मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:17 PM,
#77
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
गुलाबी झड़ झड़कर पूरी पस्त हो चुकी थी. उसका सिंदूर फैल गया था और उसके बाल बिखर गये थे. बहुत थकी हुई लग रही थी वो.

फिर भी वह उठकर तुम्हारे भैया के पैरों की तरफ़ मुंह करके बैठी और उसने उनके लन्ड को पकड़कर अपनी गांड की छेद पर रखा. फिर थोड़ा दबाव डालकर पूरे लन्ड को पेलड़ तक अपनी गांड मे ले लिया.

फिर वह तुम्हारे भैया के चौड़े सीने पर पीठ के बल लेट गयी और तुम्हारे भैया ने उसे अपने सीने से चिपका लिया. अब उसकी गांड के अन्दर मेरे उनका लन्ड पेलड़ तक घुसा हुआ था और उसकी चूत ऊपर की तरफ़ थी. उसकी खुली हुई जांघें अमोल को खुला आमंत्रण दे रही थी. उसकी चूत से किशन का सफ़ेद वीर्य चू रहा था.

"साले साहब, पेल दो गुलाबी की चूत मे अपना लन्ड." मेरे वह बोले, "और मत तरसाओ बेचारी अबला नारी को."

अमोल गुलाबी के फ़ैले टांगों के बीच घुटने टेक कर बैठ गया और उसने अपना लौड़ा पकड़कर गुलाबी की चूत पर रखा. सुपाड़े से चूत के होठों को फैलाकर उसके कमर का एक धक्का दिया जिससे उसका लन्ड आधा गुलाबी की चूत मे घुस गया. दूसरे धक्के मे पूरा लन्ड अन्दर चला गया और वह गुलाबी के टांगों को पकड़कर उसे चोदने लगा.

गुलाबी की चूत मे किशन का वीर्य भरा था. अमोल के धक्कों से सफ़ेद वीर्य "फच! फच!" की आवाज़ के साथ बाहर निकलने लगा और रिस कर मेरे पति के पेलड़ पर गिरने लगा.

अमोल का पूरा लन्ड किशन के वीर्य से सन गया और बहुत चिकना हो गया. वह गुलाबी को जोर जोर से ठाप लगाने लगा.

उसके ठापों से मेरे पति का लन्ड भी गुलाबी की गांड मे आने-जाने लगा. वह गुलाबी के नंगे चूचियों को नीचे से दोनो हाथों से दबाने लगे. गुलाबी पस्त होकर दोनो मर्दों के बीच अपनी चूत और गांड खोले पड़ी रही. उसे मज़ा तो आ रहा था पर उसमे बस इतनी ही जान थी कि वह थकी आवाज़ मे "ऊं!! ऊं!! ऊं!!" कर सके.

अमोल बहुत मज़े लेकर गुलाबी की चुदी हुई चूत को चोद रहा था और मस्ती मे "आह!! ओह!! उफ़्फ़!!" कर रहा था.

सुनकर मेरे वह बोले, "क्यों अमोल, लड़की चोदने मे ऐसा मज़ा पहले कभी मिला है?"
"नही, जीजाजी!" अमोल ठाप लगता हुआ बोला, "चुदाई मे...इतना मज़ा मिल सकता है...मुझे पता ही नही था!"
"यह तो बस शुरुवात है, साले साहब!" मेरे वह गुलाबी की गांड को पेलते हुए बोले, "मेरे साथ रहोगे तो इतना मज़ा पाओगे जो तुम ने सपने मे भी नही सोचा होगा."

"सच, जीजाजी?" अमोल ने गुलाबी की चूत को पेलते हुए पूछा.
"एक से एक चूतों का स्वाद मिलेगा." मेरे वह बोले, "बिना किसी रोक-टोक के, खुले आम चुदाई मे डूबे रहोगे. जैसी चुदाई तुम ने सिर्फ़ ठरकी फ़िल्मों मे देखी है, वैसी चुदाई का खुद मज़ा उठा पाओगे."

"हाय, जीजाजी!" अमोल मस्त होकर बोला, "क्या यह हो सकता है? ऐसा मज़ा लेने के लिये...मै कुछ भी कर सकता हूँ!"
"ऐसा मज़ा लेने के लिये अपनी दीदी को चोद सकते हो?"
"हाय, यह क्या कह रहे हैं आप!" अमोल बोला. वह बहुत ही गरम हो गया था. गुलाबी को बेरहमी से ठोकता हुआ बोला, "मै कुछ भी...कर सकता हूँ! आह!! जीजाजी!! मेरा पानी निकलने वाला है!! आह!!"
"निकाल दो, गुलाबी की चूत मे." मेरे वह बोले.
"उसका पेट ठहर गया तो?"
"उसका पेट पहले ही ठहरा हुआ है, मेरे दोस्त." मेरे वह बोले, "तुम एक गर्भवती औरत को चोद रहे हो."

सुनकर अमोल अपना आपा खो बैठा. गुलाबी को पगालों की तरह पेलते हुए वह झड़ने लगा. लंबे लंबे ठाप लगाकर वह गुलाबी की चूत मे अपना पानी छोड़ने लगा. उसके धक्कों से गुलाबी का थका हुआ शरीर एक गुड़िया की तरह हिलने लगा.

झड़कर अमोल ने अपना लन्ड गुलाबी की चूत मे पूरा ठूंस दिया और उस पर थक कर लेट गया.

"अमोल, अब ज़रा मुझे भी अपना पेलड़ खाली करने दो." मेरे पति ने कहा.

मेरा भाई गुलाबी के ऊपर से उतर गया और किशन के पास नंगा बैठ गया. गुलाबी की चूत से उसका वीर्य बहकर निकलने लगा था.

तुम्हारे भैया ने गुलाबी को उठाया और उसकी गांड से अपना लन्ड निकला.

उसे घाघरे के ऊपर चित लिटाया तो वह थकी हुई आवाज़ मे बोली, "बड़े भैया! हम झड़ झड़ के थक गये हैं! अब हमे और मजा नही आ रहा है!"
"साली, तेरे थकने से क्या होता है?" मेरे वह गुलाबी के नंगे शरीर पर चढ़ते हुए बोले, "जब तक हर मर्द की प्यास नही बुझती तुझे चुदते रहना है, समझी!"

गुलाबी ने मजबूर होकर अपने पैर फैला दिये. तुम्हारे भैया ने अपना खड़ा लन्ड उसकी वीर्य से सनी हुई चूत पर रखा और एक धक्के मे पूरा लन्ड उसकी चिकनी चूत मे पेल दिया. अमोल का वीर्य लन्ड के चारों तरफ़ से बाहर निकलने लगा.

"पचक! पचक!" की आवाज़ के साथ मेरे वह गुलाबी की चूत मे अपना लन्ड पेलने लगे. गुलाबी कपड़े की गुड़िया की तरह पड़ी रही और धक्के खाती रही.

किशन और अमोल नंगे बैठकर गुलाबी की चुदाई देख रहे थे. मैं भी झाड़ी मे छुपी हुई अपने चूचियों को मसल रही थी. मैने अब तक अपने सारे कपड़े उतार दिये थे और पूरी नंगी हो चुकी थी. चुदास से मेरा अंग अंग अंगड़ाई ले रहा था. अपनी चूत मे उंगली पेल रही थी और अपने पति को घर की नौकरानी को चोदते हुए देख रही थी.

तुम्हारे भैया भी ज़्यादा देर नही रुके. गुलाबी के पस्त हो जाने से उन्हे उतना मज़ा नही आ रहा था. गुलाबी इतनी झड़ चुकी थी कि वह आंखें बंद किये पड़ी थी.

जोर जोर से "ओह!! ओह!! ओह!! ओह!!" करके वह झड़ने लगे. जिस वीर्य पर मेरा हक था उसे गुलाबी की चूत मे भरने लगे.

झड़ने के बाद कुछ देर तक वह गुलाबी के ऊपर पड़े रहे. फिर उठकर उन्होने उसकी चूत से अपना लन्ड निकाला.

गुलाबी घाघरे पर नंगी ही पड़ी रही. उसकी चूत से तीसरे मर्द का वीर्य रिस कर बहने लगा था.

तीनो मर्द उठकर अपने कपड़े पहनने लगे.

"अमोल, तुम्हे जब भी मन करे गुलाबी को पकड़कर चोद सकते हो." मेरे वह बोले, "तुम चाहो तो गुलाबी को रोज़ रात अपने कमरे मे लेकर सो सकते हो."
"रामु कुछ कहेगा तो नही?" अमोल ने पूछा.
"नही, बस शायद अपनी बीवी की चुदाई देखकर लन्ड हिलायेगा." मेरे वह हंसकर बोले. फिर उन्होने गुलाबी को कहा, "गुलाबी, तु आज से अमोल भैया के साथ सोयेगी, समझी?”
“ठीक है, बड़े भैया!” गुलाबी ने अपनी आंखें खोली और मुस्कुराकर बोली.

तीनो आदमी उठकर जाने लगे तो अमोल ने पूछा, "गुलाबी को नही लेना है? ऐसे ही नंगी पड़ी रहेगी क्या?"
"वह आ जायेगी थोड़ी देर मे. यहाँ कोई आता जाता नही है." किशन ने कहा.

तीनो घर की तरफ़ चल पड़े.
तब मैं झाड़ी मे से नंगी ही निकली और गुलाबी के पास गयी.

"ये गुलाबी!" मैने उसके पास बैठकर पुकारा.
"भाभी!" गुलाबी ने आंखें खोली और धीरे से पूछा, "आप सब देखीं का?"
"और क्या?" मैने उसकी चूचियों को दबाकर कहा, "तुने तो बहुत मज़ा लिया आज!"
"हम चुद चुदकर थक गये, भाभी." गुलाबी ने शिकायत की, "बड़े भैया फिर भी हमे नही छोड़े."
"तीन तीन मर्दों से चुदवायेगी तो ऐसा ही होगा." मैने कहा.

मेरी नज़र उसके वीर्य से सने चूत पर गयी. उसके सांवले चूत के होठों के बीच से सफ़ेद वीर्य बह रहा था.

मैं गुलाबी पर चढ़ गयी और अपनी चूत उसके मुंह पर रख दी.

"गुलाबी, ज़रा मेरी चूत चाट दे ना!" मैने कहा, "तुम लोगों की चुदाई देखकर मैं बहुत गरम हो गयी हूँ!"

गुलाबी मेरी चूत मे जीभ लगाकर चाटने लगी.

मैने भी अपना मुंह उसकी चूत पर रखा और उसकी चूत से बहते वीर्य को चाटकर खाने लगी. वीर्य का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगता है, और यहाँ तो गुलाबी की चूत पर तीन तीन मर्दों का वीर्य लगा था. उनमे से एक मेरा छोटा भाई था जिसका वीर्य भी मैं चाटकर खा रही थी. सोचकर ही मैं गनगना उठी और गुलाबी के मुंह पर अपनी चूत दबाकर झड़ने लगी.

"ऊंह!! ऊंह!! ऊंह!! ऊंह!!" गुलाबी के मुंह पर अपनी चुत को घिसते हुए मैं जोर जोर से कराहने लगी, और उसकी चूत से बहते वीर्य को चूस चूसकर खाने लगी.

"भाभी, आप तो अपने भाई की मलाई खा रही हैं!" गुलाबी मेरी चूत से मुंह हटाकर बोली, "सरम नही आ रही आपको?"

"चुप कर चुदैल!" मैं बोली, "मलाई मलाई होती है...चाहे भाई की हो...या बाप की....और इस वक्त चुदास से मेरा दिमाग....खराब हो गया है. आह!! उम्म!! गुलाबी चाट मेरी चूत को ठीक से!! वह तीनो तेरी तरह मुझे भी रंडी की तरह चोदते तो मुझे चैन आता!! ओफ़्फ़!! उफ़्फ़!!"

"भाभी, उन तीनो मे से एक आपका अपना भाई है!" गुलाबी मुझे छेड़कर बोली.
"आह!! गुलाबी...अभी अपनी चूत की शांति के लिये....मै कुछ भी कर सकती हूँ रे!! उम्म!!" मैं चिल्लाकर बोली, "अभी मैं अपने बाप से भी चुदवा सकती हूँ...भाई क्या चीज़ है! हाय!! साली, चाट ठीक से रे!! मैं झड़ रही हूँ!! आह!!"

गुलाबी प्यार से मेरी चूत को चाटती रही जब तक न मैं झड़कर ढीली पड़ गयी.

कुछ देर बाद मैं उसके ऊपर से उठी और अपने पेटीकोट, साड़ी, ब्लाउज़ वगरह पहनने लगी. गुलाबी ने भी उठकर अपनी घाघरा चोली पहन ली.


गुलाबी और मैं झाड़ी के पीछे से निकले ही थे कि सामने मेरे पति और मेरा देवर नज़र आये.

"अरे, तुम लोग गये नही अभी तक?" मैने हैरान होकर पूछा.
"हम जा तो रहे थे, पर फिर सोचा देखते हैं तुम क्या करती हो!" मेरे पति ने शरारत से कहा. "मीना, बहुत मज़े लेकर खा रही थी अपने भाई का वीर्य?"
"चुप रहो जी!" मैने कहा, "तुम क्या जानो गुलाबी की चुदाई देखकर मेरी चुदास से क्या हालत हुई थी. मुझे गुलाबी की जगह अमोल मिल जाता तो शायद उसी से चुदवा बैठती."

"बहुत रंगीन मिजाज़ की हो तुम, मीना. " मेरे पति ने मुझे चूमकर कहा, "मुझे तुम्हारी यही बात अच्छी लगती है."
"बातें बनाना छोड़ो. अमोल कहाँ है?" मैने पूछा.

थोड़ी दूर की तरफ़ इशारा करके किशन बोला, "अमोल भैया उधर खड़े हैं."

मैने देखा अमोल कुछ दूर सर झुकाकर खड़ा था.

"हे भगवान!" मैं चिल्ला उठी, "अमोल ने मुझे देखा लिया क्या गुलाबी की चूत चाटते हुए?"

"भाभी, हमने तो उसे घर जाने को कहा था, पर वह जाते जाते वापस आ गया." किशन थोड़ा सकुचा के बोला, "भैया और मैं आप को देख रहे थे. उसने भी देख लिया."
"उसने मुझे नंगी देख लिया?"
"हाँ भाभी." किशन बोला.
"मैं गुलाबी की चूत से उसका वीर्य भी चाट चाट का खा रही थी..." मैने कहा.
"सब देख लिया उसने."
"और मैं जो बोल रही थी..."
"उसने सब सुन लिया." किशन ने कहा.

सुनकर मेरा दिल बैठ गया.

"हाय, अब मैं क्या करूं जी!" मैने तुम्हारे भैया को पकड़कर कहा, "मेरा भाई न जाने क्या सोच रहा होगा मेरे बारे मे! छी! मैं गुलाबी की चूत से उसका वीर्य चाट चाट का खा रही थी. छी! छी! छी!!"

"ओफ़्फ़ो, मीना! बस भी करो!" तुम्हारे भैया मुझे झकोरकर बोले, "मैने उसे पहले ही बता दिया था कि तुम बहुत बड़ी चुदक्कड़ हो. यहाँ वहाँ चुदवाती रहती हो. तुम्हे देखकर उसे कोई सदमा नही लगा है. बल्कि मुझे पूरा विश्वास है वह बहुत उत्तेजित हो गया है."
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