RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
रामु ने दरवाज़े से नज़र हटायी और मुझे बोला, "भाभी, मालिक ई का कह रहे हैं?"
"वही जो तुमने सुना." मैने अन्दर देखते हुए जवाब दिया.
"ऊ सचमुच आपको सोनपुर मे जबरदस्ती चोदे थे?"
"हूं."
"और अब रोज रात को चोदते हैं?"
"हूं."
"और आप भी अपने ससुर से मजे लेके चुदवाती हैं?"
"हाँ, बाबा!" मैने कमरे के अन्दर गुलाबी की चुदाई देखते हुए कहा, "देख नही रहे बाबूजी कैसा जबरदस्त चूत मारते हैं?"
"आप रोज रात को उनके साथ सोती हैं?" रामु ने पूछा.
"हूं."
"मालकिन कुछ नही कहती?"
"उन्हूं. वह कौन सी दुध की धुली है." मैने जवाब दिया.
"और मालकिन कहाँ सोती है?" रामु ने अपनी जिरह जारी रखी.
"मेरे कमरे मे. मेरे पति के साथ."
"भाभी!" रामु ने हैरान होकर पूछा, "का कह रही हैं आप! अपने बेटे के साथ?"
"तो क्या हुआ? एक माँ अपने बेटे के कमरे मे सो नहीं सकती क्या? " मैने कहा.
"और बड़े भैया? ऊ आपको कुछ नही कहते?"
"उन्हे पता नही ना मैं बाबूजी के साथ सोती हूँ." मैने कहा,"वह सोचते हैं मैं मेहमानों के कमरे मे सोयी हूँ."
"भाभी, ई बात कुछ समझ मे नही आयी." रामु ने थोड़ा सोचकर ने कहा, "बड़े भैया पूछते नही हैं कि आप उनके साथ क्यों नही सोती हैं?"
"नही पूछते."
"भाभी, हमे तो दाल मे कुछ काला दीख रहा है..." रामु ने कहा.
"अरे रामु, चुप भी करो! मुझे अन्दर देखने दो!" मैने उसे टोक कर कहा, "तुम्हारी पत्नी अन्दर तुम्हारे मालिक से चुद रही है और तुम बेगानी शादी मे दिवाने हुए जा रहे हो."
"पर बहुत अजीब बात है, भाभी! बेटा जवान बीवी को छोड़कर अपनी अधेड़ माँ के साथ सोता है..." रामु ने कहा.
पर तभी रसोई से सासुमाँ की आवाज़ आयी, "अरे बहु, यह गुलाबी कहाँ मर गयी! तीन कमरों मे झाड़ू लगाने मे कितने घंटे लगते हैं?"
सासुमाँ रसोई से निकली तो देखा रामु और मैं उनके कमरे के बाहर खड़े हैं.
हमारे पास आकर वह बोली, "क्या देख रहे हो तुम दोनो?"
"मालकिन...वह ग-गुलाबी..." रामु हकलाने लगा.
"समझी. तेरी छिनाल बीवी अब मेरे आदमी पर डोरे डाल रही है!" सासुमाँ ने कहा.
"बस डोरे नही डाल रही है, माँ!" मैने कहा, "वह तो बाबूजी से चुदवा भी रही है. हम दोनो वही देख रहे हैं."
"हाय राम!" सासुमाँ बोली, "यह रंडी तो मुझे बर्बाद करके छोड़ेगी! पहले मेरे दोनो बेटों को खा ली. अब मेरे सुहाग पर मुंह मार रही है!"
सुनकर मैं आंचल मे मुंह छुपाकर हंसने लगी.
सासुमाँ ने छेद से एक नज़र अन्दर देखा और जोर से बोली, "गुलाबी! इतनी देर से तु अन्दर क्या कर रही है?"
अन्दर तुम्हारे मामाजी तो गुलाबी पर चढ़कर उसे पेले जा रहे थे. गुलाबी दो बार झड़ चुकी थी, और तीसरी बार झड़ने के करीब आ गयी थी. सासुमाँ की आवाज़ सुनते ही उसके होश उड़ गये.
"मालिक!" वह डर कर चिल्लायी, "मालकिन आ गयी है! अब हम का करें!"
"चुपचाप पड़ी रह और चुदवाती रह." ससुरजी बोले.
"ऊ हमको देख ली तो मार ही डालेंगी!" बोलकर गुलाबी उठाने के लिये छटपटाने लगी.
"और तु मेरे झड़ने से पहले यहाँ से उठी तो मैं तुझे मार डालूंगा." ससुरजी बोले और उसके टांगों को जोर से पकड़कर उसे पेलते रहे.
सासुमाँ ने दरवाज़े को धक्का दिया तो वह खुल गया. वह अन्दर दाखिल हुई और देखी कि उनके पलंग पर घर की नौकरानी टांगें फैलाये नंगी पड़ी है और उनके पूज्य पतिदेव नंगे होकर उसकी चूत में अपना लौड़ा पेले जा रहे हैं.
सासुमाँ को देखकर गुलाबी डर के मारे लगभग रो पड़ी. "मालकिन, हम ई सब अपनी मर्ज़ी नही कर रहे! मालिक हमारे साथ जबरदस्ती कर रहे हैं!"
"चुप कर, चुदैल!" ससुरजी बोले और अपनी कमर चलाते रहे.
"गुलाबी, आजकल बहुत लोग तेरे साथ जबरदस्ती कर रहे हैं, क्यों?" सासुमाँ हंसकर बोली "पहले मेरे बलराम ने तेरी इज़्ज़त लूटी. फिर किशन ने भी तेरा बलात्कार किया. अब तेरे मालिक भी तुझे जबरदस्ती चोद रहे हैं. घर पर बस तु ही एक भोली-भाली, पतिव्रता, सती-सावित्री है, क्यों?"
"कौशल्या, मेरे कमरे मे आने से पहले यह लौंडिया किशन और बलराम से एक एक पानी चुदवा चुकी थी. इसकी चूत से तो उनका वीर्य भी बह रहा था." ससुरजी बोले, "लड़की बहुत सयानी हो गयी है दो-चार दिनो मे. इसलिये मैने भी सोचा आज इसे चोद लेता हूँ."
"अच्छा किये तुम." सासुमाँ पलंग पर बैठकर बोली, "घर मे सब से चुद ही चुकी है. अब तुम भी चोद लिये हो तो अब छुपने छुपाने की कोई ज़रूरत नही रहेगी. जिसे जब जी करे इसे पटककर चोद सकेगा."
"हाँ, कौशल्या." ससुरजी गुलाबी को पेलते हुए बोले, "एक दिन किशन, बलराम, और मैं तीनो मिलकर गुलाबी को चोदेंगे. बहुत मज़ा आयेगा."
"हाय मालिक, हम तो मर जायेंगे!" गुलाबी बोली. सासुमाँ की बातों से उसका डर कम हो गया था और उसे फिर मज़ा आने लगा था.
"चुप कर." सासुमाँ बोली, "एक साथ तीन तीन लन्ड लेगी तो तुझे लगेगा तु स्वर्ग की सैर कर रही है. काश मुझे भी तीन लन्डों का सुख मिलता!"
"क्यों, तुम्हारा नौकर रामु है ना. आजकल तो तुम खूब चुदवा रही हो उससे!" ससुरजी बोले, "उसे ले आओ. मैं तुम्हे उसके साथ मिलकर चोदता हूँ."
"यह तो दो ही हुए जी." सासुमाँ बोली.
"और चाहिये तो किशन और बलराम को ले आओ." ससुरजी बोले, "फिर चार लन्ड हो जायेंगे तुम्हारे लिये."
"तुमको तो बस मज़ाक ही सूझता है." सासुमाँ बोली, "चलो ज़रा हटो. मैं भी थोड़ा चख लेती हूँ लड़की को."
"हाय, मालकिन आप भी?" गुलाबी हैरान होकर बोली. उसकी चूत की चुदाई जारी थी.
"मै भी क्या?" सासुमाँ बोली, "तेरे जैसी कसी कसी जवानी को भोगने का मन क्या सिर्फ़ मर्दों को होता है? चल मुंह इधर कर!"
ससुरजी, जो गुलाबी पर लगभग लेटकर उसे पेल रहे थे, उठकर बैठ गये और उसके टांगों को पकड़कर उसे चोदने लगे.
सासुमाँ ने झुककर गुलाबी के नर्म होठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हे प्यार से पीने लगी. उसके किशोरी होठों मे अपनी जीभ घुसाकर उसके जीभ से लड़ाने लगी.
"भाभी, ऐसा भी होता है का?" रामु ने हैरान होकर मुझसे पूछा.
"क्यों नही?" मैने पूछा, "तुमने तो देखा था मैने छत पर कैसे गुलाबी का मज़ा लिया था."
अन्दर सासुमाँ कुछ देर गुलाबी के होठों का रसपान करती रही. उनके हाथ गुलाबी के सुडौल चूचियों को दबाने और उसके निप्पलों को मसलने लगे.
गुलाबी को पहले थोड़ा अजीब लगा एक अधेड़ उम्र के औरत के चुंबन, पर उसे जल्दी ही मज़ा आने लगा. इधर ससुरजी भी उसे पेले जा रहे थे जिससे उसकी मस्ती दुबारा चढ़ गयी.
उसने खुद ही सासुमाँ के ब्लाउज़ के हुक खोल दिये और ब्रा को ऊपर कर दिया. सासुमाँ की बड़ी बड़ी चूचियां आज़ाद होकर झूलने लगी. गुलाबी ने उनके चूचियों को पकड़कर मसलना शुरु किया.
"आह!!" सासुमाँ आह भरकर बोली, "दबा अच्छे से, लड़की!"
"हाय मालकिन आप भी हमे बहुत मज़ा दे रही हैं!" गुलाबी बोली.
सासुमाँ ने मुंह नीचे करके गुलाबी की चूचियों को चूसना शुरु किया. उसके निप्पलों को काटने और चाटने लगी जिससे गुलाबी मस्ती की शिखर तक पहुंच गयी. वह "आह!! ओह!! उम्म!!" कर उठी और सासुमाँ के सर को पकड़कर अपने सीने पर दबाने लगी.
"कौशल्या, बहुत चढ़ गयी है लौंडिया को." ससुरजी बोले.
"हाय मालिक! एक तो आप कब से चोद रहे हैं...और अब सासुमाँ भी हमरी चूची पी रही है.....आह!! हम तो बस झड़ने ही वाले हैं, मालिक! आह!!" गुलाबी मस्ती मे बोली.
"मेरा भी बस होने वाला है." ससुरजी बोले.
उन्होने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और गुलाबी की चूत को बेरहमी से पेलने लगे.
सासुमाँ अपनी चूचियां गुलाबी के मुंह मे देकर बोली, "थोड़ा चूस दे मेरी चूचियों को, गुलाबी."
गुलाबी सासुमाँ के भूरे, मोटे मोटे निप्पलों को चूसने लगी और अपनी कमर उठा उठाकर ससुरजी का ठाप लेने लगी.
"बहुत मस्त लग रहा है यह सब!" रामु बोला. उसका हाथ उसके लौड़े को हिलाये जा रहा था. "एक तरफ़ मेरी जोरु मालिक से चुद रही है और दूसरी तरफ़ मालकिन की चूचियों को पी रही है."
"सच, रामु. सोचो गुलाबी कितना मज़ा ले रही होगी! मैं तो देखकर ही गरम हो गयी हूँ." मैने कहा. मैं भी अपनी चूचियों को अपने हाथों से दबा रही थी. "इन सबका काम समाप्त हो जाये तो मुझे अपने कमरे मे ले जाना और मेरी भरपूर चुदाई करना."
"जरूर, भाभी!" रामु खुश होकर बोला और अन्दर देखने लगा.
अन्दर ससुरजी पूरी रफ़्तार से गुलाबी की चूत को मारे जा रहे थे. सासुमाँ गुलाबी पर झुकी हुई थी और गुलाबी पलंग पर लेटे एक तरफ़ ससुरजी के धक्कों का मज़ा ले रही थी और दूसरी तरफ़ सासुमाँ की चूचियों को पी रही थी.
मस्ती मे वह सासुमाँ के गुदाज चूचियों मे मुंह छुपाये "ऊम्म!! ऊंघ!! ऊम्म!!" कर रही थी.
जब वह ससुरजी के ठाप और नही सह पायी, वह सासुमाँ के दोनो चूचियों को कसकर पकड़कर झड़ने लगी और जोर जोर से "ऊंघ!! ऊंघ!! ऊंघ!!" की आवाज़ निकालने लगी.
ससुरजी भी गुलाबी की चूत को पेलते हुए झड़ने लगे. उन्होने दो चार जोरदार धक्के लगाये जिससे गुलाबी का पूरा शरीर हिल गया, फिर उसकी चूत की गहराई मे अपना लन्ड घुसाकर वह अपने पेलड़ का पानी छोड़ने लगे.
जब गुलाबी शांत हुई उसने सासुमाँ की चूचियों को छोड़ा. चूचियों पर उसके उंगलियों के दाग पड़ गये थे.
सासुमाँ हंसकर बोली, "लड़की, तु कितनी जोर से झड़ी रे! मेरी चूचियों को तो तुने नोच ही लिया!"
गुलाबी शरमा के बोली, "हमे माफ़ कीजिये, मालकिन. मालिक इतना अच्छा चोद रहे थे और हमको हद से ज्यादा मजा आ रहा था. हम अपना काबू खो बैठे."
"हूं. तेरे मालिक चोदते बहुत अच्छा हैं." सासुमाँ बोली और अपने ब्रा को नीचे की और अपनी ब्लाउज़ के हुक लगी ली.
ससुरजी थक कर गुलाबी के नंगे बदन पर लेट गये. गुलाबी नीचे दब तो गयी, पर वह चुदाई से संतुष्ट होकर मुस्कुरा रही थी.
वह बोली, "मालकिन, भाभी सचमुच मालिक से चुदवा रही है का?"
"हाँ रे." सासुमाँ बोली, "काफ़ी दिन हो गये हैं. वह तो तेरे मालिक के साथ रात को सोती भी है."
"हाय, बहु होकर ससुर के साथ सोती है!" गुलाबी बोली.
"वह तो अपने देवर से भी चुदवा रही है. और तेरे मरद से भी." सासुमाँ बोली, "मुझसे घर का कुछ छुपा नही है."
"हाय मालकिन, आप कुछ नही कहतीं?" गुलाबी ने पूछा.
"मैं क्यों कुछ कहूं?" सासुमाँ बोली, "जिसको जिसके साथ चुदवा के मज़ा लेना है ले. मैं भी तो तेरे मरद से चुदवाती हूँ. तुझे तो पता ही होगा?"
"जी, पता है, मालकिन." गुलाबी बोली.
"और तु जो मेरे बलराम और किशन दोनो से चुदवा रही है, यह भी मुझे मालूम है." सासुमाँ बोली.
"हाय, मालकिन! आपको तो सब पता है." गुलाबी उत्तेजित होकर बोली, "भाभी, मालिक और मेरे मरद को भी सब पता है. अब तो घर मे सब खुल्लम खुल्ला हो गया है!"
"तु क्यों इतना खुश हो रही है, गुलाबी?" सासुमाँ ने पूछा.
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