RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
तब मैं इसे ज्यादा समझ भी नहीं पाया था कि वास्तव में वो लोग क्या कर रहे थे पर यह मुझे अत्यधिक गन्दा और अजीब लगा था कि कोई व्यक्ति जो अपने सार्वजानिक जीवन में जिन अंगों को तुच्छ व गन्दा प्रदर्शित करता है वो गुप्त रूप से कैसे उन अंगों को इतने आनन्द से चूस, चाट सकता है।
परन्तु माता-पिता वैसे भी हर बच्चे के आदर्श (रोल मॉडल) हुआ करते हैं इसलिए उस समय उनकी हर क्रिया मुझे समान रूप से उत्तेजित कर रही थी।
मम्मी भी बायें हाथ से अपने स्तन को मसल रही थी व दूसरे हाथ को डैडी के सिर पर फिरा मादक सिसकारियों के साथ उनका उत्साहवर्धन कर रही थी।
कुछ देर चली इस क्रिया के बाद मम्मी शायद पूर्ण रूप से उत्तेजित हो गई थी इसलिए उन्होंने हाथ से डैडी को उठने का इशारा किया और बैड पर पीछे खिसक कर लेट गई।
डैडी भी इशारे को समझ कर उठे और बैड पर चढ़ कर लेट गये।
अब चूसने की बारी मम्मी की थी तो उन्होंने डैडी का लिंग अपने मुँह में ले लिया और हाथ से पकड़ कर मुँह में अन्दर-बाहर करने लगी।
लैम्प की रोशनी में उनके मुख पर ख़ुशी और उत्तेजना के भाव साफ दिख रहे थे और वो डैडी के लिंग के साथ ऐसे ख़ुशी से खेल रही थी जैसे कोई बच्चा अपने मनपसंद खिलौने के साथ खेलता है।
अब डैडी भी मादक आवाजें निकालने लगे थे जो थोड़ी तेज थी इसलिए मम्मी ने डैडी को चुप रहने को कहा तो डैडी ने निश्चिन्तता से कहा कि आवाज़ ऊपर तक नहीं जायेगी।
और दोनों अपनी क्रीड़ा में लग गये।
कुछ देर बाद डैडी ने मम्मी को हटाकर लिटा दिया और उनकी टांगों को चौड़ी करके उनके बीच घुटनों के बल बैठ कर अपने लिंग को उनकी योनि के छेद पर सेट किया और धीरे से घुसा दिया।
मम्मी ने डैडी का लिंग हल्के दर्द से कराहते हुए अपने अन्दर ले लिया और डैडी के सीने पे हाथ फिराने लगीं।
डैडी ने भी धीरे-धीरे अपने प्रहार तेज़ कर दिए और अपने लिंग को मम्मी की योनी में अन्दर-बाहर करने लगे।
मेरा लिंग भी उत्तेजना के मारे खड़ा हो गया था जिसे मैं हल्के-हल्के मसल कर हस्तमैथुन कर रहा था।
कुछ ही देर में डैडी थक कर चूर हो गये तो उन्होंने मम्मी को ऊपर आने को कहा तो मम्मी ने अब सैक्स की कमान संभाली और डैडी को लिटा कर उनके ऊपर सवार हो गई।
उन्होंने डैडी का लिंग अपनी योनि में लिया और अपने नितम्ब ऊपर-नीचे करते हुए रतिक्रिया को आगे बढ़ाने लगी।
उनके हाथ अब डैडी के सीने और कन्धों पर थे जो की शायद संतुलन बनाने के लिए रखे गये थे।
कुछ ही मिनटों में वो तेज़ मादक आवाजों के साथ निढाल हो कर डैडी के सीने पर गिर गई।
बाद में मुझे पता चला कि उनका स्खलन हो गया था।
डैडी शायद पहले ही स्खलित हो गये थे इसलिए दोनों थोड़ी देर में अलग हुए और एक-एक कर के टॉयलेट में गये अपने बदन साफ करके बैड पर अपने उतारे हुए कपड़े पहन कर लेट गये और कुछ बातें करने लगे।
मैं भी काफी देर पहले स्खलित हो चुका था इसलिए धीरे से उठा और चुपचाप अपने कमरे में जाकर लेट गया पर आँखों के आगे कुछ देर पहले हुआ वृतांत और मम्मी का अनावृत तन ही घूम रहा था।
मैं कई दिनों तक पूरी तरह से समझ भी नहीं पाया था कि वो सब क्या था पर अब मुझे सैक्स का काफी ज्ञान हो गया था, किताबी साहित्य के साथ प्रेक्टिकल भी देखने को मिल गया था।
मैं डैडी की अलमारी रोज चैक करता था कि कुछ नया साहित्य मिले तो आनन्द आये।
गर्मी की छुट्टियाँ हो गई थी सो और कोई काम भी नहीं था इसलिए यह मेरी दिनचर्या का हिस्सा बन गया था।
साथ ही लगभग रोज रात को नीचे जा कर गेस्ट रूम की खिड़की से मम्मी-डैडी की काम-लीला देखने का भी प्रयास करता था, हालांकि वे रोज सैक्स नहीं करते थे।
कुछ ही समय में मुझे पता चल गया था कि सप्ताह में उनके सैक्स करने के दो दिन लगभग तय थे… बुधवार और शनिवार।
यदि कोई काम हो, कहीं जाना हो, थकान के कारण दोनों में किसी एक का या फिर दोनों का मन नहीं हो या मम्मी पीरियड में हो तो उन दो दिनों को थोड़ा आगे-पीछे एडजस्ट कर उनकी काम-क्रीड़ा निरंतर चलती थी।
उनके बीच की कैमिस्ट्री (आपसी समझ) मुझे तब भी बहुत पसंद थी और आज भी मैं अपने वैवाहिक जीवन में उन दोनों को अपने आदर्श मान कर उसी कैमिस्ट्री पर चल कर अपना वैवाहिक जीवन सुखी बना रहा हूँ।
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