RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
भाभी: त तू डॉली तुम तो मिस्टर वेर्मा के यहाँ…..?
मैं: हाँ गयी थी….सिर्फ़ तुम्हे दिखाने के लिए भाभी….मुझे नही पता था कि, भाभी मेरी पीठ पीछे क्या गुल खिला रही है……
भाभी: ये ये तू क्या बोल रही है डॉली….गेट तो लॉक था…तू अंदर कैसे आई….?
मैं: वो सब छोड़ो…और अब ये नाटक बंद करो….मुझे सब पता चल गया है…और खुद मैने अपनी आँखो से देख भी लिया है….कि तुम हमारी पीठ पीछे उस आवारा राज के सामने क्या गुल खिला रही हो….
भाभी: देखो डॉली अभी तुम शांत हो जाओ…मैं तुम्हे सब बता दूँगी….पर अभी शांत हो जाओ…..मैं मैं मैंन बताउन्गी ना तुम्हे सब….
मैं: अब बताने को बचा ही क्या है….जो मेने आँखो से देखा है…वो झूठ तो नही हो सकता ना…और आप आपने एक बार नही सोचा, कि अगर मुझे या भैया को पता चलेगा तो हम पर क्या बीतेगी…..आप भैया के साथ उनके पीठ पीछे उन्हे धोखा दे रही है…..
भाभी: ओके डॉली तो सुनो आज तुम्हे अपने भैया पर तरस आने लगा है….उस दिन तुम कहाँ थी….जब तुम्हारे भैया….मुझे छोड़ कर खुद नशे की हालत मे दर ब दर भटकते रहते थे….जब से उस आदमी से शादी हुई है…कभी एक दिन ऐसा नही देखा. जिसमे उसने मुझे कोई खुशी दी हो…अगर मेने अपनी लाइफ के कुछ पल एंजाय कर भी लिए तो तुम्हारा क्या जाता है….
मैं: अच्छा ये बात है….आप भैया को धोखा देकर अपनी लाइफ एंजाय करना चाहती हो….
भाभी: देखो डॉली अब तुम्हारे समझ मे मेरी बात नही आएगी….तुम्हारी शादी जो हो गयी है…तुम्हे क्या पता कि आदमी के बिना औरत की क्या जिंदगी होती है….तुम्हारी लाइफ तो सेट हो गयी है ना…डॉली फरक सिर्फ़ इतना है कि, तुम्हे और आरके को चुदाई करने का लाइसेन्स मिला हुआ है….और हम जो कर रहे थे….वो जायज़ नही है…पर कब तक मैं अपने अंदर ही अंदर यूँ घुट-2 कर जीती रहूं….
मैं भी तो तेरी तरह औरत हूँ…क्या मेरा दिल नही करता…तुझे ये सब बताना है नी अपने भाई को, तो जाकर बता दे….पर मेरे एक बात सुन ली डॉली….मैं घर छोड़ दूँगी. पर अगर तुम सोच रही हो कि, मैं अपनी लाइफ एंजाय करना छोड़ कर पल-2 मरती रहूं तो वो मुझसे नही होगा…पिछले 7 साल और किया भी क्या है मेने…जाओ तुम्हे जो करना है कर लो…..
भाभी बाथरूम मे चली गयी…मैं थोड़ी देर वही बैठी रही और फिर उठ कर ऊपेर अपने रूम मे आ गयी….भाभी की बातों ने मुझे झिझोड़ कर रख दिया था…किसी हद तक भाभी सही भी थी….पर मैं उससे राज के साथ बर्दाश्त नही कर सकती थी…
जब मैं ऊपेर आई और कुछ देर लेटने के बाद मेरा गुस्सा थोड़ा कम हुआ तो, मुझे बेडशीट पर लगे भाभी की चुनमुनियाँ से निकले काम रस और राज के बाबूराव से निकले वीर्य के निशान दिखाई दिए…..उनकी सुंगध जैसे ही मेरे नथुनो मे घुसी मुझे अजीब सा नशा सा चढ़ने लगा था….मेरी आँखो के सामने एक बार फिर से वही मंज़र आ गया. जब राज का बाबूराव भाभी की चुनमुनियाँ मे पूरा घुसता तो राज की जांघे भाभी के गान्ड से टकराती तो उनके दोनो मोटे -2 भरे हुए चूतड़ कांप जाते….
मेरी जांघे आपस मे भिचती चली जा रही थी….मुझे आज फिर से अपनी चुनमुनियाँ मे वो तेज सरसराहट महसूस होने लगी थी….मेरा दिल बेचन हो उठा था….मैं मन ही मन सोच रही थी कि, इस राज से मेरा पीछा कब छूटेगा…जब से ये मेरी लाइफ मे आया है…मेरा चैन सुख सब कुछ छिन सा गया है…सोचते-2 कब शाम हो गयी पता नही चला….आज ना तो भाभी मुझे ऊपेर चाइ को बुलाने आई थी….और ना ही मैं नीचे गयी थी…..
अगले दिन जब मैं स्कूल पहुँची तो मेने भाभी को कहा कि, वो मुझे अपने फ्री पीरियड मे आकर मेरे कॅबिन मे मिलें….जब वो अपने फ्री पीरियड मे आई तो मेने उन्हे बहुत समझाया बहुत मिन्नते की…पर वो ना मानी…मेने उन्हे कहा कि, अब मैं राज को और घर मे नही रख सकती…पर इस पर उल्टा ही मुझ पर बरस पड़ी….उस दिन हम दोनो के बीच बहुत बहस हुई…उस दिन स्कूल के बाद मुझे एक्सट्रा क्लास के लिए रुकना ज़रूरी था. भाभी और राज घर चले गये थे….
पर मेरा ध्यान उन दोनो मे ही अटका हुआ था…..भाभी ने राज को हमारे बीच हुई सारी बात बता दी थी….मुझे रह रह कर ये ख़याल आ रहा था कि, अब वो घर मे क्या कर रहे होंगे…..खैर जैसे तैसे टाइम गुज़रा…और स्कूल के बाद जब मैं घर पहुँची तो भैया ने रूम का डोर खोला और कहा कि यही से अंदर आ जाओ.…क्योंकि उनके रूम का जो डोर बाहर की तरफ खुलता था….वो उनके बेड के पास ही था….इसलिए उन्हे उठना नही पड़ता था….जब मेने भाभी का पूछा तो उन्होने कहा कि पीछे रूम मे है, राज को पढ़ा रही है….मेने भैया की तरफ देखा और मन ही मन सोचा कि वो रांड़ आपकी पत्नी उसे पढ़ा नही रही है, खुद उससे चुदाई के सबक सीख रही होगी….
मैं भैया के रूम से निकल कर भाभी के रूम तरफ जाने लगी….जैसे ही मैं रूम मे पहुँची तो सामने का नज़ारा देख एक बार तो मेरे होश ही उड़ गये…राज सोफे पर पीछे की तरफ पीठ टिका कर बैठा हुआ था…और भाभी उसकी जाँघो के दोनो तरफ घुटने सोफे पर टिकाए हुए उसके ऊपेर बैठी थी…राज की जांघे और भाभी के चूतड़ उसकी मॅक्सी से ढके हुए थी……”ये ये क्या हो रहा है…छी शरम आनी चाहिए तुम लोगो को….”
राज: (हंसते हुए) तुम्हे नही पता क्या हो रहा है…देखन चाहती हो….? (उसने भाभी के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा…दोनो ने एक दूसरे को देखा तो भाभी ने अपना सर को झुका लिया…शायद वो राज के मजबूर करने पर ये सब कर रही थी,…)
तभी राज ने भाभी की मॅक्सी को पकड़ कर उनकी गान्ड से ऊपेर उठा दिया…ये देख कर कि भाभी नीचे से बिल्कुल नंगी राज की गोद मे बैठी हुई है…मेरी आँखे खुली की खुली रह गयी….उसके बड़े-2 चूतड़ राज की जाँघो पर दबे हुए थे…फिर राज ने दोनो हाथो से भाभी के चुतड़ों को पकड़ कर फेलाते हुए थोड़ा सा ऊपेर उठा दिया… तभी मुझे भाभी की चुनमुनियाँ मे फँसा हुआ राज का मोटा बाबूराव जैसे ही नज़र आया.. तो मेरा पूरा बदन एक दम से कांप गया….
मैं दूसरी तरफ पलट गयी…..”शरम आनी चाहिए तुम लोगो को…..तुम लोगो ने तो सभी हदें पार कर दी है….” मैं वहाँ से बाहर आई और सीधा ऊपेर चली गयी…..पर उस रात तो हद ही हो गयी…जब राज और भाभी ने ऊपेर आकर मेरे रूम के आगे बने हुए किचिन को चुदाई खाने में बदल दिया…सारी रात मुझे भाभी की बुरी तरह चुदने की आवाज़ आती रही…….
मुझे अपने ही घर मे ये सब कुछ देखते हुए चुप रहना पड़ रहा था…मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, मैं आख़िर करूँ तो क्या करूँ…..एक दिल कहता कि भाभी जो कह रही थी वो ठीक है….पर यहाँ राज की बात आती मेरा खून खोल उठता…मैं ये भी जानती थी कि, राज हमेशा तो हमारी जिंदगी मे नही रहने वाला….वो तो ऐसा मनचला है….जो कभी एक का होकर रह ही नही सकता….
सब सोचने और समझने के बाद मेने डिसाइड कर लिया कि, राज की वजह से मैं अपने और भाभी के बीच के रीलेशन को नही बिगाड़ूँगी……इसलिए मेने भाभी के साथ स्कूल मे फ्री पीरियड मे बात की, वो चाहे जो भी करें…पर हद मे रह कर करें…मेरे सामने ऐसे वैसा कुछ नही करेंगे….भाभी मेरी बात पर राज़ी हो गयी थी…..
सॅटर्डे का दिन था…..आज आरके भी घर आने वाले थी….जब से मेने भाभी को डॉगी स्टाइल मे चुदते हुए देखा था….मेरा दिल भी करने लगा था कि, आरके भी मुझे उसी तरह उसी जोश मे जबरदस्त तरीके से चोदे….वही आवाज़े हमारी चुदाई की भी सुनाई दें…मैं स्कूल से बाहर निकली और बस स्टॅंड की तरफ जाने लगी…राज और भाभी तो पहले ही चले गये थे…और एक्सट्रा क्लासस के बाद 2 बजे सॅटर्डे को स्कूल क्लोज़ होता था….
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