RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
भाभी ने मेरे पेट में चिकोटी काटी…और मैं शरमा कर अंदर भाग आई… थोड़ी देर बाद भाभी पीछे वाले रूम में आई…जहाँ पर मैं बेड पर बैठी हुई थी…”हाए सदके जाउ अपनी ननद पर ओह्ह सॉरी भाभी पर…कैसे शरमा रही है…जैसे आज ही इसकी शादी हो रही हो…हाहाहा….” भाभी ने मेरे चेहरे को अपने हाथो में लेते हुए कहा..
भाभी: डॉली तू खुश है ना…देख कोई ज़बरदस्ती का फैंसला मत कर लेना….
मैं: नही भाभी मैं खुश हूँ…
उसके बाद तो मेरा दुनिया को देखने का नज़रिया ही बदल गया था… कुदरत की बनाई हुई हर चीज़ मुझे हसीन लगने लगी थी….मैं अपने रूम में आई और अपनी अलमारी खोल कर उन ब्रा और पेंटीस को देखने लगी जो हमने खरीदी थी….तभी भाभी एक दम रूम में आए और मेरे पीछे आकर खड़ी हो गयी….”उम्ह्ह्ह अच्छा किया जो तूने इनको अभी तक पहना नही है….” भाभी की आवाज़ सुन कर मैं एक दम से चोंक गयी..
मैं: मैं वो मैं तो बस ऐसे ही देख रही थी…
भाभी: (रेड और ब्लॅक कलर मिक्स्ड पेंटी ब्रा सेट उठाते हुए) ये अच्छी रहगी तुम्हारी सुहागरात रात वाले दिन यही पहनना तुम्हे….भाई तो तुम्हे इस ब्रा पेंटी में देख कर ही दीवाना हो जाएगा….
मैं: भाभी आप भी ना….
मैं बेड पर जाकर बैठ गयी….”अर्रे शरमा क्यों रही है….तू कॉन सी एकलौती औरत है जिसकी सुहाग रात होगी…..”हाए मेरी प्यारी ननद जी….मुखड़ा तो देखो कैसे अभी से लाल हो रखा है आपका भाई के बारे में सोचते हुए…”
मैं: भाभी आप जाओ यहाँ से मुझे नींद आ रही है….
भाभी: चल बहाने मत बना सुबह के 10 बजे ही तुझे नींद आने लगी….अच्छा सोच ले तू कि कॉन सी पेहननि है मैं चली नीचे…..
भाभी ये कह कर खिलखिलाते हुए नीचे चली गयी…और अपनी सपनो की सुनहरी दुनिया में हसीन सपने देखने लगी….29 जून को मेरी और आरके की कोर्ट मॅरेज हुई.. मैं बेहद खुश थी….क्योंकि जिस घर में अब तक मैं रही थी…मैं वही पर शादी के बाद भी रहने वाली थी….अपने पति के साथ…..शादी के बाद हम सब ने एक बढ़िया से होटेल में लंच किया और फिर घर वापिस आए. हिंदू रीति रवाजों के मुतबकिल हमारी सुहाग रात अगली रात को होनी थी….इसलिए भाभी रात को सोने के लिए मेरे रूम आई तो उनके हाथ में उनकी मेक अप की किट थी….
मैं: ये क्या है भाभी रात को सोने से पहले भी मेकप करके सोती हो क्या….?
भाभी: (हंसते हुए) मेकअप नही करने वाली तेरी मरम्मत करने वाली हूँ……
भाभी हँसते हुए पलटी और डोर को अंदर से लॉक कर दिया….भाभी मेरे पास बेड पर आकर बैठ गयी…”चल अपनी सलवार उतार…..” मेने भाभी की बात सुन कर चोन्कते हुए कहा. “क्यों क्या हुआ…..”
भाभी: मुझे पक्का यकीन है कि, तूने नीचे जंगल उगा रखा होगा…चल उतार तेरी मुनिया को सुहागरात के लिए तैयार करना है….
मैं: उम्मह ये क्या भाभी मैं कर लूँगी…
भाभी: मुझे कुछ नही सुनना चल उतार अब….. मुझसे क्यों शरमा रही है….
मुझे पता था कि भाभी मेरी जान नही छोड़ेगी….इसलिए मेने बेड पर लेटे -2 अपनी सलवार का नाडा खोला और सलवार और पेंटी निकाल कर बेड पर रख दी….”हाई मैं मर जावां.. ये क्या हाल बना रखा है तुमने….ही ही” भाभी ने मेरी फुद्दि की झान्टो को हाथ से हटाते हुए कहा…रुक ज़रा…”ये कहते हुए भाभी उठी….और टेबल पड़े हुए न्यूसपेपर को उठा लिया…और फिर मेरे चुतड़ों को उठाते हुए नीचे बिछा दिया…
फिर भाभी ने एलेक्ट्रिक रेजर ऑन किया और मेरी झान्टो को काटने लगी…. “हाए इतनी झान्टे उगा रखी है तूने…हेर रिमूविंग क्रीम भी कुछ ना कर पाए….” पहले भाभी ने एलेक्ट्रिक रेजर से मेरी फुद्दि के चारो तरफ उगी हुई घनी झान्टो को जितना हो सकता था सॉफ किया और फिर मेरी चुनमुनियाँ पर हेर रिमूविंग क्रीम लगा दी….फिर भाभी ने मेरी जाँघो के पैरो और यहाँ तक कि चुतड़ों की वॅक्सिंग भी कर दी….
फिर भाभी ने मुझे मेरी कमीज़ उतारने को कहा….भाभी ने मेरी कांख के बाल भी एक दम सॉफ कर दिए….1 घंटे के बाद मेरे टाँगे चुनमुनियाँ और कांख एक दम चिकने हो गये थे…..उसके बाद मेने शवर लिया और भाभी ने जो गंद फैलाया था उसको भाभी ने सॉफ किया और मैं अपनी पुरानी नाइटी पहन कर बाहर आई…. “लो जी हमारी ननद रेडी है कल अपनी सुहाग रात मनाने के लिए…” मेरे और भाभी के बीच ऐसे ही छेड़ छाड़ चलती रही और फिर हम सो गये….
अगली सुबह जब मैं उठी तो भाभी की मम्मी वापिस जाने को तैयार थी…मैं फ्रेश होकर नीचे आई और सब के साथ नाश्ता किया….उसके बाद भाभी के मम्मी पापा यानी कि मेरे सास ससुर चले गये….आरके भी बॅंक के लिए चले गये ,….क्योंकि आज उनका इस सिटी के बॅंक में पहला दिन था…..इसलिए वो लीव नही लेना चाहते थे… 30 जून मेरी सुहागरात का दिन….
उस दिन दिल में ढेर सारे अरमान लिए हुए, अपने रूम में ओरेंज कलर की कमीज़ और ग्रीन कलर की पटियाला सलवार में सजी हुई दुल्हन बन कर बैठी थी….आज मेरी लाइफ का वो पहला दिन था…जब मुझे शाम को किसी के वापिस आने का इंतजार था….शाम के 6 बज चुके थे….और मैं बार रूम से बाहर निकल कर बाहर गली में नीचे झाँक रही थी. पर आरके शायद लेट हो गये थे…तभी भाभी ने मुझे नीचे आने को कहा और मैं नीचे चली गयी….
जैसे ही मैं नीचे पहुँची तो डोर बेल बजी…आज पहली बार था कि, मैं घर के गेट को खोलने के लिए इतनी उतावली हो गयी थी कि, मैं सीधा गेट की तरफ दौड़ी और गेट खोला तो सामने आरके खड़े थे…मुझे देखते हुए उन्होने ने स्माइल की और मुस्कुराते हुए बोले….” डॉली लगता है कि तुम गेट पर ही खड़ी थी…इतनी जल्दी गेट खोल दिया तुमने…” मैं आरके की बात सुन कर शरमा गयी….और सर को झुका लिया… आरके अंदर आए, और बोले….”कैसी हो तुम….?”
मैं: जी मैं ठीक हूँ आपका पहला दिन कैसा रहा बॅंक में….?
आरके: बहुत काम था…बहुत सारा पेंडिंग वर्क था….जिसे निपटाना ज़रूरी था….
हम दोनो अंदर आ गये भाभी किचिन में रात के खाने की तैयारी कर रही थी… आरके को देखते ही बोली…”अर्रे आरके आ गये तुम कैसा रहा तुम्हारा यहा के बॅंक मे पहला दिन….”
आरके: ठीक था दीदी…
भाभी: अच्छा अंदर जाकर फ्रेश हो जाओ…मैं पानी लेकर आती हूँ…
आरके दीदी के रूम में चला गया क्योंकि आरके के कपड़े और समान अभी भी दीदी के रूम में ही था…अभी उनको मेरे रूम में शिफ्ट नही किया गया था….मैं किचिन में भाभी के पास आ गयी…”अर्रे तू यहाँ क्या कर रही है….जा आरके को उसके कपड़े निकल कर दे…अभी अभी आया है और हर पत्नी का फर्ज़ होता है कि, जब उसका पति काम से घर आए उसे पानी पिलाए उसकी सभी ज़रूरतों का ध्यान रखे….जा ये पानी लेजा कर दे उसे…” भाभी ने मेरी तरफ शरारती मुस्कान के साथ देखा….
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