RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
अपने निप्पलों पर ससुरजी के चुंबनों से मुझे मस्ती चढ़ने लगी थी. मैने ससुरजी के लुंगी की गांठ को खोल दी और उनके खड़े लौड़े को बाहर निकालकर हिलाने लगी.
मैने कहा, "यह सब तो ठीक है, पर अमोल को वीणा के कारनामों के बारे मे बतायेगा कौन? मैं उसकी दीदी हूँ. मैं उससे ऐसी बातें नही कर सकती."
"तुझे कौन कह रहा है अपने भाई से ऐसी बातें करने को?" सासुमाँ बोली, "और तु करेगी भी तो क्या वह तेरी बात सुनकर एक छिनाल से शादी कर लेगा?"
"फिर?" मैने पूछा.
"पहले तेरे भाई को तैयार करना पड़ेगा, बहु." सासुमाँ बोली, "जैसे हमने किशन, बलराम और रामु को तैयार किया है. पहले उसे जवानी का ऐसा चस्का लगाना पड़ेगा कि वह चोदा-चोदी के लिये पागल हो जाये. फिर उसे बतायेंगे कि एक सुन्दर लड़की है जो उसी की तरह ऐयाश है, और जो शादी के बाद उसे सारी ऐयाशियां करने देगी. देखना तब अमोल खुशी खुशी वीणा से शादी करने को राज़ी हो जायेगा."
मैं चुप रही तो सासुमाँ बोली, "क्या सोच रही है बहु?"
"माँ, फिर तो अमोल को मेरे बारे मे भी सब पता चल जायेगा. मैने सोनपुर मे क्या क्या किया था और यहाँ बाबूजी, देवरजी, और रामु के साथ क्या क्या करती हूँ." मैने कहा, "क्या सोचेगा वह मेरे बारे मे? यही कि उसकी दीदी एक रांड है?"
"यही तो मैं चाहती हूँ, बहु." सासुमाँ बोली, "जब वह देखेगा उसकी अपनी दीदी और जीजाजी खुलकर चुदाई का मज़ा लेते हैं उसे भी मन करेगा कि वह तेरे जैसी एक पत्नी लाये."
"हाय, माँ! वह मेरा भाई है. कैसे चुदवाऊंगी मैं उसके सामने? मै तो शरम से मर जाऊंगी!" मैने कहा. पर मैं मन ही मन उत्तेजित भी होने लगी.
"अरे कुछ नही होगा, बहु." सासुमाँ बोली, "और मैं कौन सा कह रही हूं तु पहले ही दिन उसके सामने रामु से चुदवा. सब कुछ धीरे धीरे करेंगे ना."
"और बहु, समय आने पर तु भी अपने भाई से चुदवा लेना." ससुरजी बोले.
सुनकर मैं गनगना उठी पर बोली, "हाय, आप यह क्या कह रहे हैं, बाबूजी! मैं अपने भाई के साथ यह सब नही कर सकती!"
"क्यों री?" सासुमाँ ने पूछा, "तु तो न जाने किस किससे चुदवाती रहती है. अमोल मे ऐसी कौन सी खराबी है?"
"दूसरे मर्दों की बात और है, माँ. पर मेरा और अमोल का खून का रिश्ता है!" मैने कहा.
"बहु, एक बार अमोल से चुदवाकर देख लेना. अनाचार मे बहुत मज़ा होता है. तुझे भी मज़ा आयेगा अमोल से चुदवाने मे." सासुमाँ बोली, "मै तो अपने दोनो बेटों से खूब चुदवा रही हूँ. मुझे तो अनाचार मे बहुत मज़ा आता है."
"और बहु, हम अमोल को ऐसे तैयार करेंगे कि वह खुद तेरी चूत मारने के लिये पागल हो जायेगा." ससुरजी बोले, "तु घबरा मत. तुझे भी बहुत मज़ा आयेगा अपने भाई को तैयार करने मे."
यह सब बातें सुनकर मेरे अन्दर की चुदास बढ़ती जा रही थी. कैसा लगेगा अमोल को किसी और औरत को चोदते हुए देखना? देखने मे तो वह बहुत गठीला नौजवान है. उसका लन्ड कितना बड़ा होगा? कैसा लगेगा उसे दिखाकर किसी और से चुदवाना? क्या वह अपनी दीदी को नंगी देखकर कामुक हो उठेगा? कैसा लगेगा उसके होठों का स्पर्श अपने निप्पलों पर? कैसा लगेगा उसके नंगे जिस्म से लिपटकर उसका लन्ड अपनी चूत मे लेना?
यह सब सोच सोचकर मेरी उत्तेजना बहुत ही बढ़ गई. मैने अपनी साड़ी उतार दी और अपनी पेटीकोट ऊपर उठा दी. देखकर सासुमाँ ने मेरी चूत मे अपनी उंगली घुसा दी और मुझे मज़ा देने लगी. ससुरजी तो चाव से मेरी गोरी गोरी चूचियों को पीये जा रहे थे और मैं उनके लौड़े को हिलाये जा रही थी.
मै मज़े से सित्कार के बोली, "माँ, पर यह सब होगा कैसे?"
"ठहर, मैं बताती हूँ." सासुमाँ बोली और उठकर दरवाज़े के पास गयी. दरवाज़े को खोलकर उन्होने गुलाबी को आवाज़ लगाई.
गुलाबी रसोई से हाथ पोछते हुए आयी.
"आप बुलायीं, मालकिन?" उसने अन्दर आते हुए कहा.
अन्दर का नज़ारा देखकर वह उत्तेजित होकर बोली, "हाय, भाभी! आप मालिक से जवानी का मजा ले रही हैं! हमे भी बहुत मन करता है मालिक, बड़े भैया और किसन भैया से मजे लेने का! पर का करें, अमोल भैया के आने से हम खुलकर मजा नही ले पा रहे. रोज अपने ही मरद से चुदा-चुदाकर उब गये हैं!"
"इसलिये तो तुझे बुलाया है." सासुमाँ बोली, "मेरी बात ध्यान से सुन."
गुलाबी पलंग के पास आकर मेरे और ससुरजी के कुकर्म तो देखने लगी और सासुमाँ की बातें सुनने लगी.
"गुलाबी, तुझे अमोल पसंद है?" सासुमाँ ने पूछा.
"हम का कहें, मालकिन! अमोल भैया भाभी के भाई हैं." गुलाबी ने कहा.
"अरे नखरे छोड़!" सासुमाँ खीजकर बोली, "तुझे अमोल पसंद है कि नही?"
"पसंद है ना!" गुलाबी ने जवाब दिया, "बहुत सुन्दर हैं अमोल भैया. और बहुत नटखट भी हैं."
"क्यों, क्या किया उसने तेरे साथ?" मैने उत्सुक होकर पूछा.
"ऊ हमेसा हमरे जोबन को घूरते रहते हैं, भाभी." गुलाबी बोली, "और मौका मिलते ही हमसे बात करते हैं, और कभी हमरे हाथ को पकड़ लेते हैं, और कभी हमरे चूतड़ पर हाथ लगाते हैं."
सुनकर मैं मुस्कुरा दी और बोली, "उसने कभी तेरे साथ जबरदस्ती की है क्या?"
"यही तो मुसकिल है, भाभी! ऊ और कुछ करते ही नही हैं!" गुलाबी हताशा दिखाकर बोली, "जबरदस्ती करें तो मजा आये ना!"
"मतलब तु उससे चुदवाने को पूरी तरह तैयार है." सासुमाँ बोली.
गुलाबी आंखें नीची करके बोली, "ऊ चोदना चाहेंगे तो हम ना नही कहेंगे, मालकिन."
उसके लाज-शरम के नाटक को देखकर मैं जोर से हंस दी.
"सुन, हम यह चाहते हैं तु अमोल से चुदवा ले." सासुमाँ बोली.
"काहे मालकिन?" गुलाबी ने पूछा.
"तुझे काहे मे जाने की ज़रूरत नही है." सासुमाँ बोली, "तुझे जिससे चुदवाने को कहा जाये चुपचाप चुदवा लिया कर."
"ठीक है, मालकिन." गुलाबी धीरे से बोली, पर चुदास और उत्तेजना से उसका चेहरा खिल उठा था.
"अमोल तेरी चूचियों को घूरे तो उसे अपने नंगी चूचियों का नज़ारा कर." सासुमाँ ने सलाह दी, "तुझसे बातें करें तो अपने घाघरे को उठाकर अपनी जांघों का नज़ारा कर. तेरे चूतड़ों को छूये तो अपनी गांड मटका मटका कर चल के दिखा. हाथ पकड़े तो उससे लिपट जा. समझी?"
"समझे, मालकिन." गुलाबी उत्साहित होकर बोली, "बहुत मजा आयेगे अमोल भैया को रिझाने मे!"
"और तेरे जोबन को हाथ लगाये तो उसे कहीं अकेले मे ले जा और उसे अपनी जवानी से खेलने दे."
"जी, मालकिन."
"चोदना चाहे तो चुदवा लेना. और फिर उसे रोज़ चोदने का मौका देना. समझी?" सासुमाँ ने कहा.
"समझे, मालकिन." गुलाबी खुश होकर बोली.
"ठीक हैं ना, बहु?" सासुमाँ ने पूछा.
"मै क्या कहूं, माँ." मैने कहा, "आप जो ठीक समझें."
"पहले अमोल को गुलाबी का रस चखा देते हैं. बाद मे उसे तेरी जवानी का मज़ा भी दिला देंगे." सासुमाँ बोली, "धीरे धीरे वह बलराम की तरह पूरा भ्रष्ट हो जायेगा."
"कौशल्या, यह क्यों नही कहती कि तुम भी अमोल से चुदवाओगी?" ससुरजी बोले.
"मैं कब मना का रही हूँ?" सासुमाँ बोली, "जब से लड़के को देखा है जी कर रहा है उसे अपने ऊपर चढ़ाकर अपनी प्यास बुझा लूं. गुलाबी के बाद मैं उसे पटाकर चुदवाऊंगी. फिर बहु की बारी आयेगी."
"हाय मालकिन! कितना मजा आयेगा जब अमोल भैया हमरी चुदाई मे सामिल हो जायेंगे!" गुलाबी खुशी से उछलकर बोली. फिर अपनी उंगलियों पर गिनती हुई बोली, "फिर हम बड़े भैया, किसन भैया, अमोल भैया, मालिक, और अपने मरद - पांच लोगन से एक साथ चुदायेंगे!"
"रंडी कहीं की!" ससुरजी हंसकर बोले, "चल जा रसोई मे और अपना काम कर."
गुलाबी जाने लगी तो सासुमाँ बोली, "अरी तु कहाँ जा रही है? ठहर थोड़ा. दरवाज़ा बंद कर और अपने कपड़े उतारकर पलंग पर लेट."
गुलाबी ने सासुमाँ की आज्ञा का पालन किया. दरवाज़ा बंद करके वह अपनी घाघरा चोली उतारने लगी. आज उसने चड्डी और ब्रा भी पहन रखी थी, जो वह नही पहनती थी.
"तुझे यह चड्डी और ब्रा पहने को किसने कहा?" ससुरजी ने पूछा.
"हमे अमोल भैया के सामने बिना चड्डी और बिरा के सरम आती है." गुलाबी ने कहा.
"बेवकुफ़ लड़की!" सासुमाँ बोली, "ब्रा पहनेगी तो अपनी चूची कैसे दिखायेगी? और चड्डी पहनेगी तो अपने चूत के दर्शन कैसे करायेगी?"
"ठीक है मालकिन. अबसे नही पहनेंगे." गुलाबी ने कहा और अपनी चड्डी और ब्रा उतारकर पूरी नंगी हो गयी. फिर वह ससुरजी का बगल मे लेट गयी.
सासुमाँ ने भी उठकर अपने सारे कपड़े खोल लिये और फिर गुलाबी के नंगे जिस्म पर चढ़ गयी.
वीणा, तुम्हारी मामीजी को जवान लड़कियों को भोगने का बहुत शौक है. गुलाबी के नरम होठों पर अपने होठों को रखकर वह उसे चूमने लगी. अपनी जीभ गुलाबी के मुंह मे घुसाकर उसके जीभ से लड़ाने लगी. साथ ही अपने हाथों से वह गुलाबी के मांसल चूचियों को मसलने लगी.
गुलाबी ने मस्ती मे सासुमाँ को खुद से जकड़ लिया और अपने घुटनों को मोड़कर अपनी चूत सासुमाँ के मोटी बुर पर रगड़ने लगी.
सासुमाँ ने गुलाबी के होठों से मुंह हटाया और कहा, "गुलाबी, तेरे मुंह से शराब की बू क्यों आ रही है? तुने शराब पी रखी है?"
"हाँ, मालकिन." गुलाबी बोली, "थोड़ी सी पिये हैं. हमे बहुत मन करता है सराब पीने का. पी के बहुत मस्ती आती है."
"कहाँ मिली तुझे शराब?" सासुमाँ ने पूछा.
"मेरा मरद घर पर रखता हैं न एक बोतल."
"साली बेवड़ी!" सासुमाँ डांटकर बोली, "तो आजकल शराब पीकर घर का काम करती है?"
"दिन मे ज्यादा नही पीते, मालकिन." गुलाबी बोली, "बस रात को अपने मरद के साथ ज्यादा पीते हैं. फिर हम दोनो चुदाई करते हैं."
तुम्हारे मामाजी बोले, "गुलाबी, शराब बहुत बुरी आदत है. चुदाई के समय पीना ठीक है - शराब पीने से चुदाई का मज़ा दोगुन हो जाता है. पर हमेशा पीती रहेगी तो लत पड़ जायेगी और पीने का मज़ा भी नही आयेगा."
"जी, मालिक." गुलाबी मायूस होकर बोली.
सासुमाँ फिर गुलाबी के जवानी को भोगने लगी.
इधर मैं बहुत ही गरम हो चुकी थी. मैने ससुरजी को नंगा कर दिया और अपनी पेटीकोट उतार दी. फिर ससुरजी को अपने ऊपर खींचकर बोली, "हाय, बाबूजी! अब चोद डालिये मुझे! कितने दिन हो गये आपसे चुदवाये हुए!"
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