Maa Sex Kahani मां बेटे का संवाद
08-27-2018, 03:01 PM,
#2
RE: Maa Sex Kahani मां बेटे का संवाद
मां बेटे का संवाद--2

gataank se aage.................

"आज खाना कैसा था बेटे? तूने बताया ही नहीं, बस मेरी ओर टुकुर टुकुर देख रहा था पूरे खाने के वक्त"

"बहुत अच्छा था अम्मा, ये भी पूछने की बात है? तेरी हर चीज अच्छी है, चल अब जल्दी से ये ब्रा और पैंटी भी उतार दे, इनमें तू बहुत मस्त लगती है, मजा आता है इन्हें मसलने में पर अभी मेरे को टाइम नहीं है, बहुत जोर से खड़ा है अम्मा."

"सच उतार दूं?"

"नहीं अम्मा, मैं भूल गया कि आज अपने पास टाइम ही टाइम है, आज मैं जल्दी घर आ गया हूं, नौ ही तो बजे हैं, रोज तो ग्यारा बारा बज जाते हैं. मत उतार अम्मा, पर मेरे पास आ"

"अरे ये क्या ... चल छोड़"

"गोद में ही तो लिया है अम्मा, कुछ बुरा तो नहीं किया है, ऐसे क्या बिचकती है. अब ये दिखा जरा ब्रा. क्या दिखती है अम्मा, साटिन की है लगता है, इतनी चिकनी मुलायम"

"अरे कैसे दबा रहा है रे ब्रा के ऊपर से ही, रोज तो ब्रा निकाल के दबाता है"

"आज बात और है मां, इस ब्रा ने सच में तेरी चूंचियों को निखार दिया है, लगता है कि इन गोलों में मीठा मुलायम खोवा भरा है खोवा जिसे मैं गपागप खा जाऊं. और खाने के पहले देखूं कि कितना मुलायम खोवा है ... और ये डबल रोटी देख ... इतनी फूली फूली डबल रोठी और इस पर ये रेशमी जाल ..."

"बेटा, ये क्या कर रहा है, पैंटी के अंदर हाथ डाल रहा है बेशरम"

"तो ले, पैंटी निकाल दी, अब तो बेशरम नहीं कहेगी!"

"कैसा हे रे तू ... और मुझे ऐसा क्यों लगता है कि मैं साइकिल के डंडे पर बैठी हूं"

"डंडा तो है मां पर तेरे बेटे की जवानी का डंडा है जो अपनी मां के जोबन को देखकर खुशी से उछल रहा है ... ये देख ... ये देख"

"अरे ... ये तो मेरे वजन को भी उठा लेता है मेरे लाल ... कितना जोर है रे इसमें ... जादू सा लगता है"

"ये जादू है मां तेरे बदन का, तेरे हसीन नरम नरम शरीर का, चल मां .... अब सहन नहीं होता, निकाल ना ये ब्रा, इसका बकल कैसा है अजीब सा, मेरे से नहीं निकलता"

"तू पोंगा पंडित है, इतने दिन हो गये अपनी मां की पूजा करते करते और ब्रा का बकल भी नहीं खुलता तुझसे! ये ले ... और ये उंगली क्यों रगड़ रहा है रे ...कैसा तो भी होता है मेरे लाल"

"मां ... कितनी गीली है ये तेरी ... बुर अम्मा ... तेरी चूत मां ... डंडे को खाने का इरादा है इसका? डंडा तैयार है अम्मा, चल जल्दी"

"ले, मुझे क्या पता था कि तू इतना उतावला होगा! रोज तो ऐसे ही ब्रा और पैंटी में मुझे लेकर लिपटता है. ले निकाल दी दोनों, अब क्या करूं? सीधे चोदेगा क्या? देख कैसा झंडे जैसा खड़ा है, लगता है अपनी अम्मा को सलाम कर रहा है"

"हां अम्मा, ये तेरे रूप को सलाम कर रहा है. आज तो हचक हचक के चोदूंगा पर बाद में, पहले जरा अपने खजाने का रस पिलवा. कब से इस अमरित के स्वाद को याद कर करके मरा जा रहा हूं"

"अरे इतना उतावला क्यों हो रहा है, रोज तो स्वाद लेता है"

"पर अम्मा, पिछले कुछ दिन से इतनी देर हो जाती है रात को, बस जरा सा चख पाता हूं. आज मुझे ये अमरित घंटे भर स्वाद के लेकर पीना है"

"हां बेटे, पी ले, जितना मन है उतना पी, तेरे लिये ही तो संजो कर रखा है ये खजाना, जो चाहता है कर. आ जा, दे दे इसमें मुंह. बिस्तर पर लेटूं क्या? कि तेरे पास खड़ी हो जाऊं?"

"नहीं अम्मा, आज इस कुरसी में बैठ जा और टांगें खोल दे. मन लगाकर पलथी मारकर बैठूंगा अपनी अम्मा के सामने और उसकी बुर का रस चखूंगा."

"ले बैठ गयी. और फ़ैलाऊं क्या? चूत खुल गयी कि नहीं तेरे लायक?"

"अम्मा, खुली तो है पर मुंह नहीं दिख रहा है ठीक से, झांटों में ढकी है. तेरी खुली चूत क्या दिखती है अम्मा, लाल लाल गुलाबी गुलाबी मिठाई जैसी. अभी बस झलक दिख रही है काले काले बालों में से, जरा उंगली से झांटें बाजू में करके चूत खोल कर रख ना, तेरी झांटें मुंह में आती हैं."

"काट लूं क्या? मैं तो कब से काटने को कह रही हूं, तू ही तो कहता था कि अच्छी लगती हैं तुझे!!"

"हां अम्मा पर अब बहुत लंबी हो गयी हैं, जीभ पे बाल आते हैं, चाटने में तकलीफ़ होती है"

"तो पूरी साफ़ कर दूं क्या रेज़र से? दो महने पहले की थीं ना, तूने ही शेव कर दिया था."

"नहीं अम्मा, एक दो दिन अलग लगता है, फ़िर रोज शेव करनी पड़ेगी नहीं तो वे जरा जरा से कांटे और चुभते हैं. मैं काट दूंगा कल कैंची से, वैसे तेरी झांटें हैं बहुत शानदार, रेशमी और मुलायम, मजा आता है उनमें मुंह डाल के, बस थोड़ी छोटी हों. अब जरा खोल ना चूत, वो झांटें भी बाजू में कर, देख कितना रस बह रहा है, इतनी मस्त महक आ रही है, जरा चाटने तो दे ठीक से"

"ले मेरे लाल, चाट. अब ठीक है ना? आह ऽ बेटे, बहुत अच्छा लगता है रे, कैसा चाटता है रे ऽ जादू कर देता है अपनी मां पर. ओह ऽ ओह ऽ हां मेरे लाल अं ऽ अं ऽ और चाट मेरे बच्चे ... मेरे राजा ... कैसा लग रहा है रे ... बोल ना!!"

"अम्मा जरा सुकून से चाटने दे ना ..... बात करूंगा तो चाटूंगा कैसे ... हां अब ठीक है, कितनी चू रही है अम्मा, बस टपकने को है. वैसे क्या बात है अम्मा आज तो बिलकुल घी निकल रहा है तेरे छेद से .... स्वाद आ रहा है मस्त, सौंधा सौंधा!"

"अरे सुबह से नहीं झड़ी हूं ... तू रोज की तरह सुबह जल्दी भाग गया ऑफ़िस को, बिना अपनी अम्मा को चोदे या चूसे. आज कल लेट आता है और थक कर देर तक सोता है. आज मुठ्ठ भी नहीं मार पायी, वो पड़ोस वाली दादी आ बैठी दिन भर मेरा दिमाग चाटा, तेरी याद आती थी तो मन मार कर रह जाती थी, बीच में लगा कि बाथरूम जाकर मुठ्ठ मार लूं पर मुझे ऐसे जल्दबाजी में मुठ्ठ मारने में मजा नहीं आता बेटे. जरा आराम से लेट कर तेरे को याद करके ... दिन भर ये बुर रानी बस मन मारे बैठी है"

"तभी मैं कहूं आज इतनी गाढ़ी क्यों है तेरी रज .... अम्मा तेरी रज याने पकवान है पकवान अम्मा ...... अब जरा और खोल ना चूत ... जीभ अंदर डालनी है."

ले बेटे पूरी खोल देती हूं... अब ठीक है? .... हाय ऽ रे ऽ जीभ अंदर डालता है तो मजा आता है बेटे ... और अंदर डाल ना ... ओह ऽ ओह ऽ उई ऽ मां ऽ ... गुदगुदी होती है ना!"

"अम्मा, तू बार बार अपनी चूत छोड़ कर मेरा सिर पकड़ लेती है, चूत पर दबा लेती है, ऐसे में मैं कैसे चाटूंगा ऽ मेरी मां की बुर का अमरित?"

"अरे तो चूस ले ना ... चाटना बाद में ... हाय तुझे नहीं पता कि बेटा तेरे को बुर से दबा कर कैसा लगता है ... लगता है तेरे को पूरा फ़िर से अपने अंदर घुसेड़ लूं"

"जादू सीख ले अम्मा, मेरे को बित्ते भर का गुड्डा बनाकर अपनी चूत में घुसेड़ कर रख, दिन भर वहीं रहा करूंगा. पर अब चल चाटने दे जरा, देख कैसी बह रही है"

"बेटा ... हाथ बार बार हिल जाता है ... इसलिये खोल कर नहीं रख पाती बुर तेरे लिये"

"तो अम्मा ... ऐसा कर, अपनी टांगें उठा और कुरसी के हथ्थे पर रख ले."

"दुखता है बेटे ... मैं अब जवान कहां रही पहले सी ... टांगें इतनी फ़ैलायेगा तो कमर टूट जायेगी मेरी ... चल अब सिर नहीं पकड़ूंगी तेरा पर मेरे लाल तू इतना अच्छा चाटता है रे ऽ सच में लगता है कि तू इत्ता सा होता तो तेरे को पूरा अंदर घुसेड़ कर तेरे बदन से ही मुठ्ठ मारती"

"अम्मा नखरे मत कर, रख टांगें ऊपर, ले मैं मदद करता हूं."

"ओह ... आह ऽ .... आह ऽ.... ओह ऽ ... ले हो गया तेरे मन जैसा? रख लीं टांगें ऊपर मैंने."

"अब देख अम्मा, कैसे मस्त खुल गयी है तेरी बुर ... अब सही भोसड़ा लग रहा है गुफ़ा जैसा .... अब आयेगा मजा चाटने का ... अब तो जीभ क्या ... मेरा पूरा मुंह ठुड्डी समेत चला जायेगा अंदर"

"आह ऽ ओह ऽ ... हां बेटे ऐसा ऽ आ ऽ ह ऽ ओह ऽ ओह ऽ हा ऽ य ऽ रे .... अं ऽ अं ऽ ... अरे ऽ उई ऽ मां ऽ ऽ ऽ ........."

"हां अम्मा ... बस ऐसे ही ... और पानी छोड़ अपना ... ये बात हुई .... मजा आ गया अम्मा ... अब लगाई है तूने रस की फुहार ... नहीं तो बूंद बूंद चाट कर मन नहीं भरता अम्मा ऽ अब जरा मुंह लगाना पड़ेगा नहीं तो .... बह जायेगा ये अमरित ... अम्मा ... ओ ऽ अम्मा .... लगता है कि मुंह में भर लूं तेरी ... बुर और चबा चबा कर खा ... जाऊं ... देख ऐसे ..."

"ओह ... ओह ... अरे .... ओह ... कैसा करता है रे ... उई मां ऽ ... आह ... ओह ... ओह .... हा ऽ य ... मैं मरी ...ओह ... ओह ....उईईई ऽ उईई ऽ आह .... आह .... आह .... बस .... आह"

"अब झड़ी ना मस्त? ... अब जरा दो चार घूंट रस मिला है मेरे को .... और कितना गाढ़ा है अम्मा .... शहद जैसा .... चिपचिपा ..."

"कैसा आम जैसा चूसता है रे .... निहाल कर दिया मेरे बच्चे ... अब जरा शांति मिली दिन भर की प्यास के बाद .... कितना अच्छा झड़ाता है तू बेटे ..... बहुत अच्छा लग रहा है मेरे लाल... अरे अब नहीं कर ... थोड़ा आराम तो करने दे ... अभी अभी झड़ी हूं ... मेरे दाने को अब न छेड़ बेटे .... सहन नहीं होता रे मेरे ला ऽ ल ..."

"अम्मा नखरा मत कर, पूरा पानी निकाल तो लूं पहले तेरी चूत से. कल बोल रही थी ना कि बेटे, निचोड़ ले मेरी चूत, सब पानी निकाल ले और पी जा. तो आज निचोड़ता हूं तुझे. अभी तो एक बार झड़ाया है, आज तो घंटा भर चूसूंगा."

"चूस ना ... मैं कहां मना करती हूं ... बस दम तो लेने दे मेरे राजा ... तुझे बुर का पानी पिला कर मेरा मन खिल जाता है बेटे, तेरे लिये ही तो बहती है मेरी चूत ... हा ऽ य बेटे मत कर इतनी जोर से... ओह ... अच्छा भी लगता है मेरे लाल और सहन भी नहीं होता रे .... मैं तो मर ही जाऊंगी एक घंटे में ... उ ऽ ई ऽ उ ऽ ई ऽ कैसे करता है रे? मेरे दाने को ऐसा बेहरमी से रगड़ता है जैसे मार डालना चाहता है मुझे .... उई ऽ मां ... ओह ऽ ... ओह ऽऽऽ.

kramashah.............
Reply


Messages In This Thread
RE: Maa Sex Kahani मां बेटे का संवाद - by sexstories - 08-27-2018, 03:01 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,572,507 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 552,483 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,263,576 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 955,443 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,694,545 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,115,264 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,010,729 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,256,462 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,102,309 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 291,753 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)