Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
09-17-2018, 01:18 PM,
#49
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
राज ने अपने बाबूराव को तेज़ी से मेरी चुनमुनियाँ के अंदर बाहर करते हुए कहा…उसकी बातें सुन कर मैं शरम से मरी जा रही थी…..पर वो मुझे चोदते हुए लगतार ऐसी-2 बातें बोल रहा था…जिसे सुन कर मैं शर्मिंदा होने के साथ-2 गरम भी होती जा रही थी….”डॉली तेरी फुदी आहह कितनी टाइट है….देख मेरे लंड को कैसे दबा रही है….साली तेरी फुद्दि अहह…..मज़ा आ रहा है ना मेरा लंड लेकर…..”

उसने मेरे होंटो के ऊपेर होन्ट रख दिए….और पूरी रफ़्तार से अपने बाबूराव को अंदर बाहर करने लगा….हर पल मैं और मदहोश होती जा रही थी….मेरी चुनमुनियाँ मे संकुचन और बढ़ चुका था….मैं झड़ने के बेहद करीब पहुँच चुकी थी…उसके हर झटके के साथ मेरा पूरा बदन हिले जा रहा था…..उसने मेरी टाँगो को और ऊपेर उठाते हुए, अपने कंधो पर रख लिया, और पूरे ज़ोर शॉरो से अपने बाबूराव को सुपाडे तक बाहर निकाल-2 कर मेरी फुददी मे ठोकने लगा….उसकी जांघे मेरे मोटे चुतड़ों पर टकरा कर थप-2 की आवाज़ करने लगी….जिसे सुनते ही मेरी चुनमुनियाँ ने धुनकते हुए पानी छोड़ना शुरू कर दिया….

झाड़ते हुए मैं इतनी मस्त हो गयी थी, कि मुझे पता ही नही चला कि, कब मेरे होन्ट खुल गये, और कब मेने उसे अपने होंटो को चूसने देना शुरू कर दिया…उसने मेरे होंटो को चूस्ते हुए इतने ज़ोर-2 से घस्से मारे कि, मेरी फुद्दि झाड़ते हुए और ज़यादा पानी बहाने लगी….और फिर कुछ और झटको के बाद वो भी मेरी चुनमुनियाँ मे ही झड़ने लगा….

झड़ने के बाद वो मेरे ऊपेर ढेर हो गया….वासना का नशा जब दिमाग़ से उतरा, तो डर ने घेर लिया…मैं उसके नीचे अपनी टाँगे उठाए हुए लेटी हुई थी…अगर कही आरके उठ कर देख लेते तो मेरा क्या होता….पर मुझे उस वक़्त कहाँ पता था कि, जो सब हुआ था. वो पहले से ही प्लान्ड था…भाभी का भी इसमे हाथ था….ये बात तो मुझे बहुत देर बाद पता चला थी….खाने से पहले भाभी ने चाइ मे वही स्लीपिंग पिल्स डाल कर आरके को पिला दी थी……जो उन्होने अपनी राज की पहली चुदाई के वक़्त भैया को दी थी…..

थोड़ी देर बाद राज मेरे ऊपेर से उठा….और अपने बाबूराव को मेरी चुनमुनियाँ से बाहर निकाला और फिर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए अपने कपड़े उठा कर किचिन से बाहर निकल गया…..मैं बदहवास सी उठी…अपनी नाइटी ठीक की और जब रूम मे पहुँची तो देखा कि, आरके अभी सो रहे थे…मैने अपने आप को बहुत कोसा बुरा भला कहा… दिल मे आया कि राज को जान से ही मार दूं….पर अब मैं उसके ऊपेर कोई इल्ज़ाम भी नही लगा सकती थी….

क्योंकि घर मे सब माजूद थे, अगर मेरे साथ जबर्दाश्ती हुई थी, क्यों मेने किसी को मदद के लिए नही पुकारा….सब लोग तो यही कहेंगे ना कि मैं ही सही नही हूँ… इसलिए मैने वो बात अपने दिल के अंदर ही दबा ली थी….अगली सुबह जब उठी तो, देखा आरके पहले से ही तैयार थे….उसके बाद वो निकल गये…मैने नाश्ता किया और भाभी के साथ स्कूल आ गयी…..राज कई बार मुझे देख कर मुस्कुरआया…पर उसकी वो कमीनी मुस्कान देख कर मैं जल कर रह जाती….दो दिन गुजर गये….पर राज ने फिर कभी कोई हरक़त नही की थी….

पर जब भी हमारी नज़रें टकराती तो अपने होंटो पर कमीनी मुस्कान लाकर देखता तो मैं अपना फेस घुमा लेती…पर इन दो दिनो मे पता नही कितनी बार मैं उस रात हुई अपनी जबरदस्त चुदाई के बारे मे सोच चुकी थी..और कई बार जब उसके बारे मे सोचते हुए, मैं गरम हो जाती तो, मैं अपने आप को ही कोसने लगती…कि आख़िर ये मुझे क्या हो रहा है…मैं क्या कर रही हूँ…? मैं स्कूल के बाद अपने आप को बिज़ी रखने की कॉसिश करने लगती….

उस घटना को हुए पूरा एक हफ़्ता गुजर गया था….इस बार आरके सनडे वाले दिन ही सुबह आए थे….उस रात भी वही फीका सा सेक्स हुआ, और मैं तड़प कर रह गयी…मेरे अंदर की आग दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी…..मेने अपने आप को स्कूल के वर्क मे इतना बिज़ी कर लिया था कि, अब वो घटना मेरे दिमाग़ मे नही आती थी…और ना ही राज ने दोबारा मेरे पास फटकने की कॉसिश की थी….ऐसा नही था कि, उसे कभी कोई ऐसा मौका ना मिला हो कि, वो मेरे पास आकर कुछ कर सके…पर वो नही आया….

ट्यूसडे का दिन था….शाम के 6 बज रहे थी कि, भाभी मेरे रूम मे आई, और आकर चुप चाप बेड पर बैठ गयी…उन्हे इस तरह आकर चुप चाप बैठे देख कर मुझसे रहा नही गया…”क्या हुआ भाभी आप कुछ परेशान दिखाई दे रही हो….?” भाभी ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर कुछ बोलने के लिए मूह खोला पर फिर कुछ सोच कर चुप हो गयी…..फिर थोड़ी देर बाद बोली…..”कुछ नही डॉली…..”

मैं: भाभी बात क्या है….बाताओ ना….ऐसे परेशान क्यों हो रही हो…?

भाभी: डॉली वो बात डॉली ये है कि, वो….

मैं: हां भाभी बताओ ना क्या बात है……

भाभी: डॉली तुम बुरा तो नही मनोगी….?

मैं: उफ्फ हो भाभी बताओ भी तो सही….

भाभी: वो डॉली आज मेरा बड़ा मन कर रहा है….

मैं: मन कर रहा है किस लिए भाभी मैं समझी नही सॉफ-2 कहो ना क्या बात है…

भाभी: वो सेक्स करने का…..

मैं: (भाभी के बात सुन कर एक दम चोंक गयी….) क्या सेक्स करने का….?

भाभी: हां डॉली वो तुम्हे तो पता ही है कि मैं और राज…(भाभी फिर से बोलते-2 चुप हो गयी….और मुझे भाभी की बात सुन कर बहुत गुस्सा आया….)

मैं: आप कहना क्या चाहती है भाभी…..?

भाभी: वो डॉली क्या तुम थोड़ी देर के लिए नीचे जा सकती हो….(भाभी ने कहते हुए अपने सर को झुका लिया…..)

मैं: भाभी आप होश मे तो है….ये आप मुझसे किस तरह की बात कर रही है….

भाभी: (मेरे हाथ को अपने दोनो हाथो मे लेते हुए) प्लीज़ डॉली थोड़ी देर के लिए. तू तो जानती है नीचे तेरे भैया है…प्लीज़ थोड़ी देर के लिए, तू उनके पास जाकर बैठ ना.

मैं: नही भाभी प्लीज़ मुझे आपने इस पाप मे भागीदार ना बनाओ….

भाभी: (गुस्से मे आकर खड़ी होते हुए) ठीक है डॉली…..मैं समझ गयी, तुझसे मेरी ख़ुसी देखी नही जाती ना…..मत कर तू मेरी हेल्प…

मैं: भाभी आप जिस चीज़ के लिए मुझसे उम्मीद लगाए हुए है….उसके लिए मैं आपकी कोई हेल्प नही कर सकती….

भाभी: समझ गयी डॉली….पर ये सोच ले, आगे चल कर तेरी भाभी ही तेरे काम आएगी….आज तूने मेरी मदद करने से मना किया है ना…..

भाभी आँखे चढ़ाती हुई नीचे चली गयी…..मुझे इतना गुस्सा आ रहा था… कि पूछो मत…आख़िर ये मेरे घर मे हो क्या रहा है…..और भाभी ने मुझे और मेरे कमरे को समझ क्या रखा है….रंडी खाना….चाइयीयियी…उन्होने मुझसे ऐसे बात करने से पहले एक बार भी नही सोचा….मैने उन्हे मना तो कर दिया था..पर मुझे नही पता था कि, मेरे मना करने का क्या नतीजा होगा…..

उसी रात जब मैं बेड पर लेटे हुए सोने की कॉसिश कर रही थी….तो मुझे किचिन से कुछ आवाज़ आई….मैं अपने डोर के पास गयी…और डोर कर खोला तो देखा, भाभी किचिन के अंदर ज़मीन पर बिस्तर लगा रही थी….और राज बाहर डोर पर खड़ा था. जैसे ही उसने मुझे देखा तो वो मुस्कुराने लगा…”ये ये सब क्या है भाभी….?” मेने अपने डोर पर खड़े हुए भाभी से पूछा….

भाभी: तुम अपने काम से मतलब रखो डॉली…..

भाभी ने बिस्तर पर लेटते हुए राज को इशारे से अंदर के लिए कहा…राज ने मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कुराता हुआ किचिन के अंदर गया….और अगले ही पल धडाम की आवाज़ से डोर बंद हो गया…..मैं गुस्से मे उबली हुई अंदर आ गयी….डोर लॉक किया और बेड पर लेट गयी….अभी थोड़ी देर ही लेटी थी, कि किचिन से चुदाई के थपेड़ो की आवाज़ रूम मे आने लगी….”अह्ह्ह्ह ओह राज येस्स्स फक मी डियर ओह्ह्ह्ह आहह और जोर्र से घस्से मार अह्ह्ह्ह हाए मेरी फुदी….थप थप आह ओह्ह्ह…..” रात के करीब 12 बजे तक किचिन से चुदाई की आवाज़े आती रही ……

मेने अपने ध्यान को वहाँ से हटाने की बहुत कॉसिश की, कभी अपने कानो को अपने हाथो से ढक लेती….पर दिल मे जिग्यासा उठती कि, अब क्या हो रहा है किचिन मे..भाभी किस तरह राज को अपनी फुद्दि दे रही होगी…ये सोच-2 कर मेरी कच्छी भी गीली हो गयी….फिर तो जैसे ये रोज की बात हो गयी….रोज रात रात के 12-1 बजे तक, उस किचिन से चुदाई की आवाज़े आती रहती…मैं अंदर ही अंदर सुलग रही थी…एक वीक और गुजर गया….अब तो राज ने मेरी तरफ देखना भी बंद कर दिया था….

वो अब जैसे मुझे इग्नोर करने लगा था….और मेरे और भाभी के बीच तनाव बढ़ता जा रहा था…..मैं सेक्षुयली फ़्रस्टेड हो चुकी थी….राज का इस तरह से मुझे इग्नोर करना खलने लगा था….वो जब भी मेरे सामने या मेरे पास से गुज़रता तो वो मेरी तरफ देखता भी नही….मुझे ये सब बहुत अजीब सा लगता….पर फिर मैं अपने आप को ही कोसने लगती, कि मैं क्या कर रही हूँ….

सनडे का दिन था…..आरके घर पर आए हुए थे….उस दिन भैया को चेकप के लिए हॉस्पिटल मे लेकर जाना था….आरके बाहर से कार ले आए थे….और फिर भैया और भाभी हॉस्पिटल मे चले गये…उनको दोपहर तक घर वापिस आना था…मैं किचिन मे दोपहर का खाना तैयार कर रही थी….और आरके ऊपेर रूम मे थी…तभी मुझे अहसास हुआ, कि कोई मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया है….जब मैने पलट कर देखा तो पीछे राज खड़ा था….उसकी आँखो मे भरी हुई वासना सॉफ दिखाई दे रही थी…..मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा. घर मे और कोई नही था….ये सोच कर मेरे हाथ पैर अजीब से डर के कारण काँपने लगी…

वो मेरी तरफ बढ़ा….”राज तुम त तुम यहाँ क्या क्या कर रहे हो…? “ पर उसने मेरी बात का कोई जवाब नही दिया…और मुझे अपनी बाहों मे भरने की कॉसिश करने लगा… मेने उसके कंधो पर हाथ रखा और उसे अपने से दूर धकेलने की कॉसिश करनी लगी. न नही राज प्लीज़ हट जाओ…..ना नही उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह….” और फिर अगले ही पल उसके होंटो ने मेरे होंटो को दबोच कर मेरी आवाज़ को मेरे मूह मे ही बंद कर दिया…उसने मेरे होंटो को चूस्ते हुए मुझे दीवार के साथ सटा दिया…और मेरी सलवार का नाडा पकड़ कर खेंचते हुए उसे खोल दिया….

जैसे ही मेरे सलवार का नाडा खुला, तो सलवार के जबरन कमर पर ढीली हो गयी…मेने सलवार को अपने हाथो से पकड़ लिया…पर जब तक मेरी समझ मे कुछ आता राज का हाथ मेरी सलवार के अंदर घुस चुका था….उसने मेरी पेंटी के अंदर हाथ डालते हुए, मेरी चुनमुनियाँ की फांको पर अपना हाथ रख दिया…और मेरे होंटो को चूस्ते हुए, मेरी चुनमुनियाँ को मसलने लगा….मेरा पूरा बदन झंझणा गया….टाँगे काँपने लगी….कमर झटके खाने लगी..
Reply


Messages In This Thread
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ - by sexstories - 09-17-2018, 01:18 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,556,397 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,686 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,256,427 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 949,791 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,685,738 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,107,840 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,997,393 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,210,055 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,087,857 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,295 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)