RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
मीना भाभी ने ठीक ही कहा था. उनकी कहानी की यह किश्त पढ़कर मैं सचमुच ठरक के पागल हो गई. बार बार मैं उनके चिट्ठी को पढ़ रही थी और बार बार अपनी चूत मे बैंगन पेलकर अपनी मस्ती झाड़ रही थी. मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा था कि मामीजी ने सचमुच बलराम भैया से चुदवा लिया था. कैसा घोर अनर्थ! कैसा घोर पाप! और पढ़कर कैसी चरम उत्तेजना!
न जाने मैं रात को कब सोयी. सुबह उठते ही मैने भाभी की चिट्ठी का जवाब लिखा.
**********************************************************************
प्रिय भाभी,
तुम्हारी चिट्ठी मिली. चिट्ठी नही एक कमोत्तेजना का विस्फोट था. अगर किसी और को मिल जाये तो उसे पढ़कर विश्वास ही न हो के किसी के घर मे ऐसा अनाचार भी होता है. तुम नही जानती मेरा पढ़कर कल क्या हाल हुआ. रात भर ठरक के मारे सो नही पायी. बार बार उठकर तुम्हारी चिट्ठी को पढ़ी और चूत मे बैंगन पेली. जब सो जाती थी तो सपनों मे मामीजी और बलराम भैया को चुदाई करते देखती थी.
और तुमने लिखा भी तो खूब है! अगर चुदाई-कथा का कोई पुरस्कार होता है तो तुम्हे ज़रूर मिलनी चाहिये!
जल्दी से लिखो तुम्हारे घर पर आगे क्या हुआ. मुझसे सब्र नही हो रहा है!!
तुम्हारी बहुत ही ठरकी हुई ननद,
वीणा
***************************************************************
मेरा अगला दिन भाभी की चिट्ठी की प्रतीक्षा मे बीत गया. भाभी की चिट्ठीयों ने मुझे किसी जासूसी कहानी की तरह रोमांच से भर रखा था. मैं बार-बार घर के बाहर जाकर देख रही थी कि डाकिया आया कि नही. मेरी छोटी बहन नीतु मेरी बेचैनी को देखकर अचंभे मे पड़ गयी.
आखिर शाम की तरफ़ डाकिया आया और मीना भाभी की एक नयी चिट्ठी दे गया. चिट्ठी मिलते ही मैं भागकर अपने कमरे मे चली गयी.
**********************************************************************
प्रिय ननद वीणा,
तुम्हारा ख़त मिला. पढ़कर दुख हुआ कि तुम अपने घर पर खुश नही हो. मैं तुम्हारा दर्द समझ सकती हूँ. तुम्हारी तरह मुझे बिना लौड़े के रहना पड़ता तो मैं शायद राह चलते किसी से चुदवा बैठती! मैने तुम्हे वादा किया था कि तुम्हारे लिये मैने कुछ सोच रखा है. मेरा भरोसा रखो और किसी को शादी के लिये हाँ मत कह दो. लौड़े के चाहत मे किसी गलत आदमी से शादी कर बैठी तो बहुत पछताओगी!
हम लोग सब यहाँ बहुत मज़े मे हैं (क्यों न हों - जी भर के चुदाई जो मिल रही है!) तुम्हारे मामा और मामी तुम्हे बहुत याद करते हैं.
वीणा, कल दोपहर की तरफ़ रामु अपने गाँव से लौट आया. सासुमाँ, मैं, और गुलाबी रसोई मे थे. तुम्हारे मामाजी किशन को लेकर खेत मे गये थे. तुम्हारे बलराम भैया बिस्तर पर पड़े-पड़े सो रहे थे. पिछले दिन अपनी माँ को चोदकर उनकी काफ़ी दिनो की प्यास जो बुझ गयी थी!
घर के बाहर किसी के आने की आवाज़ हुई तो सासुमाँ बोली, "बहु, देख तो कौन आया है."
मैने घर के आंगन मे पहुंची तो देखा हमारा नौकर रामु बगल मे एक पोटली दबाये चला आ रहा है.
मुझे देखते ही रामु बोला, "नमस्ते भाभी! घर पर कैसे हैं सब लोग?"
"सब लोग बहुत अच्छे हैं!" मैने कहा, "पर तुम कहाँ हवा हो गये थे, रामु? सोनपुर से जो अपने गाँव गये, उसके बाद कोई खबर ही नही?"
"भाभी, अब का बतायें!" रामु रोनी सुरत बनाकर बोला, "गाँव पहुंच के देखे हमरे बापू बीमार हो गये हैं. डाक्टर के पास लाने ले जाने मे ही इतने दिन लग गये."
"अब तो सब कुशल-मंगल हैं ना?"
"हाँ, भाभी. अब सब कुसल मंगल हैं." रामु ने कहा.
मेरा आंचल थोड़ा ढलका हुआ था और मैने आज ब्रा नही पहनी थी. इससे ब्लाउज़ के ऊपर से मेरी चूचियों के बीच की घाटी नज़र आ रही थी. रामु की निगाहें कभी मेरे चूचियों पर जाती कभी मेरे चेहरे पर.
मैने मुस्कुराकर पूछा, "क्या देख रहे हो रामु?"
रामु चौंक कर बोला, "कुछ नही, भाभी. बस अपनी जोरु को ढूंढ रहे थे."
"जो तुम देख रहे हो वह तुम्हारी जोरु के नही हैं. तुम्हारे बड़े भैया की अमानत है!" मैने मसखरा करके कहा.
रामु ने झेंप के सर झुका लिया.
"गाँव मे गुलाबी की बहुत याद आयी क्या?" मैने पूछा.
"जी, कभी कभी." रामु बोला.
"क्यों नही आयेगी! जवान, सुन्दर बीवी को यहाँ जो छोड़ गये थे!" मैने कहा, "और मेरी याद आयी वहाँ?"
"भाभी...आपकी याद? ऊ तो...हमेसा ही आती है." रामु ने कहा. उसकी निगाहें बार-बार मेरे उभरे हुए चूचियों पर जा रही थी.
"अच्छा, तुम अपने कमरे मे जाओ. मैं गुलाबी को भेजती तुम्हारे पास." मैने कहा, "उसे पाने के लिये तो तुम तड़प रहे होगे?"
"नही भाभी...ऐसी बात नही."
"क्यों अपने गाँव मे कोई भाभी पटा रखी है क्या?" मैने पूछा.
"आप भी कैसा मजाक करती हैं, भाभी!"
मैं अपने चूतड़ मटकाते हुए अन्दर आ गयी और रामु मेरे पीछे पीछे अन्दर आकर अपने कमरे की तरफ़ चल दिया.
मैं रसोई मे पहुंची तो सासुमाँ ने पूछा, "कौन था, बहु?"
"माँ, रामु आ गया है अपने गाँव से." मैने कहा. सुनकर गुलाबी का चेहरा खिल उठा. "आते ही पूछ रहा था उसकी गुलाबी कहाँ है. बेचारा तड़प रहा है अपनी जोरु से मिलने के लिये."
सासुमाँ गुलाबी को बोली, "तो तु जाना ना रामु के पास. इतनी दूर से थक हारकर आया है बेचारा."
"नही मालकिन, हम ई काम खतम करके जाते हैं." गुलाबी बोली.
"साली, इतना नाटक मत कर! मैं जानती हूँ तु भी मर रही है उससे मिलने के लिये." मैने कहा, "माँ और मैं सब काम सम्भाल लेंगे. चल तुझे छोड़ आती हूँ रामु के पास. अरे उठ ना!"
मैने गुलाबी का हाथ पकड़ा और खींचकर उसे रसोई के बाहर ले आई.
"गुलाबी, कितने दिन हो गये तुझे रामु से चुदे हुए?" बाहर आकर मैने पूछा.
"14-15 दिन हो गये, भाभी." गुलाबी ने जवाब दिया.
"और इस बीच तेरे बड़े भैया ने तेरी चूची और चूत मसलकर तुझे बहुत गरम कर दिया होगा. है ना?" मैने कहा, "हाय, तु तो मर रही होगी अपने आदमी का लन्ड लेने के लिये!"
"मन तो कर रहा है, भाभी." गुलाबी एक शर्मिली मुसकान के साथ बोली.
"और रामु भी बेकरार होगा तुझ पर चढ़ने के लिये. क्यों?"
"हमे नही पता, भाभी!" गुलाबी बोली और अपने कमरे की तरफ़ भाग गई.
रामु और गुलाबी का कमरा घर के पीछे की तरफ़ था. मैं पीछे पीछे उनके कमरे की तरफ़ गयी.
गुलाबी ने कमरे मे घुसते ही दरवाज़ा बंद कर लिया. मैने दरवाज़े मे एक छेद ढूंढ निकाला और अन्दर देखने लगी.
गुलाबी तो अन्दर जाते ही रामु से ऐसे लिपट गयी जैसे बरसों बाद मिल रही हो. रामु भी अपनी जवान बीवी के होठों और गालों पर तबाड़-तोड़ चुम्बन लगाने लगा.
जब चुम्बन की बौछार रुकी तो गुलाबी गुस्से से बोली, "कहाँ थे तुम इतने दिनो तक! हमरी का हालत हुई यहाँ जानते हो?"
"जानते हैं, मेरी जान!" रामु बोला, "भरी जवानी मे तु बहुत तड़पी होगी. हम भी तुझे बहुत याद किये. पर का करें! उधर बापु बीमार जो हो गये थे!"
"झूठ मत बोलो!" गुलाबी नखरा कर के बोली, "हम का जाने, उधर सायद किसी कलमुही के साथ इतने दिनो तक मुंह काला कर रहे थे!"
"नही रे, तेरे रहते हम ऐसा काहे करेंगे?" रामु बोला.
"सारे मरद एक जैसे होते हैं." गुलाबी बोली, "जोरु पर पियार जताते है और पीछे से दूसरी औरतों पर मुंह मारते हैं."
"अच्छा! और हम का जाने, सायद तु हमरे पीछे यहाँ रंगरेलियां मना रही थी?" रामु मुस्कुराकर बोला.
"यहाँ है ही कौन जिसके साथ हम रंगरेलियां मनायेंगे?" गुलाबी बोली.
"हम नही जानते का, इस घर मे तेरी जवानी पर किस किस की नज़र है? रामु बोला.
सुनकर गुलाबी थोड़ा घबरा गयी. जल्दी से बोली, "छोड़ो भी! इतने दिनो बाद आये हो. मुंह हाथ धो लो. तुमको भूख लगी होगी. हम कुछ खाने को लाते हैं."
रामु ने गुलाबी को अपने सीने से चिपका लिया और बोला, "भूख तो हमे बहुत लगी है पर खाने की नही. अब तुझे खायेंगे तो हमरी भूख मिटेगी!"
बोलकर उसने गुलाबी को बिस्तर पर लिटा दिया और उस पर चढ़कर उसके होंठ चूमने लगा. उसके कठोर, मर्दाने हाथ गुलाबी की चोली के ऊपर से उसकी चूचियों को मसलने लगे.
गुलाबी अपने आदमी के गले मे हाथ डालकर उसके चुम्बनों का मज़ा ले रही थी. वह बोली, "सुनो जी, ऐसे ही दबाओगे का? हमरी चोली तो उतार लो!"
रामु और गुलाबी दोनो उठ गये. रामु ने गुलाबी के पीठ पीछे हाथ ले जाकर उसकी चोली खोलकर रख दी. चोली खुलते ही गुलाबी की चूचियां खुले मे आ गई.
वीणा, गुलाबी की चूचियां सांवले रंग की हैं और अपने उम्र के अपेक्षा बड़ी और मांसल हैं. शायद रामु ने मसल मसल के उन्हे बड़ा कर दिया हैं. जवान होने के कारण उनमे कोई ढीलापन नही हैं. बल्कि मेरी चूचियों की तरह खड़ी खड़ी हैं. उसके काले निप्पल थोड़े लंबे हैं और एक दम खड़े हैं.
रामु ने गुलाबी को लिटा दिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा.
वह बोला, "अच्छा किया तु बिरा नही पहिनी. चड्डी भी मत पहिना कर. ई सब बड़े के लोगों के चोंचलों से चुदाई का सारा मजा खराब हो जाता है."
"भाभी हमको सिखाई थी बिरा पहिनना." गुलाबी बोली, "बोली थी हमरे जोबन सुन्दर लगेंगे. भाभी भी पहिनती हैं."
"अरी तेरे जोबन ऐसे ही बहुत बड़े और सुन्दर हैं." रामु गुलाबी की चूचियों को मसलते हुए बोला, "भाभी के जोबन भी इतने सुन्दर और उठे हुए हैं. उनको बिरा पहिनने की का जरुरत है?"
"हाय, तुम का भाभी के जोबन पर भी नज़र डालते हो!" गुलाबी बोली.
"कैसे न डालें!" रामु ने कहा, "साली है ऐसी कटीली चीज! कैसी गोरी-चिट्टी, सुन्दर लुगाई है! अपनी गोल गोल चूचियां घर भर मे उछाले फिरती है. आज हम देखे के साली बिरा भी नही पहिनी थी. जी कर रहा था कि चूचियों को कस कस कर दबायें और मुंह मे लेकर चूसें!"
वीणा, सुनकर इधर मेरे तो कान खड़े हो गये. रामु मेरे बारे मे ऐसे बुरे विचार रखता है!
रामु की बात सुनकर गुलाबी गुस्सा होने के बजाय हंस दी. "भाभी के जोबन तुमरे हाथ मे नही आयेंगे. बड़े भैये भाभी के जोबन को बहुत चूस चाटकर सांत रखते हैं!"
"तुझे कौन बोला रे?" रामु ने पूछा.
"भाभी खुदे बताई." गुलाबी बोली.
"तेरे को ई सब भी बताई वो?" रामु ने हैरान होकर पूछा.
"और भी बहुत कुछ बताई है." गुलाबी ने कहा और अपना एक हाथ रामु के लौड़े पर ले गयी.
रामु का लौड़ा पैंट मे तनकर खड़ा था. लौड़े को सहला कर गुलाबी बोली, "हाय, तुमरा लौड़ा कितना खड़ा हो गया है!"
अपनी भोली भाली पत्नी के मुंह से यह अश्लील शब्द सुनकर रामु बोला, "गुलाबी, तु लौड़े को लौड़ा कबसे कहने लगी?"
"और का कहेंगे?" गुलाबी ने पूछा.
"पहले तो नही कहती थी!" रामु बोला, "यह भी का भाभी सिखाई है तुझको?"
"हाँ." गुलाबी बोली और हंसने लगी.
उसने हाथ नीचे करके रामु के पैंट की बेल्ट खोल दी. फिर पैंट के हुक को खोलकर उसने अपना हाथ अन्दर डाल दिया. रामु ने अन्दर चड्डी पहना हुआ था.
"तुम काहे चड्डी पहिन रखे हो?" गुलाबी ने पूछा, "हमे तो तुमने मना किया है."
"मरदों की बात और है." रामु बोला, "राह चलते कोई मस्त माल देखकर लौड़ा खड़ा हो गया तो लोग का कहेंगे?"
"नही! तुम भी चड्डी मत पहना करो!" गुलाबी बोली, "अकेले हम ही काहे अपनी चूत खोलकर हमेसा चुदाई के लिये तैयार बैठे रहें!"
रामु गुलाबी के मुंह से ऐसी भाषा सुनकर स्तब्ध रह गया. "गुलाबी, ई भासा भी तुझे भाभी सिखाई है का?"
गुलाबी हंसने लगी और रामु को चूमने लगी. "बहुत कुछ सिखाई है भाभी हमको!"
उसने फिर हाथ से रामु की पैंट और चड्डी नीचे कर दी और उसके लौड़े से खेलने लगी. रामु ने अपनी पैंट और चड्डी अपने पैरों से अलग कर दिये और फिर वह गुलाबी पर लेटकर उसके मस्त चूचियों से खेलने लगा.
जैसे वह दोनो लेटे थे, रामु की गांड दरवाज़े की तरफ़ थी. रामु का रंग काला था और उसका लौड़ा और पेलड़ भी काला था. मैने कभी उसका लौड़ा देखा नही था. लंबाई मे किशन के जितना, करीब 7 इंच का था पर मोटाई किशन से काफ़ी ज़्यादा थी. उसका पेलड़ बहुत बड़ा और भारी लग रहा था.
गुलाबी ने कुछ देर रामु के लौड़े को हाथ से पकड़कर हिलाया. फिर कहा, "सुनो जी, थोड़ा नीचे उतरकर पीठ के बल लेट जाओ ना."
रामु ने ऐसा ही किया. अब उसका काला लन्ड छत की तरफ़ खड़ा होके फुंफकार रहा था.
गुलाबी उठकर बैठ गयी और रामु के लन्ड को पकड़ कर हिलाने लगी और एक हाथ से अपने निप्पलों को खींचने लगी. वह सिर्फ़ एक घाघरा पहने थी और ऊपर से पूरी नंगी थी. बीच-बीच मे वह अपने निप्पलों को लन्ड के सुपाड़े पर रगड़ती थी.
लन्ड हिलाते हिलाते गुलाबी ने रामु के कमीज के बटन खोल दिये और उसके बनियान को सीने पर चढ़ा दिया. फिर उसने अपने लंबे, घने, काले बालों का जूड़ा बनाया और अचानक झुककर रामु का काला लन्ड अपने मुंह मे ले लिया और चूसने लगी.
रामु जोर से कराह उठा. "हाय! ई का कर रही है तु? तु लौड़ा कबसे चूसने लगी? मैं कहता हूँ तो कभी नही चूसती है!"
गुलाबी बिना कुछ बोले मज़े से पति का लन्ड चूसने लगी. कभी वह लन्ड को गले तक घुसा लेती और कभी बाहर निकालकर सुपाड़े को जीभ से चाटती.
"तुझे लौड़ा चूसना भी भाभी ही सिखाई है का?" रामु ने पूछा.
"उंहूं!" गुलाबी ने कहा और चुसाई जारी रखी.
"हमे पहले ही सक था." रामु लन्ड चुसाई का मज़ा लेते हुए बोला, "ई भाभी साली बहुत छिनाल किसम की औरत है. तभी तुझे लन्ड चूसना सिखाई है."
"तो का बुराई है लौड़ा चूसने मे?" गुलाबी ने पूछा, "भाभी तो बड़े भैया का लौड़ा रोज़ चूसती है. हम को तो मज़ा आ रहा है चूसने मे. तुम को मज़ा आ रहा है कि नही, यह बोलो!"
"तु बहुत भोली है रे!" रामु बोला, "भाभी के साथ रहेगी तो तेरे को भी अपने जैसी छिनाल बनाकर छोड़ेगी. आज लौड़ा चूसना सिखाई है. कल किसी और से चुदवाना सिखायेगी. हाय, साली कैसे अपनी मस्त गांड को हिला हिलाकर चलती है, जैसे घर के सारे आदमियों का लौड़ा खड़ा करना चाहती है! उफ़्फ़!!"
"बहुत पियार आ रहा है भाभी पर?" गुलाबी हंसकर बोली.
|