RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
मैने अपने पति की तरफ़ देखा. वह मुस्कुरा रहे थे पर उनकी आंखों मे वासना छलक रही थी. लुंगी के अन्दर उनका लन्ड ठनक कर खड़ा था.
मैं उनके सीने से लिपट गयी और बोली, "मुझे तो डर लग रहा है जी. और शरम भी आ रही है."
अपने हाथ का बोतल मेरे हाथ मे पकड़ाकर बोले, "इसलिये तो तुम्हारे लिया यह बोतल लाया हूँ. लो, दो चार घूंट गटागट गले से उतार लो. फिर ऐसी मस्ती और चुदास चढ़ेगी कि सब शरम वरम भुल जाओगी और गाँव के चौराहे पर जाकर चुदवाने लगोगी."
मैने कांपते हाथों से शराब की बोतल खोली और अपने मुंह मे लगाकर दो घूंट पी गयी. नीट रम पिघले आग की तरह मेरे गले से नीचे उतारा और मेरा दिमाग झनझना उठा. मैं कुछ देर आंखें बंद किये खड़ी रही.
"बहु, दो चार घूंट और पी. और जा अपने ससुरजी के कमरे मे. मैने उनको सब समझा दिया है." सासुमाँ बोली, "तीनो मर्दों के साथ जी भरके मज़े लूट. तेरे भाई को हम यहाँ सम्भाल लेंगे."
मैने हिम्मत करके और पांच-छह घूंट शराब के पी लिये. जल्दी ही मेरा सर घूमने लगा और पूरे बदन मे मस्ती छा गयी.
नशे में झूमते हुए मैं रसोई के बाहर जाने लगी तो मेरे वह बोले, "अरे मीना, यह बोतल तो छोड़ती जाओ!"
"क्यों जी?" मैने लड़खड़ाती आवाज़ मे कहा, "अभी मुझे घंटे भर चुदना है. यह पूरी बोतल मैं पीऊंगी और चुदवाऊंगी! तुम जाओ और मेरे भाई को लेकर आओ. मैं उसे दिखाऊंगी कि उसकी दीदी भी गुलाबी की तरह अपनी गांड, बुर, और मुंह एक साथ मरा सकती है! जाओ! लेकर आओ मेरे बहनचोद भाई को!"
मैं शराब की बोतल हाथ मे लिये, डगमगाते हुए तुम्हारे मामाजी के कमरे मे चली गयी.
तुम्हारे मामाजी अपने पलंग पर लेटे अखबार पड़ रहे थे. कमरे की खिड़की जो बगीचे पर खुलती थी, खुली हुई थी.
मुझे शराब की बोतल हाथ मे लटकाये, लड़खड़ाते हुए आते देखकर बोले, "अरे बहु, तुने सुबह-सुबह शराब पी ली है?"
"हाँ बाबूजी! मैने बहुत शराब पी है! आपके बेटे अपनी प्यारी पत्नी के लिये यह शराब की बोतल लाये हैं." मैने नशे मे मचलते हुए कहा, "गुलाबी घर की नौकरानी होकर रोज़ शराब पी सकती है तो मैं भी घर की बहु होकर सुबह-सुबह शराब पी सकती हूँ!"
"आ मेरे पास बैठ." ससुरजी बोले.
"आपके पास बैठने नही आयी हूँ, बाबूजी!" मैने कहा. बोतल खोलकर एक और घूंट पीकर मैं पलंग पर चढ़ गयी और उनसे लिपट गयी. "आपसे चुदवाने आयी हूँ! मुझे बहुत चुदास चढ़ी है! कल रात आपसे चुदवाकर मेरी प्यास नही बुझी थी!"
ससुरजी का लन्ड लुंगी मे तुरंत खड़ा हो गया. वह लुंगी मे हाथ डालकर अपने लन्ड को सहलाने लगे.
वह मुझे बोले, "बहु, तेरी तो अभी भरपूर जवानी है. तेरी प्यास भला एक मर्द से थोड़े ही बुझती है."
"तभी तो देवरजी और रामु भी आने वाले हैं!" मैने कहा, "मै आज तीन तीन लन्डों से चुदूंगी! गुलाबी घर की नौकरानी होकर तीन मर्दों से चुदवा सकती है, तो मैं भी घर की बहु होकर तीन तीन मर्दों से चुदवा सकती हूँ!"
"कहाँ है वह दोनो?"
"मादरचोद लोग आते ही होंगे!" मैने कहा, "बाबूजी, आप मेरी जवानी को लूटना शुरु कीजिये. मेरा भाई भी देखे कि उसकी रंडी दीदी कैसे अपने ही ससुर से चुदवाती है."
मैने शराब की बोतल मे मुंह लगयी और एक और घूंट ली तो तुम्हारे मामाजी ने मेरे हाथ से बोतल ले ली और कहा, "बस, बहु. बहुत पी ली है तुने. पी के टल्ली हो जायेगी तो चुदवाने का मज़ा कैसे आयेगा?"
"ठीक कहा आपने, बाबूजी! मैं और नही पीऊंगी!" मैने कहा, और दरवाज़े की तरफ़ चिल्लाकर अपने पति को बोली, "सुनो जी! यह हरामज़ादे लोग क्यों नही आ रहे हैं! यहाँ मेरी चूत लन्ड लेने के लिये पनिया रही है!"
तुम्हारे मामाजी ने हंसकर मुझे अपनी ओर खींच लिया और मेरे नरम, गुलाबी होठों को चूमकर बोले, "बहु, तु पीकर बहुत ही मस्त हो जाती है. वह लोग आते ही होंगे. तब तक मैं तेरी जवानी का मज़ा लेता हूँ."
मेरा आंचल तो पहले से ही गिर चुका था. उन्होने मेरी ब्लाउज़ के हुक खोल दिये तो मेरी सुडौल चूचियां छलक कर बाहर आ गयी.
"बहु, तुने तो ब्रा भी नही पहनी है!" ससुरजी बोले.
"आपको अपने जोबन जो पिलाने हैं!" मैने मचलकर कहा, "मैने तो चड्डी भी नही पहनी है. चुदवाने की पूरी तैयारी करके आयी हूँ, बाबूजी!"
"अच्छा किया तुने, बहु. अब से ब्रा मत पहना कर."
"बाबूजी, मेरा भाई एक बार पट जाये तो मैं तो साड़ी भी नही पहनुंगी." मैने कहा, "बल्कि मैं तो पूरे घर मे नंगी ही घूमूंगी! जहाँ जिसका लन्ड मिले अपनी चूत मे ले लुंगी. और अपने बहनचोद भाई को दिखाऊंगी!"
मेरी ब्लाउज़ उतरते ही मैं ससुरजी के ऊपर चढ़ गयी और उनके मुंह मे अपने निप्पलों को डालकर उन्हे अपनी चूची पिलाने लगी.
"आह!! बाबूजी, अच्छे से चुसिये अपनी पुत्र-वधु के मम्मों को!" मैं मस्ती मे बोली, "बहुत मज़ा आ रहा है! यह मेरा गांडु भाई कहाँ है? साला देख रहा है कि नही कि उसकी रंडी दीदी अपने ही ससुर को अपनी चूची पिला रही है?"
"बहु, अभी आ जायेगा अमोल." ससुरजी बोले, "तु ज़रा अपनी साड़ी-पेटीकोट उतारकर नंगी हो जा."
मै डगमगाते हुए उठी और अपनी साड़ी और पेटीकोट उतारने लगी. मुझे शराब का बहुत ही नशा चढ़ चुका था.
कमरे की खिड़की जो बगीचे मे खुलती थी खुली हुई थी. मैने उधर नज़र डाली तो पाया कोई छुपके अन्दर देख रहा है. मैं समझ गयी वह मेरा भाई ही होगा. मेरा भाई अपनी दीदी को अपने ससुर के कमरे मे नंगी देख रहा था. मैं इतने नशे मे न होती तो शायद घबरा जाती पर. पर उस वक्त मुझे हद से ज़्यादा चुदास चढ़ गयी थी.
उधर ससुरजी ने भी अपनी बनियान और लुंगी उतार दी थी और पूरे नंगे हो गये थे. उनका मस्त मोटा लन्ड तनकर लहरा रहा था. मैं नंगी होकर उन पर टूट पड़ी.
"बाबूजी!" मैं अपने भाई को सुनाकर जोर से बोली, "चोद डालिये अपनी बहु को! अब मुझसे रहा नही जा रहा!"
ससुरजी मेरे नंगे बदन पर चढ़ गये और मेरी बहुत ही गीली चूत मे अपने फूले हुए सुपाड़े को रखकर कमर का धक्का देने लगे. मैं भी अपनी जांघों को पूरी खोलकर उनका स्वागत कर रही थी. एक ही धक्के मे ससुरजी का लन्ड आराम से मे चूत मे घुस गया और उनका पेलड़ मेरी गांड पर लगने लगा.
मैने जोर की आह भरी और अपनी कमर को उचकाने लगी. मेरी हालत को देखकर ससुरजी ने अपना लन्ड मेरी चूत से निकाला और फिर जोर के धक्के मे पूरा पेल दिया.
"आह!" मैने मस्ती मे कहा, "कितना मज़ा आ रहा है, बाबूजी! मुझे ऐसे ही जोर जोर के ठाप लगाइये. मेरी चूत का भोसड़ा बना दीजिये!"
ससुरजी मुझे पेलने लगे और मैं जोर जोर से मस्ती की आवाज़ें निकालने लगी.
मुझे पूरा यकीन था मेरा भाई ससुर-बहु के इस व्यभिचार को मज़े लेकर देख रहा है. उसका खयाल आते ही मैं गनगना उठी और ससुरजी को जकड़कर जोर से झड़ गयी.
ससुरजी अपनी हवस मिटाने के लिये मुझे चोदते रहे और मैं उनके नीचे पड़ी रही.
तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और रामु अन्दर आया.
मुझे ससुरजी से चुदते देखकर बोला, "साली कुतिया, सुबह-सुबह अपना मुंह काला करवाने लग गयी? वह भी अपने ससुर से?"
"क्या करूं, रामु? तुम तो जानते हो मैं कितनी चुदैल औरत हूँ!" मैने कहा. मेरा शरीर ससुरजी के धक्कों से हिल रहा था.
"तभी तो हम तेरी चूत फाड़ने आये हैं." रामु बोला और अपनी पैंट उतारने लगा.
उसने चड्डी नही पहनी हुई थी. पैंट उतारते ही उसका काला लन्ड उछलकर बाहर आ गया. "ले रांड! थोड़ा चूस दे हमरे लौड़े को!" उसने हुकुम दिया.
रामु पलंग पर चढ़कर मेरे पास आया तो मैने उसका गरम लन्ड अपने हाथ मे पकड़ा और पूछा, "रामु, मेरा भाई बाहर से देख रहा है, क्या?"
"हाँ, देख रहा है ना." रामु ने अपना लन्ड मेरे मुंह मे ठूंसते हुए कहा, "तेरा बहिनचोद भाई बाहर छुपकर तेरी चूत-मरायी देख रहा है और अपना लौड़ा हिला रहा है. बड़े भैया खुदे भेजे हैं उसे देखने के लिये."
मै मज़े से रामु का लन्ड चूसने लगी और उधर ससुरजी भी मेरी चूत को मारे जा रहे थे. जल्दी ही मैं फिर गरम हो गयी.
तभी कमरे का दरवाज़ा फिर खुला और अब की बार किशन अन्दर आया.
उसे देखकर रामु बोला, "आओ, किसन भैया. मालिक और हम मिलकर तुम्हारी चुदैल भाभी की जवानी की प्यास को बुझा रहे हैं. बहुत छटी हुई रंडी है तुम्हारी भाभी. तुम भी नंगे होकर आ जाओ पलंग पर और लूटो हरामन की जवानी को!"
किशन का लन्ड पहले से ही उसके पजामे को फाड़कर बाहर आ रहा था. अपनी भाभी को बाप से चूत मराते हुए और नौकर का लन्ड चूसते हुए देखकर वह बहुत खुश हो गया. जल्दी से उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये और नंगा होकर पलंग पर चढ़ गया.
मेरे दूसरे तरफ़ आकर उसने भी अपना खड़ा लन्ड मेरे हाथ मे दे दिया. मैने रामु का लन्ड अपने मुह से निकाला और किशन का लन्ड चूसने लगी.
बारी बारी से मैं दोनो मर्दों से अपना मुंह चुदवाने लगी. दोनो के मोटे और लंबे लन्ड का सुपाड़ा जा जाकर मेरी हलक मे लग रहा था.
ससुरजी तो मेरी टांगों को पकड़कर एक मन से मुझे चोदे जा रहे थे. उनका मोटा लन्ड मेरी चूत मे घुसता तो जैसे मैं अन्दर से भर जाती और लन्ड बाहर निकल जाता तो जैसे खाली हो जाती. हर धक्के के साथ मेरी नंगी चूचियां नाच उठती थी.
"रामु, आ जा. अब तु चोद ले बहु की चूत को." कुछ देर बाद ससुरजी ने मेरी चूत से अपना मूसल निकाला और कहा.
"मालिक, हम तो इसकी की गांड ही मारेंगे." रामु बोला, "अपनी गांड बहुत हिला हिलाकर चलती है साली."
"ठीक है तु गांड ही मार ले." ससुरजी बोले, "किशन, तो फिर तु ही अपनी भाभी की चूत को मार."
"पर पिताजी, आप?" किशन ने पूछा. घर की बहु की चूत पर बड़ों का पहला हक होता है ना!
"मै तो बहुत गरम हो गया हूँ, बेटा! और चोदुंगा तो मेरा पानी निकल जायेगा." ससुरजी बोले और बगल मे बैठ गये.
किशन और रामु ने मेरे मुंह से अपने लन्ड निकाल लिये.
"किसन भैया, आप इसकी चूत नीचे से मारिये." रामु बोला, "हम जरा ऊपर से इसकी गांड को अच्छे से मारते हैं."
किशन पलंग पर नंगा लेट गया. उसका 7 इंच का लन्ड, मेरी थूक से तर, छत की तरफ़ उठकर हिल रहा था.
"ए बाप की रखैल!" रामु मेरी एक चूची को जोर से भींचकर बोला, "अईसे चूत फैलाये काहे पड़ी है? देखती नही किसन भैया लन्ड खड़ा करके प्रतीक्सा कर रहे हैं? चल उठ और अपनी भोसड़ी मे उनके लन्ड को ले!"
मैं रामु के आज्ञानुसार उठी और अपने देवर के नंगे बदन पर चढ़ गयी. उसके कमर के दोनो तरफ़ अपने घुटने रखकर मैने अपनी चूत उसके खड़े लन्ड पर रख दी.
रामु ने किशन के लन्ड को पकड़कर मेरी चूत के फांक मे रखा और बोला, "साली, गांड का धक्का लगा और ले ले अपनी चूत मे लन्ड को."
मैने किशन के लन्ड पर दबाव डाला तो उसका लन्ड पेलड़ तक मेरी चूत मे घुस गया.
मै बहुत जोश मे आ गयी थी. किशन के होठों को पीते हुए मैं अपनी कमर जोर जोर से हिलाने लगी और उसके लन्ड पर चुदने लगी.
"कुतिया, अपनी गांड इतनी काहे हिला रही है?" रामु चिल्लाया, "हम अपना लौड़ा कैसे डालेंगे?"
मैने अपनी कमर हिलानी बंद की तो रामु किशन के दो पैरों के बीच बैठ गया. मेरे चूतड़ों को अलग करके उसने अपने लन्ड का मोटा, काला सुपाड़ा मेरी गांड के छेद पर रखा. उसका लन्ड पहले से ही मेरी थूक से तर था. मेरी कमर को जोर से पकड़कर वह सुपाड़े को मेरी गांड के छेद मे दबाने लगा.
"रामु, आराम से घुसाना नही तो लगेगा!" मैने कहा.
"चुप कर, छिनाल!" रामु ने मुझे डांटकर कहा, "गांड मरायेगी तो लगेगा ही. ज्यादा नखरे करेगी तो तेरी गांड मार मारकर फाड़ देंगे!"
उसकी इन बदतमीज़ी भरी बातों से मेरी चुदास और भी बढ़ गयी. न जाने मेरा भाई मेरे बारे मे क्या सोच रहा होगा! उसकी दीदी सिर्फ़ अपने ससुर, देवर, और नौकर से चुदवाती ही नही है. घर का नौकर उसे एक रंडी की तरह बेइज़्ज़त कर कर के चोदता भी है.
|