RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
मुझे शराब का काफ़ी नशा था और मैं डगमगा के चल रही थी. बाहर अंधेरा था, पर ससुरजी और मेरे कमरों से रोशनी आ रही थी.
पहले मैं अमोल को ससुरजी के कमरे मे ले गई. दरवाज़ा बंद तो था, पर उसके विभिन्न फांको से अन्दर देखा जा सकता था.
अन्दर गुलाबी ससुरजी और अपने पति रामु से चुदवा रही थी. जो विलायती शराब की बोतल मेरे पति ने मुझे सुबह दी थी, बेवड़ी ने पूरी खाली कर दी थी.
अमोल ने कुछ देर अन्दर देखा और कहा, "दीदी, तेरी सास नही दिख रही है..."
"दिखाती हूँ." मैने कहा, "पर देखकर हैरान मत होना. इस घर मे बहुत कुछ होता है. सब लोग खुले विचारों के हैं और हर तरह से चुदाई का मज़ा लेना पसंद करते हैं."
मै अमोल को अपने कमरे मे ले गयी. उसका दरवाज़ा भिड़ा हुआ था, पर बंद नही था. मैने एक नज़र अन्दर देखा और पाया कि तुम्हारी मामीजी अपने दोनो बेटों से चुदवा रही है.
अमोल ने अन्दर देखा तो चौंक कर बोला, "हे भगवान! जीजाजी और किशन अपनी ही माँ को चोद रहे हैं!"
"तुने भी तो अभी अभी अपनी सगी दीदी को चोदा है." मैने जवाब दिया. "तु रुक इधर, मैं अन्दर से वीणा की तस्वीर लेकर आती हूँ."
मैने ने दरवाज़ा खोला और नंगी ही अन्दर चली गयी.
मुझे देखकर मेरी सास मुस्कुराकर बोली, "क्या बहु, चुदवा ली अपने भाई से?"
मैने शरमाकर सर हिलाया और अपनी अलमारी मे तुम्हारी तवीर ढूंढने लगी.
तुम्हारे बलराम भैया अपनी माँ को पीछे से लेटकर चोद रहे थे. वह बोले, "मीना, तुम्हारा बहनचोद भाई किधर है?"
"बाहर खड़ा है." मैने अलमारी मे सामान हटाते हुए कहा.
"साले साहब, अन्दर आ जाओ!" तुम्हारे भैया पुकारे.
"मै नंगा हूँ, जीजाजी!" अमोल बोला.
"अरे हम सब यहाँ नंगे हैं." मेरे वह बोले, "अब तो तुम अपनी दीदी को चोदकर हमारे जैसे ही बन गये हो. तुम बहनचोद हो तो हम मादरचोद हैं. कोई फ़र्क नही है. आ जाओ अन्दर!"
अमोल थोड़ा लजाता हुआ अन्दर आया.
उसका लन्ड अन्दर का नज़ारा देखकर फिर से खड़ा हो गया था. ट्यूबलाईट की रोशनी मे उसका नौजवान, बलिष्ठ शरीर बहुत आकर्शक लग रहा था. वह खड़े होकर पलंग पर हो रही माँ और बेटों की घिनौनी चुदाई देखने लगा.
"अमोल बेटा, अच्छे से चोदे हो न अपनी दीदी को? बहुत गरम औरत है तुम्हारी दीदी. किसी से भी चुदवा लेती है." सासुमाँ बोली. वह किशन का लन्ड चूस रही थी.
"जी."
"आज रात उसके साथ ही सोओ. रात भर लूटो अपनी दीदी की जवानी को."
"जी."
मै अलमारी मे अपनी शादी के ऐलबम को ढूंढ रही थी. उसमे तुम्हारी तस्वीर थी, वीणा.
"साले साहब, कैसा लगा हमारा परिवार?" मेरे पति ने अपनी माँ के भरे भरे स्तनों को पीछे से मसलते हुए पूछा.
"बहुत अच्छा, जीजाजी." अमोल मुस्कुराकर बोला. वह अपना लन्ड पकड़कर सहला रहा था.
"चुदाई का भरपूर सुख है यहाँ, है ना?"
"जी, बहुत मज़ा है यहाँ."
"जब तुम्हारी शादी होगी, तो अपनी पत्नी को भी मज़ा लेना सिखा देना. फिर वह भी हम सबसे खुलकर चुदवायेगी." मेरे पति बोले.
"जी, जीजाजी. मैं भी यही चाहता हूँ."
"फिर देर किस बात की?" मेरे वह बोले. "लड़की तो तुम्हारे माँ-बाप ने पसंद कर ही ली है. जल्दी से उससे शादी कर लो और उसे हमारे हवाले कर दो. चोद चोदकर दो ही दिन मे हम उसे तुम्हारी दीदी की तरह रंडी बना देंगे!"
"मै उससे शादी नही कर रहा हूँ, जीजाजी." अमोल बोला, "वह तो ऐसी उबाऊ लड़की है कि मुझे भी अपनी चूत नही देगी."
"फिर किससे शादी करोगे?" सासुमाँ ने पूछा.
"अभी कुछ ठीक नही है...पर मेरे दिमाग मे है एक लड़की." अमोल बोला.
मुझे मेरी शादी की ऐलबम मिल गयी. मैने उसे उठाया और अमोल से कहा, "मिल गयी. चल अमोल, तेरे कमरे मे चलकर दिखाती हूँ."
"क्या मिल गयी, बहु?" सासुमाँ ने पूछा.
"वीणा की तस्वीर. कल सब बताऊंगी, माँ." मैने कहा और अमोल का हाथ पकड़कर बाहर ले आयी.
अमोल और मैं नंग-धड़ंग अपने कमरे मे चले आये.
मैने ऐलबम पलंग पर रखी और शराब की बोतल खोली. देसी दारु के चार-पांच घूंट बहुत मुश्किल से लिये और बोतल अमोल को दे दिया.
अमोल ने भी चार पांच घूंट पीये और बोतल लेकर पलंग पर चढ़ गया. मेरी शादी का ऐलबम खोलकर उसमे तसवीरें देखने लगा.
तीसरे ही पन्ने पर रुककर उसने मुझे एक फोटो दिखायी और पूछा, "दीदी, यही है क्या वीणा?"
मैने तस्वीर को देखा. वीणा, वाकई वह तुम्हारी ही तस्वीर थी.
मैने जवाब दिया, "हाँ, यही है वीणा. पर तु कैसे जानता है?"
"दीदी, मैं इसको कभी नही भूल सकता!" अमोल खुश होकर बोला, "मैने इसे बस एक बार तेरी शादी मे देखा था. तुने जब कहा कि वीणा लंबी, गोरी, बड़े बड़े नयनों वाली है - मैं समझ गया यह वीणा वही लड़की होगी."
मै हैरान होकर अपने भाई को देखने लगी.
"दीदी, उस दिन चमकीले लहंगे मे वह क्या क़यामत लग रही थी!" अमोल अपने खयालों मे खोया हुआ बोलने लगा, "और वह जो गाना हैं ना - ’आजा माहिया’ - उस पर सब लड़कियों के साथ नाची भी थी. सारे लड़के उसपर लट्टू हो रहे थे. और मुझे उसका नाम भी पता नही था. काश मुझे पता होता के वह तेरी ननद लगती है!"
"पता होता तो तु क्या करता?" मैने पूछा.
"उससे शादी कर लेता, दीदी!" अमोल बोला, "हाय, मैने ऐसी प्यारी लड़की ज़िंदगी मे नही देखी है!"
मेरी योजना को सफ़ल होते देखकर मुझे बहुत खुशी होने लगी!
मैने अमोल के खड़े लन्ड को पकड़ा और सहलाकर पूछा, "भाई, वीणा तुझे इतनी पसंद है?"
"बहुत, दीदी! बहुत पसंद है!" अमोल मेरी चूची को सहलाकर बोला.
"पर एक समस्या है..."
"क्या, दीदी? क्या वह किसी और से प्यार करती है?"
"नहीं, वह किसी से प्यार नही करती."
"फिर क्या समस्या है?"
"यही कि वीणा मेरी ही तरह एक छटी हुई चुदैल है." मैने जवाब दिया, "वह बहुत खेल खाई लड़की है, अमोल. बहुतों के लन्ड ले चुकी है. हर समय चूत मराये बिना उसे चैन नही पड़ता है. चुदास चढ़ती है तो उसे रिश्ते-नाते, दीन-धरम कुछ दिखाई नही देता है. किसी से भी, कहीं भी, वह चुदवा लेती है. और हाँ, वह शराब भी पीती है."
अमोल का लन्ड मेरी बात सुनकर मेरी मुट्ठी मे ठुमक उठा.
मेरी चूचियों को मसलते हुए अमोल बोला, "यह तो तु मुझे बता ही चुकी है. सोनपुर मे वह भी तेरे साथ बहुत चुदवाई थी."
"और तुझे कोई आपत्ती नही?"
"वीणा जैसी भी हो मुझे चाहिये, दीदी." अमोल ने हठ कर के कहा.
"एक और समस्या है..." उसे छेड़ने के लिये मैने रहस्यपूर्न ढंग कहा.
"क्या, दीदी?"
"वह अभी गर्भवती है."
"क्या!" अमोल चौंककर बोला.
"उसका गर्भ ठहर गया है." मैने कहा, "सोनपुर मे चुदवा-चुदवाकर मेरी तरह वह भी पेट से हो गयी है. और उसे नही पता बच्चे का बाप कौन है."
अमोल ने कुछ नही कहा, पर उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थी. मेरी चूचियों को वह जोर जोर से मसल रहा था. मुझे लगा उसे बहुत ठरक चढ़ गयी है.
"क्यों, भाई. तु शादी करेगा ऐसी बदचलन, छिनाल, गर्भवती लड़की से?" मैने पूछा.
"दीदी, वीणा जैसी भी हो, मुझे चाहिये." अमोल बोला, "मुझे बीवी चाहिये जो बिलकुल तेरी तरह हो - बचलन, चुदक्कड़, रांड, वेश्या, कुलटा. मुझे पूरा यकीन है वीणा मुझे बहुत खुश रखेगी."
"पर तु क्या मेरी चुदक्कड़ ननद को खुश रख सकेगा?"
"हाँ दीदी. मैं भी उसे बहुत खुश रखूंगा." अमोल ने कहा, "मै उसे अपनी ज़िन्दगी जीने दूंगा. वह जिससे चुदवाना चाहे चुदवायेगी."
अमोल की बात सुनकर मैं इतनी खुश हुई कि मैने उसे गले से लगा लिया. उसको बिस्तर पर लिटाकर उसके नंगे बदन पर चढ़ गयी. अपनी नंगी चूत उसके खड़े लन्ड पर रगड़ने लगी और उसके गालों को चूमने लगी.
"अमोल, तुने अपनी दीदी को आज बहुत खुश कर दिया, भाई!" मैने कहा. "आजा, चोद अपनी दीदी को. अच्छे से चोद उसे! मैं कल ही पिताजी को ख़त लिख दूंगी. तु सब कुछ मुझ पर छोड़ दे. बस आज की रात अपनी दीदी को जी भर के चोद और उसकी प्यास बुझा दे!"
वीणा, उस रात हम भाई बहन बहुत देर तक चुदाई करते रहे. अमोल इतना खुश था कि सुबह उठकर उसने मुझे फिर चोदना शुरु कर दिया. जब गुलाबी चाय लेकर आयी तब भी वह मुझ पर चढ़कर मेरी चूत को मारे जा रहा था.
अगले दिन मैने तुम्हारे मामा और मामी को सब बातें खोलकर बताई. मैने तुम्हारी एक तस्वीर एक ख़त के साथ अपने पिताजी को भेजी. ससुरजी ने तुम्हारी एक तस्वीर और एक ख़त तुम्हारे पिताजी को भेजी. मेरे पिताजी ने तुरंत जवाब भेजा कि उन्हे तुम्हारी तस्वीर बहुत पसंद आयी है और वह तुम्हे देखना चाहते हैं. बाकी तो तुम सब जानती ही हो.
हाँ तो मेरी प्यारी ननद, यह थी मेरी कहानी. आशा करती हूँ तुम्हे पढ़कर मज़ा आया. अब मैं जाती हूँ तुम्हारे मामाजी से बात करने के लिये के किस तरह से तुम्हारी शादी मेरे भाई से जल्द से जल्द कराई जाये.
तुम्हारे जवाब का इंतज़ार रहेगा.
तुम्हारी मीना भाभी
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