RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
गांड के अन्दर उसके मोटे लन्ड की रगड़ाई से मुझे इतना आनंद आने लगा कि मैं दो ही मिनट मे झड़ने लगी. रामु के लन्ड को मैं अपनी गांड के पेशियोन से दबोचने लगी जिससे रामु और खुद को रोक नही पाया. वह चिल्लाया, "साली, कैसी गांड मे लन्ड लेती है, रे! हम तो झड़ गये! आह!! आह!! आह!! आह!!" मेरे चूतड़ को ठोकते हुए वह मेरी गांड के भीतर अपना वीर्य छोड़ने लगा. मुझे गांड के अन्दर एक मज़ेदार गुदगुदी होने लगी.
झड़ने का बाद रामु कुछ देर मेरी गांड मे लन्ड डाले पड़ा रहा.
फिर वह मुझसे अलग हो गया. मेरी गांड से उसका वीर्य थोड़ा थोड़ा रिसने लगा.
"मीना, बहुत गज़ब का प्रदर्शन किया तुम ने!" मेरे वह तारीफ़ करके बोले. "पिताजी, हम एक वीडिओ कैमेरा खरीद लें क्या? बहुत मज़ा आयेगा जब मैं अपनी मीना के कुकर्म टीवी पर देखुंगा!"
"सिर्फ़ बहु की ही क्यों, हम सब अपनी चुदाई की फ़िलम बना सकेंगे!" सासुमाँ भी उत्साहित होकर बोली, "आज की हमारी सामुहिक चुदाई की फ़िलम बनाते तो कितना अच्छा होता! सुनो जी, मुझे एक भीडीओ कैमेरा ला दो!"
ससुरजी हंसे और बोले, "हाँ, बाबा! ला दूंगा. फिर तुम अपने कुकर्म की फ़िल्म बनाना और मन करे तो दुकान मे दे देना. फिर सारे हाज़िपुर के लोग तुम्हारी चुदाई का आनंद उठा सकेंगे."
"हाय, कितना मज़ा आयेगा अगर कोई वीडिओ के दुकान जाये और उसे वहाँ मेरी चुदाई की फ़िलम मिले!" मैने खुश होकर कहा.
"इससे तो अच्छा हो तुम कोठे पर बैठ जाओ और जो ग्राहक आये उससे चुदवा लो." मेरे वह मुझे चिढ़ाकर बोले.
"यह मत सोचो आपकी बीवी ऐसा नही कर सकती." मैने उन्हे ललकार कर कहा, "किसी दिन हाज़िपुर के रंडी बाज़ार मे जाकर देखोगे मैं किसी ग्राहक से चुद रही हूँ!"
"बलराम, तु मुझसे रुपये ले लेना. और जब शहर जाये तो वहाँ से एक वीडिओ कैमेरा ले आना." ससुरजी बोले.
"जी, पिताजी." तुम्हारे भैया जवाब दिया.
हम सबकी हवस कुछ देर के लिया शांत हो चुकी थी.
तुम्हारी मामीजी ने कहा, "रामु, सबके गिलासों मे दारु डाल. रसोई मे कुछ और पकोड़े तैयार कर रखे है. वह ले आ."
"कौशल्या, रात के दस बज चुके हैं." ससुरजी बोले, "अच्छा हो हम खाना खा लें तो."
"इतनी भी जल्दी क्या है, पिताजी?" मेरे वह बोले, "अभी तो चुदाई शुरु हुई है!"
"मालिक, हमको अभी और सराब पीनी है!" गुलाबी ज़िद करके बोली.
"अरे मैं शराब पीने से कब मना कर रहा हूँ?" ससुरजी बोले, "जिसको जितनी पीनी है, पी लो. फिर खा के एक राउंड और चुदाई करते हैं."
"तुम पर तो लगता है बुढ़ापा आ गया है!" सासुमाँ बोली, "अभी एक दौर और चुदाई की चलेगी, फिर खाना होगा."
"चलो, ठीक है." ससुरजी बोले, "रामु जा, बाकी की दो बोतलें भी ले आ."
रामु अपने शिथिल लन्ड को झुलाते हुए नंगा ही रसोई मे चला गया और दो बोतल रम, एक बोतल ठंडी कोकाकोला, और दो प्लेट गोश्त के ले आया. फिर उसने सबके गिलासों को भर दिया.
"रामु, यह चाय की मेज हटा दे." सासुमाँ ने कहा, "हम सब ज़मीन पर आराम से बैठते हैं."
रामु ने मेज हटा दी तो हम सब नीचे कालीन पर बैठ गये.
एक दूसरे के बगल मे नंगे होकर बैठकर हम शराब पीने लगे, पकोड़े खाने लगे, और बातें करने लगे. रामु भी एक गिलास लेकर हमारे साथ बैठ गया.
"भई, कुछ भी बोलो, आज चुदाई मे बहुत मज़ा आया!" मेरे वह बोले.
"मै कहती थी ना, मिलकर चुदाई मे एक अलग मज़ा है?" सासुमाँ बोली, "जितने ज़्यादा लोग हों, उतना ज़्यादा मज़ा आता है. सोनपुर मे हम नौ लोगों ने मिलकर सामुहिक चुदाई की थी."
"मालकिन, हम तो कहते हैं हम रोज ही मिलकर चुदाई करेंगे!" गुलाबी नशे मे बोली.
"पगली, रोज़ एक ही काम करेगी तो मज़ा थोड़े ही आयेगा!" ससुरजी बोले, "ऐसी चुदाई तो खास मौकों पर करनी चाहिये!"
शराब का दूसरा दौर चल रहा था. मुझे फिर मस्त नशा चढ़ने लगा. गुलाबी ऐसे दारु गटक रही थी जैसे शर्बत पी रही हो.
"अरे गुलाबी, तुझे पी के उलटी करनी है, क्या?" मैने पूछा.
"काहे, भाभी?" वह नशे मे चूर आवाज़ मे बोली, "सराब प-पीने से उलटी भी हो-होती है का?"
"तु जैसे गटक रही है ना, तुझे जरूर उलटी होगी." रामु बोला, "और नही भी हुई तो ऐसे टल्ली हो जायेगी कि कोई होस ही नही रहेगा. फिर तु चुदाई का मज़ा कैसे लेगी?"
"हमको लगता है हम टल्ली हो गये हैं जी!" गुलाबी बोली, "हमरा तो सर चकरा रहा है!"
ससुरजी ने, जो गुलाबी के पास बैठे थे, गुलाबी का गिलास ले लिया और उसके सर को अपनी नंगी जांघ पर रखकर उसे कालीन पर लिटा दिया.
गुलाबी के मुंह के पास ससुरजी का लन्ड था. चुदैल ने तुरंत उनके लन्ड को मुंह मे ले लिया और चूसने लगी! उसके मुंह पर ससुरजी का वीर्य पहले से ही लगा था. उसकी बुर से मेरे पति का वीर्य बह रहा था. यह देखकर सासुमाँ ने गुलाबी के पैरों को फैला दिये और उसकी चूत को चाटने लगी. नौकरानी की चूत से बहते अपने ही बेटे का वीर्य वह चाट चाटकर खाने लगी. गुलाबी बहुत नशे मे थी और जल्दी ही चुदासी हो गयी.
इधर रामु और किशन मेरे दोनो तरफ़ बैठे थे और मेरी नंगी चूचियों को दबा और चूस रहे थे. मैं उनके लन्डों को अपने एक एक हाथ मे पकड़कर हिला रही थी. उनके लन्ड भी खड़े होने लगे थे.
मेरे वह अपनी माँ और गुलाबी को देख रहे थे और अपना लौड़ा हिला रहे थे.
किशन मेरे पास से उठा और गुलाबी के पास जाकर अपनी माँ को बोला, "माँ, बहुत चाट ली तुम गुलाबी की चूत! अब मुझे उसे चोदने दो." वह भी काफ़ी नशे मे था.
सासुमाँ ने गुलाबी की चूत से मुंह हटाया और उठ गयी.
वह बोली, "अच्छा चोद ले उसे. घर की नौकरानी सबके चोदने के लिये ही होती है." वह उठकर मेरे पास आ बैठी.
किशन गुलाबी के पैरों के पास बैठ गया और अपना लन्ड पकड़कर उसकी चूत मे घुसाने की कोशिश करने लगा. पर उसका सुपाड़ा बार-बार गुलाबी की चूत से फिसल रहा था.
गुलाबी ने ससुरजी के लौड़े को मुंह से निकाला और बोली, "का हुआ, क-किसन भैया? बहुत पी लिये हो का...जो आपको हमरी च-चूत का छेद नही मिल रहा है?"
सुनकर हम सब हंस पड़े.
किशन गुस्से से बोला, "बेवड़ी, चुपचाप पिताजी का लौड़ा चूस और मुझे मेरा काम करने दे!"
थोड़ी मुश्किल के बाद किशन अपना लन्ड गुलाबी की चूत मे घुसाने मे सफ़ल हुआ और वह कमर उठा उठाकर उसे चोदने लगा.
सासुमाँ मेरे बगल मे लेट गयी और मेरे पति से बोली, "बलराम, ज़रा मेरी बुर चाट दे, बेटा!"
आज्ञाकारी पुत्र की तरह तुम्हारे भैया अपना लन्ड पकड़कर आये. अपनी माँ के जांघों के बीच बैठकर उनकी चुदी हुई चूत को चाटने लगे.
सासुमाँ के चेहरे पर अब भी किशन का सफ़ेद गाढ़ा वीर्य भरा हुआ था. मैने अपना मुंह उनके मुंह पर झुका दिया और उनके होठों को चूमने लगी. वह भी मेरे नरम होठों को पीने लगी.
मैने फिर उनके चेहरे पर लगे वीर्य को चाटकर खाना शुरु किया. एक तो शराब का नशा और उस पर इतनी चुदास. किशन के किशोर वीर्य को खाने मे मुझे बहुत स्वाद आ रहा था.
जब मैने पूरा वीर्य चाट लिया तो मैं सासुमाँ की चूचियों को चूसने लगी.
वह मस्ती मे बड़बड़ायी, "आह, बहु! कितना अच्छा चूची पीती है तु! आह!! और चूस मेरी चूचियों को!"
मैं झुककर सासुमाँ की चूची पी रही थी और मेरी गांड रामु की तरफ़ उठी हुई थी. वह मेरे चूतड़ों को चुमने लगा. मैं अपने चूतड़ उसके मुंह पर रगड़ने लगी. मेरी गांड से उसी का वीर्य थोड़ा थोड़ा चूकर गिर रहा था.
कुछ ही देर मे सासुमाँ को बहुत हवस चढ़ गयी और वह मेरे पति को बोली, "बलराम! बस बहुत हो गया, बेटा. अब मेरी चूत मे अपना लौड़ा डाल दे!"
तुम्हारे भैया ने अपना खड़ा लन्ड अपनी माँ की चूत पर रखा और एक ही धक्के मे पूरा अन्दर घुसा दिया. सासुमाँ ने मेरे सर को पकड़कर अपनी चूची पर दबा दिया और जोर से "आह!!" कर उठी.
मेरे वह अपनी माँ को धीरे धीरे चोदने लगे.
"देख, रामु!" सासुमाँ बोली, "मै अपने बलराम से भी चुद रही हूँ!"
"देख रहे हैं, मालकिन!" रामु बोला.
"देख और सीख कुछ!" वह बोली, "तेरा कोई बेटा हुआ तो गुलाबी को उससे ज़रूर चुदवाना!"
"मालकिन, गुलाबी ऐसी रंडी बन गयी है कि खुदे अपने बेटे से चुदवा लेगी." रामु हंसकर बोला, "हम तो एक बेटी चाहते हैं, ताकि हम उसे चोद सकें."
सुनकर ससुरजी हंसकर बोले, "बहुत दुर की सोच रहा है रे, रामु?"
"मालिक, हम अपनी बेटी को आप सब से भी चुदवायेंगे!" रामु ने कहा.
"पर पहले तेरी बेटी होने तो दे." मैने कहा.
"जैसे गुलाबी दिन रात सबसे चुदवा रही है, उसका पेट अब तक ठहर ही गया होगा." रामु ने कहा.
"पर तुझे कैसे पता बच्चा तेरा ही होगा?" मेरे वह अपनी माँ की चूत को मारते हुए बोले, "बच्चा तो हम मे से किसी का भी हो सकता है...मेरा...या किशन का...या पिताजी का...या तेरा."
गुलाबी ने ससुरजी का लन्ड अपने मुंह से निकाला और हिचकी लेकर कहा, "हमरे पेट मे तो हमको बड़े भैया का ही बच्चा चाहिये!"
"तु साली कोठे की वेस्या जैसे हो गयी है!" रामु बोला, "जो भी आता है तेरे गर्भ मे अपना पानी भर देता है. तुझे क्या पता तेरे पेट में किसका बच्चा होगा?"
"रामु, यह हाल तो घर के सब औरतों का है." ससुरजी बोले, "सोनपुर से आज तक जितने लोगों से कौशल्या और मीना बहु चुदवाई है, अब तक तो उनका दोनो का पेट ठहर गया होगा."
सासुमाँ अपने बेटे का ठाप खाती हुई बोली, "मेरे पेट मे तो मुझे बलराम या किशन का बच्चा चाहिये. मैने अपने बेटों के बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ!"
"कौशल्या, तुम्हारे पेट मे हो न हो विश्वनाथ का ही बच्चा होगा." ससुरजी बोले, "अपने मैके जाते समय तुम ने जितनी रंगरेलियां उसके साथ मनायी थी..."
"और मेरे पेट मे, बाबूजी?" मैने इतराकर पूछा.
"बहु, तेरे पेट मे तो मैं अपना बच्चा जनना चाहुंगा." ससुराजी बोले, "पर तु अगर घर के नौकर के बच्चे की माँ भी बन जाये तो भी बुरा नही है."
रामु जोश मे आकर बोला, "ई मीना बाई तो हमरी रखैल है. इसका पेट तो हमये बनायेंगे."
"तो फिर मेरी चूत मे अपना लन्ड डाल दो, रामु!" मैने कहा, "मै बहुत चुदासी हो गयी हूँ!"
रामु ने मुझे सासुमाँ के बगल मे लिटाया और मुझ पर चढ़ गया. मेरी चूत मे अपना लन्ड डालकर वह ठाप लगाने लगा.
मेरे बगल मे सासुमाँ मेरे पति से चुदवाये जा रही थी. उधर किशन शराब मे टल्ली गुलाबी को चोद रहा था.
सबकी बातों को सुनकर मेरे अन्दर एक खलबली मच गयी.
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