मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:11 PM,
#46
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
अब वह मेरे और किशन की तरह पूरी नंगी हो गयी. उसके कसे जवान शरीर को देखकर तो किशन दिवाना सा हो गया.

"क्यों देवरजी, चोदोगे गुलाबी को?" मैने पूछा.
"हाँ, भाभी!" किशन ने कहा. उसका गोरा चेहरा तमतमा रहा था.
"गुलाबी, तु चुदायेगी मेरे देवर से?"

गुलाबी ने लौड़े पर से सर उठाया और सर हिलाकर रज़ामंदी जतायी.

"ठीक है, पर तु पहले दरी पर लेट जा. मैं तुझे ज़रा चख लेती हूँ."
"हाय, भाभी!" गुलाबी ने हैरान होकर पूछा, "आप औरत होकर हमे चखेंगी?"
"अरे बुद्धू, औरत के साथ भी बहुत मज़ा आता है." मैने कहा, "चल लेट जा!"

गुलाबी दरी पर लेट गई. उसकी जवान सांवली त्वचा धूप मे दमक रही थी. वह पूरी तरह नंगी थी, पर उसके गले मे मंगलसूत्र था, माथे पर सिंदूर, और हाथों मे कांच की चूड़ियाँ थी. पैरों मे मेरी चांदी की पायल थी जो मेरे पति ने उसे पहली बार चोदकर दिया था. 19 साल की यह जवान लड़की बहुत ही मन-मोहक लग रही थी.

मैने उसके दोनो जांघों को अलग किया और उस पर चढ़ गयी. अपनी चूचियों को उसकी नंगी चूचियों पर रखा और अपने गरम होठों से उसके होठों को पीने लगी. बहुत नर्म, नाज़ुक होंठ है गुलाबी के, वीणा! तुम जब आओगी ज़रूर चखकर देखना.

वीणा, औरत के होठों का स्वाद मर्द के होठों से अलग होता है. पर मुझे बहुत मज़ा आने लगा. गुलाबी भी मेरे नीचे लेटे अपनी चूत को मेरी चूत से रगड़ने लगी और मस्ती मे "उम्म!! उम्म!! उम्म!!" करने लगी. अब तक उसे इतनी चुदास चढ़ चुकी थी कि वह भुल गयी कि उसका पति छत के दरवाज़े के पीछे से उसके कुकर्मो को देख रहा है. या फिर अपने पति को दिखा दिखाकर अपना मुंह काला करवाने मे उसे एक विचित्र आनंद आ रहा था.

कुछ देर गुलाबी के होंठ पीकर मैं उसके चूचियों की तरफ़ आयी. बारी-बारी उसके मस्त चूचियों को मुंह मे लेकर मैं चूसने लगी. उसके काले, मोटे निप्पल सख्त होकर खड़े थे. अपनी जीभ मैने उन पर रगड़ी.

"हाय, भाभी! ऊंह!!" बोलकर गुलाबी चिहुक उठी.
"मज़ा आ रहा है, गुलाबी?" मैने उसके चूचियों को दबाते हुए पूछा.
"हाँ, भाभी...उफ़्फ़!!"
"जब कोई मर्द पास न हो, तो तु ऐसे किसी औरत के साथ भी अपनी प्यास बुझा सकती है, समझी?"
"हाँ भाभी! ईस्स!!" गुलाबी सित्कार के बोली.

मैने उसकी चूचियों को मसलना और पीना जारी रखा. वह मस्ती मे "आह! हाय!! उम्म!!" कर रही थी.

मैने और थोड़ा नीचे आ गयी और मैने उसकी सफ़ा की हुई सांवली बुर पर अपना मुंह रख दिया.

"हाय, भाभी!!" गुलाबी मज़े मे बोली, "ई सब का कर रही हैं आप!!"
"मज़ा आ रहा है कि नही?"
"बहुत मज़ा आ रहा है!" वह बोली.

इधर मेरी चूत की हालत भी बहुत खराब थी. किशन से चुदकर मैं एक बार ही झड़ी थी. मैने किशन को कहा, "देवरजी, मेरे पीछे आ जाओ और मुझे कुतिया बनाके चोदो."

किशन शायद गुलाबी की चूत मारने के इंतज़ार मे था. मैने कहा, "घबराओ मत, गुलाबी की चूत भी मिलेगी तुम्हे. पहले मुझे एक और बार चोदकर झड़ा दो."

किशन घुटने के बल मेरे चूतड़ों के पीछे बैठ गया और अपना खड़ा लन्ड मेरी चूत पर सेट कर के उसने अन्दर घुसा दिया. मैं मज़े से "आह!!" कर उठी.

किशन मुझे धीरे धीरे पेलने लगा और मैं गुलाबी की मस्त जवान चूत को चाटने लगी. उसकी छोटी सी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी. मैं उसकी चूत के फूले फूले होठों को जीभ से चाटने लगी, कभी उसकी चूत के छेद मे जीभ देकर चोदने लगी, कभी उसकी चूत के टीट को हलके से छेड़ देती जिससे वह गनगना के अपनी पीठ को मोड़ लेती.

खुली छत पर गुलाबी, किशन और मैं इस तरह चुदाई कर रहे थे. किशन मेरी कमर पकड़कर मेरी चूत मे अपना लन्ड पेल रहा था. मैं गुलाबी की चूत चाट रही थी. और गुलाबी अपने नंगी चूचियों को अपने हाथों से नोच रही थी.

"हाय भाभी!! हम झड़ जायेंगे!" गुलाबी अचानक बोली और उसने मेरा सर पकड़कर अपनी चूत पर दबा लिया. "हाय! कितना मज़ा आ रहा है, भाभी! आह!! आह!! आह!!" वह बोली और झड़ने लगी. मैं उसके बुर पर अपना मुंह रगड़ती रही जब तक वह झड़कर शांत नही हो गयी.

ईधर मैं भी झड़ने वाली थी. अपनी कमर आगे पीछे करके किशन का लन्ड लेते हुए बोली, "और थोड़ा जोर से मेरे राजा! आह!! और थोड़ा जोर से!! उम्म!! उम्म!! आह!!"

किशन थोड़ा और जोर से पेलने लगा. लड़का कुछ ही दिनो मे काफ़ी अच्छा चोदू बन गया था.

उसके लन्ड की पेलाई से मैं फिर झड़ने लगी. अपनी चूत से उसके लन्ड को मैं कस कसकर दबाने लगी. "हाय, मैं गयी, देवरजी! आह!! ओह!! आह!! पेलते रहो मुझे, देवरजी! आह!! आह!! आह!! उम्म!! उफ़्फ़!! क्या मज़ा दे रहे हो!!"

झड़ने के बाद कुछ देर अपनी गांड ऊंची करके मैं पड़ी रही और किशन मुझे समान गती से चोदता रहा. फिर मैने उसे अपना लन्ड मेरी चूत से निकलने को कहा.

वह हटा तो मैं गुलाबी के ऊपर से उतर गयी और बोली, "चलो, देवरजी, अब गुलाबी को चोदने का सुख प्राप्त कर लो! वह भी तड़प रही है तुमसे चुदवाने के लिये."

नेकी और पूछ पूछ! किशन गुलाबी के नंगे बदन पर झपट पड़ा. उस पर चढ़कर उसके होंठ जोश मे पीने लगा और उसकी नंगी चूचियों को जोर जोर से मसलने लगा. एक नये मर्द के प्यार को पाकर जल्दी ही गुलाबी भी गरम हो गयी.

गुलाबी से और रहा नही जा रहा था. उसने किशन के लन्ड को अपनी चूत पर सेट किया और बोली, "हाय, किसन भैया! हमसे और रहा नही जा रहा! पेल दो हमरी चूत मे अपना औजार!"

किशन ने एक जोरदार धक्के से अपना पूरा लन्ड गुलाबी की चूत मे पेल दिया. गुलाबी थोड़ा सा चिहुक उठी, पर बोली, "आह!! हाय, किसन भैया, अब हमे बस चोद डालो!"

किशन गुलाबी को बेरहमी से चोदने लगा. जब उसका पेट गुलाबी के पेट से टकराता तो जोर के ठाप! की आवाज़ होती.

मैं समझ गयी यह लड़का अब 5 मिनट भी नही टिकेगा. पर गुलाबी भी झड़ने को आ गयी थी. वह किशन को जकड़कर उसके होठों को जी भर के पी रही थी और अपनी कमर उठा उठाकर उसके लन्ड को अन्दर ले रही थी.

"आह!! उम्म!! हाय भाभी, कितना अच्छा चोद रहे हैं, किसन भैया! उफ़्फ़!!" वह बड़बड़ाने लगी. "आप रोज उनसे चुदाकर मजा लेती हैं! ओह!! हाय, अब से हम भी रोज चुदायेंगे! आह!! आह!! ओह!!"

किशन का गोरा लन्ड गुलाबी की सांवली बुर मे पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था.

गुलाबी बस अब झड़ने ही वाली थी. मैने उसका एक हाथ पकड़ लिया. वह मेरा हाथ कस के पकड़कर झड़ने लगी. "आह!! आह!! आह!! हाय राम!! हम झड़ गये!! आह!! आह!! ओह!! ऊई माँ!!"

गुलाबी झड़कर निढाल हो गयी, पर किशन अब भी तेजी से चोदे जा रहा था.

मैने उसके कमर को पकड़कर खींचा और उसके लन्ड को गुलाबी की चूत से निकाल दिया.

"हाय, भाभी! क्या कर रही हैं आप!" वह झुंझलाकर बोला, "मेरा बस होने ही वाला है!"
"रुको ना, देवरजी! पानी निकालने की इतनी भी क्या जल्दी है?" मैने कहा, "मै तुम दोनो को एक नया मज़ा सिखाना चाहती हूँ. तुम गुलाबी के दोनो तरफ़ पाँव रखकर उसके चूचियों के बीच अपना लन्ड रखो."

किशन ने ऐसा किया तो मैने कहा, "अब उसकी चूचियों को पकड़कर अपने लौड़े पर दबाओ और बीच मे अपना लन्ड पेलो."

किशन ऐसा करने लगा तो उसे काफ़ी मज़ा आने लगा.

उसने कुछ देर गुलाबी की चूचियों को चोदा फिर बोला, "भाभी, मेरा अब माल निकलने वाला है. मैं और नही ठहर सकता."
"तो निकाल दो ना." मैने कहा.
"कहाँ, गुलाबी के सीने पर?"
"हाँ, और कहाँ?"

गुलाबी बोली, "हाय भाभी! किसन भैया अभी पानी निकालेंगे तो पूरा हमरे मुंह पर आ गिरेगा!"
"तो गिरे ना." मैने शरारती मुसकान के साथ कहा, "तुझे पता नही, मर्द की मलाई मुंह पर लगाने से त्वचा बहुत अच्छी रहती है?"
"नही भाभी, हमे तो घिन्न होती है!" गुलाबी बोली.
"एक बार लगवाकर देख. नही होगी घिन्न." मैने कहा.

गुलाबी आंखे जोर से बंद किये लेटी रही और किशन गहरी सांसें भरते हुए उसकी चूचियों को कुछ देर चोदता रहा.

फिर किशन जोर से "आह!! आह!! आह!! आह!!" करके अपना पानी छोड़ने लगा.

सफ़ेद सफ़ेद लसलसा वीर्य पिचकारी की तरह उसके लन्ड से निकलकर गुलाबी के गले और सांवले मुख पर गिरने लगा. 5-6 बार अपना पानी छिड़क कर वह पस्त हो गया और गुलाबी के ऊपर से उतरकर दरी पर बैठ गया. उसका थोड़ा वीर्य गुलाबी की चूचियों पर भी गिर गया था.
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