RE: Bhabhi Sex Kahani भाभियों के साथ मस्ती
रसीला शायद मेरी हालत समझ गई, और वैसे ही रही। वो शायद मेरा टेस्ट ले रही थी की मैं उसे खोल पाता हूँ या नहीं? लेकिन मैंने पहला हुक खोलने के लिए ब्लाउज़ के दोनों साइड को पकड़कर खींचा और हुक को खोलने लगा। जिससे उसकी चूचियां एक दूसरे से भिड़ गईं और बीच की खाईं एकदम कम हो गई, जिसमें अगर एक उंगली भी घुसाना चाहें तो ना घुसे, और आंत में हुक खुल गया। उसके बाद दूसरा, तीसरा करके सब हुक खोल दिया। अब उसके कबूतर रिंग वाली स्ट्रैपलेश ब्रा में कैद थे।
मैंने ब्रा के ऊपर से ही हाथ फेरा तो वो कबूतर जैसे फड़फड़ाने लगे। रसीला अब आकर मेरे दोनों ओर पैर फैलाकर मेरी गोद में बैठ गई, और मेरे होंठों से अपने होंठ भींच लिए। मैं भी उसके रसीले होंठ चूसने लगा। अब मैंने मेरी जीभ उसके मुँह में डाल दी जिसे वो चूसने लगी। मैंने किस करते हुए मेरे हाथ पीछे लेजाकर उसके कबूतरों को आजाद करने के लिए ब्रा का हुक खोल दिया। अब ब्रा मेरे हाथों में थी। करीब 10 मिनट तक एक दूसरे के होंठ चूसने के बाद हम अलग हुए तो वो हाँफने लगी, और गहरी सांसें लेने लगी। फिर मैं उसके चूचे को हाथ में पकड़कर सहलाने लगा, और मुँह में लेकर थोड़ा दूध भी टेस्ट किया।
मैंने थोड़ा सा दूध टेस्ट करके, उसको बोला- “भाभी बर्तन लाओ। अब हम आपका दूध निकालते हैं…”
वो मेरे को एक सेक्सी मुश्कान देकर मेरी गोद में से खड़ी हुई और रसोई घर में जाकर एक बड़ा सा बाउल लेकर आई। उसने वो बाउल को पकड़ा और चूची को दबाने लगी।
मैंने बोला- “लाइए मैं निकालता हूँ…” और ऐसा बोलकर मैं उसकी चूची को दबाने लगा और उसमें से दूध निकालने लगा।
जब मैं चूची को दबाता तो दूध की कई छोटी पिचकारियां निकलतीं और अलग-अलग दिशा में दूध उड़ता था। मैंने बर्तन को नजदीक रख दिया ताकि दूध बाहर ना उड़े। ऐसा करके मैं दूध निचोड़ने लगा। दोनों चूचों में से दूध निचोड़ा तो करीब ½ लीटर जितना दूध निकाला।
अब वो मेरे सामने दूध दिखाकर बोली- “तुम्हारी बात सही है, अगर इतना सारा दूध है तो चाय जरूर बनेगी। चलो रसोई में चलते हैं” बोलकर वो ऐसे ही सिर्फ पेटीकोट में ही रसोई में जाने लगी।
मैं उसके मटकते हुए चूतड़ देखने लगा, तो रसीला मुड़कर बोली- “मुझे पता है तुम्हें मेरे चूतड़ पसंद है, घूरो मत, बाद में मेरी गाण्ड मार लेना…” बोलकर हँस पड़ी।
मुझे उसकी ऐसी सेक्सी बातें सुनकर बहुत जोश चढ़ रहा था। मैं भी उसके साथ रसोई में चला गया। उसने दूध उबलने को रख दिया और अंदर चाय की पत्ती और चीनी डाला, और मेरी तरफ देखकर मुश्कुराती हुई बोली- “मैं भी पहली बार ही बना रही हूँ। पता नहीं कैसी लगेगी?”
मैं- “तुम्हारे दूध से बनेगी तो मीठी ही होगी…” फिर थोड़ी देर में चाय बन गई। ओह्ह… माई गोड… क्या टेस्ट था। एक चुस्की ली तो उसका स्वाद जैसे मेरे मुँह में ही रह गया। बहुत मस्त टेस्ट था, और वो अगर पी लें तो भैंस के दूध की चाय ही भूल जाएं, एकदम बढ़िया। मैंने उसे तुरंत गले लगाकर थैंक यू बोला।
रसीला बोली- थैंक यू किस बात का?
मैं- “तुम्हारे दूध की इतनी स्वादिष्ट चाय पिलाने का, मैं तो पूरी ज़िंदगी तुम्हारा ये टेस्ट नहीं भूल सकता…” और उसको सीधा ही लिप-किस करने लगा।
रसीला भी मेरा साथ देने लगी, और फिर से अपना पेटीकोट चारों ओर करके मेरी गोद में मेरे सामने की तरफ उसका सीना रहे, वैसे दोनों पैरों को अलग-अलग करके बैठ गई। जिससे मेरे लण्ड से उसकी मखमली सी चिकनी चूत टच होने लगी। उसकी गाण्ड मेरी जांघों पे थी, जो की बिना कपड़े की एकदम खुली थी। क्योंकी उसकी पैंटी तो पीछे से डोरी वाली होने की वजह से पूरी गाण्ड खुली थी और वो डोरी सिर्फ उसके छेद को ही ढँकती थी। वो भी उत्तेजना से मारी मेरे ऊपर बैठकर मेरे को किसी भूखी कुतिया की तरह चूम रही थी।
मैं भी अब पागल हो गया था उसे चोदने को। तो मैंने उसे गोद में से किस करते हुए बेड पे सुला दिया, जिससे उसकी टाँगें घुटने से मुड़ी हुई थीं, और मैं उसकी टांगों के बीच में था। तभी उसने मेरी टी-शर्ट को नीचे से पकड़कर निकाल दिया और मैंने उठाकर मेरी पैंट निकाल दिया।
मेरा लण्ड अब निक्कर में तंबू बना रहा था। रसीला ऐसा देखकर तुरंत खड़ी हुई और घुटने के ऊपर बैठकर फटाफट मेरा निक्कर खींचकर नीचे कर दिया। मैं समझ गया की वो भी सेक्स के लिए तड़प रही थी।
उसने मेरा इतना बड़ा लण्ड देखकर बोला- “हेराम… इतना बड़ा? ऐसा लण्ड मैंने आज तक नहीं देखा…” और फटी-फटी आँखों से उसे देखने लगी, और मेरे लण्ड का सुपाड़ा मुँह में ले लिया।
मैं भी अब स्वर्ग का आनंद ले रहा था और उसके मुँह की गहराई में लण्ड पेल रहा था। वो पहले मेरा टोपा ही ले रही थी, लेकिन जब मैंने उसका सिर पकड़कर धक्का मारा तो वो समझ गई और आधे से ज्यादा लण्ड चूसने लगी। मुझे लण्ड चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था, क्योंकी उसके मुँह के अंदर की गरमाहट मेरे लण्ड को महसूस हो रही थी। होंठों की रिंग में टोपे के नीचे का मेन हिस्सा घिस रहा था, जिससे एक चूत जैसा आनंद मिल रहा था। मैंने मुँह चोदना चालू रखा। लेकिन मैं मुँह में झड़ना नहीं चाहता था। मुझे तो उसकी गाण्ड में ही झड़ना था।
इसलिये मैंने थोड़ी देर में लण्ड बाहर निकाल लिया और उसे धक्का देकर सुला दिया, उसके पेटीकोट की डोरी खींच दी, जो की हमारी प्रेमक्रीड़ा के बीच में आ रही थी। डोरी खींचकर मैंने उसकी पैंटी को सूँघा तो मेरे नथुनों में उसकी मादक महक भर गई।
चूत एकदम गीली हो गई थी और लण्ड माँग रही थी।
मैंने उससे बोला- “मैंने बोला था ना की तुम्हारी मुनिया को रुला दूँगा। देख ये कैसे आँसू बहा रही है…”
ऐसी कामुक हालत में भी वो मुश्कुरा दी और बोली- “हाँ मेरे राजा, तुममें तो जदू ही। तुम्हारे सिवा किसी और ने मेरी मुनिया को ऐसे रुलाया नहीं है…”
फिर मैंने उसकी डोरी वाली पैंटी भी उतार फेंकी। मैं एकदम नजदीक जाकर चूत देखने लगा की कैसी दिखती है? मैंने उसकी चूत के होंठों को छुआ और उंगली उसकी दरार में फेरने लगा।
रसीला सिसकियां ले रही थी, और लगातार उपने कूल्हे ऊंचे करके मेरे मुन्ने को चोदने के लिए निमंत्रित कर रही थी।
मैंने धीरे से एक उंगली उसके छेद में डाल दी। चूत गीली होने की वजह से और उसके अनुभवी होने की वजह से वो आराम से अंदर चली गई। उधर उसका पति खेत खोद रहा था और इधर मैं उसकी बीवी का।
इसलिये मैं उंगली को आगे पीछे करने लगा और चूत को उंगली से चोदने लगा। अब मैंने और एक उंगली साथ में जोड़ दी जिससे उसकी चूत और चौड़ी हो गई, और धीरे-धीरे उंगली अंदर-बाहर करने लगा।
दो उंगली जाने से उसे और मजा आ रहा था। मैं जोर-जोर से उंगली आगे पीछे करता रहा जिससे उसकी उत्तेजना बहुत बढ़ गई और वो कमर उचका के मेरा साथ देने लगी। उसके मुँह से- “आह्ह… आह्ह… उईईइ माँऽ” जैसी सिसकियां रुकने का नाम नहीं ले रही थीं। रसीला ने खुद मेरे हाथ को पकड़कर और स्पीड बढ़ा दी और झड़ गई।
अब मेरी बारी थी। उसकी चूत झड़ने की वजह से एकदम गीली थी, तो मैंने मेरी वो गीली उंगली धीरे से उसकी गाण्ड के छेद में डाली। लेकिन वो बड़ी टाइट थी। फिर भी मैं उंगलियां चूत के पानी में डुबोकर गीली करते हुए बार-बार उसकी गाण्ड के छेद में डाल रहा था। जिससे उसके मुँह से हल्की सी चीख भी निकल जाती थी, क्योंकी पहली बार उसकी गाण्ड चुद रही थी, तो वो छेद चूत से ज्यादा टाइट होगा ही। मैंने करीब 5 मिनट तक चूत के पानी से उंगली गीली करके कोशिश की तब जाकर उसकी गाण्ड में वो घुसी।
एक बार उंगली घुसने के बाद मैंने मेरी उंगली को आगे पीछे करना चालू किया। जिससे उसको मजा आने लगा, और वो उसकी गाण्ड के फूल को कभी खोलती और कभी बंद करती। धीरे-धीरे मेरी उंगली उसकी गाण्ड में आसानी से आने-जाने लगी तो, मैंने और एक उंगली डाली। वो भी पहले नहीं गई लेकिन लगातार कोशिश करने के बाद वो भी जने लगी।
मैं खुश था और वो भी ये सब देख रही थी और एंजाय कर रही थी। फिर वो बोली- “किशोर मुझे तो लगता ही नहीं था की तुम मेरी गाण्ड में उंगली डाल पाओगे। क्योंकी मेरी गाण्ड का छेद बड़ा टाइट है। लेकिन तुमने तो कमाल कर दिया…”
मैं- “अभी देखो ये लण्ड भी इतनी ही आसानी से घुसाऊँगा की आप जन्नत की सैर करेंगी…” कहकर मैंने वो तेल की डिब्बी लेकर उसकी नोक को उसकी गाण्ड में डाल दिया। वो आराम से चली गई क्योंकी आलरेडी दो उंगली से उसका छेद अब थोड़ा चौड़ा हो गया था। फिर मैंने पिचकारी मार के उसकी गाण्ड तेल से भर दी। डिब्बी का नोक निकलते ही गाण्ड थोड़ी सिकुड़ी और थोड़ा तेल बाहर गिर गया। लेकिन मुझे तो सिर्फ चिकनाई हो उतना ही चाहिए था।
अब मैंने हाथ में थोड़ा तेल लेकर लण्ड पे लगा दिया, मूठ मारने लगा ताकि सभी जगह पे तेल लग जाए। फिर मैंने डिब्बी साइड में रखकर रसीला को घोड़ी बनने को बोला। क्योंकी गाण्ड मारने के लिए वो पोजीशन बेस्ट है। दूसरे पोजीशन में छेड़ पूरा खुलता नहीं है।
जैसे ही वो घोड़ी बनी, मैं उसके पीछे घुटनों के बल खड़ा हो गया। मैंने उसका छेद ध्यान से देखा, थोड़ा गुलाबी और सुंदर था। उसपे मैंने उंगली फिराई तो उसका फूल अंदर सिकुड़ गया, जैसे चूहा किसी बिल में। अब मैंने मेरा तेल से गीला टोपा उसके फूल पे रखा और उससे बोला- “भाभी, गाण्ड के फूल को थोड़ा ढीला छोड़ देना, जैसा आप टायलेट के वक्त करती हैं…” कहकर मैंने उसके छेद पे थोड़ा जोर का शाट मारा, लेकिन वो थोड़ा आगे को हो गई।
वो बोली- दुख रहा है किशोर।
मैं- “थोड़ा धीरज रखिए। कुछ नहीं होगा। बस मैं जैसे बोलूँ वैसा करिए…” फिर मैंने बोला- “जैसे ही मैं धक्का मारूं आप अपनी गाण्ड के फूल को खोल देना…”
रसीला बोली- ठीक है।
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