RE: Ghar Pe Chudai एक और घरेलू चुदाई
उषा अपनी फूटी किस्मत को कोसने लगी बस थोड़ी देर की ही तो बात थी वो चुदने ही वाली थी पर हाई रे किस्मत तो दोनो टाँगो के बीच तकिया दबाया और वो सो गयी जब वो दोनो खेतो पर पहुचे तो काफ़ी चारा भीग गया था दोनो ने किसी तरह से उसको समेटा और कुँए पर बने कमरे मे रखा बरसात बहुत तेज हो रही थी तो दोनो ने वही रुकने का सोचा और चारपाई पर लेट गये
खेत मे पड़े पड़े प्रेम सोच रहा था कि कहाँ इस सौरभ की माँ चुद गयी ये भोसड़ी का नही आता तो शायद उषा दीदी को चोद दिया होता अब तक तो बाहर बारिश बड़ी ज़ोर दार हो रही थी सौरभ तो नींद मे सोया पड़ा था पर प्रेम को नींद नही आ रही थी कुछ ऐसा ही हाल उषा था जो अपने कंबल के अंदर बिल्कुल नंगी पड़ी थी कभी अपने बोबो को सहलाती कभी अपनी चूत को ऐसे ही रात कट गयी प्रेम उठा और बाहर को आया बारिश काफ़ी हद तक कम हो गई थी बस रह रह कर कुछ हल्की बूंदे गिर जाती थी
बाहर आकर उसने देखा कि काफ़ी नुकसान हो गया था उसकी फसल तो समझो गयी थी काम से खेत मे बहुत ज़्यादा पानी भर गया था उसने जल्दी से सौरभ को उठाया और दोनो जाने लग गये काम मे काम करते करते कब दोपहर हो गयी पता ही नही चला सुधा घर आ गयी थी वो समझ गयी थी कि प्रेम खेत पर काम कर रहा होगा जाना तो उसको भी था पर विनीता की वजह से वो नही गयी तो उसने उषा से कहा कि तू प्रेम और सौरभ का खाना लेकर खेत पर चली जाना तो उसने कहा ठीक है
उषा ने फटाफट से खाना बनाया और खेत पर चल पड़ी दोनो जने भूखे थे तो खाने पर टूट पड़े प्रेम कुछ देर सुस्ताने के लिए लेट गया और उसकी आँख लग गयी उषा को तभी पेशाब लगा तो वो कमरे के पीछे की ओर चली गयी सौरभ ने तभी देखा की बिजली का तार टूटा पड़ा है तो उसने सोचा कि जोड़ देता हूँ और वो छत पर चला गया नीचे उषा को बड़ी तेज मुतास लगी थी कमरे के पीछे की खुली जगह पर जाते ही उसने झट से अपनी सलवार का नाडा खोला और बैठ गयी
चूत की दोनो फांको को फैलाते हुवे पेशाब रूपी नदी की धारा हर बंधन को तोड़ कर बाहर को बह चली तभी उपर तार सही करते हुए सौरभ की निगाह पीछे को गयी तो उसके रोंगटे खड़े हो गये उषा दीदी की मस्त गोल मटोल गान्ड के दर्शन कर के लगा कि तीरथ ही नहा लिया था वो वो झट से मुन्डेर के पास छुपा और उषा की गान्ड को देख ने लगा उसका लंड झट से ही तन गया अब उषा उठी और अपनी टाँगो को थोड़ा सा फैलाते हुए पोछने लगी इतने सेक्सी सीन को देख कर सौरभ का लंड खुद पर काबू ना कर सका और उसने पॅंट मे ही पिचकारी छोड़ दी
उषा अब अंदर आई तो देखा कि प्रेम नींद मे सोया पड़ा है कितना मासूम लगता है मेरा भाई उसने सोचा और उसके पास गयी और प्यार से उसके गाल को चूम लिया उषा चाहती थी कि वो प्रेम के पास ही रुक जाए पर कबाब मे हड्डी सौरभ भी साथ था तो उसने कुछ आइडिया सोचा और सौरभ से कहा भाई तू घर को चला जा रात से यहीं है मैं घास वग़ैरा काट कर आउन्गि तू घर पर थोड़ा देख लेना तो सौरभ घर को चला गया बचे अब दो चुदाई के प्यासे भाई बहन
उषा ने सोच लिया था कि इस से बेहतर मौका नही मिलेगा उसको अपनी चूत मरवाने का तो जब उसने पक्का कर लिया कि सौरभ चला गया है और अब दोपहर के टाइम मे अब कोई इधर आने से रहा तो उसने दरवाजे की कुण्डी लगाई और प्रेम के पास जाकर खाट पर बैठ गयी उषा का दिल बहुत तेज़ी से धड़क रहा था पर ये जिस्म की आग उस से आज एक पाप करवाने ही वाली थी काँपते हाथ को उसने प्रेम के लंड पर रख दिया और पॅंट के उपर से ही उसको मसल्ने लगी
काफ़ी मोटा लगता है सोचा उसने और मुस्कुरा पड़ी प्रेम के लंड को फील करते ही उसकी चूत गीली होने लगी थी उषा अपना कंट्रोल खोने लगी थी उसने धीरे से पॅंट की चैन को खोला और लंड को बाहर नेकाल लिया जो अभी सोया पड़ा था पर फिर भी काफ़ी मोटा देख रहा था उषा अब सारी लाज शरम छोड़ कर अपने भाई के लंड को सहला रही थी जल्दी ही लंड मे भी करंट आने लगा और वो पूरी तरह से उत्तेजित हो गया पर वो उसी तरह से लेटा रहा
उषा ने एक प्यारा सा किस लंड पर किया और फिर अपना मुँह थोड़ा सा खोल कर सुपाडे को अंदर ले लिया मुँह के अंदर की गर्मी मे प्रेम के लंड का बुरा हाल होने लगा मस्ती से उसके बदन मे आनंद भर गया हो उस पल उषा की नाज़ुक नरम उंगलिया प्रेम के लंड के निचले हिस्से को सहला रही थी और उपर से वो उसके लोड्े को चूस रही थी तो प्रेम के लिए ज़्यादा कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था उषा की लपलपाति जीभ अपने भाई का जीना हराम करे हुए थी अब आख़िर कब तक प्रेम कंट्रोल करता आख़िर उसने अपने हाथो से उषा के चेहरे को लंड पर पूरी तरह से झुका दिया
उषा को इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नही थी तो लंड सीधा उसके गले मे जाकर लगा जिस से उसकी आँखो मे आँसू आ गये और उसको ख़ासी आ गयी उसने प्रेम के लंड को बाहर निकाला और थूकने लगी गुस्से से उसने प्रेम को देखा और गाली बकते हुए बोली ऐसा कोई करता है क्या भला प्रेम ने अब उसको अपनी बाहों मे ले लिया और उसकी चूची को मसल्ते हुए बोला दीदी अब जाने भी दो ना जब प्यार करना है तो खुलम खुला करो ना और उषा के लाल सुराख होंठो पर अपने होठ रख कर पीने लगा
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