RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
अब उसकी चुप्पी भी टूटी और वो उत्तेजना से वशीभूत हो मादक आवाजें निकलने लगी- आह्ह… अभी… यह बहुत अच्छा है… आज दर्द भी नहीं और मज़ा भी बहुत आ रहा है… वाओ… आईई… यू आर सो नाईस अभी… कम ओन… मेरी ब्रेस्ट्स को मसलो… प्लीज अभी… निचोड़ दो इनको..!
कह कर उसने मेरे हाथ अपने उरोजों पर रख लिये और मैं उसके कठोर उरोजों को दोनों हाथों से बुरी तरह से मसलने लगा जिसमें उसे असीम आनन्द मिल रहा था।
स्त्रियों को वैसे भी ऊपर रहकर सैक्स करने की मुद्रा में ज्यादा आनन्द आता है क्योंकि इसमें पुरुष पर और अपने सभी अंगों पर उनका खुद का नियंत्रण रहता है।
कुछ मिनटों तक चली इस मादक रतिक्रीड़ा के बाद दोनों के चरमोत्कर्ष का समय निकट आ गया था इसलिए मैं अनन्या को नीचे कर उसके ऊपर सवार हो गया और अपने लिंग से अनन्या के यौवन का तेजी से भेदन करने लगा और पहले अनन्या और कुछ सेकेंडों के बाद मैं भी स्खलित हो गया।
मैं स्खलित होकर उसके ऊपर ही लेट गया था और हम कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे। जब वासना का ज्वार थोड़ा शांत हुआ तो पता चला कि मेरा वीर्य उसकी योनि में ही छूट गया है।
वो तुरंत उठकर टॉयलेट की ओर भागी और अपनी योनि को अच्छी तरह से धो कर आई और सुबक-सुबक कर रोने लगी तो जैसे-तैसे हम दोनों ने उसे चुप कराया, पर सच में तीनों बहुत डर गये थे कि कहीं अनन्या प्रेग्नेंट नहीं हो जाए।
उन दिनों प्रेग्नेन्सी टेस्ट के लिए आज जैसे आसान किट भी अपलब्ध नहीं थे जिनमें स्त्री-मूत्र की एक बूँद डालने से प्रेग्नेन्सी टेस्ट हो जाता है इसलिए हम तीनों की हालत ख़राब थी कि अब क्या होगा।
तीनों अपने-अपने कमरे में चले गये पर सारा मज़ा काफूर हो गया था, तीनों भविष्य के बारे में सोच-सोच के परेशान हो रहे थे कि जिस खेल को आसानी से चुपचाप खेल रहे थे उसका अब सबको पता चलने वाला था।
जैसे-तैसे एक दिन निकला… हम तीनों एक दूसरे से कटे-कटे रहने लगे थे। हालांकि तीनों तब भी दोपहर में घंटों मेरे कमरे में बैठकर आगे क्या करना है, उसके बारे में चर्चा करते रहे पर कुछ खास हल नहीं निकला।
यह दिन भी बहुत तनाव भरा निकला पर अगले दिन सुबह-सुबह ही अनन्या और सोनी दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझे खुशखबरी सुनाई कि अनन्या को पीरियडज़ आ गए हैं, तब हम तीनों की जान में जान आई कि थैंक गॉड… आज तो आपने हमें बचा लिया।
खैर… अब सब समस्या का निवारण हो गया था और अब हम तीनों आपस में काफी खुल गये थे इसलिए फिर से नई सीडी देखने की योजना बनाने लगे क्योंकि पोर्टेबल टीवी और सीडी प्लेयर फिर से डैडी के कमरे में चला गया था।
किस्मत से उसी दिन दोपहर बाद दोनों बुआ और मम्मी शॉपिंग करने निकलीं तो उन्होंने सोनी और अनन्या को भी अपने साथ चलने को कहा पर दोनों कुछ बहाना बनाकर मना कर दिया।
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