RE: Desi Chudai Kahani मेरी बीबी और जिम ट्रेनर
दिव्या अपने लंबे लंबे काले बालों को चेहरे से हटाते हुए अपने बेटे के बेडरूम के दरवाजे की ओर गुस्साई नज़रों से देखती है.
"बॉब्बी, मैं जानती हूँ तुम वहाँ पर इस समय क्या कर रहे हो! मुझे तुम्हारी ये रोज़ाना हस्तमैथुन करने की आदत से नफ़रत है. बॉब्बी क्या तुम सुन रहे हो?
नयी नयी जवानी मे पाँव रख रहे उस के बेटे ने कोई जवाब नही दिया. बेड की पुष्ट की दीवार से टकराने की लगातार आ रही आवाज़ और उँची हो जाती है, और बॉब्बी और भी आतूरता से अपने लंड को पीटने लग जाता है. उसकी कलाई उसके मोटे, लंबे और सख़्त लंड पर उपर नीचे और भी तेज़ी से फिसलने लग जाती है.
"बॉब्बी"
दिव्या ने तेश मे आते हुए ज़ोर से अपने पावं को फरश पर पटका. वो 36 बरस की यौवन से भरपूर नारी थी. बड़ी बड़ी काली आँखे, लंबे बाल छरहरा बदन और उसपे मोटे मोटे गोल मटोल मम्मे उसके जिस्म को चार चाँद लगाते थे.
"बॉब्बी, मेरी बात को अनसुना मत करो"
बॉब्बी एक गहरी सांस लेता है और बेड की पुष्ट की दरवाजे से टकराने की आवाज़ और भी उँची हो जाती है. शायद वो स्खलन के करीब था. दिव्या गुस्से से लाल होती हुई दरवाजे से पीछे की ओर हटते हुए नीचे हाल की तरफ बढ़ जाती है. उसने एक टाइट जीन्स और नीले रंग की शर्ट पहनी है जिसमे कि उसके मोटे मम्मे बिना ब्रा के काफ़ी उछल कूद मचा रहे होते हैं. यह किसी भी घरेलू ग्रहिणी के घर पर पहनने के लिए नॉर्मल पोशाक मानी जा सकती थी मगर वो जिस हालात मे से गुज़र रही थी वो नॉर्मल नही थे.
एक तो वो तलाक़सुदा थी और उसकी नौकरी से उसे बहुत ज़्यादा सॅलरी नही मिलती थी. उसके बेटे की पढ़ाई का खर्च उसके पति द्वारा दिए गये खर्च से होता था और उसकी अपनी सॅलरी से घर का खर्च अच्छे से चल जाता था. कुल मिलाकर वो कोई रईसजादि नही थी लेकिन जीवन की सभी आवश्यक ज़रूरते पूरी हो जाती थी. उसकी खुशकिस्मती यह थी कि तलाक़ के बाद उसके पति ने घर को खुद उसके नाम कर दिया था और बेटे की पढ़ाई के खर्च की ज़िम्मेदारी भी अपने उपर ली थी ता कि तलाक़ आसानी से हो जाए. इन सब के उपर बॉब्बी की हस्तमैथुन की लत ने उसे परेशान किया हुआ था.
यह 6 महीने पहले शुरू हुआ था जब उसका नया नया तलाक़ हुआ था. बॉब्बी 18 बरस का बहुत ही सुंदर और मज़बूत कद काठी का मालिक था. उसकी जीन्स मे हर समय रहने वाले उभार को दिव्या शरम के बावज़ूद वी नज़रअंदाज़ नही कर सकती थी. दिव्या ने कहीं पर पढ़ा था कि किशोर युवकों में संभोग की बहुत ही तेज़ और ज़ोरदार चाहत होती है. मगर अपने बेटे की पॅंट में हर समय रहने वाला उभार उसके लिए अप्रत्याशित था.
उसे लगता था कि शायद उसकी सुंदर काया उसके बेटे के हस्तमैथुन का कारण है. दिव्या की कमर ज़रूरत से कुछ ज़यादा ही पतली थी और उसकी लंबी टाँगे और उसकी वो गोल मटोल उभरी हुई गान्ड. मगर उसके जिस्म को चार चाँद लगाते थे उसके बड़े बड़े मोटे मोटे मम्मे. एसा लगता था जेसे वो कमीज़ फाड़ कर बाहर आना चाहते हों जेसे वो पुकार पुकार कर कह रहे हों आओ और हमें निचोड़ डालो. उसका जिस्म हर मर्द को अपनी ओर आकर्षित करता था और उसे डर था कि उसका अपना बेटा भी कोई अपवाद नही है. तलाक़ के बाद पिछले 6 महीनो में उसने अपने बेटे को अक्सर उसके जिस्म का आँखो से चोरी चोरी मुयायना करते हुए पकड़ा था और उसकी पैंट में उस वक्त बनने वाले तंबू को देखकर वो अक्सर काँप जाया करती थी
'कम से कम उसे खुद को रोकने की कोशिस तो करनी चाहिए' दिव्या सोचती 'या कम से कम उसे यह काम धीमे बिना किसी आवाज़ के करना चाहिए'. इस वक़्त दुपहर के साढ़े तीन बाज रहे थे और बॉब्बी को घर आए हुए अभी आधा घंटा ही हुआ था. वो घर आते ही भाग कर सीढ़ियाँ चढ़ कर सीधे उपर अपने कमरे में चला गया उसकी पैंट में सामने का उभार सॉफ दिखाई दे रहा था.
दो मिनिट बाद ही थप थप की आवाज़ आनी शुरू हो गयी. वो यह आवाज़ रोज़ाना कम से कम चार बार सुनती थी. उसने कयि बार कोशिस की बॉब्बी से इस बाबत बात करने की नर्मी से भी और सख्ताइ से भी लेकिन बॉब्बी कभी भी उसकी सुनता नही था. उसने जवाब मे सिर्फ़ इतना ही कहा था कि वो चाह कर भी खुद को रोक नही पाता जैसे ही उसका लंड खड़ा होता था उसके हाथ खुद ब खुद उसे रगड़ने के लिए उठ जाते थे.
'नहीं ऐसे नही चलेगा, उसे खुद पर संयम रखना सीखना होगा' दिव्या ने सहसा अपने ख़यालों से बाहर आते हुए खुद से कहा. वो उठकर हॉल के क्लॉज़ेट मे से बॉब्बी के कमरे की चाबी निकालती है. पक्के इरादे के साथ वो बॉब्बी के कमरे की ओर वापस बढ़ जाती है यह सोचते हुए कि आज वो अपने बेटे को रंगे हाथों पकड़ने जा रही है. किसी युवक के लिए इतना हस्तमैथुन ठीक नही था. बॉब्बी को अपनी शरीरक़ इच्छाओं को काबू में रखना सीखना होगा.
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