RE: Mastram Kahani वासना का असर
सुबह मेरी नींद ज़रा देर से खुली। बिस्तर पे लेटे-लेटे मैने रात की सारी घटनाओ का विष्लेषण किया। मेरा दिमाग कह रहा था कि अगर बुआ को उत्तेज्जित कर दिया जाये तो काम आसान हो जायेगा और उसे उत्तेजित करने के लिए मुझे उसके आस-पास रहना पड़ेगा यो कहे उसके उस कामुक बदन के आस पास रहना पड़ेगा। मैंने अपनी हिम्मत बटोरी..अब रुकने का सवाल नहीं था..रात की घटना के बाद मेरी वासना उस घोड़े जैसी हो गयी थी, जिसके उपर ना कोई सवार है ना ही उसपे कोई लगाम। नित्य-क्रिया कर्म से निर्वित हो मै अपने काम में जुट गया। मौके की तलाश में मै एक शिकारी की भांति चौक्कना था।
दोपहर का समय था। शादी में अभी भी दो दिनों का समय शेष था सो अभी तक कुछ करीबी मेहमान ही आये थे। बरामदे में नीचे दरी लगा के उसपे गद्दा डाल दिया गया था, सब उसपे बैठे गप्पे लड़ा रहे थे। बुआ भी वही थी। शादी का घर था तो काम भी बहोत सारे थे..मै बाहर से कुछ काम कर के लौटा था। शिकारी को बस शिकार दिखना चाहिए। बुआ को वहां बैठा देख मैं भी वही बैठ गया। मै उसके बगल में बैठा था..वो दोनों पैरों को मोड़ के बैठी थी। मै अब एक कदम आगे बढ़ाना चाहता था और वो अगला कदम था बुआ को ऐ अहसास कराना की मेरे अंदर अपनी सगी बुआ के लिए..उसके सेक्सी बदन के लिए वासना पनप चुकी है। मैंने अपनी हिम्मत बटोरी और उसके गोद में या यों कहें उसके गदराए और चिकने जाँघों पे सर रख के लेट गया..ये कहते हुए की काम करते-करते मै थक गया हूँ। मेरे सर रखते ही वो थोड़ी असहज हो गयी..शायद उसने भी रात में मेरे कम्बल के नीचे हाथ को हिलते देख लिया था। मेरा सर उसके जाँघों के जोड़ से थोड़ा नीचे था। साड़ी और पेटीकोट में लिपटे होने के वावजूद मुझे उसके जाँघों का स्पर्श कामुक लगा..उसके माँसल जाँघों का स्पर्श मेरे लिंग में एक थिरकन पैदा कर रही थी। मै करवट ले के उसके गोद में लेटा हुआ था। दो-तीन मिनट बाद मैने अपने शरीर को सीधा किया। अब मेरे पीठ गद्दे से लगे हुए थे और मेरा सर ऊपर की ओर था और करवट लेने की वजह से मेरा सर थोड़ा उपर भी खिसक गया था। अब मेरा सर उसके जाँघों के जोड़ के पास था और मेरी आँखों के सामने का नजारा मेरे लौड़े में तनाव लाने के लिए काफी था। उसके बड़े बड़े चुंचे मेरी आँखों से बस थोड़े ही दूर पे उसके साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे। सच में उसके चुँचियो का साइज काफी बड़ा था वो ब्लाउज के कपड़ो से ऐसे चिपके हुए थे जैसे कुछ ही देर में ये इस बंधन को तोड़ बाहर आ जायेंगे। उसके उस विशाल और भारी स्तन ने मेरे वासना को भड़का दिया। मेरे लण्ड ने एक पूरी अंगड़ाई ली और अपनी औकात पे आगया। अब रुकना मुश्किल था। मैंने अपने सर को उसके गोद के गड्ढे में अडजस्ट किया ठीक वहाँ जहाँ उसके दोनों जाँघ मिलते थे..जहाँ साड़ी, पेटीकोट और शायद पैंटी के अंदर उसकी झांटो से भड़ी.. मोटे-मोटे होंठ वाली..चुदी-चुदाई छेद वाली चुदासी चूत थी। मैं अपने सर के पिछले भाग में उसके गरम चूत को धड़कते हुए महसूस कर सकता था। मैंने अपने एक हाथ मोड़ के सर और आँखों के पास रख लिया जैसे की मैं अपनी आँखों को ढक कर सोने की कोशिश कर रहा हु। अब मेरे हाथों की केहुनी उसके स्तन को हलके से छू रही थी। वो थोड़ी हड़बड़ाई और हलके से हिली.. शायद उसे महसूस हो गया था कि मैं अपने वासना पूर्ति के प्रयासों में जुट गया हूँ। मैंने अपने केहुनी को हल्के से बहोत ही हल्के से उसके बड़े मम्मे पे घिसा..थोड़ा उपर.. थोड़ा नीचे..मुझे महसूस हुआ मुझे अपने केहुनि को थोड़ा बाएं ले जाने की जरुरत है, बाएँ खिसकाते ही मुझे उसके निप्पल का अहसास हुआ। मैंने उसके निप्पल पे अपने केहुनि का हल्का सा दबाब बनाया और उसके मुँह से एक गहरी साँस निकली। मेरे लण्ड ने लिसलिसा प्री-कम छोड़ना सुरु कर दिया था। मैं उत्तेज्जित था..कुछ ज्यादा ही। अब तक मेरे केहुनि ने उसके निप्पल पे अपने घिसाव का काम चालू कर दिया था..उसकी चुँचियो की उपर-नीचे होने की स्पीड बढ़ चुकी थी..उसकी साँसे हल्की तेज हो गयी थी..वो उत्तेज्जित हो गयी थी। अब बारी मेरे सर की थी। मैंने अपने सर को उसकी चुदासी बुर पे दबाया और तभी मुझे उसके कमर में हल्की सी बहोत हलकी सी थिडकन महसूस हुआ। अँधा क्या मांगे- दो आँखें नहीं तो बस एक कान्ही आँख ही दे दो। यहाँ तो बुआ अपनी गरम चुत मेरे सर पे घिसना चाहती थी। मैंने अपने सर का दबाब बढ़ाया और उसे हल्के से आगे-पीछे घिसना सुरु कर दिया। मै उसके चुत दहकते हुए महसूस कर रहा था..मुझे उसकी झांटो की खुरखुराहट महसूस हो रही थी। उसके फुले हुए बुर के दोनों रसीले होंठ मुझे फड़कते हुए महसूस हो रहे थे। मैंने अपने सर का घिसाव उसके चुत पे जारी रखा और दूसरे तरफ मेरी केहुनि उसके एक चुँची के निप्पल से खिलवाड़ कर रहे थे। ये मुझे अति-उत्तेज्जित करने के लिए काफी था और बुआ को भी चुदासी करने के लिए काफी था।
और बुआ को भी चुदासी करने के लिए काफी था।..
उसने वहां बैठे लोगों से बात करना बंद कर दिया था, कोई कुछ पूछता तो बस वो हाँ-हूँ में जवाब दे रही थी वो भी अजीब से भारी साँसों के साथ और उसने दीवार से सर लगा कि आँखे बंद कर ली थी और अपने पैरों को हलके हल्के से हिला रही थी। मेरा सर एक लयबद्ध तरीके से उसके चुत पे घिस रहा था..हौले-हौले..और तभी मुझे महसूस हुआ उसने अपने पैरों को और भी फैला दिया है अब मेरा सर पूरा का पूरा उसके साड़ी सहेत उसके धड़कती चुत पे था। वो कमाल की फीलिंग थी..मै उसके पूरे चुत को महसूस कर रहा था..मेरी वासना प्रचंड हो गयी थी। मैंने दबाब थोड़ा और ज्यादा बनाया और तभी मुझे महसूस हुआ की उसकी कमर अब हिलने लगी है वो अपने चुदासी चूत को मेरे सर के साथ रगड़ रही थी। वो अपने पैर हिलाते हुए ऐसा कर रही थी और इससे ये उसके लिए आसान हो गया था। मैं अपने पूरे खड़े लौड़े के साथ सातवे आसमान पे था। मेरी सगी बुआ..अधेड़ उम्र की शादी-शुदा बुआ..चरित्रवान और पतिव्रता..भरपूर और गदराए बदन वाली बुआ कामुकता और चुदासी में अपने गर्म, चुदी-चुदाई, फूली और रसभरी चूत को मेरे सर पे रगड़ रही थी..
"जिंदगी को आउर का चाहिए..'
उसकी साँसे भाड़ी ही गयी थी। मैं अपने केहुनि पे उसके कड़क निप्पल को महसूस कर रहा था। उसके पैर अब ज़रा ज्यादा जोर से हिल रहे थे मतलब अब उसकी कमर भी उसके चुत को मेरे सर पे ज़रा ज्यादा जोर से घिस रही थी। मै उसको वही पटक कर चोद देना चाहता था..उसकी सारी चुदासी झाड़ देना चाहता था..तभी अचानक वो रुक गयी..उसके कमर और पैरो ने हिलना बंद कर दिया और फिर अगले कुछ सेकेण्डों के बाद उसने मेरे सर को अपने गोद से यह कर के हटा दिया की उसे छत पे कपडा सूखने के लिए डालने जाना है।
"साला..! यह क्या हो गया।"
वो चली गयी थी..मेरे खड़े लण्ड पे धोखा कर के। मै उदास था पर उत्तेज्जित भी, मै भी बाथरूम की ओर भाग..अपने वासना के औजार को अनलोड जो करना था। लिंग से गर्मी उतारने के बाद मैंने सोचा..
"ये उतना बुरा भी नहीं था..मैंने उससे बता दिया था कि मैं उसे चोदना चाहता हूँ और वो भले ही लास्ट में इंकार कर के चली गयी थी पर उसने मुझे सुरुआत तो बड़े आराम से करने दिया था। सबसे बड़ी बात उसने किसी को अभी तक बताया भी नहीं था। बस मुझे थोड़ी ज्यादा कोशिश करनी पड़ेगी अपनी वासना-पूर्ति के लिए।.."
अब देखना ये था की मैं इसे कैसे..कब और कितनी जल्दी करता हूँ।
दोपहर के बाद..
वासना बड़ी ही मजेदार चीज होती है पर साथ साथ बेचैन करने वाली भी होती है। हालाँकि मैने कुछ देर ही पहले अपने लिंग के बेचैनी को शांत किया था पर इस से उसका कुछ होने वाला नहीं था, घर में घूमते बुआ की विशाल मटकते नितम्ब देख कर, उसके साँस के साथ ऊपर नीचे होते बड़े-बड़े स्तन देख कर..मेरा लिंग फिर से बगावत पे उतारू था और मै मौके की तलाश में। मुझे इस चीज का अहसास हो गया था कि बुआ में आत्मविस्वास की कमी है, वो चाह कर के भी मेरा विरोध नहीं कर पाती है और मेरे साथ साथ गर्म हो के कामुक हो जाती है और जब बात हाथ से निकलने लगती है तो उठ के चली जाती है। मैं इस चीज का फायदा उठाना चाहता था क्योंकि और कोई तरीका था नहीं, वो अपने जिंदगी में सेक्स को ले के खुश थी। फूफा जी उसकी अच्छी रगड़ाई करते थे और साथ साथ वो चरित्रवान भी थी।
शाम होने वाली थी और घर की सभी औरते कमरे में पलंग पे बैठी शादी में आये हुए सामानों को देख रही थी। मेरी बुआ उस तरफ वाले किनारे से बैठी हुई थी जिस तरफ खली जगह बची हुई थी। मै किसी काम से कमरे में गया था और बुआ को बैठा देख मैं रुक गया या यों कहें मेरे दिमाग के अंदर की वासना ने मुझे रोक दिया। मै भी सामान देखने के बहाने बुआ के पीछे जा के खड़ा हो गया और उसके सर के ऊपर से झाँक कर देखने लगा। धीरे-धीरे मै बुआ के ठीक पीछे आ गया इतना पीछे की मैंने अपना हाथ बुआ के कंधे पे रख के पलंग पे झाँकने लगा था। बुआ ने थोड़ा सा लो-कट ब्लाउज पहन रखा था, उसकी आधी पीठ नंगी थी और कंधे पे मेरा हाथ भी उसके नग्न वाले जगह पे रखे हुए था। उसकी त्वचा मुलायम थी बिलकुल रेशमी और सेक्सी भी। आप उसके गले से ले कर कांधे तक की सेक्सी त्वचा अपने जीभ से चाट सकते है और इससे आपका लिंग बिलकुल अकड़ के चुदाई के लिये तैयार हो जायेगा और चाटने के कारण शायद बुआ भी टांगे फैला के आपको रास्ता दे दे। कुल मिला कर बात ये हुई की मेरा लौड़ा खड़ा हो गया। डर तो मेरा दोपहर में ही ख़त्म हो गया था सो रास्ता क्लियर था। मैंने अपने हाथों को बुआ के नंगे कंधे पे बिलकुल गले के पास हल्का सा सहलाता हुआ..अपने कमर को आगे की ओर धकेला। अब मेरा लिंग बुआ के पीठ के नग्न वाले हिस्से से टच हो रहा था। बुआ थोड़े देर के लिए ठिठकी लेकिन वो बस कुछ सेकंडों के लिए था। मेरा लिंग पूरे तनाव में था। मेरे पतले से लोअर और चड्डी के नीचे हाहाकार मची हुई थी और इस हहाकार का अहसास बुआ को भी होने लगा था क्योंकि उसने मुझे कहा..
"सामान देखना है तो बैठ कर देख लो"
लेकिन मैं इस चूतियापे को कर के चूतिया नहीं बनना चाहता था सो मैंने कह दिया..
"मुझे बाहर काम है बस थोड़ा देर देख के चला जाऊँगा"
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