RE: Antarvasna kahani मासूम
शाम को मैं बाहर से घूम कर घर वापस आया तो देखा कि प्रिया दीदी रो रही थी और सब लोग उनके पास बैठे उनके रोने की वजह पुच्छ रहे थे मैने देखा कि हमारी मौसी की बेटी यानी मेरी मौसेरी बहन भी वहाँ जिसका नाम कीर्ति है वो भी वहाँ बैठी थी (कीर्ति अभी छोटी बच्ची है जो स्कूल मे पढ़ती है इसलिए उसके साथ चुदाई नही होने वाली)
इधर सब लोग प्रिया दीदी से रोने की वजह पुच्छ रहे थे लेकिन वो बिना कुच्छ बताए बस रोए जा रही थी मेरी गान्ड फट रही थी और बहुत डर लग रहा था कि कहीं दोपहर मे की हुई चुदाई की वजह से तो दीदी नही रो रही है लेकिन हिम्मत करके मैं भी सब के पास चुप चाप बैठ गया
कुच्छ देर सबके समझाने और बहुत पुछ्ने पर प्रिया दीदी ने रोना बंद किया और बोली "मुझे अभी शादी नही करनी मैं आप सब को छोड़ कर नही जाना चाहती प्लीज़ अभी मेरी शादी मत कर्वाओ, प्लीज़"
प्रिया दीदी की बात सुनकर सब लोग हँसने लगे और इधर मेरी भी जान मे जान आ गई और मैने भगवान को बहुत बहुत शुक्रिया कहा फिर सभी ने प्रिया दीदी को समझाया कि शादी पक्की हो गई है अब कुच्छ नही हो सकता और वैसे भी उन्हे कॉन सा दूर जाना था इसी शहर मे तो रहना था
सब मे उन्हे बहुत समझाइया और आख़िर उन्हे माना ही लिया फिर हम सभी मे खाना खाया और हर कोई अपने रूम मे सोने के लिए चला गया
मैं वॉशरूम मे गया और फ्रेश होकर कविता दीदी के रूम मे आगया कविता दीदी रूम मे दिखाई नही दी शायद वो बाथरूम मे थी मैं बेड पर बैठा ही था कि प्रिया दीदी वहाँ आ गई
"भैया तुम अकेले यहाँ क्या कर रहे हो और दीदी कहाँ है" प्रिया दीदी मुझे अकेला देख कर बोली
"दीदी मैं तो ऐसे ही आगया था और पता नही दीदी कहाँ है" मैं उठते हुए बोला
"अरे बैठो बैठो, दीदी बाथरूम गई होगी अभी वापस आजाएगी लेकिन पहले ये बताओ कि आज जो मेरे साथ किया वो दीदी के साथ यहीं उनके इसी बेड पर किया था क्या?" प्रिया दीदी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वापस बेड पर बैठाते हुए बोली
"जी हां दीदी बिल्कुल यहीं किया था, वैसे दीदी आप यहाँ क्या करने आई है कोई काम था क्या कविता दीदी से" मैं बोला
"हां काम तो था लेकिन अगर मेरी वजह से तुम डिस्टर्ब हो रहे हो तो मैं चली जाती हूँ फिर तुम और दीदी आराम से मज़े करना लेकिन उसके बाद तुम्हे मेरे पास आकर मुझे वही सब कर के दिखाना होगा" प्रिया दीदी बोली
"ठीक है दीदी लेकिन पहले आप जाओ तो प्लीज़, दीदी कभी भी बाथरूम से वापस आ सकती है" मैं बोला
मेरी बात सुनकर प्रिया दीदी हंस कर बाहर चली गई मैं फिर से कविता दीदी के बेड पर बैठ गया और कुच्छ ही देर मे दीदी रूम मे आ गई
"क्या बात है बेटा यहाँ क्या कर रहे हो" मुझे देखते ही दीदी बोली
"कुच्छ नही दीदी बस वैसे ही दिल कर रहा था आप से मिलने को तो आगया" मैं बोला
"ओके बैठो फिर और कहो जो कहना है" दीदी बोली
"दीदी वैसे आज शाम को आप घर इतना लेट क्यों आई" मैने पुछा क्योंकि दीदी शाम को ज़रा लेट आई थी
"अब क्या बताऊ भैया ऑफीस मे काम ज़्यादा था तो लेट हो गई लेकिन भाई पता है आज मेरे साथ बड़ा अजीब काम हुआ" दीदी बोली
"क्या हुआ दीदी" मैने पुछा
"भैया शाम को मैं पैदल ही घर आरहि थी रास्ते मे गली मे भी कोई नही था कि अचानक से पिछे से एक बाइक आई और जैसे ही वो बाइक मेरे पास आई तो किसी लड़के ने अपने हाथ मेरे पिछे टच किया और मेरे पैरो मे बीच घुसा दिया पहले तो डर से मेरी चीख निकल गई और जब तक मुझे होश आया वो जा चुका था पता नही कॉन था और ऐसा क्यों किया उसने" दीदी ने बताया
"सच दीदी किसी ने आपके साथ ऐसा किया?" मैने शॉक्ड होकर पुछा
"हां बेटा सच कह रही हूँ" कविता दीदी बोली
"दीदी जब उसने आपके पिछे अपना हाथ घुसाया था तो आपको मज़ा आया था क्या" मैने पुछा
"भैया मेरी तो डर के मारे जान निकल गई थी और तुम पुच्छ रहे हो कि मज़ा आया था या नही" दीदी हैरानी से बोली
"लेकिन दीदी उसने किया कैसे मुझे डेटिल मे बताओ ना प्ल्ज़" मैने पुछा
"उफ्फ भाई........समझा करो ना मैं चल रही थी वो पिछे से आया और अपना हाथ मेरी टाँगो के बीच घुसा दिया" दीदी बोली
लेकिन कैसे दीदी मुझे समझ नही आरहा है" मैं एक बार फिर नादान बनते हुए बोला
मेरी बात सुनकर दीदी खड़ी हुई अपनी पीठ मेरी तरफ की जिससे उनकी बाहर को उभरी हुई बड़ी और गोल मटोल गान्ड मेरी नज़रो के सामने आ गई और बोली "मैं ऐसे चल रही थी वो पिछे से आया और मेरी टाँगो के बीच मे अपना हाथ घुसा दिया" कहते हुए दीदी ने अपना हाथ अपनी गान्ड मे घुसा कर दिखाया
"दीदी इतनी हिम्मत उसकी.......दीदी वैसे मैं भी ये सब करता हूँ लेकिन इतना तो आज तक कभी नही किया हां जहाँ कहीं भी रश हो मैं वहाँ साइड से गुज़रते हुए सिर्फ़ टच करके फील करता हूँ बस लेकिन अपना हाथ कभी अंदर नही घुसाया" मैं बोला
"भाई शरम करो ऐसा क्यों करते हो तुम अब देखा तुमने औरों के साथ थोड़ा किया और आज कोई तुम्हारी बहन के साथ उससे भी ज़्यादा कर गया" कविता दीदी बोली "सब की इज़्ज़त किया करो तब ही दूसरे तुम्हारी माँ बहन की इज़्ज़त करेंगे, किसी को बुरी नज़र से मत देखा करो बेटा"
"अच्छा दीदी आज से दूसरो के साथ नही करूँगा लेकिन अपने घर मे अपनी ही दीदी के साथ तो कर सकता हूँ ना, प्ल्ज़ दीदी मना नही करना कभी कभी जब बहुत ज़्यादा दिल करेगा तब सिर्फ़ टच कर लिया करूँगा, प्ल्ज़ दीदी" मैं बोला
"लेकिन ये कैसे हो सकता है मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूँ और तुम ही मुझे टच करोगे ऐसी वैसी जगह पर" दीदी हैरान होते हुए बोली
"अभी आप ने ही तो कहा ना कि किसी और की बुरी नज़र से देखना ग़लत है फिर कब मेरा मन करेगा तब मैं क्या करूँगा और वैसे भी जब कोई दूसरा आपके पिछे हाथ घुसा सकता है तो मैं क्यों नही आख़िर आपका भाई हूँ और मैं तो सिर्फ़ टच करने की बात कर रहा हूँ" मैं ज़िद्द करते हुए बोला
मेरी बात सुनकर दीदी कुच्छ देर सोच मे पड़ गयी फिर बोली "ओके बेटा लेकिन सिर्फ़ कभी कभी और प्रॉमिस करो किसी और के साथ ऐसा वैसा कुच्छ भी नही करोगे"
"प्रॉमिस दीदी आज से मैं किसी और के साथ कुच्छ भी नही करूँगा, लेकिन दीदी जैसा उस लड़के ने आपके साथ किया अभी मैं भी वैसा करूँ प्ल्ज़" मैं बोला
"तो तुम नही मानोगे, अच्छा कर लो लेकिन आराम से करना उस वक्त तो उसने अचानक से और ज़ोर से किया था जिससे मैं बहुत डर गई थी" दीदी बोली
अब दीदी ने अपनी पीठ मेरी तरफ कर ली थी मैं उनके पास गया और अपना हाथ दीदी की टाँगो के बीच मे गया और एक उंगली सलवार के उपर से ही दीदी की चूत पर फिराने लगा
मेरे ऐसा करने से दीदी को मज़ा आया तो उन्होने अपनी टाँगे थोड़ी और खोल ली मैने उंगली दीदी की चूत पर रखी हुई थी और उसे मूव भी कर रहा था दीदी को अब बहुत मज़ा आरहा था जिससे दीदी थोड़ा सा झुक गई मुझे यकीन नही आरहा था कि मैं अपनी बड़ी दीदी को इस तरह ट्रीट कर रहा हूँ
मैने भी अब अपनी उंगली से दीदी को मज़ा देना शुरू कर दिया दीदी को बहुत मज़ा आरहा था क्योंकि वो भी अब धीरे धीरे अपनी मस्तानी गान्ड को हिला रही थी
अब मैने दीदी की कुरती पिछे से उठा कर कमर पर डाल दी और हिम्मत करके दीदी की सलवार को नीचे करने लगा सलवार थोड़ी सी नीचे हुई तो दीदी ने मुझे रोक दिया
"नही भाई सलवार मत उतारो बस ऐसे ही कर लो" कविता दीदी बोली
"दीदी सिर्फ़ देखना है प्लीज़ सिर्फ़ एक मिनिट के लिए" मैं गिडगिडाते हुए बोला
ये कह के मैने फ़ौरन दीदी की सलवार पैंटी सहित एक झटके से उतार दी और कविता दीदी की मस्त गान्ड मेरे सामने थी बिल्कुल नंगी मैं अपनी दीदी की गान्ड को देख रहा था लेकिन अभी तक दीदी की तरफ से इतना कुच्छ करने के बाद भी कोई रियेक्शन नही आया था मैं समझ गया था कि वो भी मज़े लेना चाहती है लेकिन अंजान बन कर फिर मैने अपना हाथ दीदी की गान्ड पर रखा और उस पर हाथ फेरने लगा मुझे बहुत मज़ा आरहा था दीदी को भी शायद बहुत मज़ा आरहा था क्योंकि उन्होने मुझे अभी तक नही रोका था और उनकी आँखे बंद थी.
तभी मुझे याद आया कि मैने डोर तो लॉक किया नही है कहीं कोई देख तो नही रहा है मैने डोर की तरफ देखा तो प्रिया दीदी डोर पे खड़े हमे देख रही थी मैने उन्हे इशारा किया कि वो चली जाए और वो आराम से डोर क्लोज़ करके चली गई
अब मैने अपनी उंगली अपने मूह मे डाली और थूक लगा कर कविता दीदी की गान्ड मे घुसा दी दीदी ने फ़ौरन अपनी गान्ड टाइट कर ली और खड़ी हो गई
"बस भाई इतना काफ़ी है अब अपने रूम मे जाओ प्ल्ज़" कविता दीदी गहरी सांस लेते हुए बोली और अपनी गान्ड से मेरी उंगली बाहर निकाल कर अपनी सलवार पहन ली
"दीदी आपको मज़ा नही आया क्या?" मैने पुछा
"भैया वो बात नही है लेकिन ये सब ग़लत है हम भाई बहन है हमे ऐसा नही करना चाहिए प्ल्ज़ भाई अब ज़िद्द मत करना मैं और नही कर सकती मुझसे नही होगा" दीदी बहुत प्यार से बोली
अब मैं भी कुच्छ नही कर सकता था तो कुच्छ देर वहीं बैठा रहा और फिर बाहर आगया मैं टीवी देखने लगा फिर सोचा की एक बार फिर प्रिया दीदी को चोदने के लिए ट्राइ करू और ये सोच कर मैं उन्हे रूम की तरफ बढ़ गया.......................
और मैं प्रिया दीदी के रूम मे पहुचा तो देखा कि प्रिया दीदी के साथ बेड पर कीर्ति लेटी हुई थी प्रिया दीदी समझ तो गई थी कि मैं क्यों आया हूँ लेकिन मजबूरी थी
"भाई क्या बात है अभी तक सोए नही तुम" प्रिया दीदी जान कर कीर्ति को सुनाते हुए बोली
"कुच्छ नही दीदी बस वैसे ही आगया था आप सो जाओ मैं भी सोने जा रहा हूँ " मैं बोला और मायूस हो कर प्रिया दीदी के रूम से बाहर आने लगा
"भाई कहाँ सो रहे हो?" प्रिया दीदी ने पिछे से पुछा
"प्रीति दीदी के रूम मे सोउंगा" कह कर मैं प्रिया दीदी के रूम से बाहर निकल गया
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