RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
“अपने आप पर भरोसा रखो...इन नागो से डरो नही....हम यहा कोई लालच से नही उस दुष्ट त्रिकाल का अंत करने आ ये है...” करण बोला और तीनो हाथ मे हाथ डाले नागो के उपर से चल कर जाने लगे.
आश्चर्य की बात सही थी, उन सापों पर पैर रखने पर भी वो तीनो को नही डस रहे थे. मंदिर के किनारे असंख्य इंसानो के कंकाल पड़े थे जिनके लालच की वजह से इन सापों ने उन्हे डॅस कर मार दिया होगा.
“अब तो भोले नाथ महादेव शिव शभू भी हमारे साथ है....” अर्जुन बोला और तीनो हाथो मे हाथ डाल कर शिव जी की मूर्ति तक पहुच गये और वो मायवी त्रिशूल को निकाल लिया.
“हम आपको वचन देते है कि इस त्रिशूल को बुरे हाथो मे नही पड़ने देंगे....त्रिकाल को मार कर हम यह त्रिशूल यही पर लौटा देंगे...” करण अर्जुन और निशा ने हाथ आगे बढ़ा कर शिव जी की मूर्ति के सामने शपथ ली.
त्रिशूल लेकर तीनो रामपुरा से बाहर आ गये. “पर हम बिना जीपीएस सिग्नल के त्रिकाल के गुफा तक पहुचेंगे कैसे...???” अर्जुन बोला.
तभी त्रिशूल हवा मे उठ कर एक ख़ास दिशा मे लहराने लगा. अर्जुन ने जब माप देखा तो वो एंपी छत्तीसगढ़ के बॉर्डर का जंगल था जहा पर त्रिकाल का अड्डा था.
“यह त्रिशूल हमे पहुचाएगा त्रिकाल तक....पर उससे पहले हमे उस मोहिनी चुड़ैल से बदला चुकाना है जिसने हमारी हस्ती खेलती जिंदगी को उजाड़ने की कोशिश की..” करण दाँत पीसते हुए बोला.
तभी फिर से त्रिशूल लहराया और इस बार नये दिशा मे संकेत देने लगा. तीनो उसी दिशा मे चलते गये जब तक वे उसकी खंडहर मे नही पहुच गये जहाँ मोहिनी नमक चुड़ैल छुपि थी.
“करण और निशा तुम दूर ही रहना....आज मैं इसका काला जादू मैं ख़तम करके आता हू...” अर्जुन ने त्रिशूल उठाया और खंडहर मे घुस गया. पीछे पीछे करण और निशा भी आ गये.
मोहिनी ने संकट भाँप लिया और अर्जुन के सामने आकर उसपर तन्त्र शक्तियो का वार करने लगी जो शिव जी के त्रिशूल से टकरा कर बेकार हो गये.
तेज़ कदमो से तांत्रिक वारो से बचते हुए अर्जुन मोहिनी के पास पहुचा और त्रिशूल का वार किया पर अगले ही पल फुर्ती से मोहिने पलट गयी और अर्जुन के पैर मे अपना पैर फसा कर उसको गिरा दिया. अर्जुन भी ट्रेंड किकबॉक्सर था, उसने भी गिरी हुई मोहिने पे भी वही दाव लगाया और उसके पैरो को फसा कर उसे भी नीचे गिरा दिया.
इससे पहले अर्जुन त्रिशूल का वार कर पाता, चालक मोहिनी नीचे गिरे रेत मिट्टी और धूल को अर्जुन की आँखो मे डालने मे कामयाब हो गयी. मोहिनी को पता था उसके तांत्रिक वार अर्जुन पर बेकार जा रहे है तो उसने अपनी ब्लाउस मे से एक खंजर निकाल लिया.
अर्जुन अभी भी आँखो मे पड़ी धूल से उबर नही पाया था. मौका देख कर मोहिनी खंजर अर्जुन के सीने मे उतारने ही वाली थी तभी करण वहाँ आ गया और उसे धक्का दे के दूर गिरा दिया. इतनी देर मे अर्जुन भी मैदान-ए-जंग मे आ गया. अचानक हुए करण के वार से मोहिनी थोड़ा पीछे ज़रूर हो गयी थी पर वो अभी हारी नही थी.
दोनो करण अर्जुन एक साथ दौड़े मोहिनी की तरफ, लेकिन अपने होश संभालते हुए मोहिनी फुर्ती से अपनी कालाबाज़ी दिखाते हुई हवा मे उच्छली और उसने अपने दोनो पैरो से किक करण अर्जुन के छाती पर मारा. दोनो दूर जा गिरे. हसते हुए मोहिनी अपने हाथ मे खंजर लिए हुए दोनो के तरफ बढ़ने लगी, लग रहा था अब दोनो को कोई बचा नही सकता था.
निशा ये सब छुप के देख रही थी. उसे अपने पति और देवर की बोहोत चिंता हो रही थी. तभी उसने देखा पास मे बड़ा सा पत्थर पड़ा है. उसने हिम्मत की और ये सोच कर कि आज आर या पार की लड़ाई है उसने अपने कोमल नाज़ुक हाथो से पूरी दम लगा कर पत्थर उठा लिया. शायद अपने सुहाग को बचाने के जज़्बे से उसमे यह ताक़त आ गयी थी. वो तेज़ी से भागी, इससे पहले मोहिनी कुच्छ समझ पाती, उसने पत्थर मोहिनी के सर पर दे मारा.
एक पल के लिए मोहिनी के आगे अंधेरा छा गया और वो लड़खड़ाने लगी. अर्जुन को लगा यही सही मौका और उसने त्रिशूल को उठाया किसी शेर की भाती दहाड़ते हुए छलान्ग लगाया और अगले ही पल त्रिशूल, मोहिनी के सीने को चीरते हुए आर पार हो गया. दर्द की चीख से आस पास का पूरा महॉल दहल गया और मोहिनी चुड़ैल का वही अंत हो गया.
“थॅंक्स भाभी...अगर आज आप सही समय पर नही आती तो वो मोहिनी हम दोनो भाइयो को मार डालती...” अर्जुन मोहिनी के सीने से त्रिशूल खीचते हुए बोला. तब तक करण भी उठ चुका था.
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