RE: Mastram Kahani वासना का असर
बुआ इस बार बिलकुल शांत थी जैसे उसे पता हो मै क्या करने वाला हूँ। मैं धीरे धीरे
अपने हाथ को उसके विशालकाय चुतड़ो की ओर ले जा रहा था, वहाँ पोहोच कर मैंने उसके गुदाज चुतड़ो का जायजा लिया और फिर मेरे हाथ उसके चुतड़ो बीच पोहोंच गए। मेरी हथेली उसके बड़े बड़े और माँस से भड़े गाण्ड के दरार में था। उसके बैठे होने के कारण मैं ठीक से तो नहीं तब भी उसके दरारों को महसूस कर सकता था। अपनी दो उंगलियों को कड़ा कर के मैंने उसके दरार में फिराया और इस बार वो हल्के से काँपी और मै अपने उंगलियो पे उसके गाण्ड के दरार को सिकुड़ते हुए महसूस कर पा रहा था। मै उस कामुक, लण्ड खड़ा करने वाले दरार को अपनी उंगलियो से सहला रहा था और तभी मुझे अहसास हुआ की बुआ की गांड उपर की ओर उठ रही है मैंने बिना एक भी पल गवाएँ अपने उंगलियो को दरार में नीचे की ओर करता चला गया और उसके गांड ऊपर की ओर उठते रहे। और फिर मेरी एक ऊँगली उसके भाड़ी से चुदक्कड़ गाण्ड के छेद पे थे, उसने कच्छी नहीं पहन रखी थी..मै उसके गांड के छेद को फड़कते हुए महसूस कर पा रहा था। मैंने अपनी उंगलियों पे जोर लगाया, मै साडी और पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी चुदासी बुआ की गाण्ड में ऊँगली पेल देना चाहता था। पर वो हाहाकारी गांड मेरे पोहोंच से तब तक दूर हो चुकी थी। बुआ बिस्तर से उठ चुकी थी और नीचे उतर कर दरवाजे की ओर जा रही थी। मैं ठगा सा वहाँ बैठा उसे जाते हुए देख रहा था। मैं निराश था। मेरे समझ में नहीं आरहा था कि बुआ चाहती क्या है..वो हमेशा ऐन मौके पे खड़े लण्ड पे धोखा दे के चली जाती है। उसकी इच्छा या अनिच्छा मेरे समझ से बाहर थी। मुझे ये तो पता था कि औरतों को अपने जिस्म के आशिक़ को तड़पाने में बोहोत मजा आता है पर आज ये खुद मेरे साथ हो रहा था।
हम मर्दो में एक अजीब लेकिन शानदार बात होती है, हम कोशिश करने के मामले में बड़े ढिढ़ होते है या एक हद तक बेशर्म होते है। भले ही हम किसी से प्यार करे या उसे वासना की नजरों से देखे, जब तक वो औरत या लड़की पूरी तरह मना ना कर दे या हमारी बेइज्जती या धुलाई ना हो जाये तब तक हम कोशिश करना नहीं छोड़ते। कुछ मर्द तो इसके बाद भी कोशिश करते रहते है। मैं पहले वाले की तरह था अगर बुआ ने साफ़ मना कर दिया होता तो मैं कोशिश करना छोड़ देता पर यहाँ तो कन्फ्यूजन थी मेरे दोस्तों और कन्फ्यूजन में अक्सर हम अपनी दिल की करते है। मै भी वही कर रहा था..बुआ के कामुक शारीर को हासिल करने की कोशिश..वासना-पूर्ति की कोशिश।
बुआ तो बिस्तर से उठ कर चली गयी थी पर मेरे मन में निराशा और हजार सवाल छोर गयी थी। मैंने हार मानना उचित नहीं समझा। अक्सर औरतो में भाव खाने के गुण देखे गए है, हम मर्दो के अपेक्षा वो जल्दी समर्पण नहीं करती..वो तब तक आपको नाचायेगी जब तक आप टूट न जाए या वो थक ना जाये। मैंने वासना-पूर्ति के कोशिश को जारी रखने का फैसला लिया। उस रात उसके बाद तो कुछ नहीं हुआ। शादी का घर था..मै देर रात तक कामो में व्यस्त था और उसके बाद बुआ भी मुझे कहीं दिखी नहीं।
देर रात तक काम में व्यस्त रहने के कारण मेरी नींद सुबह में थोड़ी देर से खुली। आसपास बोलने और हँसने की आवाज़ आ रही थी। मैंने लेटे-लेटे ही आँखें खोली। मै बिस्तर के किनारे लेटा हुआ था और मेरे सामने बिस्तर पे मेरी बुआ और मेरी मौसी लेटी हुई थी या यों कहें आधी लेटी और आधी बैठी हुई थी। मौसी मेरी बगल में थी..मेरे बराबर में पलंग में पीठ को टिकाये। उसके पैर मेरे कमर तक ही थे और बुआ मेरे पैरों और कमर के पास थी। उसकी पीठ मेरी तरफ थी और सर मेरे पैरों के पास, वो थोड़ी टेढ़ी हो कर लेटी हुई थी ऐसे की उसके पैर मेरे कमर तक आ रहे थे। मैंने करवट बदली इसी दौरान मेरी नजर नीचे की ओर गयी मेरे पैरों के पास..और सामने का नजारा हाहाकारी था। बुआ केहुनि पे सर टिकाये और मेरी तरफ पीठ किये हुए लेटी हुई थी। उसके विशालकाय गाण्ड मेरे नजरो के सामने थे। लेटने के कारण उसके गाण्ड की चौड़ाई और फ़ैल गयी थी और उसके चौड़े गाण्ड के दरार में साड़ी की हल्की सी ढलान बेहद उन्मादी था। बड़े, चौड़े और कसे हुए गाण्ड लिंग के लिए बेहद घातक होते है ऊपर से ये जब आपके कामुक बुआ के हो। सुबह तो ऐसे ही लिंग अपने सबाब पे होता है और ये नजारा देख कर मेरे लौड़े की कद थोड़ी और बढ़ गयी थी। मेरी कामुकता मुझे फिर से कोशिश करने के लिए उकसा रही थी। और मैंने उसी की सुनी। लेटे लेटे मैंने अपने टखने को मोड़ कर थोड़ा आगे की ओर सरकाया,अब मेरे टखने बुआ के नीचे वाले चुतर से छू रहे थे। बुआ को पता चल गया था कि मैं जग गया हूँ, उसने पूछा..
"आज बड़ी देर तक सोये?"
मेरा जवाब था..
"हाँ देर रात तक जगा हुआ था ना इसलिए"
तब तक मेरे टखने ऊपर की ओर सरक चुके थे, अब वो बुआ के बड़े गांड की दरार के पास थे।
बुआ ने फिर से पूछा..
"क्या कर रहे थे.."
और तब तक मैंने अपने टखने को दरार में दबा चूका था।
बुआ ने हल्के से लेकिन स्पष्ट "हूँ.." कहाँ जैसे वो मुझे मना कर रही हो।
उसके पैर मुड़े हुए थे..मैंने अपने टखने को उसके गांड की दरार में सहलाते और दबाते हुए नीचे की ओर ले जाते हुए कहा..
"शादी का घर है बोहोत सारे काम थे"
मेरा टखना उसके गांड के दरार के निचले हिस्से तक पोहोच चूका था और उसके पैर मुड़े हुए होने के कारण वहां पे हल्का गैप था मतलब थोड़ा जोर लगाने पे मैं उसके चूत तक पोहोंच सकता था।
बुआ ने बस "अच्छा.." कहा और इतनी कामुकता से कहा जैसे वो भी मजे ले रही हो। मै उसके दरार के बीच में अपना टखना घुसाने की कोशिश कर ही रहा था तब तक मौसी पूरी तरह उठ के पालथी मार के बैठ चुकी थी। कसम से मैंने अपने जिंदगी में पहली बार अपने नाना-नानी को गालियाँ दी थी और वो भी अच्छे से। मै मजबूर हो के एक अंगड़ाई लेते हुए अपने पैरों को सीधा किया। कुछ ही पल बीते होंगे की बुआ के पैर का तलवा मेरे कमर के पास आके रुका और फिर धीरे-धीरे नीचे की ओर मेरे जांघो के तरफ आने लगा। अचानक मेरे दिमाग ने महसूस किया कि वो कुछ महसूस करना चाहती है..और वो चीज मेरा खड़ा लौड़ा था। वो अपने तलवे को ऊपर नीचे हिलाये जा रही थी पर मेरा लिंग खड़ा होने की वजह से ऊपर की तरफ था सो वो उसे छू नहीं पा रही थी। मैंने उसे निराश करना उचित नहीं समझा और लौड़े को हाथ से पकड़ कर नीचे ले आया। इस बार बुआ के तलवा जब नीचे आया तो सीधा मेरे खड़े लण्ड से टकराया। कुछ सेकंड के लिए तो उसके पैर के ऐड़ी मेरे लण्ड पे टिके रहे और फिर ऊपर की ओर चले गए। फिर उसके एड़ी नीचे की ओर आये और मेरे लौड़े को छूते हुए ऊपर की ओर चले गए। कुछ ही देर बाद वो अपने ऐड़ी से मेरे लौड़े को पेंडुलम की तरह हिला रही थी।
कुछ ही देर बाद वो अपने ऐड़ी से मेरे लौड़े को पेंडुलम की तरह हिला रही थी। जब उसके ऐड़ी नीचे आते और मेरे लौड़े के कड़ाई
|