RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
मेने ये बात स्कूल मे ना तो आपको बताई थी और ना ही और किसी को…पापा का ट्रीटमेंट शुरू हो गया….राज रोज स्कूल के बाद हॉस्पिटल मे आने लगा. और वो वहाँ आकर मम्मी के हेल्प करने लगा….कभी बाहर जाकर मेडिकल स्टोर से मेडिसिन लाकर देना तो कभी बाहर से पापा के लिए जूस और ब्रेड लाकर देता….
जब हम वहाँ पर बैठे हुए होते, और राज कोई काम कर रहा होता तो मम्मी सिर्फ़ एक ही बात कहती…कि काश उनका भी राज जैसा बेटा होता…इस दौरान उसने एक बार भी मुझे आँख उठा कर नही देखा….पापा की वजह से मुझे उससे कई बार बात करनी पड़ती. पर वो मेरी तरफ देखे बिना ही बात करता…और चुप चाप काम कर देता….
मुझे ये सब बर्दाश्त नही हो रहा था…वो डेली आकर मम्मी पापा से हंस-2 कर बात करता, तो कभी रीनू दीदी से बाहर गॅलरी मे बात करने लगता….मुझे जलन से होने लगती…एक दिन शाम की बात है…मम्मी पापा के पास रूम मे थी…और रीनू दीदी बाहर हॉस्पिटल के गॅलरी मे राज के साथ बात कर रही थी…
रेणु दीदी बात कर रही है….हम दोनो से बड़ी है…पर शायद राज की पर्सनालटी और पैसा देख कर रेणु दीदी उस पर लाइन मारने लगी थी….मैं उनके पीछे खड़ी उनके बातें सुन रही थी….उस शाम को रेणु दीदी ने राज को प्रपोज किया…पर राज ने ये कह कर सॉफ मना कर दिया…कि वो सिर्फ़ एक ही लड़की से प्यार करता है…और हमेशा उससे करता रहेगा…
उस समय गॅलरी मे कोई नही था….रेणु दीदी ने राज का हाथ पकड़ अपने बूब्स पर रख दिया और कहने लगी कि, वो उसके बिना नही रह सकती….वो अभी अपना सब कुछ देने के लाए तैयार है…पर राज ने अपना हाथ हटा लिया और ये कह कर चला गया कि, उसकी जिंदगी मे और कोई लड़की नही आ सकती…
फिर उसी दिन राज ने मुझे फिर से प्रपोज किया, और मैं उससे मना नही कर पाई. और फिर जब पापा को हॉस्पिटल से डिसचार्ज किया गया तो, उसके बाद वो हमारे घर उनका पता लेने के लिए आने लगा…मम्मी भी हम पर कोई शक नही करती थी. वो बिना रोक टोक के हमारे रूम मे जाता था….और फिर वही सब करता जो..उस दिन आप ने देखा. जब मेने उसे रोका तो उसने मेरे सामने कसम खाई कि, वो मेरी वर्जिनिटी नही तोड़ेगा. पर रोमॅन्स के लिए मैं उससे मना नही करूँगी….धीरे2- मुझे इन सब की आदत सी पड़ गयी.
ललिता: मॅम यही सच है….वो इतना भी बुरा नही है जितना मैं या आप उसको समझते थे….वो एक अच्छा लड़का है…
मैं: ललिता ठीक है तुम अब बच्ची नही हो….समझदार हो….पढ़ी लिखी हो….और अपना ख़याल रख सकती हो…पर फिर भी मैं तुम्हे यही सलाह दूँगी कि, कोई ऐसा कदम ना उठाना जिसकी वजह से तुम्हे शर्मिंदा होने पड़े….
फिर मेने और ललिता ने इधर उधर की बातें के और फिर मैं दोपहर को घर वापिस आ गयी….उसी शाम को मेरे मोबाइल पर जय सर का फोन आया, मैने कॉल पिक की.
मैं: हेलो सर…हाउ आर यू….
जय सर: मैं ठीक हूँ आप कैसे हो और आपके भाई की तबयत कैसी है अब..
मैं: जी दो दिन पहले घर आए है….और पहले से काफ़ी ठीक है…
जय सर: चलो शुक्र है…अच्छा मुझे तुमसे एक फेवर चाहिए था….
मैं: जी कहिए सर
जय सर: अच्छा डॉली बात ये है कि, मैं चाहता हूँ कि, तुम राज को यहाँ मेरे घर आकर 2 घंटो के लिए पढ़ा दिया करो….(मैं जय सर की बात सुन कर एक दम से परेशान से हो गयी….)
मैं: जी मैं पर आप तो जानते है कि मेरे घर मे इस समय प्राब्लम है…
जय सर: सॉरी वो अचानक से मैं तुम्हे बोल रहा हूँ….डॉली कल वैसे बैठे-2 मैं उसके स्टडी के ऊपेर उससे कुछ सवाल करने लगा तो मैं एक दम से परेशान हो गया. एक दम 0 है पढ़ाई मे…देखो डॉली वो मेरे दोस्त का बेटा है…उसकी ज़िमेदारी मेरे ऊपेर है…और वो मुझसे तो फ्रॅंक है…इसलिए वो मेरे से ठीक तरह नही पढ़ पाएगा…
बहुत सोचने के बाद तुम्हारा नाम दिमाग़ मे आया….इसलिए मैने तुम्हे फोन किया है…प्लीज़ मुझे डिसपोंट मत करना…मुझे तुमसे बहुत उम्मीद है….और मैं जानता हूँ कि अगर तुम उसे पढ़ाओगी तो जल्द ही उसकी स्टडी मे इंप्रूव्मेंट हो जाएगी…
अब मैं एक दम फँस चुकी थी…जय सर स्कूल के प्रिन्सिपल और मालिक थे. उनको मैं सीधे सीधे ना नही बोल सकती थी…क्योंकि मेरे ना या हां बोलने पर मेरी और भाभी हम दोनो की नौकरी पर ख़तरा हो सकता था….”ठीक है सर…जैसे आप कहे”
जय सर: तो ठीक है कल सुबह 11 बजे से 1 बजे तक तुम यहाँ आकर उससे पढ़ा दिया करना…मैं कल सुबह तुम्हारे घर कार भिजवा दूँगा….और तुम्हे वापिस घर भी ड्रॉप मेरा ड्राइवर ही कर दिया करेगा…
मैं: जी ओके सर….
मैने फोन काटा….और माथे पर हाथ धर कर बैठ गयी…”अब बैठे बैठाए ये क्या मुसबीत गले पड़ गयी….जिस लड़के की शकल तक मैं देखना नही चाहती….अब उसे दो घंटे तक पढ़ाना पड़ेगा वो भी अकेले…
मैं यही सोच सोच कर परेशान हो रही थी….पर मैं जय सर को ना भी नही कर सकती…अगली सुबह मैं तैयार हुई, और 10:30 बजे बाहर जय सर की कार आकर खड़ी हो गयी….मैं कार मे बैठी और ठीक 11 बजे जय सर के घर पहुँच गये…जब मैं जय सर के घर मे दाखिल हुई तो एक बार सोच मे पड़ गयी कि, काश ऐसा ही घर मेरा भी होता….तभी जय सर के आवाज़ सुन कर मैं एक दम से चोंक गयी…
जय सर: अर्रे डॉली खड़ी क्यों हो आओ बैठो…
जय सर ने सोफे पर बैठते हुए कहा…मैं भी जय सर के सामने सोफे पर बैठ गये…थोड़ी देर बाद एक औरत जो कि दिखने मे 30-32 साल की लगती थी. ट्रे मे कोल्ड्रींक लेकर आई, और मुझे देकर वापिस चली गयी…उसने ऑरेंज कलर की साड़ी और ब्लॅक कलर का ब्लाउस पहना हुआ था… “ये दीपा है….पहले ये राज के घर पर ही काम करती थी…पर जब से उसकी दादा दादी का देहांत हुआ है…और जब से राज हमारे पास आया है….ये भी यही आ गयी…मुझे भी नौकरानी की ज़रूरत थी ही…इसलिए इसे रख लिया….”
जब से राज के मम्मी पापा अब्रॉड गये है…यही राज का ख़याल रखते हुए आ रही है. राज के पापा ने यहाँ से थोड़ी दूर एक गाओं मे बहुत ज़मीन खरीद रखी है. इसका पति वही खेती का काम देखता है….” फिर मैने कोल्ड्रींक पी और जय सर ने दीपा को आवाज़ दी…”दीपा इन्हे राज बाबा के रूम मे लेजाओ….ये राज की टीचर है….स्कूल मे राज को पढ़ाती है…और आज से जब तक छुट्टियाँ चल रही है. राज को रोज घर पढ़ाने आएँगी…..
दीपा: जी चलिए….
मैं उठ कर खड़ी हुई, और दीपा के पीछे जाने लगी…”दीपा मैं ज़रा स्कूल जा रहा हूँ…डोर बंद कर लेना….” सर ने बाहर की तरफ जाते हुए कहा…मैं दीपा के पीछे राज के रूम मे आ गयी…राज अपने रूम मे सोफे पर बैठा हुआ टीवी देख रहा था. जैसे ही राज ने मुझे देखा तो उसने टीवी का रिमोट एक साइड मे फेंक दिया…
|