RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
मैं जलदी से भाभी के रूम मे भागी, तो सामने का नज़ारा देख मेरे होश उड़ गये. भाभी ज़मीन पर बैठी हुई थी…और उनकी सलवार और पेंटी उनकी एक टाँग मे अटकी हुई थी…भाभी अपनी पीठ दीवार से टकाए हुए, सूबक रही थी….मैने जल्दी से भाभी को पकड़ कर बेड पर बैठा दिया….”भाभी मैं मैं पानी लेकर आती हूँ….” भाभी ने अपनी पेंटी और सलवार को पकड़ा जो, उनके लेफ्ट टाँग मे लटक रही थी, और उसे पहनते हुए बोली….”रहने दो दीदी…मैं ठीक हूँ…साला हिजड़ा है तुम्हारा भाई….” भाभी ने सलवार और पेंटी पहनी और अपने आँसू सॉफ करते हुए बोली…
भाभी: आए डॉली तू क्यों रो रही है….ये सब आज पहली बार तो नही हुआ हमारे घर पर…(तभी बाहर से हमारे पडोस मे रहने वाला लड़का भागता हुआ आया….)
लड़का: दीदी दीदी वो चेतन अंकल का बाहर रोड पर आक्सिडेंट हो गया है….
उस लड़के की बात सुन कर हमारे पैरों तले से ज़मीन खिसक गयी…एक पल के लिए मेने भाभी की तरफ देखा….और फिर हम दोनो बिना दुपट्टा लिए, घर से बाहर की तरफ भागी….जब बाहर रोड पर पहुँचे तो वहाँ पर लोगो की बहुत ज़्यादा भीड़ थी…हम भीड़ को चीरते हुए आगे बढ़े तो, देखा भैया ट्रक के अगले टाइयर के थोड़ा सा पीछे पड़े तड़प रहे थे…ट्रक का टाइयर उनकी टाँगो के ऊपेर से निकल गया था..
और उनकी दोनो टांगे बुरी तरह पिस चुकी थी…तभी पास के ही हॉस्पिटल की आंब्युलेन्स वहाँ आ गये…और हम वहाँ से भैया को लेकर हॉस्पिटल मे पहुँचे…पूरी रात हम हॉस्पिटल मे ही रहे…सुबह हमे पता चला कि भैया की दोनो टाँगो को काटना पड़ा था..नही तो उन्हे बचाना मुस्किल था….वैसे भी उनके टाँगे बेकार हो गयी थी… सुबह पोलीस भी आ गयी…इनस्पेक्टर ने मुझे बताया कि, उन्होने ट्रक ड्राइवर को पकड़ा हुआ है…उन्होने भैया का स्टेट्मेंट पहले से ही ले लिया था…
इनस्पेक्टर ने बताया कि, वो ड्राइवर जिस ट्रांसपोर्ट का ट्रक चला रहा था..वो ट्रांसपोर्टेर हम से मिलना चाहता था…हम सब हॉस्पिटल के एक खाली रूम मे इकट्ठा हुए, तो तो ट्रांसपोर्टेर ने अपने ड्राइवर की ग़लती के लिए हम से माफी माँगी….इनस्पेक्टर ने बताया कि आपका भाई नशे मे था…और ये आक्सिडेंट उसी की ग़लती वजह से हुआ है…इसलिए आप इस आक्सिडेंट पर कोई केस फाइल ना करे….और बदले मे ट्रांसपोर्ट के मालिक हमे 20 लाख रुपये देने के लिए तैयार है….
मेने और भाभी ने इस बारे मे बहुत सोचा..अगर हम केस भी करते तो हमारे हाथ कुछ ना लगता….उसी दिन हम ने फैंसला कर लिया था कि, हम ये केस रज़ामंदी के साथ बंद कर देंगे…भाभी के मम्मी पापा ने भी हमें यही सलाह दी….ट्रांसपोर्ट के मालिक ने हमे उसी शाम 20 लाख रुपये दे दिए….और हमने केस को क्लोज़ करवा दिया.. उस दिन सनडे था…भैया को अभी 7 दिन और हॉस्पिटल मे रखना था….इसलिए भाभी अगले दिन स्कूल नही जा पे….मेने जय सर को जब ये बात बताई तो उन्होने कहा कि, तुम घर जाओ…तुम्हारी भाभी और भैया को इस समय तुम्हारी ज़रूरत है….
और किसी भी तरह की मदद की ज़रूरत हो तो मुझे कहना….मैं वहाँ से सीधा हॉस्पिटल आ गयी…वहाँ पर भाभी की मम्मी पापा और भाई भी थे…मेने भाभी से जाकर भैया का हाल चाल पूछा….तो उन्होने कहा कि भैया अभी पहले से काफ़ी बेहतर है…तभी भाभी के पापा ने मुझसे कहा…..”डॉली बेटा हमने तुमसे एक ज़रूरी बात करनी है….”
मैं: जी कहिए ना….
अंकल: यहाँ नही बेटा चलो कॅंटीन मे चलते है….वहाँ पर आराम से बैठ कर बात करेंगे…और तुम्हारी भाभी ने सुबह से कुछ नही खाया है….वो भी कुछ खा लेगी.
मैं: ठीक है अंकल जैसे आप कहे…..
हम सब वहाँ से कॅंटीन मे आ गये….वहाँ कॅंटीन मे भाभी के लिए समोसे मँगवाए और हम सब ने चाइ ऑर्डर की…”देखो डॉली बेटा….अब तक जो हम से बन पड़ा हम ने अपनी बेटी के लिए किया…पर हमारी भी कुछ लिमिट्स है…देखो इसको ग़लत तरीके से मत लेना….पर मैं यहाँ पर तुम्हे और तुम्हारी भाभी दोनो को सॉफ-2 बता रहा हूँ कि, जो पैसे कल तुम दोनो को मिले है…उनमे से कुछ पैसो से अपने पुराने वाले घर को तुड़वा कर ठीक ढंग का नया मकान बना लो…चाहे छोटा सा ही…पर बना लो…और बाकी जो पैसे बचेंगे….मेरे ख़याल से कम से कम 6 लाख तुम्हारे घर और बाकी के समान को खरीदने मे लग जाएँगे….बाकी 14 लाख तुम दोनो अपने-2 बॅंक अकाउंट मे जमा करवा लो….
तुम भी मेरे बेटी जैसी हो….इसलिए मैं तुम्हारी साथ कोई नाइंसाफी नही कर सकता. अपने भाई की एक ना सुनना…अगर उसके हाथ ये पैसे लगे तो वो बेड पर लेटा लेटा ही सब कुछ उजाड़ देगा…” मैं अंकल की बात से एक दम सहमत थी….आख़िर अब हमारा इस दुनिया मे कॉन था…जो ज़रूरत के वक़्त हमे सहारा देता….अगले ही दिन मैने और भाभी ने अपने-2 बॅंक अकाउंट मे 7-7 लाख रुपये जमा करवा दिए…स्कूल से मेरे दो ऑफ चुके थे. भाभी तो अभी स्कूल नही जा सकती थी…
जय सर ने भाभी को 7 दिन की लीव दे दी थी….क्योंकि 7 दिन बाद वैसे भी स्कूल सम्मर वकेशन पर क्लोज़ होने वाला था एक महीने के लिए…..
28 मे जब मैं स्कूल पहुँची, तो मुझे पता चला कि, +1 और +2 के क्लासस को डॅल्लूसियी हिल स्टेशन पर 1 जून से लेकर 4 जून तक टूर पर लेकर जा रहे थे. जय सर ने मुझे साथ चलने के लिए कहा…क्योंकि मैं उन क्लासस को पढ़ाती थी..साथ जय सर और एक जेंट्स टीचर और दो लॅडीस टीचर्स भी चल रहे थे….
मेने जय सर को मना किया…पर मुझे जय सर ने कहा कि, तुम्हे साथ मैं जाना ही होगा…मुझे सर की बात माननी पड़ी….सर ने दो एसी बसों का इंतज़ाम किया हुआ था. हम सब 1 जून को सुबह 9 बजे स्कूल के ग्राउंड मे इकट्ठा हुए, सब स्टूडेंट्स और टीचर जो साथ चल रहे थे…बेहद खुस थी….धीरे-2 सभी स्टूडेंट्स बस मे चढ़ने लगे…मैं भी बस मे चढ़ि…आगे वाली सीट भर चुकी थी…पर लास्ट वाले कुछ रौ खाली थी….मैं बस के पीछे की तरफ बढ़ी…तो मेरी नज़र राज पर पड़ी. और अगले ही पल मैं ये देख कर गुस्से से भर गयी कि, वो ललिता के साथ बैठा हुआ था..
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