RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
मैं एक दम से रोने लगी….”प्लीज़ राज मुझे छोड़ दो….आगे से मैं तुम्हारी लाइफ मे कभी भी इंटर्फियर नही करूँगी….” मेने सूबकते हुए राज से कहा….”दीपा प्लीज़ समझाओ ये ठीक नही है…दीपा तुम तो कुछ ख़याल करो….” दीपा के चेहरे से भी जाहिर हो रहा था कि, जो हो रहा है वो नही होना चाहिए….पर वो कुछ नही बोली. और फिर राज ने फिर से मेरी सलवार और पेंटी को एक साथ खेंचते हुए मेरे पैरो से निकाल दिया….और मेरी टाँगो को घुटनो से पकड़ कर मोडते हुए ऊपेर उठा कर फेला दिया….”नही ओह्ह्ह्ह राज…..मेने सुबकते हुए अपनी आँखे बंद कर ली….”
मेरी चुनमुनियाँ का गुलाबी छेद उसकी आँखो के सामने था…ये सोच कर ही मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था….शरम के मारे मैं अब अपना मूह भी नही खोल पा रही थी…तभी मुझे राज की उंगलियाँ अपनी चुनमुनियाँ की फांको के बीच में चलती हुई महसूस हुई तो मेरे जिस्म ने ऐसे झटका खाया कि, मानो मेने बिजली की नंगी तारो को छू लिया हो….”अह्ह्ह्ह देख दीपा साली के चुनमुनियाँ कैसे पानी छोड़ रही है….” राज ने मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर अपनी उंगलियों को घूमाते हुए कहा….”नही राज मत देखो ऐसे… “ मेने फिर से सूबकते हुए कहा….
और अगले ही पल मुझे अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर कुछ गरम और कड़क सी चीज़ माहूस हुई. मैं एक दम से सन्न रह गयी….और एक दम से हड़बड़ाते हुए आँखे खोल कर देखा तो राज मेरी जाँघो के बीच मे बैठा था…और उसने अपने बाबूराव को पकड़ रखा था…और तभी मुझे फिर से उसके बाबूराव के सुपाडा जो किसी लोहे की रोड की तरह सख़्त और बहुत ज़्यादा गरम मुझे अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर दबता हुआ महसूस हुआ….तो ना चाहते हुए भी मैं एक दम से सिसक उठी….”सीईईई अहह नही राज प्लीज़ ऐसा ना करो…मैं मैं कह रही हूँ आगे से मैं कभी तुम्हारी लाइफ में उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह में इंटर्फियर नही करूँगी…..अह्ह्ह्ह्ह”
राज: घबराओ नही मेरी टीचर साहिबा….आपका बलात्कार करने का कोई इरादा नही है मेरा…..ये तो बस तुम्हे ये दिखा रहा हूँ कि, लंड जब चुनमुनियाँ से टकराता है तो कितना मज़ा आता है…और तू मेरे बाबूराव का स्पर्श अपनी फुद्दि मे दिन रात महसूस करेगी…यही तेरी सज़ा है….
ये कहते हुए उसने अपने बाबूराव को ज़ोर-2 से मेरी चुनमुनियाँ की फांको के बीच मे रगड़ना शुरू कर दिया….एक अजीब सा खिंचाव मुझे अपनी चुनमुनियाँ की दीवारो मे महसूस होने लगा था…चुनमुनियाँ की दीवारे आपस मे ही रगड़ खाने लगी थी….एक तेज सी टीस चुनमुनियाँ के अंदर से निकल कर मुझे मेरी चुनमुनियाँ के दाने मे होती हुई महसूस होने लगी थी….मुझे ऐसा लगने लगा था कि, मेरी चुनमुनियाँ मे जैसे कोई चीज़ उबलने लगी है…और उबल कर कभी भी बाहर आ जाएगी…..
मेरा बदन बुरी तरह से ऐंठ गया था….और हाथ पैर कांप रहे थे….गला सुख चुका था….आँखे बंद हो चुकी थी…और अगले पल ही मुझे ऐसा लगा जैसे मैने मूत दिया हो…कुछ गीला गीला सा मेरी चुनमुनियाँ से बाहर आ रहा था…”हाहाहा यी तो दो मिनिट मे इसकी फुद्दी के टूटी बोल गयी…..” मैं बुरी तरह से हाँफ रही थी…. मस्ती की लहर मेरे दिमाग़ पर चढ़ कर बोल रही थी…और पूरा बदन थरथरा रहा था…
राज के ये शब्द जैसे ही मेरे कानो मे पड़े….मुझे ऐसा लगा जैसे मैं अभी शरम के मारे मर जाउन्गी…राज मेरी जाँघो के बीच से उठा और मेरे पेट और चुचियाँ के ऊपेर आते हुए मेरे गाल पर हाथ से हल्के थप्पड़ मारते हुए कहा. “देख तेरी चुनमुनियाँ भी पानी छोड़ती है….मेने तो सोचा था कि, तेरी चुनमुनियाँ का पानी शायद सूख गया होगा….देख ना….आँखे खोल नही तो सच मे तेरी फुद्दि मे बाबूराव घुसा दूँगा.
मेने अपनी सांसो को संभालते हुए आँखे खोली, तो देखा राज का मुनसल जैसा बाबूराव मेरे फेस से थोड़ा सा पीछे हवा मे झटके खा रहा था….राज ने अपने बाबूराव के सुपाडे पर अपनी एक उंगली लगा कर पीछे हटाई तो उसकी उंगली और बाबूराव के सुपाडे के बीच मे मेरी चुनमुनियाँ से निकले गाढ़े पानी से एक लार सी बन गयी…”देख तेरी फुद्दि कैसे चू रही है…..और फिर ये कहते हुए राज मेरे ऊपेर ही मेरी कमर के दोनो तरफ पैर करके खड़ा हो गया….और तेज़ी से अपने बाबूराव की मूठ लगाने लगा….उसने पास बैठी दीपा को सर के खुले हुए बालो से पकड़ और अपना बाबूराव उसके होंटो पर दबाया तो दीपा ने मूह खोल कर उसे अपने मूह मे लिया…..”उंह पक -2 पुत्च गॅयेलॅप….”
ऐसी आवाज़े दीपा के मूह से निकल रही थी…फिर राज ने दीपा के मूह से अपना बाबूराव बाहर निकाला और तेज़ी से हिलाने लगा….मैं दीपा की ओर हैरानी भरी नज़रों से देख रही थी…वो अपने मूह को खोले हुए थी….और अगले ही पल….”आहह अहह दीपा ले खोल अपना मूह ओह्ह्ह्ह….” और फिर जैसे-2 राज के बाबूराव से वीर्य की पिचकारियाँ छूटी मेरा दिल उसी लय मे धड़कने लगा…..और राज के बाबूराव से निकलती हुई वीर्य की पिचकारियाँ सीधा दीपा के मूह के अंदर जाकर गिरने लगी…और मेरी आँखो के सामने ही दीपा राज के बाबूराव से निकले रस को निगल गयी….
अब रूम मे सन्नाटा छा चुका था…राज ने अपने कपड़े पहने और मुझे उल्टा करके मेरे हाथ खोल दिए…और फिर मेरे चुतड़ों पर एक ज़ोर दार थप्पड़ दे मारा…मैं एक दम से चीख उठी…..”अहह “ मेने राज की तरफ गुस्से से भरी नज़रों से देखा और राज हँसने लगा….मेने अपनी पेंटी और सलवार उठाई और जल्दी से पहनने लगी…अब मैं एक मिनिट और भी यहाँ नही रुकना चाहती थी….आज जो मेरे साथ हुआ था वो किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नही कर सकती थी….
मैं: बहुत हो गया….अब इसका अंज़ाम भुगतने के लिए तैयार रहना…..
राज: अच्छा क्या कर लोगि तुम…..
मैं: वो तुम खुद देख लेना कि मैं क्या करती हूँ….मैं तुम्हारी रिपोर्ट पोलीस मे करूँगी…..
राज: अच्छा मेरी रिपोर्ट करोगी तो जाओ कर दो…क्या कहोगी कि मैने तुम्हारा रेप किया है….वो भी इस घर के अंदर दीपा की मौजूदगी मे….जाओ जाओ करो करो रिपोर्ट. दीपा मेरी तरफ से गवाही देगी….और तुम खुद ही फँस जाओगी….कि तुमने ही मेरे साथ अपनी सेक्स के भूख शांत करने के लिए ज़बरदस्ती की थी…और जब मैने मना कर दिया तो तुम ये ड्रामा कर रही हो….क्यों दीपा ठीक ऐसे ही हुआ था ना….?
दीपा: (नीचे सर कर मुस्कुराते हुए) जी….
मैं: मैं तुम दोनो को देख लूँगी…..मैं तुम्हारी बातों से डरने वाली नही….
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