RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
आधी रात से ज़्यादा हो चली थी जब करण के कानो मे मोहिनी सी सिसकिया गूँज उठी. उसकी आँखें तुरंत खुल गयी लेकिन गुप्प अंधेरा होने की वजह से उसे कुछ दिखाई नही दिया.
“आअह साहब....धीरे धीरे मस्लो मेरी चुचियो को...” मोहिनी सीसीया रही थी.
करण के एकदम से होश उड़ गये. उसने अंधेरे मे ही इधर उधर टटोलकर देखा कि अर्जुन का चादर खाली है. तभी उसे अर्जुन की आवाज़ आई, “मोहिनी...तेरी इन चुचियो का सारा दूध मैं आज पी जाउन्गा..” इसे सुन कर करण हक्का बक्का रह गया. चुदाई उसके ठीक बगल मे ही हो रही थी.
उसकी समझ मे ही नही आ रहा था कि वो क्या करे. कुछ देर सोचने के बाद उसने सोचा कि अर्जुन और मोहिनी को डिस्टर्ब ना करे. उधर अर्जुन और मोहिनी चरम पर थे.
अंधेरे मे अर्जुन का तगड़ा लंड मोहिनी की कसी हुई चूत मे घुस चुका था. मोहिनी ज़ोरो से सिसकिया ले रही थी, “चोदो साहब....और ज़ोर से चोदो...अपना पूरा मूसल मेरी चूत मे पेल दो....दूसरे वाले साहब को भी बोलो की वो अपने लंड से मेरी गान्ड ठोके..” करण मोहिनी के मूह से अपने लिए ऐसे शब्द सुन कर सन्न रह गया.
उसका लॉडा भी अब पॅंट मे तनने लगा था. एकदम गुप्प अंधेरे मे ना जाने कहाँ से एक हाथ आया और करण के लंड को पॅंट के उपर से ही सहलाने लगा.
करण ने तुरंत वो हाथ झिटक दिया. करण को उसका खड़ा लंड पॅंट के अंदर चुभ रहा था इसलिए उसने अपनी पॅंट की ज़िप खोली और लंड को अड्जस्ट करके वापस ज़िप बंद करने लगा जब उस हाथ ने करण को ऐसा करने से रोक दिया.
एकदम अंधेरे मे करण को कुछ दिख ही नही रहा था. बगल मे अर्जुन कस कस के मोहिनी की ठुकाई कर रहा था. अब उस हाथ ने करण की ज़िप को खोलकर उसके मोटे लंड को बाहर निकाल लिया. अपने लंड पर वो कोमल हाथो को महसूस करके करण को यकीन हो गया कि यह काम बगल मे चुद रही मोहिनी का है.
अब करण पर भी मोहिनी का सम्मोहन सर चढ़ कर बोलने लगा. वो उठा और बगल मे टांगे फैलाई चुद रही मोहिनी के दूध को मसल्ने लगा.
“आअहह....आप भी आ जाइए साहब...आप अभी तक मोहिनी के तान्गे की सवारी कर चुके है....अब खुद मोहिनी की सवारी भी कर लीजिए...” मोहिनी अर्जुन से चुदती हुई करण को बोली.
“आ जाओ भाई...बड़ा ही कड़क माल है...देखो कितनी कसी हुई चूत है इसकी..” बोलते हुए अर्जुन अपना तगड़ा लॉडा अंदर बाहर कर रहा था.
करण का दिलो दिमाग़ एक दूसरे से बग़ावत कर रहा था. दिमाग़ बिल्कुल सुन्न पड़ा था जिसे पास मे पड़ी एक नंगी औरत दिख रही थी, वही दिल उसको बार बार निशा के प्रति बेवफ़ाई से सचेत कर रह था. दिमाग़ उसे बार बार कह रहा था कि एक बार इसे चोद दे क्यूकी इस वीराने मे चुदाई के बारे मे निशा को कभी पता नही चलेगा.
“आ भी जाइए साहब...आज मोहिनी आप दोनो के लिए एक मुफ़्त की रंडी है...जितना पेलना है पेलो..” मोहिनी चुदाई मे झूम रही थी. दिल दिमाग़ की कशमकश मे दिल बाज़ी मार गया और दिमाग़ हार गया. करण उठा और मोहिनी को अपने उपर खिसका लिया. अर्जुन भी खिसकता हुआ वापस मोहिनी पर आ गया और दोबारा अपने लंड से उसकी चूत पेलने लगा.
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