RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
मैं और अधीर हो उठा और धीरे से बिना आवाज किये गेस्ट-रूम का दरवाज़ा खोल कर उसमें दाखिल हुआ तो उसमें एक सुखद आश्चर्य मेरा इन्तजार कर रहा था।
जिस खिड़की में मैंने छेद किया आज मम्मी-डैडी ने वो खिड़की शायद गर्मी के कारण खुली रख छोड़ी थी।
मेरी तो लाटरी लग गई क्यूंकि मुझे आशंका थी कि उस छेद से मैं वो मूवी देख भी पाऊँगा या नहीं…
पर अब मैं केवल उसके परदे को थोड़ा सा खिसका कर ही मूवी देख सकता था तो बिना समय गंवाये मैंने धीरे से सही जगह पर बैठकर धीरे से पर्दा खिसका कर कमरे की स्थिति देखी।
बैडरूम में छोटा लैम्प जल रहा था, हल्का प्रकाश फैला था, जिससे सब कुछ साफ-साफ दिख रहा था।
डैडी बैड पर सिल्क की लुंगी और बनियान में थे और मम्मी बाथरूम में नहाने लेने या शायद कपड़े बदलने गई थी।
कुछ ही देर में मम्मी गुलाबी रंग की स्लीवलैस नाईटी पहन कर निकली और बैड पर डैडी के पास बैठ कर मूवी देखने लगी।
तभी डैडी ने मम्मी की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींच लिया तो मम्मी थोड़ा ना नुकुर करने लगी पर डैडी अपने होंठों से मम्मी की गर्दन को चूमने लगे थे और थोड़ी ही देर में मम्मी भी उनका साथ देने लगी।
कहने में ठीक तो नहीं लगता पर मुझे भी टीवी पर चल रही मूवी से ज्यादा उनकी लाइव रतिक्रीड़ा देखने में आनन्द मिल रहा था।
मम्मी-डैडी एक दूसरे को होंठों से होंठ मिला कर चूम रहे थे।
कुछ देर बाद मम्मी उठी और डैडी ने उनके मौन इशारे को समझते हुए उनकी नाईटी की डोरियों को कंधे के ऊपर से सरका कर नाईटी को नीचे गिरा दिया।
एक ही पल में मेरी मम्मी मेरे सामने पूर्ण रूप से अनावृत खड़ी थी। अपने जीवन में पहली बार किसी महिला को इस रूप में देखा था और वो भी अपनी ही मम्मी को।
सच कहूँ तो एक तरफ मन में थोड़ा अपराधबोध जरूर था कि मैं यह क्या कर रहा हूँ पर दूसरी ओर मन में जिज्ञासा, हवस व उत्तेजना का भाव था जो कि अपराधबोध पर पूरी तरह से भारी था।
मम्मी मादकता से परिपूर्ण गौरवर्ण तन की स्वामिनी थी, ऊपरी भाग में तने हुए उनके अत्यंत मादक उरोज़ देख कर किसी का भी ईमान डोल सकता था।
उरोजों के ऊपर गुलाबी रंग के दो सुन्दर चुचूक थे जिन्हें डैडी थोड़ी-थोड़ी देर में हाथों में लेकर मम्मी को उत्तेजित कर रहे थे।
कमर के निचले भाग में जांघों के बीच में योनि साफ नहीं दिख रही थी पर पर उसके ऊपरी उभार पर हल्के रोंये उगे हुए थे।
रिश्तों की ज्यादा समझ भी नहीं थी इसलिए बार-बार अपने मन को यह समझा रहा था कि डैडी अगर मम्मी के साथ ये सब… खुद कर सकते हैं तो क्या मैं देख भी नहीं सकता और फिर आज कुछ नया देखने को मिल रहा था।
यही सोच कर मैं उन दोनों की रतिक्रीड़ा में दर्शक के रूप में शामिल हो गया।
तभी डैडी ने रिमोट से वीडियो प्लेयर और टीवी को भी आफ़ कर दिया, वैसे भी अब हम तीनों में किसी को उसमें दिलचस्पी नहीं थी।
मम्मी ने भी डैडी के बनियान को पकड़ कर ऊपर किया जिसमे डैडी ने सहयोग करते हुए हाथ ऊपर उठा कर बनियान को उतार फेंका और बैड पर बैठे-बैठे ही अपनी दोनों टांगों के बीच खड़ी मम्मी के गोरे-गोरे उरोजों के ऊपर गुलाबी चुचूकों को हौले-हौले चूसने लगे।
मम्मी के मुख से मादक सिसकारियाँ निकलने लगीं थी, वो भी उत्तेजक आवाजों के साथ डैडी का उत्साहवर्धन कर रही थी।
कुछ देर उरोज़ चूसने के बाद डैडी ने मम्मी को अपने पास बैड पर लिटा दिया और उठ कर अपनी लुंगी उतार फेंकी।
तब पहली बार मैंने उनका तना हुआ लिंग देखा।
हालांकि उसमें मेरी दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि उस जैसा एक छोटा टूल तो मेरे पास भी था।
मम्मी की टाँगें बैड के नीचे की ओर लटकी थी उसके बाद डैडी घुटनों के बल बैठे और अपने मुँह को मम्मी की जांघों के बीच घुसा कर उनकी योनि को जीभ से चाटने, चूसने लगे।
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