मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:08 PM,
#35
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
सासुमाँ ने उसे धक्का देकर हटा दिया और चिल्लायी, "रंडी की औलाद! तु तो मेरा भी बलात्कार करने लगा! मेरी बेचारी बहु की इज़्ज़त लूटकर तेरी हवस नही मिटी है?"

रामु हक्का-बक्का होकर बोला, "मालकिन, हम बिलकुल नही बूझ रहे आप चाहती का हैं!"
"बेवकूफ़, मैं तुझे अपनी चूचियां चखा रही हूँ ताकि तु बता सके मेरी चूचियां अच्छी हैं या मेरी बहु की!"
"आपकी ज्यादा अच्छी हैं, मालकिन!" रामु बोला.

सुनकर सच कहूं, वीणा, मेरे सीने पर सांप लोट गया! मेरी चूचियां तुम्हारी मामीजी जैसी बड़ी तो नही है, पर ज़्यादा कसी कसी हैं.

"तु झूठ तो नही बोल रहा?" सासुमाँ ने पूछा, "मेरी बहु जवान है और उसकी चूचियां बहुत उठी उठी हैं. मैं दो जवान बेटों की माँ हूँ."
"जी मालकिन, पर हमे बड़ी चूचियां ज़्यादा अच्छी लगती हैं." रामु बोला, "हमरी चाची की चूचियां भी आपके जैसी बहुत बड़ी बड़ी हैं. हम बहुत प्यार से दबाते और चूसते हैं."

"चल ठीक है. तु कहता है तो मान लेती हूँ." सासुमाँ ने खुश होकर कहा. फिर बोली, "उफ़्फ़! कितनी गर्मी हैं यहाँ! इतनी गरमी मे चुदाने मे बहु को मज़ा कैसे आया होगा! ठहर मैं ज़रा अपनी साड़ी उतार लेती हूँ, फिर बाकी सब पूछती हूँ."

रामु अपने कंधे पर सासुमाँ की ब्लाउज़ और ब्रा रखे उनके सामने नंगा खड़ा रहा. सासुमाँ ने कमर से अपनी साड़ी खोलकर रामु को दे दी. उसने वह भी अपने कंधे पर रख ली. अब सासुमाँ अपने जवान नंगे नौकर से सामने सिर्फ़ एक पेटीकोट मे खड़ी थी. रामु का लन्ड उन्हे देखकर फुंफ़कार रहा था.

सासुमाँ ने अपने नंगी चूचियों के अपने हाथों मे लिया और मसलते हुए बोली, "हाँ तो बता, फिर तुने मेरी बहु के साथ क्या किया."

"फिर भाभी अपनी साड़ी और पेटीकोट उतार दी और अपनी साड़ी चादर की तरह जमीन पर बिछाकर उस पर नंगी लेट गयी. फिर ऊ हमको बोली, रामु आओ चोदो मुझे." रामु ने कहा.
"हूं! तो बहु ने खुद ही अपने कपड़े उतारे और खुद ही अपनी चुदाई के लिये बिस्तर बनायी. फिर तुझे खुद ही चोदने को बोली. अब समझी." सासुमाँ ने कहा, "अरे तु यह मेरे कपड़े लेकर क्यों खड़ा है? तु भी मेरी साड़ी को चादर की तरह बिछा दे. थोड़ा बैठ लेती हूँ. बहुत देर से खड़े-खड़े थक गयी हूँ."

रामु ने सासुमाँ की साड़ी को ज़मीन पर बिछाया और उनकी ब्लाउज़ और ब्रा उस पर रख दी.

सासुमाँ साड़ी पर बैठ गयी और बोली, "फिर क्या किया तुने मेरी बहु के साथ?"
"फिर हम भी नंगे हो गये और भाभी पर चढ़ गये." रामु ने कहा.
"ऐसे ही चढ़ गया? पहले तुने उसकी चूत नही चाटी?" सासुमाँ ने पूछा.
"नही मालकिन." रामु ने कहा, "हमको चूत चाटने से घिन्न आती है."
"तु तो बहुत स्वर्थी आदमी है!" सासुमाँ बोली, "बहु ने तुझे चोदने के लिये अपनी चूत दे दी, और तुने उसे चाटा भी नही? ठहर मैं तेरी घिन्न निकालती हूँ."

सासुमाँ अपनी साड़ी पर अध-नंगी बैठी थी और रामु उनके सामने नंगा खड़ा था. सासुमाँ ने अपने पैर फैला दिये और अपनी पेटीकोट कमर तक चढ़ा ली. उनकी सांवली, मोटी बुर रामु के सामने आ गयी. बुर पर कोई बाल नही थे क्योंकि सासुमाँ आजकल बुर के बालों को नियमित तौर पर साफ़ करती थी. बुर के फूले फूले लब फैले हुए थे जिसमे से चूत की गुलाबी रंग के छोटे होंठ दिख रहे थे. चूत की फांक चमक रही थी - यानी की सासुमाँ बहुत गरम हो चुकी थी और उनकी चूत बहुत गीली हो गयी थी.

रामु को अपनी नंगी चूत दिखाकर सासुमाँ बोली, "हरामज़ादे, औरत तेरा लन्ड चूसकर तेरी मलाई खाये, यह तुझे बहुत पसंद है. पर तुझे औरत की चूत चाटने मे घिन्न आती है? इधर आ और मेरी चूत को चाट!"
रामु बोला, "मालकिन, ई आप का कह रही हैं? हम ई सब नही कर सकते हैं!"
"तुने सुना नही मैने क्या कहा?" सासुमाँ चिल्लायी, "तु अभी इधर बैठकर मेरी चूत चाटेगा! मैं तेरे मुंह मे मूतुंगी तो तु वह भी पीयेगा. क्या समझा तु? तुने मेरी बहु का बलात्कार किया और उसकी ठीक से चूत भी नही चाटी!"

रामु थोड़ा हिचकिचा कर सासुमाँ के जांघों के बीच बैठ गया. उसका खड़ा लन्ड सासुमाँ की बुर मे घुसने के लिये बेचैन था. पर रामु को सासुमाँ के इरादे कुछ समझ मे नही आ रहे थे. उसने अपनी सांस रोक ली और आंखें बंद करके सासुमाँ की मोटी बुर पर अपनी जीभ रखी.

सासुमाँ कराह उठी और बोली, "आह!! हाँ, अब अपनी जीभ को मेरी चूत के होठों के बीच रखकर ऊपर-नीचे कर."

रामु ने ऐसा ही किया. सासुमाँ अपने हाथों का सहारा लिये पीछे के तरफ़ झुक गयी और आंखे बंद कर के चूत चुसाई का मज़ा लेने लगी.

रामु कुछ देर अपनी जीभ सासुमाँ की बुर मे रगड़ता रहा.

"रामु, तुझे तो औरत को खुश करना ही नही आता! सिर्फ़ चूत मे लन्ड घुसाकर पेलने से ही औरत को शांति नही मिलती!" सासुमाँ बोली, "अच्छा अब अपनी जीभ को कड़ा करके मेरी चूत के छेद मे घुसाने की कोशिश कर."

रामु ने सासुमाँ के घुटनों को पकड़कर और फैला दिया और अपनी जीभ उनकी बुर के छेद मे डालकर उसे चोदने लगा. सासुमाँ मस्ती मे सित्कारने लगी. "उम्म!! आह!! रामु, मेरे चूत की टीट को हलके से चाट!"

रामु ने जैसे से सासुमाँ की चूत की टीट पर जीभ लगाई वह गनगना उठी और जोर से "आह!!" कर उठी. "बस, उसे ज़्यादा छेड़ मत!" वह बोली, "अब ज़रा मेरी चूत के होठों को चाट अच्छे से."

रामु ने अब जीभ से सासुमाँ के बुर के फुले होठों को चाटना शुरु किया. फिर थोड़ी देर बाद वह सासुमाँ की चूत के अन्दर चाटने लगा और चूत के छेद को जीभ से चोदने लगा.

सासुमाँ की चूत से पानी बह रहा था और एक तेज महक चारों तरफ़ फैल रही थी.

सासुमाँ ने अपने हाथों से रामु के सर को पकड़ लिया और अपनी बुर उसके मुंह पर जोरों से रगड़ने लगी. "आह!! ऊह!! चाट अच्छे से मेरी चूत, हराम की औलाद! अब तो घिन्न नही आ रही ना?"
"नही मालकिन." रामु ने चूत पर मुंह लगाये ही जवाब दिया. उसके लन्ड की हालत बहुत ही खराब लग रही थी.

"अब से....चूत चाहे गुलाबी की हो...या बहु की...या मेरी..." सासुमाँ अपनी सित्कारीयों के बीच बोली, "चोदने से पहले....तु हमारी चूत चाटकर...एक बार हमे झड़ायेगा....वर्ना हमारे चूत मे...लन्ड घुसाने को नही मिलेगा...समझा?"
"जी मालकिन." रामु खुश होकर बोला. अब उसे मामला समझ मे आ रहा था. यह अधेड़ उम्र की औरत उससे चुदवना चाहती थी, पर उसे अपने इशारों पर नचा-नचा के.

"हाय! चाटता रह! आह!!" सासुमाँ झड़ते हुए बोली, "आह!! चोद मेरी चूत को अपनी जीभ से! आह!!"

रामु तब तक चाटता रहा जब तक सासुमाँ शांत नही हो गयी.
थोड़ा शांत होकर सासुमाँ बोली, "अब आगे बता तुने मेरी बहु पर चढ़कर क्या किया. ज़रा खोलकर बता."
"फिर हमने अपना औजार...भाभी के भीतर घुसा दिया...." रामु ने कहा, "फिर हम कमर हिला हिलाकर भाभी को....चोदने लगे."
"कितनी देर चोदा तुने बहु को?" सासुमाँ ने पूछा.
"पता नही, मालकिन. 20-25 मिनट चोदे होंगे." रामु ने जवाब दिया.

"बस 20 मिनट?" सासुमाँ ने टिप्पणी की, "इतनी सी चुदाई से मेरी जवान बहु का क्या हुआ होगा?"
"मालकिन, हम तो और चोदना चाहते थे, पर भाभी बोली कि जल्दी करो, कोई आ जायेगा." रामु ने सफ़ाई दी.
"अरे तु मर्द की औलाद होता तो मेरी बहु जैसी सुन्दर औरत को चोदना बंद नही करता, चाहे कोई भी आ जाये." सासुमाँ बोली, "तु तब तक उसे चोदता रहता जब तक वह झड़ झड़ के पस्त नही हो जाती. पता नही तु अपनी जोरु को संतुष्ट कर भी पता है या नही! किसी दिन गुलाबी मेरे बलराम से चुदेगी तो समझेगी कि असली चुदाई क्या होती है."
"ऐसा काहे बोलती हैं, मालकिन!" रामु थोड़ा नाराज़ होकर बोला, "गुलाबी को हम बहुत संतुस्ट रखते हैं. रोज चोदते हैं उसे."
"अच्छा तो दिखा मुझे तु क्या कर सकता है." सासुमाँ पीठ के बल लेट गयी और बोली.

रामु ने पूछा, "का दिखायें, मालकिन? गुलाबी को लाकर चोदकर दिखायें?"
"नही रे, मूरख!" सासुमाँ खीजकर बोली, "मुझे चोद और दिखा तेरे लौड़े मे कितना दम है."

रामु तो यही चाहता था. तुरंत उसने अपने लन्ड का सुपाड़ा सासुमाँ के बुर के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्के से पूरा लन्ड पेलड़ तक सासुमाँ की चूत मे उतार दिया.
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