Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
09-17-2018, 01:18 PM,
#48
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
किचिन मे 0 वॉट का बल्ब जल रहा था…नीचे फर्श पर बिस्तर बिछा हुआ था…उसने अंदर आते ही मुझे नीचे बिस्तर पर पटक दिया….इससे पहले कि मैं कुछ कर पाती. वो मेरे ऊपेर आ गया,….और मेरी नाइटी के स्ट्रॅप्स पकड़ कर खेंचते हुए, मेरे कंधो से सरकाने लगा…मैं हड़बड़ा गयी….मैने उसके हाथो को पकड़ कर रोकने की बहुत कॉसिश की…..पर मैं कामयाब नही हो पे….उसने मेरी नाइटी के स्ट्रॅप्स को कंधो से सरकाते हुए मेरे बाजुओं से बाहर निकाल दिए….

अगले ही पल मेने अपनी नाइटी को अपने मम्मो के ऊपेर से कस्के पकड़ लिया….मेने नीचे ब्रा नही पहनी हुई थी….और पेंटी भी तो आरके के साथ सेक्स करने से पहली उतार दी थी…”देखो राज प्लीज़ मुझे जाने दो….देखो मेने कभी अब तुम्हारे और भाभी के बीच मे आने की कॉसिश भी नही की….प्लीज़ मुझे जाने दो….”

राज: चली जाना मेरे जान….पहले ये तो देख ले कि चुदाई किसे कहते है…

ये कहते हुए, राज ने मेरे कंधो को पकड़ कर नीचे दबाते हुए मुझे लेटा दिया…और फिर मेरे दोनो हाथों को मेरे मम्मो से पकड़ कर हटाते हुए, नीचे बिस्तर पर सटा दिया..,..नाइटी के अंदर मेरे मम्मे बाहर की तरफ उभर आए….नाइटी के अंदर से ही मेरी चुचियों के निपल भी सॉफ नज़र आ रहे थे…मुझे राज की आँखो मे वासना की बढ़ती हुई भूख सॉफ नज़र आ रही थी….और अगले ही पल उसने झुक कर मेरी पतली सी नाइटी के ऊपेर से मेरी राइट चुचि को मूह मे भर लिया….”आह ओह्ह्ह राज नही प्लीज़ ओह्ह्ह अहह नही रूको…..अह्ह्ह्ह शी….” वो पागलो की तरह मेरे निपल को नाइटी के ऊपेर से चूसे जा रहा था….


मुझे अपने निपल्स मे तनाव बढ़ता हुआ सॉफ महसूस हो रहा था….मेरे दोनो हाथ उसके हाथों मे बँधे हुए थे….और मैं अपने दोनो हाथों को और अपने आप को उससे छुड़वाने की पूरी कॉसिश कर रही थी….मुझे लग रहा था कि, आज मैं अपने ही घर मे लुट जाउन्गी….और मैं चाह कर भी किसी को मदद के लिए नही पुकार सकती थी….खुद के बदनाम होने के डर के कारण….मैं अपनी आवाज़ को दबाए हुए थी….वो पागलो की तरह मेरी हर बात हर दलील को अनसुना करते हुए, मेरी चुचि के निपल को चूसे जा रहा था….और मैं उसके नीचे लेटे हुए मचल रही थी….

जब अपनी पूरी ताक़त लगा देने के बाद भी मैं उसकी गिरफत से निकल ना पे, तो मैने कॉसिश करनी भी छोड़ दी….मैं जान चुकी थी कि, अब मैं उसकी गिरफ़्त से नही निकल पाउन्गी…और अब मुझमे और विरोध करने की ताक़त नही बची थी….ऊपेर से जिस तरह से राज मेरे निपल को चूस रहा था….मेरा विरोध अपने आप ही कम होता जा रहा था… और इसी बात का फ़ायदा उठाते हुए, उसके पलक झपकते ही मेरे हाथो को छोड़ कर मेरी नाइटी को मम्मो से पकड़ कर नीचे सरका दिया…..

मेरे मम्मे उछल कर बाहर आ गये….जिसके निपल्स एक दम तन चुके थे….और उन्हे देख कर तो जैसे राज की आँखो के चमक कई गुना और ज़्यादा बढ़ गयी हो….शरम के मारे मैने अपनी चुचियों को फिर से अपने हाथों से छुपाने की कॉसिश की, पर अगले ही पल उसने मेरे हाथो को पकड़ कर फिर से नीचे बिस्तर पर सटा दिया….और पलक झपकते ही झुक कर मेरी राइट चुचि को मूह मे भरते हुए चूसना शुरू कर दिया…. जैसे ही मुझे अपनी नंगे निपल पर उसकी गरम जीभ और होंटो को अहसास हुआ, मैं एक दम से मचल उठी…मुझे लगा कि अब मैं और सहन नही कर पाउन्गी….

और ना ही मैं अब अपने आप को इस पाप से बचा पाउन्गी…उसने मेरी चुचि को मूह मे भर कर ऊपेर की तरफ खेंचा, और फिर उसे ज़ोर से चूसना कर दिया…मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मुझे करेंट की नंगी तारों से बाँध दिया हो….और मेरे जिस्म से कई सो वॉट करेंट को गुज़ार दिया गया हो….मेरा पूरा बदन बुरी तरह से हिल गया था…ना चाहते हुए भी मैं सिसक उठी….और मदहोशी के अलाम मे मेरी आँखे बंद होती चली गयी…अब उसका एक हाथ मेरी दूसरी चुचि को मसलने लगा था…वो पूरे ज़ोर से मेरी चुचि को दबा रहा था….काश कभी आरके ने भी मेरी चुचियों को इस तरह रगड़ा होता मसला होता….जब मर्द किसी औरत को इस तरह बेदर्दी से रगड़ता है, तो औरत को इसमे कैसे मज़ा आता है….ये सब मुझे आज पता चला रहा था…..

शायद मैं इसी तरह अपने बदन के हर अंग को मसलवाना चाहती थी आरके से…पर अब वही काम राज कर रहा था…और जिसके लिए मेरा दिमाग़ चीख-2 कर मुझे रुकने के लिए कह रहा था…एक बार तो सोचा कि शायद राज थोड़ी देर बाद मुझे खुद ही छोड़ देगा…उस दिन की तरह जब मैं ललिता का पीछा करते हुए उस खंडहर मे पहुँची गयी थी….उस दिन भी राज ने मेरे जिस्म के साथ खेल कर मुझे छोड़ दिया था… शायद इसलिए मैं उसका विरोध नही कर पा रही थी…..

मेरी तरफ से कोई विरोध ना पाकर उसने अपने पैरो से मेरे पैरो को फेलाते हुए, अपनी कमर से नीचे वाले हिस्से को मेरी जाँघो के बीच मे ले आया…और उसका ये करना मुझ पर कहर ढा गया….जब उसका तना हुआ बाबूराव सीधा मेरी नंगी चुनमुनियाँ की फांको के ऊपेर आ लगा….जब राज का विरोध करते हुए मैं हिल रही थी….शायद तभी मेरी नाइटी मेरी कमर के ऊपेर तक खिसक गयी थी….और पेंटी तो मेने आरके के साथ सेक्स करने से पहले ही उतार दी थी….

उसके बाबूराव का मोटा सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ की फांको पर सटा हुआ था…मेरे पूरे बदन मे अजीब सी तेज सरसराहट दौड़ गयी थी…”राज नही ना ना पीछे हटो. प्लीज़ ये नही राज ये ये ठीक नही है….अहईए……हुन्न हुन्न….”राज के बाबूराव का सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ की फांको को फेलाता हुआ, मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर आ लगा था..और अगले ही पल उसके बाबूराव ने मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर जैसे ही दबाव बनाया तो मेरी चुनमुनियाँ का छेद खुलता चला गया…..

और उसके बाबूराव मोटा सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ के छेद को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा….मेरा पूरा बदन कांप कर रह गया….एक तरफ मुझे रोना आ रहा था…और दूसरी तरफ मेरी चुनमुनियाँ मे कुलबुलाहट बढ़ती जा रही थी….यहाँ एक तरफ मेरा दिमाग़ चीख कर ये सब रोकने के लिए कह रहा था…..वही मेरे चुनमुनियाँ अपनी ही धुनकि बजा कर उसके बाबूराव को अपने गहराइयों मे समा लेना चाहती थी…..पर ये फैंसला करना मेरे हाथ मे नही था. और अगले ही पल उसने अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपेर उठाया, और फिर एक ज़ोर दार धक्का मारा. उसके बाबूराव का सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ की दीवारो से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर और अंदर घुसता चला गया….

अपनी चुनमुनियाँ की दीवारो पर इतने मोटे सुपाडे की रगड़ को महसूस करके मैं एक दम सिसक उठी…और अगले ही पल जैसे ही उसके बाबूराव का सुपाडा मेरी बच्चेदानी से टकराया तो लगा कि, मैं आज पूरी तरह औरत बन गयी हूँ…..मेरी आँखे मदहोशी मे बंद होती चली गयी…मेरी चुनमुनियाँ की दीवारे उसके बाबूराव के चारो तरफ एक दम कसी हुई थी…ऐसा लग रहा था. जैसे चुनमुनियाँ को उसका साथी मिल गया हो…और वो उसे अपनी बाहों मे कसे हुए है…

उसने मेरे फेस को पकड़ कर सीधा किया…..और अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरे गालो पर बह रहे आँसुओं को चाटने लगा….उसकी जीभ को अपने गालो पर महसूस करते ही मैं एक बार फिर से सिहर उठी…पर मेने अपनी आँखे नही खोली…वो मेरे गालो और होंटो को पागलो की तरह चूस रहा था….वो पूरी कॉसिश कर रहा था कि, मैं अपने होंटो को उसके लिए खोल दूं…पर मैने अपने होंटो को अपने दाँतों मे दबा लिया था…..

थोड़ी देर कॉसिश करने के बाद जब वो कामयाब ना हुआ तो, उसने फिर से मेरे लेफ्ट निपल को मूह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया…मस्ती की तेज लहर मेरे बदन दौड़ गयी….मेने बड़ी मुस्किल से अपने आप को सिसकने से रोका….मैं नही चाहती थी कि, उसको पता चले कि, मैं भी गरम हो चुकी हूँ….उसने मेरे निपल को चूस्ते हुए धीरे-2 अपने बाबूराव को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….उसके बाबूराव का सुपाडा अंदर बाहर होता हुआ मेरी चुनमुनियाँ की दीवारो से रगड़ खा कर मुझे इतना मदहोश किए जा रहा था, कि उसे शब्दों मे बयान नही कर सकती….मज़े की लहरे मेरे रोम-2 मे दौड़ने लगी थी…इतना सुख और आनंद मिल रहा था कि, कब मेने सिसकना शुरू कर दिया मुझे पता ही नही चला….

जिसे देख उसने मेरी टाँगो को घुटनो से मोड़ कर और ऊपेर उठा दिया….और अपने बाबूराव को थोड़ा और तेज़ी से मेरी चुनमुनियाँ मे अंदर बाहर करने लगा…हर बार जब उसके बाबूराव का सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ की दीवारो से रगड़ ख़ाता तो, चुनमुनियाँ कामरस बहा देती…..”आह डॉली मेरी जान…आज आख़िर मेने तेरी फुद्दि भी मार ही ली….देखना साली अब तू रोज मेरे बाबूराव के लिए गिडगिडायेगी…..”
Reply


Messages In This Thread
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ - by sexstories - 09-17-2018, 01:18 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,556,301 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,668 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,256,372 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 949,760 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,685,692 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,107,801 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,997,316 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,209,674 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,087,776 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,282 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)