RE: Incest Porn Kahani ठरकी दामाद
''ईईईईईईईईईईईईई........ सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... ओह जीजू ......... म्*म्म्ममम........ आई लव यूउुुुउउ''
और इतना कहकर उसने अपने ढीले और गीले होंठ अजय के होंठों पर रखकर उसे चूमना शुरू कर दिया..अजय की रेलगाड़ी चल पड़ी..वो उसकी फुददी को चोदता हुआ उसके नर्म मुलायम होंठों को चूस रहा था,अपनी छाती पर उसके नर्म मुम्मो को महसूस कर पा रहा था..
दोनो के शरीर आपस में घिस रहे थे और ऐसा लग रहा था की उनमे से आग निकल पड़ेगी..दोनो काफ़ी गर्म हो गये थे...और फिर वो वक़्त भी आ गया जब दोनो ही एक साथ चिल्ला पड़े...दोनो का ओर्गास्म एक साथ ही हो गया था.
''आआआआआआहह ओह माई गॉड ...................सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... ''
अजय भी सिसियाता हुआ सा उसके बालों में मुँह छुपा कर काफ़ी देर तक अपना माल उसकी चूत में छोड़ता रहा ....पूजा के साथ भले ही प्राची जितना टाइम नही लगा था, लेकिन इसकी चुदाई में मज़ा पहले से ज़्यादा आया था...
अजय ने पास ही पड़े पिल्लो को उठाया और उसका कवर निकाल लिया...और पूजा को धीरे से उठने के लिए कहा...जैसे ही वो उठी, अजय का लंड फिसलकर बाहर आ गया और पीछे -2 निकला ढेर सारा रस
जिसे अजय ने पिल्लो कवर लगा कर सोख लिया...और पूजा की चूत अच्छी तरह से सॉफ कर दी..पूजा को उसका ये केयरिंग अंदाज काफ़ी पसंद आया..उसके बाद अजय ने उसी कवर से अपना लंड भी सॉफ किया और उसे एक कोने में फेंक दिया..
थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही एक दूसरे से चिपककर लेटे रहे...चूमते रहे..अजय ने सोचा भी नहीं था की वो अपनी लाइफ में इस तरह का रिस्क लेगा ,अपनी बीबी के घर पर होते हुए अपनी साली की चुदाई करेगा, लेकिन जो भी उसने किया था, मजा बहुत मिला था दोनों को ।
फिर अजय वापिस चला गया..उसे प्राची का डर सता रहा था..गनीमत थी की वो अभी तक सो रही थी..वो वापिस उसके पीछे जाकर लिपटकर पहले जैसे सो गया,जैसे कुछ हुआ ही ना हो.
अगले दिन फ्राइडे था,कुछ ख़ास नहीं हुआ, लेकिन वीकेंड पर कुछ ऐसा होने वाला था जो अजय की जिंदगी में एक और मसालेदार रंग भरने वाला था
शनिवार को अजय की छुट्टी थी, उसने पहले ही सोच रखा था की आज वो पूरा दिन आराम करेगा, बियर पीकर मस्त रहना चाहता था वो ...पूरे हफ्ते चुदाई कर-करके उसकी हालत खराब हो चुकी थी, अब इन 2 दिनों में वो प्राची के साथ बिना कुछ करे रहना चाहता था..
लेकिन चुदाई के देवता को शायद उसका ये आराम करने का प्लान पसंद नही आया था..जैसे ही वो नाश्ता करके हटा, उसके बॉस का फोन आ गया.
अजय : "जी बॉस, कहिए...''
बॉस : "अजय , वो जो अमेरिका वाली पार्टी थी,जिसे तुमने प्रपोज़ल भेजा था, उनका फोन आया था मुझे अभी, वो हमारी सर्वीसेज़ लेने के लिए तैयार है...अब तुम जल्दी से उन्हे हमारे अभी तक के प्रोजेक्ट्स की एक प्रेज़ेन्टेशन बना कर भेज दो,और उसके साथ उनमे आई लागत और टेक्निक की डिटेल्स भी दे देना , प्रेज़ेन्टेशन ऐसी होनी चाहिए की वो ऑर्डर हमें ही दे...समझे..''
राहुल : "जी... जी बॉस...''
बॉस : "लेकिन इसके लिए हमारे पास सिर्फ़ आज और कल का दिन है...आई नो की ये छुट्टी वाले दिन है, बट तुम्हे कुछ मैनेज करना पड़ेगा...''
राहुल की तो सुलग गयी ये सुनकर...कहां तो उसने पूरा दिन आराम करने का सोचा हुआ था और ये बॉस है की उसका आज और कल दोनों दिन खराब करने में लगा है...वो जानता था की ये काम कितना बड़ा है, कम से कम 8-10 घंटे का काम था...और वो ये भी जानता था की उसके अलावा कोई और ये काम कर ही नही सकता..और वैसे भी हाल ही में मिली प्रमोशन के बाद तो उसकी ज़िम्मेदारी ज़्यादा बड़ चुकी थी..इसलिए उसने बुझे शब्दों में हाँ कर दी.
बॉस ने ये कहते हुए फोन रख दिया की अभी किसी के हाथ ऑफीस की चाभी उसके घर भिजवाता हूँ ..और ये भी कहा की अगर जरुरत पड़े तो वो भी ऑफिस आ जायेगा
फोन रखने के बाद उसने बुझे मन से जब ये बात प्राची को बताई तो वो बोली : "अरे , इसमें इतना परेशान होने वाली क्या बात है, ये तो तुम्हारा काम है, तुम्हे ज़रूर करना चाहिए, तुम जाओ ऑफीस, मेरी फ़िक्र ना करो, पूजा और रिया तो है ही ,उन्हे बुला लूँगी...''
कुछ ही देर में उसके बॉस का नौकर घर आकर ऑफीस की चाभी दे गया.
राहुल ने जीन्स और टी शर्ट पहनी और कार निकाल कर ऑफीस के लिए निकल पड़ा...कहां तो उसने दिन में आराम करते हुए बियर पीने का प्रोग्राम बनाया था और कहां तैयार होकर ऑफीस जाना पड़ रहा है.
घर से निकलकर उसने रचना को फोन किया,क्योंकि प्रॉजेक्ट से जुड़ी फाइल तो उसने ही रखी थी, वही बता सकती थी की वो फाइल कहाँ रखी हुई है...
रचना ने जब अपने बॉस का नाम अपने मोबाइल पर चमकता हुआ देखा तो उसके चेहरे की खुशी देखने वाली थी..
रचना : "गुड मॉर्निंग सर...आज छुट्टी वाले दिन मेरी याद कैसे आ गयी...और वो भी सुबह -2..''
उसकी बातों से छलकता प्यार सॉफ महसूस कर पा रहा था अजय...पर इस वक़्त उसका सारा ध्यान उस प्रॉजेक्ट पर था,जो उसे निपटाना था.
उसने रचना को सारी बात बताई और फाइल के बारे में पूछा.
रचना : "सर...वो मेरी डेस्क के साइड वाली लंबी फाइल केबनेट में है...आपको शायद वो मिलेगी नही...आप कहे तो मैं ऑफीस आकर निकाल दूँ वो...आपकी भी थोड़ी हेल्प कर दूँगी मैं ...''
ये सुनते ही अजय का दिमाग़ ठनका ..और अगले ही पल उसकी आँखे चमक उठी...इस बारे में तो उसने सोचा ही नही था...पूरा ऑफीस खाली होगा...वो आराम से रचना के साथ कुछ भी कर सकता है...कोई रोकने वाला नही होगा..किसी का डर भी नही होगा...उसके साथ मजे करने का इससे अच्छा मौका शायद उसे दोबारा ना मिले.
वो तुरंत बोला : "आर यू श्योर ...मतलब, तुम्हे कोई परेशानी तो नही होगी ना...आज तो ऑफ डे है...तुम्हारे मॉम डेड कुछ बोलेंगे तो नही ना...''
रचना को शायद अपना काम बनता नज़र आ रहा था,वो भी चहकते हुए बोली : "नो सर...ऐसा कुछ भी नही है...इन्फेक्ट मैं तो घर पर बोर ही हो रही हूँ ..आपके साथ रहूंगी तो मेरा भी टाइम पास हो जाएगा...''
अजय : "ओके ...आ जाओ फिर....मैं तुम्हारा वेट करूँगा...''
इतना कहकर अजय ने फोन रख दिया...उसके चेहरे से खुशी के भाव जा ही नही रहे थे...उसने तो नोट भी नही किया की कब उसका लंड उसकी जीन्स में खड़ा हो चुका था...अब तो उसके दिमाग़ में जबरदस्त आइडियास आने लगे थे...उसने गाड़ी रोककर रास्ते से बियर के केन ले लिए...आख़िर ऑफीस में उसके और रचना के अलावा कोई और तो होगा नही,अब वो जानता था की ऑफीस के इस बोरियत भरे दिन को कैसे मौज मस्ती में बदला जाए...कुछ ही देर में ऑफीस आ गया और ऑफीस खोलकर वो अंदर आ गया.
अभी तो सिर्फ़ 12 ही बजे थे...रचना को आने में अभी थोड़ा टाइम था..इसलिए उसने फोन करके पिज़्ज़ा का ऑर्डर दे दिया..वो जानता था की रचना को पिज़्ज़ा कितना पसंद है...थोड़ी बहुत भूख उसे भी लगी थी.तब तक उसने एक बियर केन खोला और मज़े से अपनी चेयर पर बैठकर पीने लगा.
करीब 5 मिनट बाद उसके मोबाइल पर रचना की कॉल आई.
अजय का तो दिल धक्क से रह गया, की कहीं मना करने के लिए तो फोन नही कर रही...शायद घर वाले छुट्टी वाले दिन ऑफीस जाने से मना कर रहे हों..
उसने फोन उठाया और बोला : "बोलो रचना...क्या हुआ...तुम आई नही अभी तक..''
रचना : "सर..मैं तो आ गयी हूँ ...पर आपने तो मैन गेट बंद कर रखा है...जल्दी से आकर खोलिए ना..''
अजय को ध्यान आया की अंदर आकर उसने गेट को अंदर से लॉक कर दिया था...ये डबल साइड वाला लॉक था जो एक ही चाभी से अंदर और बाहर दोनो तरफ से खुल जाता था...दरवाजे पर अंदर की तरफ कोई चिटखनी नही थी,ये घर तो था नही,ऑफीस में तो ऐसे ही दरवाजे होते है..
वो भागता हुआ सा गेट तक गया और दरवाजा खोल दिया..
बाहर रचना खड़ी थी.
ब्लैक कलर की एक सैक्सी सी ड्रेस पहन कर.
अजय तो एकटक उसे निहारता ही रह गया,उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी पार्टी में आई है .
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