RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
गुलाबी घिन्न से आंखें बंद किये लेटी रही. उसका सांवला चेहरा किशन के विपुल सफ़ेद वीर्य से भर गया था. मैं उसके चूचियों पर गिरे वीर्य को उसके निप्पलों पर मलने लगी. उसके निप्पल वीर्य से गोंद की तरह चिपचिपे हो गये और तनकर खड़े हो गये.
फिर मैं गुलाबी के मुंह पर झुक गयी और जीभ निकालकर उसके चेहेरे पर पड़े वीर्य को चाटने लगी.
गुलाबी घिन्न से गनगना कर बोली, "हाय भाभी, ई आप का कर रही हैं! आप किसन भैया के मलाई को चाट रही हैं?"
"अरे मलाई ही तो है." मैने कहा, "बहुत स्वादिष्ट होती है मर्द की मलाई. तु भी चखकर देख."
"नही भाभी! ई हम नही कर सकते!" गुलाबी बोली. वह अपनी होठों और आंखें जोर से बंद किये पड़ी रही.
"अरी चुदैल! मैं कहती हूँ, मुंह खोल!" मैने डांटकर कहा.
गुलाबी ने अपने होठों को थोड़ा खोला तो मैने एक उंगली से थोड़ा सा वीर्य उसके चेहरे से उठाया और उसके मुंह मे दे दिया.
गुलाबी ने तुरंत वीर्य के कतरे को गटक लिया और उबकी लेने लगी.
"साली, इतना बुरा तो नही है वीर्य का स्वाद!" मैने कहा, "मैं तो तेरे बड़े भैया का बहुत पीती रहती हूँ."
"हमे आदत नही है ना!" गुलाबी उबकी लेकर बोली.
"आदत पड़ जायेगी तो सीधे लौड़े से गटक गटक कर मलाई पिया करेगी." मैने कहा, "चल मुंह खोल!"
गुलाबी ने फिर मुंह खोला तो मैने और थोड़ा वीर्य उसके मुंह मे दिया. अब की बार वह वीर्य के कतरे को मुंह मे लिये कुछ देर पड़ी रही फिर गटक ली.
"कैसा लगा?" मैने पूछा.
"अच्छा है, भाभी." उसने कहा. उसने अब अपनी आंखें खोल ली थी.
"हूं. चल तेरे को बाकी की मलाई भी पिला देते हूँ." मैने कहा और उसके चेहरे से किशन के वीर्य को चाटकर अपने मुंह मे लेने लगी.
जब मैं पूरा वीर्य अपने मुंह मे ले ली, मैने गुलाबी के मुंह को पकड़कर जबरदस्ती खोला और अपने मुंह से अपना लार और किशन का वीर्य उसके मुंह मे गिरा दिया.
गुलाबी घिन्न से गनगना उठी और अपने हाथ पाँव फेंकने लगी. पर मैने अपने होठों से उसके होठों को दबा दिया और तब तक नही छोड़ा जब तक गुलाबी ने पूरा वीर्य गटक नही लिया.
किशन बैठकर अपनी भाभी और घर की नौकरानी की यह घिनौनी हरकत हैरान होकर देख रहा था.
"कैसा लगा, गुलाबी?" मैने पूछा.
"ठीक ही था, भाभी." उसने जवाब दिया.
"रोज़ पीयेगी तो तुझे वीर्य का स्वाद लग जायेगा." मैने कहा, "फिर तु चूत मे लेने की बजाय मुंह मे लेना ही पसंद करेगी."
हमारी चुदाई समाप्त हो चुकी थी और कुछ देर के लिये हम तीनो को शांति हो गयी थी. मैने उठकर अपनी साड़ी पहन ली और गुलाबी ने अपनी चोली और घाघरा पहन लिया.
किशन को कपड़े पहनता छोड़ हम दोनो छत के सीड़ियों पर आ गये. वहाँ रामु बैठा हुआ था और अब तक हमारे खेल को देख रहा था.
अपने पति को देखते ही गुलाबी मुंह छुपाकर हंसी और दौड़कर सीड़ी से नीचे चली गयी.
"साली, छिनाल! चुदवा ही ली तु किसन भैया से!" रामु ने पीछे से आवाज़ लगाई.
"कब से बैठे हो यहाँ, रामु?" मैने पूछा.
"जब से गुलाबी ऊपर आयी, भाभी." रामु ने कहा, "ऊ दरी लेकर ऊपर आ रही थी तो हम पूछे कि दरी का छत पर का काम है? तो ऊ बोली, भाभी और किसन भैया को चाहिये. हम समझ गये दाल मे कुछ काला है. बहुत जिरह करने पर बोली, आप और किसन भैया ऊपर चुदाई करना चाहते हैं."
"फिर?"
"हमे भी उत्सुकता हो रही थी आप दोनो को चुदाई करते देखने की. पर गुलाबी साफ़ मना कर दी."
"क्यों? वो क्यों मना करने लगी?" मैने पूछा.
"वही तो!" रामु बोला, "हम पूछे, गुलाबी, तु भी किसन भैया से चुदाने का कार्यक्रम बनायी है का? ऊ बोली, का पता! हम एक आजाद औरत हैं. मन करे तो चुदवा भी सकते हैं! कहिये, भाभी, ई कोई बात हुई?"
"फिर तुमने क्या कहा?"
"हम बोले, गुलाबी, तुझे किसन भैया से चुदवाना है तो चुदवा लेना, पर हमको देखने का बहुत मन है." रामु बोला, "ऊ तो सरम से पानी-पानी हो रही थी. राजी ही नही हो रही थी. बहुत मुसकिल से उसे राजी किये ऊपर आने के लिये."
"अच्छा किया तुमने, रामु. तुम्हे देखकर मज़ा आया?"
"अब का कहें भाभी, अपनी जोरु है. अपने सामने पराये मरदों से चुदवाते फिरेगी तो बुरा तो लगेगा ना!" रामु बोला, "पर देखकर मजा भी बहुत आया हमको, भाभी!"
मैं उसकी बात पर हंस दी. बोली, "चलो अच्छा है जो तुमको भी मज़ा आया."
मैं सीड़ी से नीचे जाने लगी तो रामु ने मेरा हाथ पकड़ लिया, "आप कहाँ चल दी, भाभी?"
"नीचे और कहाँ?" मैने पूछा.
"ऐसे ही?" रामु बोला, "आप लोगन की चुदाई देखकर हमरे लन्ड की का हालत है ई आप एक बार सोची?"
"तुम्हारी जोरु अपने कमरे मे गयी है. जाकर उसे चोद लो." उसका इरादा मैं खूब समझ रही थी. पर उसे चिढ़ाने के लिये मैने कहा.
रामु ने मुझे पकड़कर अपने सीने से चिपका लिया और मेरे होठों को चूमकर बोला, "हमे गुलाबी-सुलाबी को नही चोदना! हम तो तुझे चोदेंगे. यहीं, सीड़ियों पर. पूरी नंगी करके, रंडी की तरह चोदेंगे! कोई आ जाये तो देखेगा कैसे घर की बहु अपने नौकर से चुदवा रही है!"
"रामु, पागल मत बनो!" मैने कहा, "किशन छत पर कपड़े पहन रहा है. कभी भी आ सकता है."
"तो आ जाये ना!" रामु बोला, "तु तो उससे चुदा ही चुकी है."
"पर उसे नही पता ना मैं तुमसे भी चुदवा रही हूँ!"
"जब तेरी चूत मे मेरा काला लौड़ा देखेगा ना, सब समझ जायेगा."
"ओफ़्फ़ो! तुम समझते क्यों नही हो, रामु!" मैने कहा, "समय आने पर मैं उसे सब बता दूंगी. तब तुम चाहो तो दोनो मिलकर मेरी चूत मारना. पर अभी तुम मुझे यहाँ मत चोदो."
"तो कहाँ लेके चोदें?"
"अपने कमरे मे ले चलो." मैने कहा.
"वहाँ तो गुलाबी होगी."
"तो हो ना. उसके सामने ही चोद लेना." मैने कहा.
रामु और मैं सीड़ियों से नीचे आ गये और सीधे रामु और गुलाबी के कमरे मे चले गये. रामु की जबरदस्ती और बेइज़्ज़ती भरी भाषा से मैं फिर चुदास से भर उठी थी.
रामु ने मुझे कमरे के अन्दर धकेल दिया और दरवाज़ा बंद कर दिया.
कमरे के अन्दर गुलाबी आईने के सामने अपने बिखरे बालों को संवार रही थी. मुझे देखते ही बोली, "भाभी, आप यहाँ?"
"देख ना तेरा आदमी मुझे जबरदस्ती पकड़कर लाया है." मैने कहा और उसके खाट पर बैठ गयी.
"काहे भाभी?" गुलाबी ने पूछा.
"चोदने के लिये और क्या." मैने कहा, "तु किशन से चुदवा रही थी देखकर बहुत भड़क गया है. अब तो न जाने मेरा क्या हाल करेगा!"
"तेरी चूत को पेल पेलकर भोसड़ा बना देंगे!" रामु ने कहा और मुझे बिस्तर पर लिटाकर जबरदस्ती चूमने लगा.
"हाय दईया! तुम भाभी से यह कैसे बात कर रहे हो?" गुलाबी ने हैरान होकर पूछा.
"साली रंडी. इससे ऐसे ही बात करनी चाहिये!" रामु बोला, "मेरी भोली भाली जोरु को छिनाल बना डाली है! पहले तुझे अपने मरद से चुदवाई, फिर अपने देवर से चुदवाई. अब न जाने तुझे किस किससे चुदवायेगी!"
"हाय, रामु!" मैं सित्कारी लेकर बोली, "और मत तड़पाओ, मेरे राजा! मेरे कपड़े फाड़ दो. मुझे जल्दी से नंगी कर दो!"
गुलाबी खड़े होकर अपने पति की भद्दी भाषा और मेरी चुदास देखकर हैरान हो रही थी.
चुंबन के बौछारों के बीच मैने अपनी ब्लाउज़ सामने से खोल दी अपने चूचियों को नंगी कर दी. रामु बेरहमी से मेरी चूचियों को मसलने लगा.
"आह!! रामु, इतना जोर से मत मसलो! दर्द होता है!" मैने कहा.
"जी तो कर रहा है तेरी चूचियों को नोच ही डालूं!" रामु बोला, "न जाने कितने मर्दों ने इन्हे दबाया और चूसा है!"
"हाय रामु, और देर मत करो! आह!! मेरी चूत मे अपना लन्ड डाल दो!" मैने कहा, "गुलाबी, ज़रा रामु की पैंट उतार दे तो."
"जी, भाभी!" बोलकर गुलाबी पास आयी और रामु की पैंट के हुक और ज़िप खोलकर उसके पाँव से अलग कर दी. फिर उसके चड्डी को भी उतार दी.
रामु का काला, मोटा लन्ड तनकर खड़ा था. उसे पकड़कर गुलाबी ने कुछ देर हिलाया, फिर वह बोली, "उतार दिये हैं, भाभी."
मैने अपने घुटने सिकोड़ लिये तो साड़ी और पेटीकोट मेरे कमर पर आ गयी. मेरी चूत गुलाबी के सामने आ गयी. उसने अपने पति के लन्ड को पकड़ा और सुपाड़े को मेरी चूत के छेद पर सेट किया. फिर बोली, "सुनो जी, हम तुम्हारा लौड़ा भाभी की चूत पर लगा दिये हैं. अब अन्दर घुसा दो."
रामु हवशी की तरह मुझे चुमे जा रहा था. गुलाबी के कहने पर कमर के एक धक्के से पूरा लन्ड मेरी चूत मे पेल दिया और तबाड़-तोड़ ठाप लगाने लगा. उसका खाट ठापों के चोट से चरमराने लगा.
गुलाबी खड़े होकर अपने पति को एक परायी औरत को चोदते हुए देख रही थी. उसे ईर्ष्या या जलन होने की बजाय एक भ्रष्ट किस्म का आनंद आ रहा था. वह अपने घाघरे मे हाथ डालकर अपनी अभी-अभी चुदी चूत मे उंगली करने लगी. मुझे भी उसके सामने उसके पति से चुदवाने मे एक नया मज़ा आ रहा था.
रामु के बेरहम ठापों से मैं जल्दी ही झड़ने के करीब आ गयी. मैने कहा, "आह!! रामु, थोड़ा धीरे पेलो नही तो तुम झड़ जाओगे तो मेरा क्या होगा!"
"फिर तु किसी और से चुदवा लेना, साली! तेरे यारों की गाँव मे कोई कमी है क्या?" रामु अपनी कमर चलाते हुआ बोला, "हम तेरे को संतुष्ट करने के लिये...थोड़े चोद रहे हैं...हम तो अपनी प्यास बुझा रहे हैं...चुदाई मे रंडी की प्यास बुझी कि नही...कौन पूछता है?"
"ओह!! आह!! हाय मेरे राजा! और चोदो!! और थोड़ी देर पेलो...ओफ़्फ़!! मैं बस झड़ने वाली हूँ!" मैने चिल्लायी.
रामु के जोरदार ठापों से मैं जल्दी ही झड़ने लगी. उसके बालों को मुट्ठी मे पकड़कर और अपने पाँव को उसके कमर मे जकड़कर मैं खलास हो गयी. पिछले एक देड़ घंटे मे मेरा तीसरा स्खलन था. मैं थक कर रामु के नीचे पड़ी रही.
मुझे पस्त देखकर रामु बोला, "साली, कुतिया! हमसे पहिले ही झड़ गयी! अब तुझे चोदकर क्या मज़ा आयेगा!"
"अच्छा तो तुम गुलाबी को चोद लो." मैने कहा.
"उसे तो हम रोजे चोदते हैं." रामु बोला.
"उसे मैने एक नयी कला सिखायी है." मैने कहा, "क्यों, गुलाबी?"
गुलाबी मुस्कुराकर बोली, "सुनो जी, तुम भाभी की चूत से अपना लौड़ा निकालो. हम तुम्हे एक नया मजा देते हैं."
रामु ने मेरी चूत से अपना लन्ड निकाला और मेरे बगल मे लेट गया. उसका खड़ा लन्ड मेरी चूत के पानी से चमक रहा था.
गुलाबी उसके पैरों के बीच बैठी और उसके लन्ड को मुंह मे ले ली. मेरे चूत के पानी को उसने बहुत प्यार से चाटकर साफ़ किया.
"ई मा नया का है रे?" रामु बोला, "हमरा लौड़ा तो तु पहिले भी चूसी है."
"अरे रुको ना!" गुलाबी बोली और फिर पति के लन्ड को चूसने लगी.
कुछ देर की ही चुसाई के बाद रामु झड़ने को आ गया और बोला, "गुलाबी, हमरा पानी निकलने वाला है. तु मुंह हटा ले!"
"ऊंहूं." गुलाबी ने कहा और चूसना जारी रखा.
"आह!! पागल लड़की, मुंह हटा! हमरा पानी निकल रहा है! आह!! आह!! आह!! ऊह!!" बोलकर रामु झड़ने लगा. उसके पेलड़ से खूब सारा वीर्य गुलाबी के मुंह मे गिरने लगा.
पर आश्चर्य! गुलाबी ने अपना मुंह नही हटाया. उसने पूरा वीर्य अपने मुंह मे ही ले लिया.
जब रामु झड़कर शांत हुआ तो गुलाबी ने अपना मुंह लौड़े पर से उठाया और मेरी तरफ़ देखा. वीर्य इतना ज़्यादा था कि उसके मुंह मे नही समा रहा था. थोड़ा सफ़ेद वीर्य उसके होठों से रिस कर बाहर बहने लगा.
"हाय, गुलाबी! एक ही बार मेरे देवर की मलाई खाकर तुझे चस्का लग गया?" मैने पूछा, "कैसा लग रहा है स्वाद?"
"उम्म...उम्म...उम्म!" उसने बंद मुंह से जवाब दिया.
"ई का कर रही है, पिसाच औरत!" रामु ने हैरान होकर पूछा.
|