RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
अब अनन्या भी उत्सुकतावश रुक गई और बैड के सामने सोफे पर जा कर बैठ गई।
सोनी ने अपनी जींस उतारी तो मैंने उसे टॉप भी खोलने को कहा तो वो बोली- टॉप क्यों?
मैंने जवाब दिया- आज एक नई चीज सिखानी है!
सोनी ने वासना के वशीभूत होकर अपना टॉप भी उतर फेंका और बैड पर जाकर अधलेटी सी बैठ गई।
अब वो केवल ब्रा और पैंटी में ही थी और आज कल जितना शरमा भी नहीं रही थी।
मैं भी अपनी ट्रैक-पैंट, टी-शर्ट और बनियान खोल कर तुरंत बैड पर चढ़ गया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके कसे हुए उरोजों को दबाने लगा।
थोड़ी देर दबाने के बाद मैंने धीरे से पीछे हाथ डाल कर ब्रा का हुक खोलकर उसके गोरे-गोरे स्तनों को आजाद कर दिया और उसके गुलाबी चुचूकों को मुँह में लेकर चूसने लगा।
उसके कसे हुए उरोज़ों को पहली बार किसी पुरुष का स्पर्श मिला था इसलिए वो आँखें बंद कर के सिसकारियाँ भरने लगी।
मैंने कुछ देर चूसने के बाद अपने होंठ उसके रसभरे होठों पर रख दिए और उनका स्वाद लेने लगा तो वो भी अपनी जीभ से मेरी जीभ मिला कर मेरा साथ देने लगी।
उसके हाथ भी मेरे बदन पर चल रहे थे।
उधर उत्तेजना के मारे अनन्या का भी बुरा हाल था इसलिए उसने भी धीरे से अपनी जींस की ज़िप खोल कर उंगली डालकर अपनी योनि को सहलाना शुरू कर दिया था।
इधर मैंने हौले-हौले अपने होंठ सोनी के होठों से हटाकर कर उसके वक्षों और नाभि को चूमते हुए उसके कटिप्रदेश की ओर बढ़ा दिए और पैंटी के ऊपर उन्हें चूमने लगा फिर दोनों हाथों से पैंटी को नीचे कर उतार फेंका।
मैंने उसकी दोनों टाँगें चौड़ी की और अपनी जीभ उसकी योनि में घुसा दी तो वो कसमसा उठी- वाओ… कितना अच्छा करते हो तुम… आह… इई… बहुत मज़ा आ रहा है… प्लीज करते रहो… रुकना मत… ओह्ह आउच… कम ओन…!
मैं उसकी योनि को चूस रहा था तभी मुझे अपनी पीठ पर कुछ महसूस हुआ तो मैंने नज़र घुमा कर देखा।
पीछे अनन्या बिना कपड़ों के खड़ी मेरी पीठ पर हाथ फिरा रही थी और हमारे आमंत्रण का इन्तजार कर रही थी।
उसके चेहरे पर अति उत्तेजना के भाव साफ़ दिखाई दे रहे थे।
मैंने तुरंत घूम कर उसके बड़े और तने हुए स्तन अपने हाथों में ले लिए और उसके होंठों से होंठ मिलाकर चूसने लगा।
वो काफी स्मार्ट थी इसलिए तुरंत उसके हाथ मेरे अंडरवीयर पर चलने लगे और उसने मेरे लिंग को बाहर निकाल लिया।
|