RE: Desi Chudai Kahani मेरी बीबी और जिम ट्रेनर
बॉब्बी कोई जवाब नही देता है. उसकी उंगलियाँ चूत के होंठो को फैलाए रखती हैं ताके वो अपनी जिव्हा अपनी माँ के गीले और सुंगंधित छेद में पूरी गहराई तक ठेल सके. चूत की गहराई से गाढ़े मलाईदर रस का बहना लगातार जारी था, और चूत का दाना सूज़ कर और भी मोटा हो गया था जो रोयेन्दार चूत की लकीर के उपर उभरा हुआ दिखाई दे रहा था.
बॉब्बी अपनी जिव्हा को चूत के उपर की ओर घुमाता है. वो चूत चूसने के कौशल मे अपनी प्रवीनता उस समय साबित कर देता है जब वो अपनी जीभ अपनी मम्मी की चूत के दाने पर एक तरफ़ से दूरी तरफ तक कोमलता से रगड़ता है. निर्वस्त्र माँ सीत्कार करते हुए बेटे के सिर को दोनो हाथों में थाम लेती है. और फिर वो अविलंब अपने नितंब बेड से उपर हवा में उच्छलते हुए अति शीघ्रता से अपने बेटे का मुँह अपनी गीली फुददी से छोड़ने लगती है.
"हाई, बेटा!!" दिव्या भर्राए गले से बोलती है. "उंगघ! मम्मी को चूसो बेटा! मम्मी को बुरी तरह से चूस डालो! उंगघ! मम्मी के दाने को चाटो! चूसो इसे! अच्छे से चूसो! अपनी मम्मी को सखलित कर दो मेरे लाल."
बॉब्बी चूत को चूमते हुए उसकी चुसाइ चालू रखता है, केवल तभी विराम लगाता है जब वो अपना चेहरा मम्मी की घनी, सुनेहरी रंग की घुँगराली झान्टो पर रगड़ता है. अब वो अपनी उंगलियाँ सीधी करता है और उन्हे अपनी माँ की चूत के संकिरण और बुरी तरह से चिपके अन्द्रुनि मार्ग पर धकेल्ता है. दिव्या के जिस्म में कंपकंपी दौड़ जाती है जब उसका बेटा उसकी चूत में उंगली करते हुए उसके दाने को मुँह में भरकर चूस्ता है.
"हाई...हाई...बॉब्बी! चूस इसे! ही..मेरी मिन्नत है बेटा..!"
बॉब्बी दाने को होंठो में दबाए हुए उसे कोमलता से चूस्ता है मगर जिव्हा को उस पर कठोरता से रगड़ते हुए, और साथ ही साथ शीघ्रता से उसकी फुददी में अपनी उंगलियाँ अंदर धकेल्ता है. दिव्या अपने भीतर गहराई में रस उमड़ता हुआ महसूस करती है जिसके कारण उसके चुचकों और गुदाद्वार में सिहरन सी दौड़ जाती है और सखलनपूर्व होने वाले एहसास से उसके जिस्म में आनंदमयी खलबली मच जाती है. और फिर वो जिस्म ऐंठते हुए अनियंत्रित ढंग से सखलित होने लगती है जब उसका अपना सगा बेटा उसकी चूत को चूस रहा होता है.
"चूस इसे बेटा ज़ोर से चूस! उंगघ! चाट इसको, अपनी मम्मी की चूत चाट! में झड रही हूँ बेटा, मैं झड रही हूँ!"
दिव्या की तड़पति चूत संकुचित होते हुए इतना रस उगलती है कि उसका लाड़ला दिल खोल कर चूतरस को चूस और चाट सकता था. बॉब्बी मम्मी के दाने को लगातार चूस्ते हुए और उसकी चूत में उंगली करते हुए उसे सखलन के शिखर तक ले जाता है. लगभग एक मिनिट बीत जाने पर चूत का संकुचित होना कम होता है. तब तक दिव्या को अपनी फुद्दि के भीतर गहराई में एक एसी तडपा देने वाली कमी महसूस होने लग जाती है जैसी उसने आज तक महसूस नही की थी. वो चाहती थी कि उसका बेटा जितना जल्दी हो सके उसकी चूत में अपना लंड घुसेड दे, वो अपने बेटे के मोटे मांसल लौडे से अपनी चूत ठुकवाने के लिए मरी जा रही थी.
"तुम _ तुम अब अपनी मम्मी को चोद सकते हो बेटा. में जानती हूँ असलियत में तुम यही चाहते हो, है ना? आगे बढ़ो, बेटा. इसे मेरी चूत मे घुसेड डालो! जल्दी बेटा जल्दी!"
बॉब्बी अपनी मम्मी की जाँघो के बीच रेंगते हुए उस के उपर चढ़ जाता है. उसका विकराल लंड रस टपकाते हुए उसके पेट पर ठोकर मार रहा था. दिव्या अधिरता पूर्वक अपना हाथ नीचे लाती है और अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसके सुपाडे को अपनी चूत के द्वार से भिड़ा देती है. दिव्या अपना निचला होंठ दांतो में दबाए हुए रीरियाती जब उसे अपने बेटे का मांसल लौडा उसकी चूत को भेदते हुए अंदर दाखिल होता महसूस होता है. उसकी चूत के मोटे होंठ बेटे के आक्रमणकारी लंड की मोटाई के कारण बुरी तरह से फैल कर उसको कसकर जकड लेते हैं.
"उबगघ! हाई,बॉब्बी तेरा वाकई में बहुत बड़ा है! तुम इसे वाकई में मेरे अंदर ठूँसने जा रहे हो, है ना? उंगघ! आगे बढ़ो मेरे लाल और ठूंस दो इसे अपनी मम्मी की चूत मे! जल्दी , जल्दी!"
बॉब्बी अपनी जांघे चौड़ी कर लेता है ताकि उसके कूल्हे चूत में लौडा ठोकने के लिए सबसे बढ़िया स्थिति में हो. और फिर वो अपने लौडे को धीरे धीरे आगे पीछे करते हुए धक्के लगाना चालू कर देता है. हर धक्के के साथ वो अपना लंड अपनी माँ की चूत में गहरा और गहरा करता जाता है. दिव्या अपना सिर उपर उठाते हुए नीचे की ओर देखती है कि कैसे उसके बेटे का लंड जिस पर नसे उभर आई थीं, उसकी संकरी चूत में आगे पीछे हो रहा था. चूत लंड के मिलन का यह नज़ारा देखने में बड़ा ख़तनाक मगर साथ ही साथ बेहद रोमांचित कर देने वाला भी था. दिव्या गान्ड हवा में उछालते हुए अपनी तड़पति चूत अपने बेटे के मोटे लौडे पर धकेल्ति है.
"बॉब्बी तुम _ तुम मुझे गहराई तक चोद सकते हो." वो हाँफते हुए बोलती है "आगे बढ़ो बेटा और अपनी मम्मी की चूत जितना गहराई तक हो सके चोदो!"
बॉब्बी और भी कठोरता से धक्के लगाना चालू कर देता है. वो वाकई में अपना विशाल लंड माँ की संकीर्ण, काँपति चूत में इतने बल पूर्वक ठोकता है कि दिव्या का जिस्म कांप उठता है. आख़िरकार वो अपना संपूर्ण लंड अपनी मम्मी की चूत में डालने में सफल हो जाता है. दिव्या ने पूरी जिंदगी में, खुद को किसी कठोर लौडे द्वारा इतना भरा हुआ कभी महसूस नही किया था.
उसकी चूत बुरी तरह ऐंठने लगती है और उस विशाल लंड को, जो उसकी बच्चेदानी के अंदर ठोकर मार रहा था, को चारों और से भींचते हुए चूस्ति है. मम्मी की चूत में अपना पूरा लंड ठोक कर बॉब्बी कुछ पलों के लिए स्थिर हो जाता है. वो अपनी कोहनियों को मोडते हुए अपनी माँ के जिस्म पर पसर जाता है. दिव्या के मोटे स्तन अपने बेटे की चौड़ी छाती के नीचे दब जाते हैं.
"चोद अपनी माँ को, बॉब्बी! माँ की चूत ठोक दे!"
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