RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
दीपा वापिस बाहर जाने लगी….”दीपा दो कप कॉफी बेज देना….” राज ने बैठे-2 ऑर्डर दिया
…”नही मैं अभी कोल्ड्रींक पीकर आई हूँ…” मेने राज की तरफ एक बार देखा और फिर अपने चेहरे को दूसरी तरफ घुमा लिया…”
दीपा सिर्फ़ एक ही कप भेज दो…” और राज उठ कर खड़ा हुआ बाथरूम मे चला गया…मैं वही सोफे पर बैठ गयी…मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था. एक दम अकेले उसके रूम मे बैठना…थोड़ी देर बाद राज बाथरूम से बाहर आया….”हाँ तुम क्यों आई हो यहाँ पर…मना नही कर सकती थी अंकल को….”
मैं: मुझे कोई शॉंक नही है तुम्हे पढ़ाने का…अगर सर ने ना कहा होता तो मैं तुम्हारी शकल देखने यहाँ नही आती…
राज: अच्छा ठीक है….जाओ नीचे जाकर बैठ कर टाइम पास करो…अंकल तो घर पर है नही…तुम्हे कॉन देखने वाला है कि, तुमने पढ़ाया या नही….बोल तो ऐसे रही हो. जैसे मैं तुमसे पढ़ने के लिए मरा जा रहा हूँ….
मेरा दिल तो कर रहा था कि, मैं अभी उठ कर वापिस चली जाउ….पर सर की वजह से चुप हो गयी…राज उठ कर बाहर चला गया…और मैं वही बैठी रही…मैं पागलो की तरह इधर उधर देख रही थी….करीब 30 मिनिट हो चुके थे….मुझे यहाँ पर आए हुए, ना तो मुझे राज नज़र आ रहा था…और ना ही उसकी कोई आवाज़ सुनाई दे रही थी… मैं उठ कर रूम से बाहर आई और नीचे की तरफ देखने लगी….पर नीचे भी एक दम सन्नाटा पसरा हुआ था….तभी मुझे साथ वाले रूम का डोर खुलने की आवाज़ आई.
जैसे ही मेने उस तरफ देखा तो डोर पर दीपा खड़ी हुई थी….उसके बाल बिखरे हुए थे…होंटो की लिपस्टिक फेली हुई थी….और उसकी साड़ी उलझी हुई थी…ब्लाउस का कपड़ा चुचियों के ऊपेर वाले दो हुक खुले हुए थे…दीपा मुझे अपने सामने देख कर एक दम से घबरा गयी….वो सर को झुकाए हुए मेरी तरफ बढ़ी…”राज कहाँ है…” मेरे इस सवाल से दीपा एक दम से डर गयी….”जी वो वो मुझे पता नही…मैं मैं आपके लिए कॉफी बना कर लाती हूँ….” ये कहते हुए दीपा नीचे चली गयी….थोड़ी देर बाद फिर उस रूम का डोर ओपन हुआ…
तब मेरी हैरत का कोई ठिकाना नही रहा….जब देखा कि, राज भी उसी रूम से निकल कर बाहर आ रहा है…उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर नीचे गया और फिर घर से बाहर चला गया…ये देख मेरा सर चकराने लगा कि ये सब क्या हो रहा है…एक ** साल का लड़का अपनी ही नौकरानी के साथ जो उससे दुगनी उम्र की है….मैं नीचे आकर सोफे पर बैठ गयी…थोड़ी देर बाद दीपा कॉफी लेकर पास मे आई और टेबल पर कप रखते हुए बोली….”और कुछ चाहिए मेडम जी….”
मेने दीपा की तरफ देखा तो उसने अब अपना हुलिया कुछ ठीक कर लिया था… “ये सब क्या चल रहा है दीपा…” मेने दीपा के चेहरे की ओर देखते हुए कहा….
दीपा: जी क्या मैं समझी नही मेडम जी….
मैं: देखो दीपा तुम मुझे पागल मत बनाओ…मैने देखा कि राज भी उसी रूम से बाहर आया था….मैं भी औरत हूँ…और तुम्हारी हालत देख कर ही मुझे शक हो गया था…तुमने झूठ क्यों बोला कि राज बाहर है…..
मेरी बात सुन कर दीपा के चेहरे का रंग उड़ गया…और वो मेरे पैर पकड़ कर नीचे बैठ गयी….”मेडम जी प्लीज़ ये सब किसी को नही बताएगा….नही तो मैं कही की नही रहूंगी…”
मैं: पर तुम अपने से आधी उम्र के लड़के के साथ ये सब छी…तुम तो शादी शुदा हो ना…फिर ये सब क्या है…..
दीपा: मेडम जी बहुत लंबी बात है….अभी आपको नही बता सकती…पर प्लीज़ किसी को बताना नही हम बहुत ग़रीब लोग है…हम कही के नही रहेंगे…
मैं: ओह्ह अच्छा अब समझी…तो वो ये सब तुम्हारी ग़रीबी का फ़ायदा उठा कर रहा है..
दीपा: नही नही मेडम जी…राज बाबा की कोई ग़लती नही है….सारा दोष मेरा है…
ये कहते हुए दीपा एक दम से चुप हो गयी…तभी बाहर डोर बेल बजी…”मेडम जी प्लीज़ किसी से कुछ मत कहना मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ….” दीपा ने लगभग रोते हुए कहा…”अच्छा ठीक है जाओ….डोर खोलो बाहर कोई है….” दीपा ने उठ कर डोर खोला. जय सर वापिस आ गये थे….
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