RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
टीवी पर फ़िल्म शुरु हुई. रामु ने बत्तियां बुझा दी. पूरे कमरे मे टीवी की हलकी रोशनी फैल गयी. हम सब अपने अपने गिलास से शराब पीने लगे और टीवी देखने लगे.
फ़िल्म की शुरुआत मे एक छोटे से कमरे के अन्दर एक लड़का और एक लड़की एक मेज के दो तरफ़ कुर्सी पर बैठे हुए थे. दोनो काफ़ी कच्ची उमर के लग रहे थे. लड़की ने स्कूल की ड्रेस पहनी हुई थी जिसकी स्कर्ट उसके जांघों तक ही आ रही थी. लड़के ने भी स्कूल की ड्रेस पहनी हुई थी. दोनो पढ़ाई कर रहे थे और बीच-बीच मे हिंदी मे बातें कर रहे थे. लड़की लड़के को "भैया" कह रही थी.
"ई कैसी फिलम है?" गुलाबी हिचकी लेकर बोली, "हमे तो कुछ स-समझ ही नही आ रहा है!"
"चुप कर, छोकरी!" सासुमाँ ने उसे डांटकर कहा, "तुझे बहुत चढ़ गयी है. मुंह बंद कर के देख."
टीवी पर वह लड़का पढ़ाई करते हुए अपने पाँव से अपनी बहन के नंगे पाँव को सहलाने लगा. लड़की चुपचाप मज़े लेने लगी और पढ़ाई करती रही. कुछ देर बाद लड़के ने अपना पाँव लड़की के जांघों पर रखा और रगड़ने लगा. लड़की ने उसे मुस्कुराकर देखा और फिर अपने किताब मे खो गयी. अब लड़के ने अपना पाँव लड़की के स्कर्ट मे घुसा दिया. लड़की ने अपनी जांघें फैला दी तो लड़के ने अपना पाँव पूरा अन्दर घुसा दिया. लड़की सिहर उठी और उसने अपनी स्कर्ट अपने कमर तक उठा दी. उसने कोई चड्डी नही पहनी थी. उसकी बुर एक दम कच्ची लग रही थी. उस पर कोई बाल ही नही थे.
"हाय दईया!" गुलाबी चिहुक उठी, "ई लड़की तो नंगी है! ई कैसी फिलम है, बड़े भैया?"
"आगे आगे देख, क्या होता है!" मेरे वह गुलाबी को चूमकर बोले.
उधर लड़के ने अपनी निक्कर उतार दी. उसने भी कोई चड्डी नही पहनी थी. उसका लन्ड 5 इंच का रहा होगा और पतला सा था. उसके लन्ड के आस-पास भी कोई बाल नही था. फिर वह एक हाथ से अपना लन्ड हिलाने लगा और पाँव के अंगूठे को अपनी बहन के छोटी सी चूत पर रगड़ने लगा. लड़की मस्ती मे सित्कारने लगी.
कुछ देर बाद लड़की कुर्सी से उठी और उसने अपनी सफ़ेद कमीज़ उतार दी. उसने नीचे कुछ भी नही पहना था. उसके नींबू की तरह छोटी छोटी चूचियां बाहर आ गयी. लड़के ने भी अपनी कमीज़ उतार दी और पूरा नंगा हो गया. लड़की आकर अपने भाई के सामने बैठ गयी और उसके छोटे से लन्ड को मुंह मे लेकर चूसने लगी. लड़का आंख बंद करके उसके मुंह को चोदने लगा.
यह सब देखकर हम सब बहुत उत्तेजित हो गये. मैने ससुरजी के लुंगी मे हाथ डाल दिया और उनके लन्ड को पकड़कर हिलाने लगी. उन्होने मेरी ब्लाउज़ को सामने से खोल दिया और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाने लगे. कमरे मे रोशनी कम होने के कारण सब साफ़ दिखाई नही दे रहा था, पर सब लोग आपस मे चिपक कर मज़े ले रहे थे. सबको शराब और जवानी का नशा चढ़ चुका था.
"हाय, बहुत मस्त फ़िलम है यह तो!" सासुमाँ बोली, "कहाँ से लाया तु, बलराम?"
"एक दुकान है माँ, स्टेशन के पीछे."
"और भी लाना, बेटा!" सासुमाँ बोली, "बहुत मज़ेदार है."
टीवी पर उस लड़के ने अपनी बहन को पढ़ाई की मेज़ पर झुका दिया और उसके छोटे से स्कर्ट को कमर पर उठा दिया. लड़की के चूतड़ बहुत ही नर्म और नाज़ुक लग रहे थे. उसने फिर लड़की की चिकनी चूत पर अपना लन्ड रखा और एक धक्के मे अन्दर घुसा दिया. लड़की ने बस एक बार जोर से "आह!!" किया और मेज़ पर पड़ी रही. लड़का कमर चला चलाकर उसे चोदने लगा.
"इतनी छोटी लड़की, कैसे लन्ड ले ली अन्दर!" मैने हैरान होकर पूछा.
"अरे यह बहुत चुदी हुई है." ससुरजी ने कहा, "बस देखने मे छोटी लग रही है. कोई बच्ची नही है."
लड़का लड़की को कुछ देर चोदता रहा. तभी उनके कमरे का दरवाज़ा खुला और एक साड़ी पहनी औरत अन्दर आयी. वह बोली, "अरे बच्चों! तुम दोनो पढ़ाई छोड़कर चुदाई कर रहे हो!"
लड़का अपनी बहन को चोदता हुआ बोला, "हमने पढ़ाई कर ली है, मम्मी!"
"तो फिर आओ बिस्तर पर आकर आराम से चुदाई करो!" वह औरत बोली.
लड़के ने अपनी बहन की चूत से लन्ड निकाल लिया और दोनो नंगे ही अपनी माँ के साथ कमरे से निकल गये.
"बहुत मस्त फ़िलम है!" किशन बोला. टीवी की रोशनी मे मैने देखा उसने सासुमाँ की ब्लाउज़ पूरी उतार दी थी और उनकी नंगी चूचियों को मसल रहा था और चूस रहा था.
इधर मैने भी अपनी ब्रा उतार दी थी और ससुरजी से अपनी चूची चुसवा रही थी. ससुरजी ने अपनी लुंगी उतार दी थी. बीच-बीच मे मैं उनके लौड़े को मुंह मे लेकर चूस भी रही थी.
अगला सीन एक बेडरूम का था. एक आदमी पलंग पर बैठकर एक किताब पड़ रहा था. उसने कुर्ता पजामा पहना हुआ था. वह औरत दोनो बच्चों को लेकर कमरे मे दाखिल हुई. लड़का पूरा नंगा था और लड़की ने सिर्फ़ अपनी स्कूल की छोटी सी स्कर्ट पहनी हुई थी. लड़की की नंगी चूचियों को देखकर वह आदमी पजामे के अन्दर हाथ डालकर अपने लौड़े को हिलाने लगा.
वह औरत बोली, "बेटी, पापा के पास जाओ. वह तुम्हे प्यार करना चाहते हैं." लड़की पलंग पर उठी और उस आदमी के पास गयी. उसने अपने बाप के पजामे का नाड़ा खोल दिया और उसके खड़ा लौड़ा निकाल लिया. उसके लौड़े को देखकर हम सब हैरान हो गये.
"हाय, भाभी!" गुलाबी बोली, "कितना बड़ा और मोटा लन्ड है इस आदमी का!"
"9-10 इंच का तो होगा." मैने कहा.
"भला लौड़ा इतना बड़ा भी होता है? हम तो इतना बड़ा अपने चूत मे ले ही नही सकते." गुलाबी बोली.
"विश्वनाथजी का इतना ही बड़ा था." सासुमाँ ने टिप्पणी की, "अन्दर घुसाते थे तो चूत चौड़ी हो जाती थी."
उस लड़की ने अपने बाप के पजामे को पूरा उतार दिया और उसके मोटे, काले, विशालकाय लन्ड को अपनी मासूम से मुंह मे लेकर चूसने लगी. उसकी माँ ने जाकर अपने पति का कुर्ता और बनियान उतार दिया जिससे वह नंगा हो गया. दोनो पति-पत्नी चुम्मा-चाटी मे व्यस्त हो गये और वह लड़की लन्ड चूसती रही. कुछ देर बाद उसका भाई पलंग पर चढ़ा और अपनी बहन की गांड के पीछे घुटनों के बल बैठ गया. फिर उसने अपना लन्ड लड़की की चूत मे घुसाया और उसे कुतिया बना के चोदने लगा.
यह दृश्य देखकर और शराब पीकर मुझे तो बहुत गर्मी लगने लगी. मैने अपनी साड़ी उतार दी और ससुरजी से लिपटकर बैठ गयी. वह मेरी चूचियों को प्यार से मसले जा रहे थे. मेरी चूत बहुत ही गरम और गीली हो चुकी थी. कमरे मे अंधेरे के कारण साफ़ दिखाई ने दे रहा था कि बाकी लोग क्या कर रहे हैं, पर उनकी सित्कार और आहें ज़रूर सुनाई दे रही थी.
टीवी पर कुछ देर भाई-बहन की चुदाई चलती रही. उस औरत ने भी अपने सारे कपड़े खोल दिये थे और उसका पति उसके बड़े बड़े स्तनों को मसल रहा था. फिर वह आदमी पलंग पर लेट गया. लड़की की माँ ने लड़की को अपने बाप पर चढ़ने को कहा. लड़की अपने बाप पर लेट गयी और उसके लौड़े पर अपनी कमसिन सी चूत रख दी.
"हाय दईया!" गुलाबी बोल उठी, "ई लड़की का इतना बड़ा लौड़ा चूत मे लेगी?"
"बाबूजी, उसकी चूत फट नही जायेगी इतने मोटे लन्ड से?" मैने भी हैरान होकर पूछा.
लड़की के माँ ने अपने पति के लन्ड का फूला हुआ सुपाड़ा उसकी चूत पर सेट किया और लड़की के कमर को पकड़कर नीचे दबाया. उस आदमी का मोटा लौड़ा बेटी की छोटी सी चूत को चीरता हुए आधा अन्दर चला गया. लड़की की चूत बहुत चौड़ी हो गयी. गोरी सी चूत मे मोटा, काला लन्ड बहुत अश्लील लग रहा था. लड़की ने बस जोर से "आह!!" किया और अपने बाप के सीने पर लेटी रही.
"कैसे ले ली यह पूरा अन्दर?" रामु ने हैरान होकर कहा.
पर उस लड़की ने बिना किसी दर्द के अपने बाप का मूसल पेलड़ तक अपनी चूत मे ले लिया. फिर कमर उठा उठाकर लौड़े पर चुदने लगी. उसके बाप का काला लन्ड उसकी चूत के रस से चमक रहा था और पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था.
तुम्हारे मामाजी बहुत जोश मे आ गये थे. उन्होने मेरी पेटीकोट कमर तक उठा दी और मेरी चूत मे अपनी एक उंगली घुसाकर पेलने लगे.
उधर लड़की कुछ देर अपने बाप के लौड़े पर चुदती रही. फिर उसके माँ ने उसके भाई को कहा कि वह बहन की गांड मारे. लड़का अपनी बहन की गांड के पीछे घुटने के बल बैठ गया और उसने अपना छोटा, पतला लन्ड बहन की गांड के छेद पर रखा और धीरे से अन्दर घुसा दिया. अब बाप और बेटा मिलकर लड़की की चूत और गांड को मारने लगे. लड़की जोर जोर से "आह!! आह!!" करके दोहरी चुदाई का मज़ा लेने लगी. यह चुदाई लगभग 10 मिनट तक चलती रही. लड़का, लड़की, और उनका बाप पसीने से भीग गये थे और जोर जोर से मस्ती की आवाज़ें निकाल रहे थे. बच्चों की माँ बैठकर बच्चों की चुदाई देख रही थी और अपनी मोटी बुर मे एक प्लास्टिक का लौड़ा पेल रही थी.
जब तीनो झड़ने के करीब आ गये तो लड़का जोर जोर से अपनी बहन की गांड को ठोकने लगा. उसका बाप नीचे से कमर उचका उचका कर लड़की की संकरी चूत मे अपना लन्ड पेलने लगा. लड़की बोले जा रही थी, "हाय! और चोदो मुझे! आह!! और जोर से चोदो मुझे!! भैया, फाड़ दो मेरी गांड को!! आह!! पापा, फाड़ दो मेरी चूत को!!"
लड़के ने अपना 5 इंच का लन्ड अपनी बहन की गांड मे पेलड़ तक घुसा दिया और अपना पानी छोड़ने लगा. उसकी माँ उसके पीठ पर हाथ फेरने लगी. झड़कर उसने गांड से लन्ड निकाल लिया और अपने बाप के बगल मे लेट गया. अब उसका बाप बेटी की चूत मे लन्ड डाले हुए लुढ़क गया और लड़की के ऊपर आ गया. अपनी शक्तीशाली गांड को उठा उठाकर वह लड़की को बेरहमी से चोदने लगा. लड़की का दुबला सा बदन उस आदमी के ठापों से पूरा हिल जा रहा था. पर वह मज़े से "आह!! आह!!" कर रही थी.
बाप बेटी की यह चुदाई और 10 मिनट चली. लड़की इसमे दो बार झड़ भी गयी. आखिर वह आदमी भी झड़ने लगा. अपने लन्ड को लड़की की चूत मे पेलड़ तक घुसाकर वह अपना वीर्य गिराने लगा. पूरा झड़कर वह लड़की से अलग हो गया और उसके बगल मे लेट गया. लड़की अपनी चूत को खोले पड़ी रही. उसकी माँ आकर उसके पैरों के बीच लेटकर उसकी चूत से बहते वीर्य को चाटकर खाने लगी. उसके बाद फ़िल्म समाप्त हो गई.
फ़िल्म खतम होने पर ससुरजी ने रामु को कमरे की बत्तियां जलाने को कहा. बत्तियां जलते ही मैने देखा कि घर का नज़ारा ही बदला हुआ था.
मै खुद तो कमर के ऊपर नंगी हो ही गयी थी. मेरे पेटीकोट को ससुरजी ने मेरी कमर तक चढ़ा दिया था. ससुरजी खुद कमर के नीचे नंगे थे और उनका लौड़ा बिलकुल खड़ा था.
रामु ने अपनी पैंट उतार दी थी और अपना खड़ा लन्ड हाथ मे लेकर हिला रहा था. उसकी बीवी गुलाबी मेरे पति के गोद मे थी. उसकी चोली उतार दी गयी थी और उसका घाघरा कमर तक चढ़ा हुआ था. मेरे वह उसकी नंगी चूचियों को मसल रहे थे. मेरे पति कमर के नीचे नंगे थे. मैने ध्यान से देखा तो पाया कि उनका लौड़ा गुलाबी की चूत के अन्दर था. गुलाबी अपने कमर को धीरे धीरे हिलाकर चूत मे लन्ड का मज़ा ले रही थी. उसकी आंखें शराब के नशे मे लाल हो गयी थी.
सासुमाँ और किशन का भी कुछ ऐसा ही हाल था. ज़मीन पर कालीन बिछी हुई थी. दोनो कालीन के ऊपर एक दूसरे से लिपटे हुए थे और एक दूसरे के यौन-अंगों पर मुंह लगाये हुए थे. किशन कमर के नीचे नंगा था और सासुमाँ के ऊपर चढ़ा हुआ था. सासुमाँ की साड़ी कमर तक चढ़ी हुई थी. किशन अपने माँ की चूत चाट रहा था और उसकी माँ उसके लन्ड को चूस रही थी.
यह कामुक दृश्य देखकर मैं गनगना उठी. "हाय, बाबूजी! सब लोग कितने चुदासी हो गये हैं! सब ने तो चोदा-चोदी भी शुरु कर दी है!" मैने कहा.
"बहु, इसलिये तो मैने यह फ़िल्म दिखायी, ताकि सब एक दूसरे के सामने खुल जायें." ससुरजी बोले.
उन्होने मुझे अपनी गोद मे ऐसे बिठा लिया जिससे हम दोनो आमने-सामने हो गये.
फ़िल्म देखकर और अपने आस-पास सबको कामलीला मे डूबे देखकर मुझे बहुत हवस चढ़ गयी थी. मैने शराब भी बहुत पी ली थी.
मैने अपनी पेटीकोट को उतार फेंका और पूरी नंगी हो गयी. फिर ससुरजी के बनियान को उतारकर उन्हे भी पूरा नंगा कर दिया.
फिर अपनी नंगी चूचियों को पकड़कर ससुरजी के मुंह मे घुसाकर बोली, "बाबूजी, चूसिये मेरी चूचियों को! आह!! क्या मस्ती चढ़ गयी है मुझे! उम्म!!"
"मुझसे भी अब रहा नही जा रहा, बहु!" ससुरजी बोले, "ज़रा अपनी गांड उठा ताकि मैं अपना लन्ड तेरी चूत मे डाल सकूं."
मैने अपनी कमर उठायी तो ससुरजी ने अपने लन्ड को पकड़कर मेरी बहुत ही गरम चूत के छेद पर रखा. एक जोर की आह!! के साथ मैं लौड़े पर बैठ गयी और उसे अपनी चूत मे घुसा ली. फिर अपनी कमर उठा उठाकर ससुरजी के लन्ड पर चुदने लगी.
तुम्हारे बलराम भैया मेरे पीछे के सोफ़े पर बैठे गुलाबी की नंगी पीठ को चुम रहे थे, उसकी चूचियों को मसल रहे थे, और नीचे से उसकी चूत को चोद रहे थे.
वह बोले, "मीना, लगता है बहुत चुदासी हो गयी हो? पिताजी का लन्ड कितने मज़े से ले रही हो!"
मैने पीछे मुड़कर उन्हे देखा और अपनी चूत मे ससुरजी के लन्ड के दर्शन कराकर बोली, "कैसा लग रहा है अपनी बीवी को दूसरे मर्द के लौड़े पर चुदते देखकर?"
"बहुत मज़ा आ रहा है, मेरी जान!" वह बोले.
"फिर तो अच्छी बात है." मैने मुस्कुराकर कहा, "क्योंकि आज रात मैं आपके सामने रामु और किशन से भी चुदवाने वाली हूँ."
"चुदाओ, मीना, जिस जिससे चुदाना हो." वह बोले, "मैं तो गुलाबी की चूत मारकर ही खुश हूँ."
"क्यों गुलाबी, सबके सामने चूत मराने मे मज़ा आ रहा है?" मैने पूछा.
"हाँ भाभी, बहुत मज़ा आ रहा है! सराब पीकर हमको बहुत चुदास जो चढ़ गयी है!" गुलाबी नशे मे हिचकी लेकर बोली, "भाभी, अब हम रोज़ सराब पीयेंगे और सराब पीकर सबसे चुदवायेंगे!"
सासुमाँ बोली, "साली बेवड़ी! तु दिन भर शराब पीकर सबसे चुदवाती रहेगी तो घर का काम कौन करेगा?"
सुनकर हम सब हंसने लगे.
गुलाबी बोली, "बड़े भैया, हमको बहुत गर्मी लग रही है. हमको नंगी करके चोदो ना!"
मेरे उन्होने गुलाबी को उठाया और उसके घाघरे को खोलकर उसे नंगा कर दिया. फिर अपने कपड़े खोलकर पूरे नंगे हो गये और रामु को बोले, "रामु, चाय की मेज पर से दारु की बोतलें और प्लेटें हटा. तेरी जोरु को यहाँ लिटाकर चोदुंगा."
रामु ने जल्दी से मेज खाली कर दी.
तुम्हारे भैया ने फिर उसकी नंगी बीवी को मेज पर लिटा दिया और रामु से कहा, "रामु, अपनी जोरु की चूत को अच्छे से चाटकर चोदने लायक बना दे."
"जी, बड़े भैया." बोलकर रामु गुलाबी के पैरों के बीच बैठ गया और उसकी चूत को चाटने लगा.
गुलाबी "ओह!! आह!" करने लगी.
ससुरजी जो मुझे चोदते हुए मेरी चूचियों को पी रहे थे बोले, "बलराम, तु खड़े-खड़े क्या देख रहा है? गुलाबी के मुंह मे अपना लन्ड दे. बेचारी चूसना चाहती है."
सुनकर मेरे वह गुलाबी की मुंह के पास घुटने टेक कर बैठ गये और अपना खड़ा लन्ड गुलाबी के मुंह मे दिया. वह मज़े लेकर उनके लन्ड को चूसने लगी और अपने पति से चूत चटवाने का मज़ा लेने लगी.
किशन और सासुमाँ अभी भी एक दूसरे की चूत और लन्ड चुसाई मे लगे थे. देखकर ससुरजी बोले, "कौशल्या, बस तुम ही कपड़ों मे रह गयी हो. तुम भी सब उतारो और मैदान मे आ जाओ!"
सुनकर किशन अपनी माँ के ऊपर से उठ गया और अपना कुर्ता और बनियान उतारकर पूरा नंगा हो गया.
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