RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
मैंने उसे सुनीता के पास बैड पर लिटा दिया और घुटनों के बल बैठ झुककर उसकी क्लीन शेव्ड पुस्सी चूसने लगा, साथ ही मैंने अपने दांयें हाथ की उंगली सोनी की योनि में घुसा दी जिसे मैं अधूरा ही छोड़ आया था।
सोनी फिर से रंग में आने लगी थी और मादक आवाजें निकलने लगी थी।
कुछ देर चूसने के बाद मैं उठा और सुनीता की योनि को चूसने लगा। अब मेरे बाँये हाथ की उंगली अनन्या की योनि को छेद रही थी जिससे आने वाले आनन्द को वो नितम्ब उठा कर बयान कर रही थी।
मेरा दायाँ हाथ सुनीता के उरोज़ मसलने में व्यस्त था।
कुछ ही समय में सोनी स्खलित हो गई और निढाल पड़ गई।
मैं उठ कर अनन्या की टांगों के बीच बैठ गया और उसकी योनि को जीभ से और उंगली से मसल कर उत्तेजित करने लगा।
कुछ ही देर में मुझे लगा कि वो मेरा लिंग योनि में लेने को मना नहीं करेगी तो मैंने अपना कठोर लिंग उसकी योनि के छेद पर लगाया और उसे धीरे से पूछा- डालूँ?
वो शायद ना कह देती पर उस वक्त काफी उत्तेजित थी इसलिए कुछ नहीं बोली और उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
इसे उसकी मौन स्वीकृति समझ कर मैंने धीरे से अपना लिंग हाथ से पकड़कर उसकी गोरी, चिकनी योनी के अग्रभाग पर टिकाया और भीतर धकेल दिया।
एक ही झटके में लिंग आधी गहराई तक चला गया था और अनन्या की लगभग चीख सी निकल गई तो मैं भी डरकर रुक गया।
दर्द के मारे अनन्या की आँखों से आँसू निकल आये थे पर वो जानती थी कि पहली बार में दर्द होगा इसलिए अपने निचले होंठ को दांतों के बीच में दबाया और मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया तो मेरा हौसला बढ़ा और मैंने दूसरा धक्का लगा दिया।
अब लिंग पूरा अन्दर घुस गया था सो मैंने उसे धीरे-धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया।
मुझे स्वर्ग का आनन्द मिल रहा था जबकि अनु अब भी हर धक्के के साथ दर्द से कराह रही थी।
मेरे मन में उसके दर्द के प्रति दया का भाव भी था पर हवस के मारे निर्दयी होकर मैंने अपने धीमे प्रहार जारी रखे।
लगभग दो-ढाई मिनटों में ही उसका दर्द कम हो गया और अब वह भी इस कामक्रीड़ा का आनन्द लेने लगी।
उसकी कराह अब मादक सिसकारियों में बदल गई थी।
पास बैठी सोनी भी हमारे लाइव सैक्स को देखकर अपनी योनि में उंगली डालकर अपनी क्षुधा शांत कर रही थी।
कुछ मिनटों में अनन्या चरमोत्कर्ष पर पहुँच कर स्खलित हो गई तो मैंने भी अपने प्रहार तेज कर दिए और कुछ ही सेकेंडों के बाद मुझे भी लगा कि मैं फिनिश होने वाला हूँ तो मैंने अंतिम समय पर अपना लिंग बाहर निकाल लिया और हाथ से हिलाकर अपने कामरस की पिचकारी अनन्या के पेट पर छोड़ दी और उसके पास में लेट गया।
कामाग्नि ठंडी पड़ी तो उठ कर देखा कि मेरा हाथ व लिंग पर थोड़ा खून लगा था और बेडशीट पर भी खून के कुछ धब्बे थे।
मैंने सोनी को बाथरूम में जाकर अपने बदन को साफ करने को कहा तो वो उठी और बाथरूम में जाकर साफ करने लगी।
मैंने अनन्या के पास जाकर उसे चुम्बन किया और पूछा- बहुत दर्द हो रहा है? नहा कर आ जाओ फिर एंटीसेप्टिक क्रीम लगा देता हूँ।
सोनी के आने के बाद अनन्या भी उठी और मेरा तौलिया लेकर बाथरूम में नहाने को गई पर उसे चलने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी।
कुछ देर में वो नहाकर आई तो मैं उठकर बाथरूम में गया, अपना लिंग धो कर आया और कपड़े पहनने लगा।
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