मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:13 PM,
#55
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
"हाँ, यह ठीक रहेगा." सासुमाँ बोली, "बहु, कल तु अपने ससुरजी से चुदवाना और मैं बलराम को तेरे पास ले आऊंगी."

सासुमाँ की बात सुनकर मैं गनगना उठी. पर डर भी लगा. सोच के बहुत उत्तेजक लग रहा था कि अपने पति के सामने पराये मर्द से चुदवाऊंगी, पर जब सचमुच करने की बात हुई तो मैं पीछे हट गयी.


"हाय माँ, मैं ऐसा नही कर पाऊंगी!" मैने कहा.
"क्यों री?" सासुमाँ ने पूछा.
"कैसे करूंगी मैं यह सब?" मैने कहा, "मुझे तो बहुत शरम आयेगी!"
"शरम आयेगी, तभी तो मज़ा पायेगी, बहु." सासुमाँ बोली, "सोच अपने पति को दिखा दिखा के जब तु अपने ससुर का लन्ड चूत मे ले रही होगी, तुझे कैसा रोमांच होगा!"
"पर मुझे डर भी लग रहा है, माँ." मैने कहा.
"काहे का डर?"
"मेरे वह मुझे एक शरीफ़ पत्नी समझते हैं. मुझे नंगे होकर उनके बाप से चुदवाते देखकर उनको बहुत सदमा लगेगा." मैने जवाब दिया, "आपको तो पता है आपके बेटे कितने गुस्से वाले हैं. कहीं मुझे गुस्से से मार ही न डालें."
"मुए की हिम्मत है जो मेरी प्यारी बहु पर हाथ भी उठाये!" सासुमाँ बोली, "तु चिंता मत कर. मैं और तेरे ससुर हैं न उसे सम्भालने के लिये."

"मैं कैसे सम्भालूंगा उसे, कौशल्या?" ससुरजी ने पूछा. वह अभी भी मेरी कमर पकड़कर, मुझे कुतिया बनाकर चोदे जा रहे थे. "मै तो बहु को चोद रहा हूंगा. खड़ा लन्ड लेके समझाने जाऊंगा तो वह मेरी बात मानेगा?"
"ओफ़्फ़ो! तुमसे तो कुछ होता ही नही है!" सासुमाँ बोली, "बहु रामु से चुदवा रही होगी. अब तो ठीक है?"
"फिर मेरे वह रामु का ज़रूर कत्ल कर देंगे." मैने कहा.
"वह हम देख लेंगे." सासुमाँ बोली, "जैसा मैं कहूं वैसा ही करना. जब तु रामु से चुदवा रही होगी, मैं किसी बहाने बलराम को तेरे पास भेजुंगी. वह बखेड़ा खड़ा करेगा तो पूछुंगी कि जो आदमी अपनी माँ को रोज़ रात को चोद रहा है, उसे क्या हक बनता है अपनी पत्नी पर उंगली उठाने का."

"ठीक है माँ." मैने कहा और कल के सपनों मे खो गयी.

डर के साथ मुझे बहुत रोमांच हो रहा था. और ससुरजी की ठुकाई से मैं बहुत मस्त भी हो गयी थी. सासुमाँ की चूत मे मुंह घुसाये मैं तुम्हारे मामाजी के धक्कों का मज़ा लेने लगी. एक बार मैं झड़ ही चुकी थी. मैं दुबारा झड़ने के करीब आ गयी.

सासुमाँ अपने नंगे चूचियों को मसलते हुए "आह!! आह!!" की आवाज़ करके मुझसे अपनी बुर चटवा रही थी.

कुछ और देर की चुदाई के बाद मैं एक और बार झड़ गयी और अलग लेट गयी.

ससुरजी तब अपनी पत्नी पर चढ़े और उन्हे चोदने लगे. सासुमाँ भी झड़ने के करीब थी. अपने पति के धक्के लेते हुए वह झड़ गयी और ससुरजी भी उनकी चूत मे झड़ गये.
अगले दिन सुबह किशन खेत मे चला गया और सासुमाँ ने गुलाबी को उसे नाश्ता देने भेज दिया.

"गुलाबी किशन से चुदवाये बिना नही आयेगी. उसे काफ़ी समय लगेगा." सासुमाँ बोली, "बहु, यही मौका है. देख रामु कहाँ है और उसे पकड़कर तु उससे चुदवाना शुरु कर. मैं बलराम को तेरे पास भेजती हूँ."
"हाय माँ, मुझे तो बहुत डर लग रहा है!" मैने कहा.
"देर मत कर, कलमुही! कहीं किशन खेत से न आ जाये." सासुमाँ बोली, "जा देख रामु कहाँ है."

रामु घर के अन्दर नही था. मैने आंगन मे जा के उसे आवाज़ लगायी तो खटाल मे से उसकी आवाज़ आयी, "हम यहाँ है, भाभी!"

मेरा रोम रोम रोमांचित हो रहा था. मैं उत्तेजना और डर से कांप रही थी. खटाल के अन्दर जाकर देखा रामु गायों के लिये चारा काट रहा है. मैने अपने पीछे खटाल के टीन का दरवाज़ा बंद कर दिया.

मुझे देखकर रामु ने चारा काटना बंद किया और बोला, "का बात है, भाभी? कोई काम है का?"
"हाँ रे रामु." मैने उसके पास जाकर फुसफुसाकर कहा, "तुम तो जानते हो मुझे तुमसे क्या काम होता है."
"हाय भाभी, आप तो कल देर रात तक मालिक से चुदी हैं." रामु बोला, "आपके कमरे की बत्ती जल रही थी. हम सब देखे."
"उससे मेरे जैसी जवान औरत का क्या होता है, रामु?" मैने उसके कमीज़ के बटन खोलते हुए कहा, "जब तक घर का नौकर मुझे चोद न ले, मुझे चैन नही पड़ता."

रामु जल्दी ही उत्तेजित हो गया. मुझे अपने सीने से लगाकर मेरे होठों को चूमने लगा और बोला, "हम हैं न तेरी प्यास बुझाने के लिये, साली चुदैल. चूत मे ससुर का पानी सूखा नही कि आ गयी नौकर से खटाल मे चुदवाने के लिये."

रामु की गालियों से मेरी उत्तेजना और बढ़ गयी. मेरा शरीर बुरी तरह कांपने लगा.

रामु मेरे कंधों को चूमते हुए बोला, "का बात है, तु इतनी कांप क्यों रही है? लगता है साली रंडी बहुत चुदासी हो गयी है."
"हाँ रामु. मैने कभी खटाल मे नही चुदाया है. मैं बहुत चुदासी हूँ!" मैने कहा.

खटाल के एक कोने मे चारे का ढेर था जो हम खेत से काटकर लाये थे. उसे दिखाकर मैं कहा, "रामु, आज मुझे उसे ढेर पर लिटा कर चोदो."

"पर यहाँ कोई भी आ सकता है." रामु बोला.
"तो आये ना." मैने कहा और उसे खींचकर खटाल के कोने मे ले गयी, "ससुरजी, सासुमाँ और गुलाबी को तो सब पता ही है. और किशन खेत मे गया है."
"पर बड़े भैये तो घर पर हैं."
"वह तो आजकल कमरे से निकलते ही नही हैं." मैने रामु की कमीज़ उतारते हुए कहा, "तुम उनसे डर रहे हो क्या?"
"हम काहे डरें तेरे मरद से?" रामु जोश मे बोला, "हम तो उनके सामने तेरी चूत मारें और दिखायें कि एक चुदक्कड़ जोरु की प्यास कैसे बुझाई जाती है."
"हाँ तो बस अब मुझे चोद दो, रामु. देर मत करो." मैने कहा और उसकी पैंट खोल दी.

रामु अपने बाकी कपड़े उतारता हुआ बोला, "तु खड़ी खड़ी क्या देख रही है? चूत मरानी है तो नंगी हो!"

मैं कांपते हाथों से अपनी साड़ी खोलने लगी. साड़ी खोलकर मैने चारे के ढेर पर रख दी. फिर अपनी ब्लाउज़ और ब्रा उतार दी और नीचे रख दी.

इतने मे रामु नंगा होकर मेरे पास आ गया और मेरी नंगी चूचियों को मसलने लगा. उसके काला 7 इंच का लन्ड तनकर खड़ा था. वह भी खटाल मे यह कुकर्म करते हुए बहुत उत्तेजित हो गया था.

मैने अपनी पेटीकोट उतारकर नंगी हुई तो रामु ने मुझे धक्का देकर चारे के ढेर पर गिरा दिया. अगर मैने उस पर अपनी साड़ी और पेटीकोट नही बिछाई होती तो मेरे नरम शरीर मे भूसे के तिनके ज़रूर चुभने लगते.

रामु मेरे नंगे बदन पर लेट गया और मुझे जोश मे चूमने लगा और मेरी चूचियों को बेरहमी से मसलने लगा. उसका लन्ड मेरी चूत पर रगड़ खा रहा था. मैं अपनी कमर हिला हिलाकर अपनी गरम चूत उसके खड़े लन्ड पर रगड़ने लगी. मेरी गीली, चिकनी चूत पर उसका लन्ड फिसल रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

वीणा, तुमने तो हमारा खटाल देखा ही है. खटाल टीन से बनी है और टीन के पाटों के बीच थोड़ा थोड़ा अन्तर है. मेरी नज़रें उन फाकों की तरफ़ जमी हुई थी. किसी भी वक्त मेरे वह आ सकते थे और मुझे अपने नौकर के साथ मुंह काला करते हुए देख सकते थे. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था और मै पसीने-पसीने हो रही थी.

तभी बाहर से सासुमाँ की आवाज़ आयी, "मीना बहु! कहाँ है तु?"

रामु ने मुझे चूमना बंद किया और बोला, "छिनाल, मालकिन तुझे बुला रही है."

सासुमाँ तो जानती थी मैं कहाँ हूँ और क्या कर रही हूँ. इसलिये मैने रामु को कहा, "बुलाने दो. तुम अपना काम चालु रखो. बहुत मज़ा आ रहा है मुझे. मेरी चूत मे बहुत खलबली हो रही है. ज़रा चाट दो रामु."
"तेरी भोसड़ी हम ऐसे ही चाटेंगे का?" रामु बोला, "पहिले हमरा लौड़ा चूस दे."
"हाय, ऐसा मत करो रामु. मैं बहुत गरम हो गयी हूँ." मैने कहा, "तुम मेरे मुंह मे अपना लौड़ा दो और साथ ही मेरी चूत चाट दो."

रामु ने उठकर मेरी तरफ़ अपनी कमर कर दी. मेरे गले के दोनो तरफ़ अपने घुटने रखे और अपना खड़ा लन्ड मेरे मुंह पर झुका दिया.
"ले साली, हमरा लन्ड अच्छे से चूस के तैयार कर!" रामु ने मुझे हुकुम दिया.

मैने मुंह खोलकर उसका लन्ड अपने नरम होठों के बीच ले लिया और चूसने लगी.

रामु अब मेरी चूत पर झुक गया और उसे चाटने लगा. मैं मस्ती मे आह!! कर उठी. रामु अपनी कमर उठा उठाकर मेरे मुंह को चोदने लगा जिससे उसका सुपाड़ा जा जाकर मेरे गले मे लगने लगा.

मुझे अब बाहर की तरफ़ देखने मे मुश्किल हो रही थी क्योंकि रामु मुझ पर सवार था और उसका लन्ड मेरे मुंह मे आ जा रहा था.

कुछ देर बाद जब मैने एक नज़र टीन के पाटों के बीच डाला तो मैं कांप उठी. कोई पाटों से फांक से रामु और मुझे देख रहा था!

मुझे पूरा यकीन हो गया की वह तुम्हारे बलराम भैया ही थे जो मुझे और रामु के वासना के अश्लील खेल को देख रहे थे. मैं बुरी तरह गनगना उठी और मैने रामु के सर को पकड़कर अपने चूत पर जोर से दबा दिया. "ऊं!! ऊं!! ऊं!!" करते हुए मैं झड़ गयी.

"भोसड़ी वाली!" मैने जैसे ही अपना हाथ ढीला किया, रामु चिल्लाया, "हमरा सर अपनी भोसड़ी मे घुसाना चाहती है का?"
"गलती हो गयी, रामु." मैने कहा, "मुझे बहुत चढ़ गयी है."
"चढ़ेगी नही? खटाल मे पड़े-पड़े नौकर का काला लौड़ा चूस रही है. ठहर तेरी चूत की गर्मी निकालते हैं." रामु बोला.

उसने अपना लन्ड मेरे मुंह से निकाला और उठ गया. फिर मेरे पैरों के बीच बैठकर उसने अपना लन्ड मेरी चूत के गीले दरार मे रखा और अपना सुपाड़ा रगड़ने लगा.

मुझे अब साफ़ दिखायी दे रहा था कि बाहर से कोई हम दोनो को देखे जा रहा है.

मैने उसे सुनाकर कहा, "हाय, रामु! और मत सताओ, मेरे राजा! आह!! पेल दो मेरी चूत मे अपना हथौड़ा!"
"डाल रहे हैं, हरामन!" रामु मुझे गाली देकर बोला, "दिन भर सबका लौड़ा लेती रहती है. फिर भी सबर नही होता तुझे?"
"उम्म!! नही सब्र हो रहा, रामु! चोद डालो मुझे!" मैने उसे अपने सीने पर खींचकर कहा.

रामु ने मेरी चूत के छेद मे अपना मोटा, बैंगनी रंग का सुपाड़ा सेट किया और कमर के धक्के से लन्ड को मेरी चूत मे घुसा दिया. मैं जोर से सित्कार उठी. अपने पति को दिखा दिखाकर अपनी चूत मे नौकर का लन्ड लेने मे मुझे जन्नत का मज़ा मिल रहा था.

रामु मे तुम्हारे भैया को नही देखा था. वह मुझे मज़े लेकर चोदने लगा और मैं खटाल के बाहर खड़े अपने उनको दिखाने लगी. वह एक टक मुझे और रामु को देखे जा रहे थे. मैं "उम्म! आह!! ओह!!" की जोर जोर से आवाज़ निकालकर रामु के ठापों का मज़ा लेने लगी.
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