RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
अपना बिंदास अर्जुन यह पीछे से सुन रहा था जब उसने फोन उठाया और निशा के मोबाइल से उसके पापा का नंबर लेकर डाइयल कर दिया. करण ने उसको रोकना चाहा पर तब तक निशा के पापा के पास घंटी जाने लगी.
“हेलो...हेमंत शर्मा बोल रहा हू...” उधर से निशा के पापा की आवाज़ आई.
“और मैं आपके दामाद का भाई बोल रहा हू...” अर्जुन ने इधर से कहा.
“व्हाट नॉनसेन्स....हू आर यू...???”
“आपकी बेटी निशा हमारे कब्ज़े मे है....मेरा मतलब है हमारे साथ है...”
“कॉन बोल रहा है...तुम्हे हमारी बेटी के बारे मे कैसे पता चला...”
“देखो अंकल ज़्यादा टाइम नही है मेरे पास....अभी अपने भाई की शादी आपकी बेटी निशा से करवाने जा रहा हू कोर्ट मे....अगर रोक सकते हो तो रोक लो...” और कहते हुए अर्जुन ने फोन काट दिया.
“अबे यह क्या किया तुमने....???” करण भौचक्का रह गया.
“अब यही खड़े खड़े गप्पे मारते रहोगे या जल्दी से जाकर शादी करोगे....कही भाभी के पिताजी यहा पहुच गये तो मेरी और तुम्हारी दोनो की खैर नही...” अर्जुन ने बोलते हुए करण को आँख मार दी.
निशा अपने इस नये प्यारे से देवर की हरकत पर मुस्कुरा बैठी. तीनो जल्दी से कोर्ट मे गये और अर्जुन को शादी का गवाह मानते हुए जज ने करण और निशा को हमेशा के लिए क़ानूनी तौर से पति पत्नी घोषित कर दिया. तीनो इससे पहले हेमंत शर्मा आता, पतली गली से अपने अपार्टमेंट निकल गये.
शाम को सिद्धि विनायक मंदिर के दर्शन करने बाद तीनो अर्जुन के अपार्टमेंट आ गये. अपने मे ही तीनो ने एक छोटी सी पार्टी रखी थी. जो भी थोड़ी बहुत खुशिया थी वो तीनो मिल बाँट कर मनाना चाहते थे.
निशा इस ख़ुसी मे अपनी मम्मी पापा को तो मिस कर ही रही थी इसलिए करण के कहने पर उसने अपने फोन से अपने पापा का नंबर डाइयल किया और उनको अपनी शादी की बात बता दी. लेकिन उसके पापा ने रूखा बर्ताव कर के यह कह दिया कि आज के बाद उनके लिए वो मर गयी है और वो दुबारा कभी उन्हे फोन ना करे.
इस ख़ुसी मे यह एक छोटा सा गम ज़रूर था जिसे करण और अर्जुन ने हंस गा कर दूर कर दिया.
आधी रात हो चली थी. निशा अपने कमरे मे जाकर कारण का इंतेज़ार कर रही थी. पर करण इधर अर्जुन के साथ बैठ कर कुछ ज़रूरी बातें कर रहा था.
“कल आचार्य सत्या प्रकाश वापस लौट आएँगे....हमे उनसे कल किसी भी हाल मे मिलना होगा...” अर्जुन ने करण को याद दिलाते हुए कहा.
“तुम सही कह रहे हो भाई....लेकिन हम निशा को क्या बताएँगे...”
“भाभी को कुछ मत बताना...खमखा वो परेशान हो जाएँगी...अभी तुम दोनो की नयी नयी शादी हुई है....कही इस चक्कर मे तुम दोनो के रिश्ते मे दरार ना पड़ जाए...” अर्जुन बोला.
“पर मेरा अपनी माँ और बहन के प्रति भी तो कुछ कर्तव्य है....मैं उन्हे अकेले ऐसे ही उस तांत्रिक के हाथो मरने के लिए नही छोड़ सकता..” करण गुस्से मे आकर बोला.
“भाई एक काम करो....तुम निशा भाभी को यही मेरे अपार्टमेंट मे रहने दो और हम दोनो अपना कर्तव्य निभाते है....निशा भाभी यहा बिल्कुल सेफ रहेंगी और उन्हे यहा किसी चीज़ की कमी भी नही होगी..”
“अर्जुन वो सब तो ठीक है...पर मैं ऐसा कॉन सा बहाना बनाऊ कि मेरी बातो पर यकीन कर के हम दोनो को कुछ दिनो के लिए जाने दे...”
“मेरे पास एक बहाना है....” और अर्जुन करण की कानो मे कुछ कहने लगा.
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