Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
09-01-2018, 12:00 PM,
#77
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
डायरी के आखरी पन्नो पर जब उसकी नज़र पड़ती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं. निशा ने लाल अक्षरों से सॉफ सॉफ लिखा था कि अगर राहुल मेरा नहीं हो सका तो मैं अपने आप को हमेशा हमेशा के लिए मिटा दूँगी.

राधिका जब पूरा डायरी पढ़ लेती हैं तो उसका शक़ पूरा यकीन में बदल जाता हैं कि निशा का प्यार और कोई नहीं बल्कि राहुल ही हैं. और उसे ऐसा लगने लगता हैं कि वो शायद निशा और राहुल के बीच में आ गयी हैं. आज राधिका की भी आँखें नम थी. आब उसके सामने केवल दो ही रास्ते बचे थे या तो दोस्ती के लिए अपने प्यार को कुर्बान कर देना या फिर प्यार के लिए दोस्ती को. अब यहाँ पर फ़ैसला राधिका को लेना था कि वो कौन सा ऑप्षन चूज़ करती हैं.. दोस्ती...................या प्यार.

काफ़ी देर तक वो ऐसे ही गुम्सुम बैठी रहती हैं. आज वक़्त ने उसके सामने ऐसी परिस्थिती खड़ा कर दी थी कि वो चाह कर भी कोई फ़ैसला नहीं ले पा रही थी. बस वो एक टक राहुल के बारे में सोचने लगती हैं और उसकी आँखें फिर से नम हो जाती हैं...............

.........................................................

उधेर निशा भी राधिका के जाने के करीब 1/2 घंटे बाद घर आती हैं. और आज भी उसका मूड बहुत डिस्टर्ब था. वो कुछ बोलती नहीं बस चुप चाप सीधे अपने कमरे में आकर बिस्तेर पर लेट जाती हैं. थोड़े देर में सीता भी उसके रूम में आती हैं.

सीता- आ गयी तू. अभी तुझसे राधिका मिलने आई थी. थोड़ा देर इंतेज़ार किया फिर वो अपने घर निकल गयी.

निशा- क्या??? लेकिन ऐसा आचनक बिन बताए. कोई बात थी क्या ???

सीता- नहीं ज़्यादा कुछ कहा नहीं बस चाइ पी और इधेर उधेर की दो चार बातें की और बस......

निशा- ठीक हैं मा. मैं राधिका से बाद में बात कर लूँगी.

सीता फिर अपने कमरे में आ जाती हैं और घर के काम में जुट जाती हैं. और उधेर निशा जाकर अपनी डायरी ड्रॉयर से निकालती हैं मगर उसे अपनी डायरी कहीं नज़र नहीं आती. जब वो पूरा घर छान मारती हैं तो वो परेशान होकर अपनी मा को आवाज़ देती हैं..

निशा- मम्मी क्या आपने मेरे ड्रॉयर में मैने एक लाल कलर की डायरी रखी थी.क्या आपने वो डायरी देखी हैं???

सीता- पता नहीं . हां याद आया आज कबाड़ी वाला आया था तो मैने घर में रखा सारा पुराना कापी किताब सब बेच दिया. हो सकता हैं वो डायरी भी वो कबाड़ी वाला ले गया हो.

निशा अपने सिर पर हाथ रखते हुए- हे भगवान कम से कम आपको मुझसे एक बार पूछ तो लेना चाहिए था ना. आप जानती नहीं हैं वो डायरी मेरे लिए कितनी इंपॉर्टेंट थी.

सीता- पर तू भी अपनी सारे किताबें इधेर उधेर हमेशा फेंक कर रखती हैं तो मुझे क्या मालूम कि कौन से किताब तेरे लिए ज़रूरी हैं और कौन नहीं. और सीता फिर अपने कमरे में चली जाती हैं.

निशा भी उस डायरी के खो जाने से काफ़ी परेशान रहती हैं. मगर उसे मालूम था कि वो डायरी उसे अब कभी नहीं मिलेगी. गुस्सा तो उसे अपनी मम्मी पर बहुत आता हैं मगर वो कुछ कहती नहीं और जाकर बिस्तर पर चुप चाप लेट जाती हैं.

जिस तरह निशा को डायरी लिखने का शौक था उसी तरह राधिका की भी हॉबी थी. और ये प्रेणना उसे राधिका से ही मिली थी. तब से वो भी अपनी पर्सनल मॅटर डायरी में ही लिखती थी.

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इधेर मोनिका ने भी अपनी डील की शुरूवात की पहली पहल शुरू कर दी थी. वो तो बस यही चाहती ही कि वो कैसे भी विजय और बिहारी के चंगुल से बाहर निकले चाहे इसके बदले राधिका की ही बलि क्यों ना देनी पड़े. और वो ये बात भी अच्छे से जानती थी कि अगर एक बार राधिका उनके चंगुल में फँस गयी तो उसकी ज़िंदगी पूरी तरह तबाह हो जाएगी. मगर स्वार्थ आदमी को कितना अँधा बना देता हैं. आज मोनिका अपने फ़ायदे के लिए राधिका को भी बर्बाद करने से पीछे नही हटने वाली थी.

थोड़ी देर के बाद राधिका के मोबाइल पर एक कॉल आता हैं. नंबर अननोन था.

राधिका- हेलो!!! कौन???

फोन मोनिका ने ही किया था.

मोनिका- क्या आप राधिका बोल रहीं हैं.

राधिका- हां कहिए क्या बात हैं. और आप कौन.???

मोनिका- कौन हूँ मैं ये बताने के लिए मैने फोन नहीं किया हैं. मैं जानती हूँ कि तुम इस वक़्त अपने घर पर बिल्कुल अकेली हो.

राधिका- देखिए आप बोल कौन रहीं हैं और आपको ये सब कैसे पता.

मोनिका- मेरी बात ध्यान से सुनो. तुम्हारे भाई का नाम कृष्णा हैं ना. और वो तुमसे यही बता कर घर से गया होगा कि वो आज काम पर जा रहा हैं. वो कोई काम पर नहीं गया हैं. मैने यही अभी थोड़े देर पहले उसे एक वेश्या के साथ देखा हैं.

राधिका- ज़ोर से चिल्लाते हुए- आप बोल कौन रहीं हैं और आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरे भैया के बारे में ऐसे गंदी बातें बोलने की.

मोनिका- चिल्लाने से सच नहीं बदल जाएगा. अगर तुम्हें यकीन नही होता मेरी बात का तो मैं तुम्हें एक अड्रेस देती हूँ. तुम तुरंत वहाँ पर पहुँच जाओ और जाकर खुद ही अपनी आँखों से देख लो. अगर मेरी बात झूट निकले तो जो सज़ा दोगि मुझे मंज़ूर होगा. फिर मोनिका उसे एक अड्रेस देती हैं.
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