RE: Incest Porn Kahani उस प्यार की तलाश में
फिर मैं कॉलेज के तरफ चल पड़ी मगर जाते जाते मैने एक नज़र विशाल के पेंट की तरफ एक नज़र डाली तो मुझे उसके पेंट पर उभार सॉफ महसूस हो रहा था......ये नज़ारा देखकर मेरे चेहरे पर एक शरारती मुस्कान तैर गयी.......शायद ये मेरी सफलता की पहली सीढ़ी थी......थोड़ी देर बाद पूजा भी आ गयी......वैसे तो सॅटर्डे को क्लास नहीं लगती थी.......सारा दिन हम सहेलियाँ बस बातों में अपना टाइम पास करती थी........पूजा मेरे पास आई और मेरे गालों पर चुटकी काट ली.....मेरे मूह से एक दर्द भरी सिसकारी फुट पड़ी.......
पूजा- वैसे जान आज तो तू पूरी कयामत लग रही है....आज ये बिजली किस्पर गिराने का इरादा है.........
मैं ना चाहते हुए भी पूजा की बातों को सुनकर मुस्कुरा पड़ी.......
अदिति- आज तू बस में क्यों नहीं आई........
पूजा- हां आज देर हो गयी थी जिससे मेरी बस छूट गयी......चल पार्क में चलते है.....मैं फिर पूजा के साथ पार्क में चल पड़ी........
अदिति- पूजा एक सवाल मैं तुझसे पूछू.......प्लीज़ मेरे सवाल का ग़लत मतलब मत निकालना......
पूजा मेरी तरफ ऐसी देखने लगी जैसे मानो मैने उससे कोई बहुत बड़ी चीज़ माँग ली हो.......वो एक टक मेरे चेहरे की ओर देखती रही......
पूजा- बोल अदिति.....क्या पूछना चाहती है.......
अदिति- तुझे विशाल कैसा लगता है......मेरा मतलब........है........कि......
पूजा मेरी तरफ ऐसे देखने लगी जैसे मैने कोई बहुत बड़ी बात उससे कह दी हो- अच्छा लगता है......बहुत अच्छा लगता है.......मगर तू ये सब क्यों मुझसे पूछ रही है.......
अदिति- एक बार तूने कहा था कि अगर विशाल तेरा भाई होता तो तू उससे वो कर लेती.......क्या तुमने ये बात मुझसे सीरियस्ली में कहा था या मज़ाक में........
पूजा- वो तो बस मैने ऐसे ही कह दिया था......मगर तू ये सब क्यों मुझसे पूछ रही है.......बात क्या है......कहीं तेरा दिल भी तेरे भाई पर तो नहीं आ गया........और ये क्या करना करना लगा रखा है.....उसे चुदवाना कहते है......अब मुझसे भी इतना शरमाएगी तो कैसे काम चलेगा......
अदिति- बस ऐसे ही........अच्छा बता अगर तू मेरी जगह पर होती तो तू क्या करती विशाल के साथ....आइ मीन तू उसे कैसे सिड्यूस करती.......
पूजा मेरी बातें को सुनकर धीरे से मुस्कुरा देती है......मेरा चेहरा इस वक़्त शरम से पूरा लाल पड़ चुका था मगर मेरे पास और कोई रास्ता भी नहीं था.......अगर आइडिया नहीं मिलेगा तो बात आगे कैसे बढ़ेगी......ये सोच कर मैं पूजा से इस बारे में जानकारी ले रही थी......
पूजा- मुझे तो लगता है कि तू भी अब विशाल से चुदवाना चाहती है.......खैर उससे मुझे क्या.......तेरी लाइफ है तू जिससे चाहे चुदवा.....वो चाहे तेरा भाई ही क्यों ना हो.......अगर मैं तेरी जगह होती तो रोज़ मैं शॉर्ट कपड़े पहन कर विशाल के सामने जाती.......उसे अपनी चुचियाँ दिखाती......उससे खुल कर बातें करती.....और जब भी मौका मिलता उससे सट कर खड़ी रहती........लड़कों को सिड्यूस करना हो तो सबसे पहले उसे अपना जलवा दिखाना पड़ता है.....तभी तो वो जानेगा कि हम क्या चीज़ है......
मगर ये याद रखना कि कभी अपना सब कुछ इतनी आसानी से किसी को मत सौप देना......नहीं तो उस चीज़ की अहमियत ख़तम हो जाएगी.......मेरे कहने का मतलब तू समझ रही है ना......मर्दों को जितना हम तडपायेन्गे उतना ही वो हमारे पीछे आएँगे........बस तू ये सब करती जा फिर देखना दुनिया का कोई भी मर्द तुझे पाने के लिए मानो पागल सा हो जाएगा........
मैं पूजा की बातों को सुनकर कुछ पल तक खामोश रही......और फिर शुरू से सब कुछ सोचने लगी........पूजा ने सही कहा था.......अब मुझे ये सब तरीके विशाल पर आज़माने थे......और अब मैं विशाल को अपने हुस्न के जलवों से पूरा पागल करना चाहती थी.......देखा चाहती थी कि वो मेरे लिए अब कितना बेचैन हो सकता है.......ये तो आने वाला वक़्त ही बता सकता था.
पूजा बार बार मेरे चेहरे की तरफ सवाल भरी नज़रो से देख रही थी.......वो मेरे दिल में उठे उस तूफान को बिल्कुल नहीं समझ पा रही थी......अगर समझ जाती तो उसे अपने उपर कभी विश्वास नहीं होता.......ये मुझे पल पल क्या होता जा रहा था......मैं खुद अपने उपर हैरान थी कि आख़िर मैं ये सब करके क्या साबित करना चाहती हूँ......मैं ये बात अच्छे से जानती थी कि इसमें सिवाए रुसवाई, दर्द और बदनामी के मुझे और कुछ हासिल नहीं होने वाला.........
पता नहीं जब मेरे दिल की बात विशाल को पता लगेगी तब वो मेरे बारे में क्या सोचेगा......मगर मैं जानती थी कि हवस ऐसा नशा है जिसमें इंसान अपना वजूद तक भूल जाता है......वो ये भी नहीं सोचता कि सामने उसकी बेहन , मा या बेटी है.......मैं जानती थी कि एक ना एक दिन इस तपिश की आग में विशाल भी अपना सब कुछ भूल जाएगा......
पूजा बात बात पर मुझे छेड़ती रही.......मगर मैं किसी भी हाल में अपने और विशाल के बीच रिश्तों को उसे बताना नहीं चाहती थी......मैं ये बात अच्छे से जानती थी कि वो विशाल की बातों को लेकर अक्सर मुझसे मज़ाक करती है पर पता नहीं क्यों मैं अब उसे सीरियस्ली लेती जा रही थी.......मैं कॉलेज में पूजा की बातों से और भी गरम हो चुकी थी.......जब तक वो मेरे पास रही ये सब बातें मुझसे करती रहती.......
पहले तो मुझे ये सब बुरा लगता था मगर अब मैं खुद उसकी बातों में इंटरेस्ट लेती जा रही थी......जैसे तैसे मैं अपने जज्बातो को संभालते हुए दोपहर में घर पहुँची.......सॅटर्डे की वजह से विशाल अक्सर अपने दोस्तों के साथ घूमने निकल जाया करता था इस लिए मुझे अकेले कॉलेज से आना पड़ता था.......मैं अपने घर आई और सीधा अपने रूम में चली गयी.....मम्मी ने मेरे लिए खाना बना दिया था.......मैं फ़ौरन अपने कपड़े चेंज कर खाना खाने लगी ....मम्मी फिर थोड़ी देर बाद अपने कमरे में सोने चली गयी.........
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