Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
09-17-2018, 01:13 PM,
#19
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
सर्दियों के दिन थे ….मेरा मन बहुत मचल रहा था….रह-2 कर मुझे अपने पति की याद आ रही थी…मेरा दिल कर रहा था उनसे मिलने को….पर मैं राज को अकेले घर पर छोड़ कर नही जा सकती थी….सुबह के 10 बजे रहे थे….मैं राज के रूम मे गयी…पर राज मुझे वहाँ नज़र नही आया…..मेने राज को घर मे सब जगह ढूँढ लिया पर राज मुझे नही मिला तभी मुझे मलिक और मालकिन के रूम का डोर खुलने की आवाज़ आई….जब मेने उस तरफ देखा तो राज बाबा अपने मम्मी पापा के रूम से चोरों की तरह निकल कर अपने रूम मे जा रहे थे…

मुझे कुछ अजीब सा लगा…ऐसा नही था कि, राज बाबा को उनके मे रूम जाने से मनाही थी…पर फिर वो इस तरह छुप क्यों रहे थे….बस यही बात मुझे अजीब लग रही थी…राज रूम से निकल कर अपने रूम मे चले गये….मैं चुपके से मालिक के रूम मे गयी….पर वहाँ सब कुछ ऐसे ही था….जैसे मेने सुबह साफाई के बाद छोड़ा था. मेने इधर उदार देखा पर कुछ खास नज़र नही आया…फिर अचानक से मेरी नज़र सामने पड़े हुए टीवी पर पड़ी…टीवी एक रॅक मे रखा हुआ था…

जिसके नीचे बहुत से ड्रॉयर थी….वो हमेशा लॉक रहते थी. पर आज उनमे से एक ड्रॉयर का लॉक खुला हुआ था और थोड़ा सा बाहर था…जब मेने उस ड्रॉयर को खोल कर देखा तो मैं एक दम से हैरान हो गये…उस ड्रॉयर मे वो गंदी वाली फ़िल्मे थी. कुछ मॅगज़ीन थी….क्या बताऊ मेडम जी कैसे-2 गंदी तस्वीर थी…मैं वही बैठी कुछ देर उन मॅगज़ीन्स को देखती रही….औरतों और मर्दो की सेक्स करती हुए तस्वीर देख कर मेरा अंग-2 भड़कने लगा….अब मैं अपने आप को अपनी पाती के बाहों मे पाना चाहती थी….


मैने वो मॅगज़ीन रखी और राज के रूम मे गयी…राज अपने रूम मे बेड पर लेटा हुआ था…उसके हाथ मे भी एक मॅगज़ीन थी….और दूसरे हाथ से वो अपनी निक्कर के ऊपेर से अपने बाबूराव को सहला रहा था…मुझे अचानक से अपने रूम मे देख कर राज एक दम से चोंक गया…और उसने उस मॅगज़ीन को अपने तकिये के नीचे रख लिया….मेने जान बुझ कर ऐसे दिखाया कि जैसे मेने कुछ देखा ना हो…

उस समय तक राज बाबा को लेकर मेरे मन मे ऐसा कोई विचार नही था…होता भी कैसे राज बाबा की उम्र ही क्या थी…. मेने राज को अपने साथ चलने के लिए मना लिया…और हम ने घर लॉक किया और 11 बजे की बस पकड़ उस गाओं मे पहुँचे जहाँ पर राज के पापा ने ज़मीन खरीद रखी थी….खेतो के बीच ही एक छोटा सा घर बना हुआ था….

जब हम वहाँ पहुँचे तो और मैने डोर खटखटाया तो मेरे पति ने डोर खोला. तो मेरा सारा जोश गुस्से मे बदल गया…मेरे मर्द ने दिन को ही दारू चढ़ा रखी थी… “तू तू यहाँ क्या कर रही है….” मेरे पति ने गुस्से से कहा….और मेरी तरफ बढ़ा पर दो कदम चलते ही वो गिर गया…मेने और राज ने किसी तरह उसे उठा कर अंदर चारपाई पर लेटा दिया….हम वहाँ से वापिस आ गये…मेरा तन बदन सुलग रहा था. 

पर मेरा पति शराब के नशे मे धुत चारपाई पर पड़ा हुआ था…मेने राज बाबा से कहा कि, चलो घर चलते है…इसे पड़ा रहने दो यही पर…हम वहाँ से निकल कर मेन रोड की तरफ जाने लगे तो एक दम से बारिश शुरू हो गयी…मेन रोड 10 मिनट की दूरी पर था….राज बाबा शुरू से ही मुझे दीपा भाभी कह कर ही बुलाते थे…बारिश बहुत तेज थी…मुझे अपनी तो कोई परवाह नही थी…पर डर था कि, राज बाबा बीमार ना पड़ जाए..अगर उन्हे कुछ हो गया तो मैं उनको क्या जवाब दूँगी….

मैं राज को लेकर वापिस भागी…हम दोनो घर के अंदर दाखिल हुए…और फिर मेने डोर अंदर से बंद किया…और हम दोनो रूम मे आ गये…” क्या हुआ साली तू फिर आ गयी….” मेरे पति ने मुझे देख कर नशे की हालत मे उठने की कॉसिश करते हुए कहा. पर वो फिर से चारपाई पर ढह गया….”बाहर बारिश हो रही है….और बाबा को ऐसी बारिश मे लेकर कहाँ जाती मैं…अब तुम अपना मूह बंद रखो…तुमने बहुत पी रखी है..मेरा नही तो कम से कम छोटे मालिक का ख़याल रखो…”


गोपाल: अर्रे चुप कर साली….और वो बॉटल मुझे पकड़ा…

मैने राज को वहाँ पर पड़े हुए छोटे से टेबल पर बैठाया…और खुद रूम के डोर पर खड़ी होकर देखने लगी कि, कब बारिश बंद हो…और हम इस नरक से निकल कर वापिस जाएँ….वापिस आते हुए, हम दोनो भीग गये थे…”अर्रे ओह्ह बेहन की लौडी. वहाँ खड़ी होकर किसे देख रही है…इधर देख तेरा मर्द यहाँ है…ला बॉटल दे मुझे…” 

मुझे अब अहसास हो चुका था कि, ये आदमी चुप नही रहने वाला…और मुझे राज बाबा के सामने बड़ी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी….उस छोटे से घर मे सिर्फ़ दो ही कमरे थे…एक जिसमे हम थे….और और बैठक के पीछे इस रूम की तरफ बाथरूम था….मैने राज बाबा की तरफ देखा जो शायद मेरे शराबी पति की गालियाँ सुन कर डर गया था…मेरा पति अभी भी मुझे गंदी-2 गालियाँ बके जा रहा था…

मैं वापिस मूडी और देखा कि रूम के एक कोने मे दारू की बॉटल पड़ी हुई थी. वैसे तो मेरे पति ने पहले ही बहुत पी रखी थी..पर फिर भी मेने सोचा कि, अगर ये इसी तरह गालियाँ बकता रहा और कहीं राज बाबा ने अपने मम्मी पापा को सब बता दिया तो वो मुझसे नाराज़ हो जाएँगी कि मैं राज को लेकर क्यों गयी थी…मेने बॉटल उठाई और अपने पति को पकड़ा दी…पति ने बॉटल खोली. और उससे सीधा मूह लगा कर पीने लगा.
राज भीगा हुआ कांप रहा था….मेने रूम मे देखा वहाँ पर एक मैला सा गंदा और कंबल पड़ा हुआ था…..

फिर मैं जो रूम बाहर के डोर के पास था…उस रूम की तरफ गयी…और उसे खोल कर देखा तो, उसमे खाद के बड़े-2 बोरे पड़े हुए थे…जो ऊपेर छत तक ठूँसे हुए थे…डोर की तरफ सिर्फ़ 2-3 फुट जगह खाली थी…बाकी सारा रूम भरा हुआ था… मैं फिर से बारिश मे भीगति हुई पिछले वाले रूम मे गयी…और वो गंदा और कंबल उठा कर बैठक मे गयी…और जो थोड़ी सी जगह वहाँ थी…वहाँ पर गद्दा बिछा कर ऊपेर कंबल रखा और फिर से पीछे वाले रूम मे आ गयी…और राज को कहा कि, वो उस रूम मे जाकर बैठे….मैं अभी आती हूँ…

राज बैठक मे चला गया….मैने अपने पति की चारपाई से एक तकिया उठाया और बैठक मे आ गये…पीछे से मेरा पति मुझे गाली बकने लगा….दो तीन बार बिना छत के आँगन के बीच मे से गुजरने के कारण मैं एक दम भीग चुकी थी…” राज बाबा आप ये सॅंडल उतार कर गद्दे पर बैठ जाओ….बाहर बहुत ठंड है…” राज मेरी बात सुन कर सेंडल उतार कर गद्दे पर कंबल लेकर बैठ गया…..

पर राज से ज़्यादा बुरी हालत मेरी थी…मेरी साड़ी पूरी भीग चुकी थी…राज ने मुझे काँपते हुए देख कर कहा कि, मैं भी कंबल के अंदर आ जाउ…पर मेरी साड़ी गीली थी…फिर सोचा यहाँ और कॉन है…राज बाबा ही तो है….राज बाबा ने तो मुझे पहले भी कई बार ब्लाउस और पेटिकॉट मे देखा हुआ है….जब मैं बाथरूम मे कपड़े धोति हूँ ये साड़ी उतार देती हूँ….

मेने अपनी साड़ी उतार कर डोर पर टाँग दी….और खुद कंबल मे राज बाबा के पास जाकर बैठने लगी….पर जगह बहुत कम थी…राज बाबा ने लेटते हुए मुझसे कहा कि, जब तक बारिश बंद नही होती…तब तक लेट जाते है…मैं राज बाबा के साथ लेट गयी…

तब तक मेरा सारा ध्यान मेरे पति की घटिया करतूतों मे था…पर इस बात से अंजान कि राज मेरे ब्लाउस मे से झाँक रही कसी हुई चुचियाँ को घूर रहा है….मैं राज के साथ लेट गयी…हम दोनो के चेहरे एक दूसरे के तरफ थे…हम दोनो करवट के बल लेटे हुए थी….और राज का एक हाथ उल्टा मुझे मेरे ब्लाउस के ऊपेर से मेरे नीचे वाली चुचि पर दबा हुआ महसूस हो रहा था…जगह बहुत तंग थी…इसलिए मेने उस तरफ ज़्यादा ध्यान नही दिया…करीब 5 मिनिट बाद राज एक दम से अचानक खड़ा हो गया.

मैं: क्या राज बाबा…

राज: दीपा भाभी मुझे पेशाब करना है….

मैं: तो जाओ बाथरूम मे कर आओ…

राज: (डोर के पास जाते हुए) बाहर बारिश तेज हो गयी है….

क्योंकि ना तो आँगन के ऊपेर छत थी और ना ही बाथरूम के ऊपेर इसलिए राज को मैं बाहर नही भेज सकती थी…”इधर दरवाजे पर ही खड़े होकार बाहर कर लो…” मैं राज की हालत देख कर हसने लगी….
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