Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
09-18-2018, 12:13 PM,
#37
RE: Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
रवि उठ कर डॉली की तरफ जाने लगा. राज अपने रूम मे जाकर आराम कर रहा था. जब रवि डॉली के पास पहुँचा. तो डॉली ने रवि के तरफ देखा. और मुस्कुरा कर पूछने लगी.

डॉली: साहिल के साथ खेलने आए हो. 

रवि ने हां मे सर हिला दिया. और झुक कर डॉली की गोद मे से साहिल को उठान लगा. जैसे ही रवि ने साहिल को उठाने के लिए पकड़ा. रवि का एक हाथ डॉली की कमीज़ के ऊपेर से उसकी चुचि से रगड़ खा गया. रवि के बदन मे अजीब सी सिहरन दौड़ गयी. पर अगले ही पल राज का ख्याल उसके मन मे आ गया. डॉली भी अपनी कमीज़ के ऊपेर से अपनी चुचि पर रवि के हाथ को पाकर थोड़ा सा कस मसा गयी. पर उसने अपने फेस से जाहिर नही होने दिया. आख़िर रवि **** साल का था. और अंजाने मे उसका हाथ लग गया.ये सोच कर डॉली उठ कर अपने रूम मे चली गयी.

रवि थोड़ी देर साहिल के साथ खेलता रहा था. पर अब उसका ध्यान मे पिछले एक दो दिनो से चल रही घटनाएँ घूमने लगी. और वो साहिल को लेकर खड़ा हुआ. और डॉली के रूम की तरफ चल पड़ा. ऊपेर आकर उसने डोर नॉक किया. थोड़ी देर बाद डॉली ने डोर खोला.

रवि: दीदी वो मे खेतों मे जा रहा हूँ.

डॉली ने साहिल को रवि से ले लिया. और वो बाहर आकर खेतों की तरफ चल पड़ा. जब रवि खेतों मे पहुँचा . तो उसकी नज़र रज़िया पर पड़ी. रज़िया अपने कमरे के सामने झाड़ू लगा रही थी. उसका बेटा वहीं खेल रहा था. रज़िया रवि को देख कर मुस्कुराने लगी. वो मन ही मन सोचने लगी. ये लौन्डा तो मेरी चूत का गुलाम बन गया. अब इसके लंड का सारा रस अपनी चूत से निचोड़ लूँगी. रवि रज़िया के पास आ गया.

रज़िया: (इधर उधर देखते हुए.) तू बड़े टाइम पर आया है. तुझे एक अच्छी खबर सुनानी है. जिसे सुन कर तू खुस हो जाएगा.

रवि: (रज़िया की बात को सुन कर रवि का दिल जोरों से धड़कने लगा) क्या बताना है काकी.

रज़िया: (रज़िया ने फिर से इधर उधर देखा. फिर उसने अपने बेटे को जो कि रवि से काफ़ी छोटा था उसे डाँट कर अंदर बेज दिया) तेरा काका आज शहर से ही अपने माँ बाबा से मिलने चला गया है. जब शंकेर (मजदूर जो राज के खेतों मे ही काम करता था पर उसका कमरा काफ़ी आगे था) वापिस आया तो उसने बताया था. कि वो अब परसों वापिस आने के लिए कह गया है.

रवि: तो फिर चाची (उत्सुकता के साथ) 

रज़िया: एक बार रात को तू कैसे भी कर यहाँ आ जा. फिर देख तुझे सारी रात कैसे चुदाई के नये-2 खेल सिखाती हूँ.

रवि: पर मे रात को कैसे आ सकता हूँ.

रज़िया: अर्रे तू अभी हवेली जाकर बोल आ के तू आज रात मेरे साथ रहेगा. वैसे भी तेरे काका ने मुझ आज सुबह ही बोला था. कि उनके जाने के बाद मे तुझे अपने पास सुला लूँ. जा अब जल्दी से जाकर बोल आ अंधेरा होने वाला है. मे तेरे लिए यहीं खाना भी बना लूँगी.

रवि मूड कर वापिस जाने लगा.

रज़िया: अर्रे एक मिनिट रुक तो सही. (रवि रुक गया और रज़िया की तरफ देखने लगा. रज़िया के होंठो पर वासना से भरी हुई मुस्कान फैली हुई थी) पहले ये तो बता जा. सारी रात अपना लंड मेरी चूत मे डाल कर मुझ चोदेगा ना.

रवि रज़िया की बात को सुन कर झेंप गया. और तेज़ी से वापिस हवेली का तरफ भागते हुए जाए लगा. रज़िया रवि को इतना उत्सुक देख मुस्कुराने लगी. रज़िया के चूत तो ये सोच -2 कर ही पानी छोड़ने लगी थी. कि आज रात उसकी जी भर कर चुदाई हो गी.

रवि हवेली मे पहुँच कर सीधा हरिया काका के पास चला गया. और हरिया काका को ये बता कर कि रज़िया काकी घर पर अकेली है. और उसका मर्द उसे वहाँ सोने के लिए बोल गया है. इसलिए मैं वहीं जा रहा हूँ. ये कह कर वो वापिस खेतों मे आ गया. अब आसमान मे अंधेरा छाने लगा था. जब रवि रज़िया के कमरे मे पहुँचा . तो रज़िया कमरे के बाहर चूल्हेन पर खाना बना रही थी.रवि को देख रज़िया के होंठो पर मुस्कान फैल गयी. 

रज़िया: तू कमरे के पीछे जाकर बैठ मैने वहाँ बाहर खाट बिछा रखी है.अगर बाहर तुझे किसी ने गुज़रते हुए देख लिया. तो बेकार ही सवाल करने आ जाएगा. तू बेफिकर हो कर अंदर बैठ . मे खाना लेकर आती हूँ. 

रवि कमरे के पीछे की तरफ चला गया. क्योंकि कमरे मे उसका बेटा बैठा हुआ था. जो काफ़ी छोटा था इन्सब बातों को समझने के लिए. पर रज़िया कोई रिस्क नही लेना चाहती थी. रज़िया ने खाना तैयार कर परोस लिया. और अपने बेटे को कमरे मे खाना देने चली गयी. खाना देने के बाद वो बाहर आने लगी.

रज़िया: मुनसून मे ज़रा खेतों मे जा रही हूँ. मेरा पेट ठीक नही है. मे थोड़ी देर मे आती हूँ.

और ये कह कर रज़िया बाहर आई. और खाना प्लेट मे डालकर कमरे के पीछे आ गये. वो अपने साथ लालटेन भी ले आई थी. उसने रवि को खाना दिया. और बोली.

रज़िया: सुन मेरे राजा . मुन्ना अभी खाना खा रहा है. वो थोड़ी देर सो जाएगा. फिर मे तुझे अंदर बुला लूँगी.

रवि: (रज़िया की बात सुन कर थोड़ा परेशान हो गया.) पर काकी अगर वो जाग गया तो ?

रज़िया: तू इसकी फिकर ना कर. तूने मेरा कमरा देखा नही है अंदर से.

रवि: देखा है पर.

रज़िया: पर क्या मेरे कमरे के बीच मे एक दीवार है ना. जिसमे दो कमरे बने हुए हैं. यहाँ हम जलावन (आग जलाने के सुखी लकड़िया) रखते हैं मैने उसकी सफाई कर दी है. और नीचे एक बिस्तर बिछा लिया है. हम दोनो वहाँ ही लेट कर आराम से करेंगे.

रवि: पर काकी उसका तो दरवाजा नही है. वो तो खुला है. अगर मुन्ना अंदर आ गया. और उसने हमें देख लिया तो.

रज़िया: वो उसमे नही जाता. उसे चूहों से बहुत डर लगता है. चाहे जो मर्ज़ी हो जाए. पर वो उसमें नही जाता. मेने आजमा कर देखा हुआ है. अगर वो जाग भी गया, तो वो पहले मुझ आवाज़ लगाएगा. तू फिकर ना कर. अच्छा मे चलती हूँ. तू आराम से खाना खा और फिर लालटेन बंद कर देना. नही तो कोई देख सकता है. मे तुम्हें थोड़ी देर बाद कमरे मे लेकर चलती हूँ.

और रज़िया अपने कमरे मे चली गयी. रवि वहीं बैठ खाना खाने लगा. रवि खाना खा चुका था. अब आसमान मे पूरा अंधेरा हो चुका था. रवि ने लालटेन बंद की. और बर्तन को उठा कर कमरे के आगे आ कर बाहर रख दिए. फिर पीछे आकर चारपाई को दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया. और रज़िया का इंतजार करने लगा. 

रवि इंतजार किए जा रहा था. पर रज़िया बाहर नही आई थी. रवि तक कर कमरे के आगे की तरफ आने लगा. तभी उधर से रज़िया भी बाहर आ गयी.

रवि: (गुस्से से) क्या काकी इतनी देर लगा दी. मच्छरों ने काट खाया है मुझे.

रज़िया: ओह्ह्ह मेरे राज आ क्या बताऊ वो सोने का नाम ही नही ले रहा था. अब चल जल्दी अंदर चल.

अंधेर बहुत ज़्यादा था. इसलिए रवि रज़िया को ठीक से देख भी नही पा रहा था. जैसे ही दोनो कमरे के दरवाजे पर पहुँचे . रज़िया ने अपने होंठो पर एक उंगली रखते हुए. रवि को चुप रहने का इशारा किया. और फिर धीरे-2 कमरे का डोर खोला. और दोनो दबे पावं अंदर आ गये. जैसे ही दोनो अंदर आए. रवि का लंड उसके पाजामे मे तन कर झटके खाने लगा. रवि की हालत एक दम से रज़िया को देख कर खराब हो गयी.

रज़िया ने अपनी चोली पहले से उतारी हुई थी. और उसने अपने लहँगे को अपनी चुचियों पर बाँध रखा था. जो मुस्किल से उसकी आधी जाँघो को ढक पा रहा था. कमरे मे लालटेन जल रही थी. 

रज़िया ने इशारे से रवि को दूसरे तरफ जाने के लिए कहा. रवि दूसरे कमरे मे आ गया. जो काफ़ी छोटा था. पर रज़िया ने सब ठीक से रख कर बिस्तर के लिए जगह बना ली थी. रज़िया ने एक बार चारपाई पर लेटे अपने बेटे को देखा. जो बहुत ही गहरी नींद मे था. और फिर रज़िया ने लालटेन के लौ को धीमा कर दिया. अब कमरे मे बहुत हल्की रोशनी रह गयी थी. रज़िया ने लाल टेन को दोनो कमरों के बीच मे दरवाजे पर लटका दिया.ताकि दोनो तरफ हल्की रोशनी रह सके.

रज़िया फिर रज़िया रवि के पास आकर नीचे बिछे बिस्तर पर बैठ गयी. और रवि को अपनी बाहों मे भर कर उसके होंठो को चूमने लगी. रवि के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी.

रवि: (अपने होंठो को अलग करते हुए) काकी मुन्ना इधर तो नही आएगा ना.

राइज़ा: (धीमी आवाज़ मे फुसफुसाते हुए) नही आएगा. जब मेरा मर्द मुझ कभी कभार दो चार महीने मे चोदता है. तू मुझे पूरा नंगा कर देता है. साले भोसड़ी वाले से कुछ होता तो हैं नही. बस ऐसे ही नंगा करके पानी छोड़ कर सो जाता है. और मे सारी रात ऐसे ही नंगी लेटी हुई अपनी चूत को मसलते रहते हूँ. कई बार मुन्ना उठा भी है. पर वो डर के मारे अंदर नही आता. चल अब मूड खराब ना कर.

फिर रज़िया पीठ के बल लेट गयी. और रवि को अपने ऊपेर खींचते हुए. उसके होंठो को चूमने लगी. रवि जो पहले ही सुबह से चुदाई के बारे मे सोच-2 कर गरम हो रहा था. उसने भी रज़िया के होंठो को अपने होंठो मे ले लिया. और ज़ोर-2 से चूसने लगा.
जब रज़िया ने देख के रवि अब खुद उसके होंठो को चूस रहा है. तो रज़िया ने अपने होंठो को ढीला छोड़ दिया. और रवि से अपने होंठो को चुस्वा कर मज़ा लेने लगी.

रज़िया ने अपनी बाहों को रवि की पीठ पर कस लिया. और अपनी टाँगों को थोड़ा सा फैला लिया. रवि जो कि रज़िया के ऊपेर लेटा हुआ था. रवि की कमर का नीचे का हिस्सा. रज़िया की टाँगों के बीच मे आ गया. इन सब हरकतों के दौरान जो लहंगा रज़िया ने ऊपेर करके अपनी चुचियों पर बाँध रखा था. वो अब उसकी कमर से भी ऊपेर हो गया था. और रवि का पाजामे मे तना हुआ लंड सीधा उसकी चूत के ऊपेर आकर चूत पर पाजामे के अंदर से रवि का सख़्त लंड लगा. रज़िया कसमसा गयी.

रज़िया: (अपने होंठो को रवि के होंठो से हटाते हुए)ओह्ह्ह रवीीईईई मेरे राज आआ. आज्ज्जज तू चाहे जितनाअ मर्ज़ी चोद्द्द्द ले मेरीई चूत को अहह चाहे तू अपना मुनसल सा लौदाा सारी राअतात्त मेरी चूत मे ओह्ह्ह्ह डाल कार्ररर लेटायाया रहह ऐसे हीए.

रज़िया आह ओह करती हुई बहुत ही धीमी आवाज़ मे सिसकारियाँ भर रही थी. और रवि रज़िया के गालों और नेक को अपने होन्ट से किस कर रहा था. रज़िया के रोम -2 मे मस्ती छाने लगी थी.

रज़िया: (अपने ऊपेर से रवि को हटाते हुए. और रवि रज़िया की जाँघो के बीच मे बैठा था) अहह बससस्स अब चल अपना लौडा जल्दी से निकाल ले. और बर्दास्त नही होता अब.

और रवि रज़िया की जाँघो के बीच मे खड़ा हो गया. और अपने पाजामे के नाडे को खोल कर अपना पाजामा निकाल कर एक तरफ रखे संदूक पर रख दिया. तब तक रज़िया अपनी चुचियों पर बँधे लहँगे के नाडे को खोल चुकी थी. और उसने अपने लहँगे को नीचे सरका दिया था. अब रज़िया का लहंगा उसके पेट मे सिमट गया था.
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