RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
मुझे महसूस हुआ कि मुंबई में रहने के कारण उसे सैक्स का थोड़ा ज्ञान तो था पर बहुत ज्यादा नहीं इसलिए वो जानने में इच्छुक नज़र आई।
हम सैक्स के बारे में थोड़ी बातें तो करते पर संकोची स्वभाव के कारण मैं ज्यादा आगे बढ़ नहीं पाया।
समय बीत गया, छुट्टियाँ ख़त्म होने वाली थी और मुंबई में एडमिशन की मारा-मारी थी इसलिए बुआ कम समय रुक कर जल्दी मुंबई चली गई।
मुझे बहुत दुःख हुआ कि मैं कुछ नहीं कर पाया पर अब कोई चारा नहीं था।
खेल-कूद, मम्मी-डैडी की रतिक्रीड़ा का दर्शन, पोर्न बुक्स, नई मूवीज, पढाई, ट्यूशन, एक्जाम्स, रिजल्ट, आदि… इन्हीं सब में यह साल भी बीत गया और फिर से गर्मी की छुट्टियाँ भी शुरू हो गई थी।
हर वर्ष की तरह इस बार भी छुट्टियों में दोनों बुआ एक साथ अपने मायके आ गई थी, दोनों भैया अब बड़े हो गये थे और अपने डैडी के बिजनेस में हाथ बंटाते थे इसलिए वो नहीं आये।
बड़ी बुआ के साथ अनु और छोटी बुआ के साथ सुनीता (सोनी) ही आई।
सोनी के बदन में यौवन ने दस्तक दे दी थी जबकि अनु के तन पर यौवन प्रफुल्लित पुष्प की तरह खिला हुआ था और होता भी क्यों नहीं… अनु अब 20 वर्ष की और सोनी 18 वर्ष की हो गई थी।
मैं भी 18 साल का हो चुका था और अब रिश्तों की समझ तो आ गई थी पर वासना उस समझ पर पूरी तरह से हावी हो चुकी थी इसलिए मैंने गर्मजोशी से दोनों का स्वागत किया और मन ही मन उनसे सैक्स करने की योजना बनाने लगा।
डैडी की सैक्स साहित्य की एक-दो बुक्स हमेशा मेरे रूम की अलमारी में भी रहती थी जिसमें मेरे क्रिकेट बैट, बाल, बैडमिन्टन रैकेट्स, शटल कोक्स, नैट आदि गेम्स के सामान भी रखे थे।
हालांकि उन बुक्स को मैं कॉमिक्स के बीच छुपा कर रखता था और उस अलमारी पर लॉक भी रखता था जिससे कभी साफ-सफाई के दौरान भी मम्मी को वो बुक्स नहीं मिलें।
उस दिन हम तीनों ने डिनर के बाद छत पर बैडमिन्टन खेलने का प्लान बनाया क्योंकि दिन की धूप में यह संभव नहीं था।
वो दोनों खाना खाने के बाद सभी बड़ों को परोस रहीं थी, तब तक मैं छत पर पहुँचा और लाइट्स जला कर दिन भर की धूप से गर्म छत पर पानी का छिड़काव करने लगा।
इतने में अनु आ गई और छिड़के हुए पानी को फैला कर सुखाने में मेरी मदद करने लगी।
ये सब निपटा करके हम वहीं कुर्सियों पर बैठ कर बचपन की बातें करने लगे।
कहानी से हट के बता रहा हूँ… कि वो सब काम जो बचपन में हम किया करते थे उनसे जो छोटी-छोटी खुशियाँ मिलती थीं आज बड़े-बड़े क्लब्स में और 5 स्टार रेस्टोरेंट्स में खाना खाकर और एन्जॉय करके भी नहीं मिल पाती हैं।
खैर… पुनः कहानी पर आता हूँ…
काफी देर सुनीता (सोनी) नहीं आई तो अनु ने कहा- मुझे तो नींद आ रही है… इसलिए थोड़ी देर मामी के साथ टीवी देख के मैं सो जाऊँगी… सोनी को मैं अभी ऊपर भेज देती हूँ… तुम दोनों आज बैडमिन्टन खेल लो!
उसके जाते ही नीचे से सोनी के कदमों की आवाज़ आई तो मैं तुरंत उठ कर सीढ़ियों की ओर गया और उसे आवाज़ लगाते हुए बोला- सोनी… मेरे रूम के वार्डरोब से रैकेट्स, शटल का बॉक्स और नैट ले कर आ जाओ… लॉक की चाबी वहीँ टेबल की ड्रावर में पड़ी है!
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