दीदी के साथ भी बहुत मज़ा आया था लेकिन आपके साथ कुच्छ ज़्यादा ही आरहा है" मैं प्रिया दीदी की चापलूसी करते हुए बोला
उसके बाद मैने कोई 5 मिनिट और धक्के लगाए और मुझे लगने लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मेरे धक्को की स्पीड बढ़ गई और लंड भी दीदी की गान्ड मे पूरी गहराई तक उतर रहा था दीदी भी अपने एक हाथ से अपनी चूत सहलाते हुए अपनी गान्ड आगे पिछे करते हुए मेरा साथ दे रही थी और कुच्छ ही धक्को के बाद मैने दीदी की गान्ड के गोदाम को अपने माल से भर दिया मेरे लंड के पानी की अपनी गान्ड मे महसूस करके दीदी भी झड गई थी
"आहह.. ....... भाई.......आहह.......मेरे अंदर से कुच्छ निकल रहा है जैसा दोपहर मे निकला था और जब भी ये निकलता है मुझे बहुत मज़ा आता है सच भाई आहह...... भाई तुम बहुत अच्छे हो मुझे ऐसा मज़ा देने के लिए थॅंक्स भाई उम्म्म्मममममह........मज़ा आगया भाई" दीदी झड़ते हुए बोली
फिर पता नही क्या हुआ कि प्रिया दीदी ने अपने हाथ पिछे करके मुझे कुल्हो से पकड़ा और अपनी गान्ड तेज़ी से आगे पिछे करने लगी भले ही मेरा लंड झड गया था लेकिन अभी भी मुरझाया नही था तो वो भी सटा सॅट दीदी की गान्ड मे आगे पिछे हो रहा था
जब मेरा लंड ढीला होने लगा तो दीदी ने उसे अपनी गान्ड से निकाल दिया और मुझे साइड पे कर के पेशाब करने बैठ गई मैं दीदी के सामने बैठ गया और उन्हे पेशाब करते हुए देखने लगा पहले थोड़ा सा पेशाब उनकी चूत से निकला और फिर मेरा कम उनकी गान्ड से बाहर आने लगा
मैने हाथ आगे करके दीदी की गान्ड मे एक उंगली डाली तो वो आराम से अंदर तक चली गई दीदी को मज़ा आने लगा फिर दीदी ने ज़ोर लगाया तो उनकी चूत से तेज धार मे पेशाब निकलने लगी मैं मज़े से देखता रहा फिर मैने अपनी उंगली दीदी की गान्ड से बाहर निकाल ली तो मेरी सारी कम दीदी की गान्ड से बाहर निकल कर फर्श पर गिरने लगी
मैने हॅंड शवर उठा कर दीदी की चूत और गान्ड को अच्छे से वॉश किया और दीदी ने मेरे लंड को फिर हमने कपड़े पहने और पहले दीदी बाहर निकली फिर मैं भी बाथरूम से बाहर आगया...........................
मैं बाथरूम से निकल कर प्रीति दीदी के रूम मे आगया वो सो रही थी जिस वजह से उनकी कुरती थोड़ी उपर हो गई थी और उनका पेट सॉफ नज़र आरहा था मैं फिर से प्रीति दीदी के पिछे उनकी पीठ से चिपक कर लेट गया और उसकी कमर पर हल्के हल्के से किस करने लगा
फिर मैने धीरे से प्रीति दीदी की सलवार थोड़ी नीचे को तो उनके भारी चूतड़ थोड़े थोड़े नज़र आने लगे तो मैं धीरे धीरे आराम से उन्हे किस करने लगा
अब मैने अपना एक हाथ सलवार के उपर से ही प्रीति दीदी की चूत पर रखा और एक उनके चिकने सपाट पेट पर रख दिया और धीरे धीरे उन्हे सहलाने लगा यूँ ही काफ़ी देर तक मैं प्रीति दीदी के जिस्म के साथ खेलता रहा फिर मुझे नींद आ गई और मैं सो गया
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