RE: kamukta औरत का सबसे मंहगा गहना
इतना सुन कर मेरा चेहरा तो गुस्से से तमतमा गया क्योंकि अब सैम को मैं चाहने लगी थी, और योनि में झुरझुरी सी महसूस हुई, मैंने तुरंत सवालों के कई गोले दागे- कब, कहां, कैसे? तुम्हें डर नहीं लगा, कहां से सीख गई, कोई जान लेगा तो?
ये वो… ये वो… मैं बहुत कुछ लगातार बोलती रही, उसने मेरे मुंह पे हाथ रखा और कहा- बस मेरी अम्मा, बस कर, तुझे आज सब कुछ बताने सिखाने के लिए ही तो यहां लाई हूँ।
सिखाने शब्द को सुन कर मैं फिर चौंकी- सिखाने से तुम्हारा क्या मतलब है मैं ये सब नहीं करने वाली हूँ।
तो रेशमा ने कहा- वाह री शरीफजादी…! ये सब तेरी ही लगाई आग तो है।
अब मैं परेशान सी होकर सोचने लगी कि मैंने क्या किया।
तब रेशमा ने कहा- तू चिंता मत कर, मेरी बात सुन, तुझे सब समझ आ जायेगा।
तब मेरी जान में जान आई।
और फिर रेशमा अपनी सैक्स स्टोरी सुनाने लगी।
पिछले कुछ दिनों से मैं मोबाइल में अश्लील मूवी देख रही थी, जिसके कारण मैं हमेशा उत्तेजित और व्याकुल रहने लगी थी और जब उस दिन जब तूने मुझे कहा कि तेरे भाई का लिंग कितना बड़ा है तू खुद ही पकड़ के देख लेना, तब मैंने सोचा कि यह तो सही बात है अगर मेरा काम घर में ही हो जाये तो क्या बुरा है। और मैं बहाने से भाई के लिंग को छूने टटोलने लगी। और तुमने भाई को भी तो कह दिया था कि ‘तुम्हारी बहन की चुची पीठ में रगड़ती हैं तब तुम्हारा लिंग खड़ा नहीं होता क्या’ करके, तो अब तुम्हारे कहने के बाद से भाई ने भी समय देख कर मेरे मम्मों और पिछवाड़े में हाथ मारना शुरू कर दिया, और इसी बीच अम्मी अब्बू का बाहर जाना हो गया मानो कि खुदा ने हर मुराद पूरी कर दी हो।
जिस दिन अम्मी अब्बू गये, उसी रात को मैं कमरे में अपने मोबाइल पर अश्लील मूवी देखते हुए लेटी थी, मेरा एक हाथ टीशर्ट के ऊपर से ही मम्मों को सहला रहा था।
तभी भाई कमरे में आया, मैंने हड़बड़ा कर मोबाइल बंद किया और बिस्तर पर बैठ गई।
भाई सामने आकर बैठ गया और कहा- रेशमा, मैं एक बात कहूँ… तुम्हें मेरी मदद करनी होनी.. मैं स्वाति को चाहता हूँ और मैं यह भी जानता हूँ कि तुम मेरे साथ जो हरकतें कर रही हो, वो अनजाने में नहीं हो रही हैं। अगर तुम किसी को पसंद करती हो तो बता दो, मैं तुम्हें उससे मिलवा दूँगा पर बदले में तुम मुझे स्वाति से मिलवा दो। मैं चाहूँ तो मैं खुद ही स्वाति से ये बातें कह सकता हूँ पर मैं स्वाति को खोने से डर रहा हूँ, कहीं वह किसी बात को बुरा ना मान जाये। बोलो मेरी मदद करोगी ना?
अब मैंने सोचा की यही मौका है कि मैं भी अपनी बात कह दूँ- देख भाई, मैं किसी को नहीं चाहती और अगर किसी से मेरा संबंध हो भी जाए तो हमारे घर की बदनामी है, अगर तुम चाहो तो तुम मेरा एक काम कर सकते हो, तुम मुझे वो खुशी दे दो जिसकी मुझे तलब है और मैं तुम्हें वो खुशी दिला सकती हूँ जिसकी तुम्हें तलब है।
सैम ने आश्चर्य, खुशी, गुस्से, कौतूहल के मिले जुले स्वर में कहा- यह तुम क्या कह रही हो, तुम्हें पता है?
तो मैंने कहा- हाँ भाई, बहुत अच्छे से पता है, अगर हम समाज की नजरों में अच्छा बना रहना चाहते हैं और तन मन को भी शांत रखना चाहते हैं तो यही तरीका सबसे उपयुक्त है।
और सैम के कुछ कहने से पहले ही मैंने अपना टीशर्ट उतार दिया, सफेद ब्रा में कसे हुए मेरे उरोज आजाद होने को व्याकुल नजर आ रहे थे, कमरे में पर्याप्त रोशनी थी, बिस्तर पर गुलाबी रंग की चादर बिछी हुई थी, भाई की नजरों में असमंजस और वासना एक साथ नजर आने लगी थी।
मैंने थोड़ा आगे बढ़ कर भाई के गले में बाहों का हार डाला और भाई को अपने बगल में लुढ़का लिया।
भाई लेटा हुआ अभी भी कुछ सोच रहा था, पर मैंने उसके शर्ट के बटन खोल दिये, उसके सीने पर एक चुम्बन अंकित कर दिया और भाई से कहा- भाई, तुम नहीं चाहते तो जा सकते हो क्योंकि अब मैं इससे ज्यादा बेशर्म नहीं हो सकती।
तो भाई ने कहा- नहीं, रेशमा ऐसी बात नहीं है, बस पांच मिनट का समय दे, मैं बाथरूम से आता हूँ।
उसके इतना कहते ही मैं खुशी से उछल पड़ी और भाई बाथरूम चला गया।
इस बीच मैंने अपनी लोवर उतार दी और अम्मी की हाट गाऊन पहन कर भाई का इंतजार करने लगी।
भाई जब आया तो मुझे देखता ही रह गया।
मैंने बिस्तर से उतर के भाई को गले लगाकर उसका स्वागत किया और कान में कहा- भाई तुम नर हो और मैं मादा, हम सृष्टि के नियम के विपरीत कुछ भी नहीं कर रहे हैं।
और भाई की भुजाओं की पकड़ मेरे शरीर में बढ़ती चली गई। भाई मुझसे लंबा था 5.8 इंच की हाईट, चौड़ा सीना ज्यादा गोरा नहीं था पर कसरती शरीर था, अभी पूरा जवान नहीं हुआ था इसलिए शरीर पर बाल नहीं थे, सर पे लंबे बाल थे, चेहरा लंबा था और हमेशा क्लीन शेव रहता था।
उसके लिंग को आज तक मैंने खुली आँखों से आजाद नहीं देखा था पर ऊपर से उसका नाप लगभग सात इंच का होगा, ऐसा मेरा अनुमान था, भाई ने मेरा चेहरा अपने हाथों में थामा और कहा- रेशमा, तुम बहुत अच्छी हो, मैं भी इंसान हूँ, मेरी भी हसरतें हैं पर मैंने स्वाति के कहने से पहले तुम्हें इस नजर से कभी नहीं देखा था, पर अब तुम मुझे बहुत खूबसूरत और कामना की देवी नजर आ रही हो, अब मैं इन आँखों और काम सागर में तब तक डूबा रहना चाहता हूँ जब तक दिल के सारे अरमान पूरे ना हो जायें।
मैंने भाई को जकड़ लिया और कहा- हाँ भाई, मैं भी यही चाहती हूँ!
भाई ने मेरे माथे को चूमा, फिर गालों को और फिर कब मेरे नाजुक होंठों से अपने होंठ सटा दिये, पता ही नहीं चला।
मेरे 32 साईज की चुची कठोर होकर 34 की हो गई थी जो भाई के सीने में दबी हुई थी, भाई का हाथ मेरी पीठ कमर और कूल्हों को सहलाने लगा, मेरे हाथ भाई की पीठ पर चल रहे थे, अम्मी का गाऊन साटन का था इसलिए भाई को गाऊन के ऊपर से भी बहुत आनन्द आ रहा था।
मेरी मदहोशी तब टूटी जब भाई ने मेरा गाऊन उतारना चाहा। हालांकि मैंने भी भाई का सहयोग किया पर पहली बार अपने भाई के सामने बिना कपड़ों के दिखने से मैं शर्म से दोहरी हो गई और मैंने भाई के सीने में अपना मुँह छुपा लिया।
मुझे नीचे कुछ चुभन सी हुई, मुझे समझते देर ना लगी कि मुझे नंगी देख कर भाई का लिंग लोवर को फाड़ने आतुर हो गया है, भाई ने मुझे खुद से चिपकाये रखा और मेरे कानों में मेरी तारीफ शुरू कर दी- रेशमा तुम तो जवान हो गई हो, तुम्हारे सीने के उभार तो किसी भी मर्द को आहे भरने पर मजबूर कर देंगे और अभी अनछुये हैं तो ऊपर की ओर उठे हुए हैं। रेशमा तुम जानती हो हम लड़कों को इस तरह की शेप वाले मम्मे बहुत पसंद हैं। हाँ तुम्हारा पेट थोड़ा और अंदर होना था पर तुम्हारी मखमली त्वचा और नितम्ब और मांसल जांघों को देख कर तुम परिपूर्ण कामुक स्त्री सा अहसास देती हो। रेशमा अब चलो ना अपनी चूत के भी दर्शन करा दो…
मैं तो अपनी तारीफें सुन कर सातवें आसमान में उड़ रही थी, फिर भी मैंने भाई के मुंह में उंगली रखकर चुप कराते हुए कहा- चुप… कोई ऐसे शब्दों का प्रयोग करता है क्या?
भाई ने कहा- कौन क्या कहता है, मुझे नहीं पता पर मैं तो चूत और लंड या लौड़ा ही जानता हूँ।
मैंने फिर मुंह में उंगली रख कर शरमा कर कहा- नहीं ना भाई, लिंग या योनि कहो ना..!
भाई ने हम्म कहा और मेरी उंगली जो उसके मुंह पर रखी थी उसको मुंह के अंदर लेकर चूसने लगे।
मैं पागल सी होने लगी।
फिर भाई ने मुंह से उंगली निकाली और मुझे उठा कर बैड में लेटा दिया। मैंने आँखें बंद कर ली पर मुझे लगा कि भाई अपनी पैंट निकाल रहा है। और फिर भाई ने मेरी नाभि में किस किया, मैंने आँखें खोली तो भाई अब बनियान और चड्डी में था।
भाई ने मेरी पीठ की ओर हाथ डाला मैंने थोड़ा उठकर उसका साथ दिया और भाई ने दूसरे ही पल मेरे उरोजों को आजाद कर दिया।
मैंने चादर को कस के पकड़ लिया और मुंह एक ओर कर लिया, आँखें अपने आप बंद हो गई और होठों में शर्म भरी लज्जत मुस्कान और कामना की तरंगें तैरने लगी, मैं इंतजार कर रही थी कि कब भाई मेरे उरोजों को गूंथे, दबाये, चूमे सहलाये।
यहाँ पर आप लोगों को बता दूं कि लड़की मम्मों के आजाद होने के बाद उसको सहलाने दबाने का इंतजार करती है, पर उसे तड़पाने का मजा ही अलग होता है। यहाँ भी वही हुआ, सैम ने उरोजों को टच ही नहीं किया और नीचे सरक कर जांघों को चूम लिया, पेट पर हाथ फिराये और पेंटी की इलास्टिक पर उंगली फंसा कर नीचे खींचने लगे।
मैंने अपने हाथों से चेहरे को ढक लिया और कूल्हों को उठा कर भाई की मदद की।
ऐसे तो मैं हर महीने जंगल साफ करती हूँ पर अभी साफ किये दस दिन हो गये थे तो काले भूरे रोयें के साथ मेरी इज्जत से नकाब उतरने लगा, भाई ने ओहह आहहह की आवाज के साथ मेरे संपूर्ण योनि प्रदेश को एक ही साथ हाथों में दबोच लिया।
मैं थोड़े दर्द और मजे के साथ सिहर उठी। मेरा एक हाथ भाई के बालों पर चला गया और दूसरा हाथ अपने उरोजों को मसलने लगा।
तभी भाई ने मेरी योनि में एक चुम्बन अंकित किया, मुझे लगा कि योनि में जीभ फिराने का भी आनन्द मिल ही जायेगा पर भाई ने कुछ नहीं किया।
मैं झल्ला उठी- भाई तुम ना तो मेरे मम्में दबाते हो ना योनि चाटते हो, तुम्हें सेक्स करना नहीं आता क्या?
तो भाई ने जवाब दिया- मैंने थोड़ा बहुत नेट में देखा है, ज्यादा नहीं जानता। अगर तुम्हें आता है तो तुम सिखाओ ना?
मैंने कहा- हाँ नेट देख कर ही तो मैं भी सीखी हूँ पर शायद तुमसे ज्यादा जानती हूँ।
भाई ने कहा- वाह रे मेरी लाडो रानी, चुदाई में तू कबसे हुई सयानी?
मैं मुस्कुरा दी और भाई को घुटनों में करके उसकी बनियान निकाल दी, और उसे अपने बगल में लेटा लिया, फिर ताबड़तोड़ चुम्बनों की बौछार दोनों तरफ से होने लगी।
मेरी योनि गीली हो चुकी थी और उत्तेजना में फूल कर बड़ी भी हो गई थी।
अब भाई बिना कहे ही मेरे मम्मों से खेलने लगा, काटने, चूसने, चाटने लगा।
भाई ने कहा- मैंने आज तक जितनी भी सैक्स मूवी देखी हैं, उनमें तुम्हारे मम्मों जितनी खूबसूरत कभी नहीं देखी। ये भूरे मिडियम निप्पल तुम्हारे सुडौल गठीले दूधिया उरोजों को और भी निखार रहे हैं।
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