RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
जय: अर्रे डॉली यहाँ खड़ी हो राज कहाँ है….
मैं: जी अभी बाहर गया है…आज 1 घंटा पढ़ने के बाद ही बोर हो गया….
जय: चलो कोई बात नही धीरे-2 आदि हो जाएगा….
मैं: अच्छा सर अब मैं चलती हूँ…
जय सर: ओके ठीक है……बाहर ड्र खड़ा है….वो तुम्हे घर चोर देगा…अच्छा कल मई आउट ऑफ सिटी जेया रहा हूँ…तुम कल टाइम से आ जाना…मैं ड्राइवर कह दूँगा….
मैं: जी ओके सर,
उसके बाद मैं बाहर आई, फिर सर के ड्राइवर ने मुझे कार से घर पर छोड़ दिया….
ये राज आख़िर चीज़ क्या है….जब से ये मेरी जिंदगी मे आया है…मेरा जीना हराम कर दिया है इसने…पहले ललिता और अब ये दीपा…पता नही कितना नीच और बिगड़ा हुआ लड़का है…यही सब मैं दिन भर सोचती रही…
अगली दिन जब भी सर की कार मुझे लेने के लिए आ गयी…जब मेने मेन डोर की बेल बजाई तो दीपा ने डोर खोला….और मुझे अंदर आने को कहा….मैं अंदर आकर सोफे पर बैठ गये…थोड़ी देर बाद दीपा कोल्ड्रींक लेकर आए..और मुझे देकर वापिस किचिन मे जाकर ट्रे रख कर फिर से मेरे पास आकर खड़ी हो गयी…”क्या हुआ तुम यहा क्यों खड़ी हो..” मेने दीपा की ओर देखते हुए कहा…..
दीपा: मेडम जी आप कल वाली बात किसी से कहेंगी तो नही…
मैं: नही कहूँगी…राज कहाँ है…
दीपा: जी वो तो सर के जाने के थोड़ी देर बाद ही बाहर चले गये….कह कर गये थी कि, शाम को ही वापिस आएँगे…..
ये कह कर दीपा वापिस जाने लगी तो, मेने उससे आवाज़ देकर रोक लिया…दीपा मेरी तरफ मूडी “जी मेडम जी” उसके चेहरे पर अभी भी परेशानी के भाव थे…” ये ग्लास रख कर मेरे पास आओ….मुझे तुम से बहुत ज़रूरी बात करनी है….”
दीपा ग्लास लेकर चली गयी…और फिर थोड़ी देर बाद वापिस आई…”बैठो…” मेने दीपा की ओर देखते हुए कहा….दीपा मेरे पास सोफे पर बैठ गयी…..”जी मेडम जी” दीपा ने अपने हाथों को आपस मे मसलते हुए कहा…..” अब तुम मुझे बताओ कि ये सब कैसे शुरू हुआ….क्या उसने तुम्हे ये सब करने के लिए मजबूर किया था…”
दीपा: नही नही मेडम जी ऐसे कोई बात नही है….
मैं: तो फिर ऐसा क्या हुआ जो तुम ने अपने से आधी उम्र के लड़के के साथ ये सब किया. मुझे पूरी बात बताओ….
दीपा: मेडम जी ये मेरी जिंदगी का वो छुपा हुआ राज़ है….जिसको मेने अभी तक किसी को नही बताया….पर अब आप को तो मेरी सच्चाई पता चल गयी है…इसलिए मैं आपसे कुछ छुपा नही सकती…
मैं: हां दीपा जो कहना है सॉफ-2 बताओ…
दीपा: जी आप तो मुझसे बहुत ज़्यादा समझदार है….आपको तो पता ही होगा कि, आदमी के बिना औरत के जिंदगी अधूरी होती है…और हर औरत को कभी ना कभी अपनी जिस्मानी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मर्द के सहारे के ज़रूरत पड़ती ही है….पर अगर जिससे आपकी शादी हुई हो…वो इंसान ही नकारा हो…बेकार हो तो औरत के कदम ग़लत रास्ते पर भटक ही जाते है….ये आज से 3 साल पहले की बात है….मेरी शादी को 7 साल हो चुके थे…..
तब मेरे पति एक फॅक्टरी मे मज़दूरी करते थे…पर वो वहाँ पर शराब पीकर लोगो से झगड़ा करने लगे…और उन्हे वहाँ से निकाल दिया गया…फिर उन्होने कई जगह काम किया कर पर हर महीने दो महीने मे उनको वहाँ से निकाल देते…तंग आकर मैने घरो मे काम करना शुरू कर दिया…घर तो चलाना ही था…फिर मुझे राज के घर पर काम मिल गया…और राज के पापा ने मेरे पति को अपने खेतो मे रखवाली के लिए रख लिया…मेरा पति जो भी कमाता था…उसकी दारू पी लेता…फिर राज की मम्मी ने मुझे अपने ही घर मे रख लिया….
और तन्खा के साथ-2 मुझे घर मे ही तीन वक़्त की रोटी मिलने लगी…पर ये सब एक औरत के लिए काफ़ी नही होता मेडम जी….मैं जवान हूँ….मैं रातो को दहाकति रहती. दिल करता कि मुझे कोई बाहों मे लेकर मेरा अंग-2 मसल दे….पर मेरे पति को मेरी परवाह ही नही थी…ये उन दिनो की ही बात है….एक दिन मालकिन और मालिक सहर से बाहर गये हुए थी…उन्होने दो दिन बाद वापिस आना था…राज बाबा उस समय अकेले रूम मे नही सोते थे…इस लिए मालकिन ने मुझसे जाते हुए कहा था कि, मैं उनके रूम मे नीचे बिस्तरा बिछा कर सो जाउ…
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