RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
इस दौरान मेने स्कूल मे ही भाभी को राज के साथ बात करते हुए देखा भी.. पर ना ही कभी भाभी से पूछा कि वो क्या बात कर रही है और ना ही कभी जानने की. करती भी क्यों….क्योंकि अब राज हमारे घर रहता था…और भाभी उसे अच्छे से जानती थी…घर मैं खाना देते समय या अगर भाभी को बाहर से कुछ मंगवाना होता तो वो राज को ही कह देती थी….इसलिए भाभी का राज से बात करना मुझे नॉर्मल लगता था….
पर भाभी के अंदर छुपे हुए जज़्बातों से अंज़ान थी….हालाकी उस समय तक भाभी ने राज के बारे मे कुछ ग़लत नही सोचा था….पर राज के बाबूराव को देख कर भाभी इतना तो समझ चुकी थी….राज के बाबूराव से किसी भी औरत की प्यास बुझ सकती है… पर भाभी शायद अभी भी ये सोच कर मन को तसल्ली दे रही थी कि, ये काम ग़लत है और वो हरगिज़ ये काम नही करेंगी…
टाइम अपनी दौड़ जारी रखे हुए था…इंटर्नल एग्ज़ॅम ख़तम हो चुके थे…और 5 ओक्टूबर को रिज़ल्ट भी मेरे सामने था….राज के रिज़ल्ट मे काफ़ी सुधार था….उसके 55 % मार्क्स आए थे….भले ज़्यादा नही थे….पर पहले से बहुत बेहतर थी…नही तो वो मुस्किल से पास होता था…रिज़ल्ट देख कर जय सर भी खुश थे….उन्होने मुझे राज के मम्मी पापा से मिलवाया…और राज के रिज़ल्ट और स्टडी मे जो इंप्रूव्मेंट थी. उसका सारा श्रेय मुझे दिया….
अगले ही दिन राज के मम्मी पापा फिर से अब्रॉड वापिस लौट गये….मुझे भी कुछ राहत महसूस हुई कि, कम से कम राज के रिज़ल्ट पहले से बेहतर आया है..वो भी खास टॉर पर जब वो तीन महीने स्कूल भी ना आ पाया हो….दूसरी तरफ जय सर अभी भी अपनी जायदाद के मस्लो मे उलझे हुए थे…अगले दिन राज फिर से हमारे घर रहने के लिए आ रहा था….उस दिन भी एक्सट्रा क्लासस थी…मेने स्कूल ख़तम होने के बाद भाभी के घर जाने से पहले उन्हे बता दिया था कि…
राज कल से फिर वापिस आ रहा है….और वो राज के रूम को सॉफ कर दें…क्योंकि एग्ज़ॅम के चलते मैं और भाभी दोनो बिज़ी थी…इसलिए राज के जाने के बाद से वो रूम लॉक्ड था…और जैसे ही मेने ये बात भाभी को बताई तो भाभी के चेहरे पर एक दम से ग्लो सा आ गया…होंटो पर एक मुस्कान सी फेल गयी….पर मेने ज़्यादा ध्यान नही दिया….और फिर अपने कॅबिन के तरफ चली आई…
उसी शाम जब 5 बजे स्कूल ऑफ हुआ था….मुझे जय सर राज के साथ बाहर ही मिल गये…”डॉली राज भी तुमहरे साथ ही जाएगा…वो मुझे आज रात को ट्रेन पकड़नी है तो मैं कल स्कूल भी नही आ पाउन्गा….पीछे से हॅंडेल कर लेना…”
मैं: जी सर….
सर: मेने राज का सारा समान रखवा दिया है कार मे…और राज तुम सुनो मुझे किसी तरह की शिकायत नही मिलनी चाहिए….
राज: जी अंकल…..
सर: ओके बाइ डॉली….अगर कोई प्राब्लम हो तो मुझे कॉल कर लेना….
मैं: जी ओके सर….
सर के जाने के बाद हम दोनो कार मे बैठ गये…राज ड्राइवर के साथ वाली सीट पर आगे की तरफ बैठ गया…”ड्राइवर पहले गाड़ी घर की तरफ लो….” राज ड्राइवर से कहा…
मैं: क्यों क्या हुआ अब क्या करना है वहाँ पर….?
राज: मुझे अपनी बाइक लेनी है वहाँ से….
राज ने बड़े ही रूखे स्वर मे कहा तो मैं एक दम चुप हो गयी…ड्राइवर ने कार जय सर के घर की तरफ मोड़ दी…राज घर के बाहर उतर गया…”तुम जाओ मैं बाइक से आ जाउन्गा…” राज ने ड्राइवर को कहा….और ड्राइवर ने गाड़ी घुमा ली…मैं थोड़ी देर मे ही घर पहुँच गयी….भाभी ने गेट खोला….मैं अंदर आई, और भाभी से पूछा…”भाभी वो रूम तो सॉफ कर दिया है ना आपने….”
भाभी: हां कर दिया है मेडम जी…और कोई सेवा हो तो वो भी बता दो….
मैं: नही नही भाभी वो राज अभी आ रहा है….कार मे उसका समान है. ड्राइवर अंदर रख देगा….
भाभी: ओह्ह अच्छा पर वो तो कल आने वाला था…और वो कार मे नही आया क्यों….?
मैं: वो अपनी बाइक लेने चला गया था घर…
भाभी: अच्छा ठीक है तुम ऊपेर जाकर फ्रेश हो जाओ….मैं चाइ बनाती हूँ…
उसके बाद मैं ऊपेर आ गयी….थोड़ी देर बाद राज भी आ गया था…उसने अपना समान फिर से उस रूम मे सेट कर लिया था….
उस रात हम सब खाना खा कर सारा काम निपटा चुके थे….और मैं और भाभी भैया के साथ उनके रूम मे बैठे टीवी देख रहे थे….तो भाभी मुझे बहुत थकि हुई सी लग रही थी….जैसे उनकी तबीयत कुछ ठीक ना हो….
मैं: क्या हुआ भाभी क्या बात है….?
भाभी: कुछ नही डॉली थक जाती हूँ सारा दिन काम करके…पहले स्कूल और फिर घर का…..
मैं: भाभी आप ऐसा क्यों नही करती के, स्कूल के पास जो ढाबा है वही से आते हुए अपने भैया और राज के लिए खाना ले आया करो…..
भाभी: चल ठीक है कल से वहाँ से खाना पॅक करवा कर ले आया करूँगी…कम से कम स्कूल से आने के बाद खाना तो नही बनाना पड़ेगा….
मैं: हां और नही तो क्या….
भाभी: अच्छा डॉली तू मेरा एक काम करेगे….?
मैं: हां भाभी बोलो ना क्या बात है….
भाभी: डॉली देख मेरे दो पीरियड्स फ्री होते है…एक तीसरा और एक सेकेंड लास्ट….तू तीसरे पीरियड की बजाय मेरा लास्ट वाला पीरियड ही फ्री करवा दे…देख एक तो मुझे वन & हाफ अन अवर आराम करने के लिए फ्री मिल भी जाएगा…फिर घर आते हुए कुछ फ्रेश भी हो जाया करूँगी…..
मैं: ठीक है भाभी मैं सोने से पहले ही नया शेड्यूल बना देती हूँ….
भाभी: थॅंक्स डॉली…. “मैं: अर्रे इसमे थॅंक्स वाली क्या बात है…
अगले दिन मैं और भाभी रोज की तरह तैयार होकर स्कूल बस से पहुँची….और मेने जो रात को शेड्यूल बनाया था….वो बाकी के टीचर के साथ शेयर करके बता दिया…वो दिन भी आम दिनो जैसे ही था…पर शायद भाबी के लिए नही….उस दिन भाभी के लास्ट वाले दो पीरियड्स फ्री थे….इसलिए भाभी ने कुछ देर पहले से पीयान को भेज कर ढाबे से खाना पॅक करवा के मॅंगा लिया था….
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