Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
09-17-2018, 01:13 PM,
#15
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
जैसे ही मैं वहाँ ग्राउंड मे पहुँची तो, कुछ लडकयाँ दौड़ती हुई मेरे पास आई. “मिस कहाँ चली गयी थी आप…पता है हम सब ने हॉर्स राइडिंग की….” मैं सिर्फ़ मुस्कुरा कर रह गयी….और बिना कुछ बोले बाकी के टीचर्स के पास जाकर बैठ गयी…उसके बाद राज मुझे वहाँ दिखाई नही दिया….शाम को 4 बजे हम खज़ार से डल्होजि वापिस आ गये….. डल्होजि का टूर अगले दिन ख़तम हो गया….और हम वहाँ से वापिस आ गये.

उस दिन भी मुझे राज दिखाई नही दिया…पर हां जिस बस मे मैं बैठी थी. ललिता भी उसी बस मे बैठी थी….उसने कई बार मेरी तरफ देखा और फिर अपनी नज़रें फेर ली…हम सुबह 6 बजे ही वहाँ से निकल आए थे…इसलिए दोपहर को 1 बजे हम स्कूल मे पहुँच गये थे…वहाँ से जब मैं वापिस अपने घर पर जाने लगी तो, मेरे पीछे से एक स्कूटर निकाला और कुछ आगे जाकर रुक गया….

जब मेने उस स्कूटर की तरफ देखा तो, उसके पीछे ललिता बैठी हुई थी….ललिता उतर कर मेरे पास आई….और मेरे सामने आकर सर झुका कर खड़ी हो गयी…”हां ललिता बोलो अब क्या कहना है तुम्हे….” मेने उस स्कूटर पर बैठे सख्स की तरफ देखा. शायद वो ललिता के पापा थे….” मॅम ये मेरे पापा है….” तब तक ललिता के पापा स्कूटर से उतर कर हमारे पास आ चुके थे….” नमस्ते मेडम जी…मैं ललिता का पापा उमेश कुमार हूँ…ललिता आपकी बड़ी तारीफ करती है…”

मैं: नमस्ते उमेश जी….आपकी बेटी भी पढ़ने मे बहुत होशयार है….

उमेश: अच्छा बेटा तुम जल्दी से अब अपनी मॅम से जो बात करनी है कर लो…मैं वहाँ स्कूटर के पास जाकर तुम्हारा वेट करता हूँ….

उमेश के जाने के बाद ललिता ने मेरी तरफ देखा और धीरे से सहमी हुई सी बोली. “मॅम आप जानना चाहती थी ना कि, मैं ये सब क्यों कर रही हूँ….” मैने ललिता की तरफ देख और हां मे सर हिलाया…..”मॅम कल आप मुझसे मिलने मेरे घर आ सकती है…मुझे आपकी अड्वाइस की ज़रूरत है…”

मैं: ठीक है कॉसिश करूँगी….

ललिता: प्लीज़ मॅम आप ज़रूर आईएगा….बहुत अर्जेंट बात करनी है आपसे….

मैं: ओके ललिता कल मैं सुबह 11 बजे तुम्हारे घर पर आउन्गी…

उसके बाद ललिता चली गयी….और मैने भी बाहर आकर बस पकड़ी और घर पहुँच गयी….जब मैं घर पहुँची तो देखा कि हमारे घर ढह चुका है…और उस पर मजदूर लोग काम कर रहे थे….नयी दीवारे खड़ी हो चुकी थी….तभी मुझे पीछे से भाभी की आवाज़ सुनाई दी….वो सामने वाले घर के गेट पर खड़ी थी…मैं भाभी की तरफ गयी…तो भाभी ने मेरा बॅग पकड़ते हुए अंदर आने को कहा..

हमारे सामने वाला घर बंद था….शायद भाभी ने उसे किराए पर लिया था…भाभी ने अपना समान अंदर रखा और बोली…”जाओ पहले अपने भैया से मिल लो…कल ही हॉस्पिटल से डिसचार्ज होकर आए है….” मैं भैया के रूम मे गयी, तो भैया मुझे देखते ही रोने लगे…मैं भी अपने आप को रोक नही पे….और भैया के गले लग कर रोने लगी.



भैया: तू क्यों रो रही है बेहन….मुझ जैसे इंसान के लिए अपने आँसू ना बहाओ… मेरे साथ जो हुआ वही होना चाहिए था….मैं हूँ ही इसी लायक…..

मैं: भैया आप ऐसी बात ना करे…नही तो मैं अपने आप को संभाल नही पाउन्गी….

भैया: अच्छा छोड़ ये सब…तू जाकर फ्रेश हो….सफ़र से थक कर आई होगी..रात को बात करेंगे….

मैं वहाँ से उठ कर बाहर आई तो, भाभी मुझे उस रूम मे ले गयी….जहाँ पर उन्होने मेरा समान रखा था…”चल तू आराम कर मैं तुम्हारे लिए कोल्ड्रींक लेकर आती हूँ….” भाभी बाहर गयी और थोड़ी देर बाद कोल्ड्रींक लेकर मेरे पास आई..मैने कोल्ड्रींक पीते हुए भाभी से पूछा….

मैं: भाभी इतनी भी क्या जल्दी थी…आप ने ये सब कैसे मॅनेज किया….भैया और ऊपेर से अपने घर का काम शुरू करवा दिया….

भाभी: नही कोई ख़ास परेशानी नही हुई…अभी भाई यहीं पर है…और वो अभी कन्स्ट्रक्षन का कुछ समान लेने गया हुआ है….जल्द ही घर तैयार हो जाएगा… बाकी ट्यूशन वाले बच्चों ने भी बहुत मदद की घर का समान शिफ्ट करने मे….

खैर उस दिन और खास बात नही हुई, अगले दिन मैं सुबह तैयार होकर ललिता से मिलने के लिए उसके घर पहुँची, तो उसकी मम्मी ने डोर खोला….”नमस्ते आंटी मेरा नाम डॉली है….मैं ललिता के स्कूल मे पढ़ाती हूँ….”

आंटी: नमस्ते आइए ना अंदर आइए….ललिता देखो तुमसे मिलने के लिए तुम्हारी टीचर आई हुई है…

आंटी ने मुझे अंदर लेजा कर सोफे पर बैठाया “आप बैठिए, मैं अभी आती हूँ…” ये कह कर आंटी किचिन मे चली गयी….ललिता नीचे आई और मुझे विश किया और बोली. उसके रूम मे चल कर बात करते है….मैं ललिता के साथ ऊपेर उसके रूम मे आ गयी. उसके रूम दो सिंगल बेड लगे हुए थे….

मैं: ललिता तुम्हारे रूम और कॉन सोता है….

ललिता: जी मेरी बड़ी बेहन रीनू भी इसी रूम मे रहती है…

मैं: और तुम्हारी भाई…..

ललिता: नही मॅम हम दोनो बहनें ही है…..भाई नही है….

मैं; ओह्ह ओके…

इतने मे आंटी चाइ के साथ समोसे लेकर ऊपेर आ गयी…”अर्रे आंटी जी इसकी क्या ज़रूरत थी….” मेने मुस्कुराते हुए कहा…

.”अर्रे आप पहली बार आई है…और ये तो कुछ भी नही है…ललिता ने मुझे अभी थोड़ी देर पहले ही बताया था कि, आप आने वाली है….इसलिए जल्दी जल्दी मे बस इतना ही तैयार कर पाई….”

मैं: इट्स ओके आंटी जी…..


उसके बाद आंटी नीचे चली गयी…ललिता ने रूम के डोर पर जाकर एक बार बाहर नीचे देखा और फिर अंदर आकर मेरे पास बैठ गयी… हमने चाइ पी और सोमोसे खाए….”हां ललिता अब बोलो क्या बात है….”

ललिता: मॅम आप जानना चाहती थी ना….मैं ये सब क्यों कर रही हूँ….

मैं: हां…

ललिता: (थोड़ी देर चुप रहने के बाद) मॅम आप सही थी….आइ थिंक आइ लव हिम…” मैं सच मे उससे प्यार करने लगी हूँ…..

मैं: प्यार तुम लोग वहाँ पर जो कुछ कर रहे थे तुम उसे प्यार कहती हो…

ललिता: मैं जानती हूँ कि, मैने जो किया वो मुझे नही करना चाहिए था…पर मैं क्या करू. मैं उसे चाह कर भी मना नही कर पाई….जिस सख्स की शकल भी मैं देखना नही चाहती थी…अब मैं उसकी किसी भी बात को टाल नही पाती…

मैं: अच्छा ये सब अचानक से कैसे हो गया….क्या है जो तुम उसके कहने पर ये सब कर रही हो…

ललिता: मॅम शुरुआत कहाँ से हुई ये तो आप जानती ही हो….

मैं: हां फिर….

ललिता: मॅम दो महीने पहले मेरे पापा को जॉब से निकाल दिया गया था….

मैं: तो फिर इस बात का तुम्हारे और राज के साथ क्या कनेक्षन है….

ललिता: जॉब से निकाले जाने पर पापा बहुत परेशान रहने लगे थे…एक रात उन्होने ड्रिंक की हुई थी…और घर लौटते हुए उनका आक्सिडेंट हो गया था….

हमें तब पता चला जब उनको सड़क पर से उठा कर लोगो ने हॉस्पिटल मे अड्मिट करवाया. घर के हालात पहले से खराब थे…..जब हम हॉस्पिटल पहुँचे तो, डॉक्टर ने कहा कि पहले 50000 रुपये जमा करवाने होंगे…उसके बाद पापा का ट्रीटमेंट शुरू करेंगे… पर उस वक़्त हमारे पास इतने पैसे नही थे….



उस रात राज भी यहाँ हॉस्पिटल मे आया हुआ था…शायद उसके दोस्त का आक्सिडेंट हुआ था. उससे से मिलने के लिए…जब उसने मुझे हॉस्पिटल मे देखा तो वो हमारे पास आ गया. और मम्मी से पूछने लगा क्योंकि, मैने उसके साथ बात भी नही की थी… मम्मी ने उसे सब बता दिया….फिर पता नही वो कहाँ से 50000 रुपये ले आया और मम्मी को दे दिए….मम्मी ने बहुत मना किया….पर हमारे पास कोई चारा नही था….
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