RE: kamukta औरत का सबसे मंहगा गहना
अब मैं दूसरी तैयारी करने लगा.. वास्तव में मैं इस पल को और हसीन बनाना चाहता था, चूंकि अभी किमी को नहाना ही था तो मैंने अपना रोमांस बाथरूम में ही करने का प्लान बनाया।
मैं किमी को पहले शाही स्नान कराने के बाद ही उससे सेक्स करना चाहता था। इसलिए मैं दूध, गुलाब जल और गुलाब की पंखुड़ियों को तलाशने लगा। हम लोग दूध के पैकेट घर में हफ्ते में दो बार लाते थे.. एक बार में सात पैकेट लाने से सुबह शाम के हिसाब से तीन चार दिन चल जाता था और मैं आज ही दूध के पैकेट लेकर आया था।
अब मैंने सारे पैकेट फ्रिज से निकाले और एक बाल्टी में तीन पैकेट फाड़ कर डाल लिए और बाकी के पांच पैकेट बिना फाड़े ही बाथरूम में रख आया। बाल्टी को मैंने पानी से भर दिया और किमी के कमरे में रखी गुलाब जल की बोतल को भी बाल्टी में उड़ेल दिया।
अब गुलाब कहाँ से लाता.. क्योंकि जो चाहो वो हो जाए.. ऐसा संभंव नहीं है, तो मैंने बालकनी में खिले गेंदे के कुछ फूल को ही बिखरा कर पानी में डाल दिया।
अब पानी शाही स्नान के लिए तैयार था। शाही स्नान में और भी चीजें होती होंगी, पर मैं उस समय जितना कर सकता था किया।
इसके बाद मैंने पहले अपने पूरे कपड़े उतारे और किमी को फिर से गोद में उठा लिया, उसने मेरी आँखों में आँखें डालकर अपने होंठों में मुस्कुराहट बिखेरी। किमी के खुले शरीर से मेरा खुले शरीर का स्पर्श पहली बार हुआ था, इसलिए दोनों के शरीर में झुरझुरी सी हुई।
मैंने उसे बाथरूम में ले जाकर एक पीढ़े पर बिठाया, बाथरूम बड़ा था.. इसलिए हमें कोई दिक्कत नहीं हो रही थी।
चूंकि हम लोगों के अलावा वहाँ और कोई नहीं था, इसलिए दरवाजा भी खुला ही था।
किमी ने मेरी तैयारी देखी और खुश हो गई- संदीप तुम बहुत अच्छे हो यार, सच में तुम बहुत अच्छे हो..
पता नहीं उसने ऐसा कितनी बार कहा होगा, क्योंकि मैं ये शब्द पांच मिनट तक लगातार सुनते रहा। फिर मैंने ही उसके मुंह पर हाथ रख कर उसे चुप कराया।
तभी उसकी नजर बाल्टी में गेंदे के फूल की पत्तियों के ऊपर पड़ी तो उसे हंसी आ गई।
मैंने तुरंत कहा- गुलाब के फूल नहीं मिले.. तो इसे डाल दिया!
उसने ‘कोई बात नहीं..’ कहते हुए कहा कि जाओ मेरे अलमारी को देख आओ शायद तुम्हें कुछ मिल जाए।
मैंने कहा- बाद में देख लूँगा यार!
उसने कहा- नहीं अभी जाओ!
मुझे उसकी जिद माननी पड़ी, मैंने उसकी अलमारी खोली.. उसके कपड़ों के ऊपर जो रखा था, उसे देख कर मैं पागल सा हो गया.. उसे लेकर मैं किमी की ओर दौड़ पड़ा और किमी के सामने पहुँच कर ‘आई लव यू टू किमी..’ कहते हुए उसे अपनी बांहों में भर लिया।
दरअसल उस अलमारी में किमी ने मेरे लिए गुलाब का बंच, चॉकलेट, घड़ी, पर्स और एक सफेद कागज रखा था, जिसमें उसने लिपिस्टिक लगा कर किस का निशान बनाया था और ‘आई लव यू संदीप..’ लिखा था।
मैं खुश इसलिए था क्योंकि मैंने किमी से इतने प्यार की उम्मीद नहीं की थी।
खैर.. हमने अपनी भावनाओं पर काबू किया।
किमी ने कहा- लो अब गुलाब की पत्तियां मिल गईं ना.. अब डाल दो इसे पानी में!
मैंने वैसा ही किया, दो-तीन गुलाब बचा कर बाक़ी तोड़ कर उनकी पत्तियां पानी में डाल दीं।
अब मैंने दूध के पांच पैकेटों में से एक पैकेट किमी के सर के ऊपर रख कर फाड़ा और उसके शरीर के सूख चुके लेप को दूध से भिगो भिगो कर रगड़ना शुरू किया। किमी आनन्द के सागर में डूबी जा रही थी, उसकी नजरें कभी मेरी नजरों से मिलतीं, तो शरमा उठती और कभी वो मेरे फनफनाते लिंग को चोर नजरों से निहारती जा रही थी।
मैंने दूध से उसकी मालिश का सिलसिला जारी रखा, अब मैंने बारी-बारी सारे दूध के पैकेटों को किमी के ऊपर उड़ेलते हुए, किमी के हर अंग की मालिश की। पहले उसके उरोजों को सहलाया, मसला, पुचकारा, पीठ पर उंगलियाँ घुमाईं और अब बारी थी योनि की, मैंने उसके लिए किमी को खड़ा किया और उसके सामने घुटनों पर बैठ गया और उसकी कमर को जकड़ कर मालिश करने लगा।
मेरी नजर उसकी योनि पर टिकी थी।
मैंने योनि को नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे सहलाना शुरू किया.. तभी किमी ने मेरे बाल पकड़ के खींचे, मैं समझ गया कि अब खुद पर काबू करना इसके बस का नहीं.. पर मैं अपने कार्य में लीन था।
हालांकि मेरा लिंग भी महाकाय हो चुका था, पर लेप लगाते वक्त वीर्यपात हो जाने से अभी दुबारा फव्वारे पर नियंत्रण था। मैंने योनि की दूध से मालिश करते वक्त अपनी एक उंगली योनि में डाल कर मालिश कर दी, दो चार बार ही उंगली को आगे पीछे किया होगा कि मुझे अन्दर से गर्म लावे का एहसास होने लगा। उसकी योनि रो पड़ी.. रस की नदी जांघों पर बह आई, दूध और उसका रंग एक ही था इसलिए कितना बहा.. ये कहना मुश्किल है। पर बहती धार देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया, लेकिन अभी सब मैला-कुचैला होने की वजह से मैं अपने आपे में ही रहा।
अब किमी की हालत खड़े रहने की नहीं थी और मुझे भी उसे बैठाना ही था क्योंकि अभी उसका स्नान बाकी था।
मैंने उसे पीढ़े पर बिठाया और उसके ऊपर पानी डालने लगा। मैं किमी के सामने खड़ा था और वो मेरे सामने बैठी थी, मतलब मेरा लिंग ठीक उसकी नजरों के सामने था, जब किमी के सर से पानी नीचे की ओर बहता था.. तब दूध और पानी उसके बालों, गालों से होते हुए सीने की घाटियों पर.. और वहाँ से नीचे आकर अथाह समुद्र में खो जाती थी।
उस वक्त एक अलग ही नजारा था, ये देख कर मेरा लिंग झटके मारने लगा।
किमी ने मेरी बेचैनी समझ कर पहली बार मेरा लिंग अपने हाथों में लिया, शायद वो खुद भी बहुत बेचैन थी इसीलिए वो मेरे लिंग को बहुत जोरों से दबा रही थी और आगे-पीछे कर रही थी।
इधर किमी के चिकने शरीर का स्पर्श मुझे पागल कर रहा था। किमी की पकड़ मेरे लिंग पर और मजबूत हुई और रगड़ की वजह से मैं पांच मिनट में फूट पड़ा। मेरे लिंग से निकला बहुत सारा वीर्य किमी के चेहरे पर गया.. वो थू-थू करने लगी।
मैंने कहा- इतना क्यों घिना रही हो.. लोग तो इसे पी भी जाते हैं।
तो उसने कहा- वो सब फिल्मों में होता है.. हकीकत में ये सारी चीजें घिनौनी ही लगती हैं।
‘नहीं किमी.. ऐसा नहीं है, ये भी कामक्रीड़ा का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है, ये बात मैं तुम्हें प्रेक्टिकल करके बताऊंगा।’
किमी ने दिखावे में मुंह बनाया और मैंने उसे जल्दी से नहलाया। उसी वक्त उसने मेरे ऊपर भी पानी डाल दिया तो अब हम दोनों ही शाही स्नान का मजा लेने लगे।
हम जल्द ही नहा कर एक-दूसरे को तौलिया से पोंछने लगे, अभी शरीर पूरा नहीं सूखा था.. फिर भी मैंने किमी को फिर से गोद में उठाया और हॉल वाले बेड पर ले आया।
यहाँ रोशनदान से और खिड़की से खूब प्रकाश आ रहा था, रूम के बाहर फुलवारी और उसके बाद बड़ा गेट जो हमेशा बंद रहता था, इसलिए खिड़की बंद करने की आवश्यकता नहीं थी।
किमी को मैंने बिना कपड़ों के कई बार देखा था.. पर आज वो दूध से नहा कर निकली थी। उसके बाल भीगे हुए थे और चेहरे पर शर्म उसकी खूबसूरती पर चार चांद लगा रहे थे। मुझे वो रति, मेनका, रंभा जैसी अप्सरा नजर आ रही थी और मैं खुद के भीतर कामदेव को महसूस कर रहा था।
किमी ने अपने एक हाथ से बाल का पानी झड़ाना शुरू किया.. अय..हय.. उसके उरोजों का हिलना देख कर मैंने अपना धैर्य खो दिया और मैंने बेड पर चढ़कर उसे गले लगा लिया।
किमी का हर अंग फूलों सा नाजुक और मुलायम लग रहा था। मैंने किमी के हर एक अंग को चूमना चाटना चाहा, किमी ने भी अपनी बांहों में मुझे लपेट लिया और मेरे बराबर ही प्रतिउत्तर देने लगी, हमारी आवाजें, सिसकारियों में बदल गईं।
अब मैंने किमी को खुद से अलग किया और उसे बेड पर सीधा लेटा दिया।
मैंने किमी को खुद से अलग किया और बेड पर सीधा लेटाकर मैं खुद उसके पैरों की ओर आकर घुटनों पर बैठ गया।
मैंने किमी को नीचे से ऊपर तक निहारा किमी का रंग काले से गेहुँआ हो गया था.. उसका पेट अन्दर की ओर हो गया था, गला सुराहीदार, होंठ कंपकंपाते हुए उसको बेहद हसीन बना रहे थे।
मैंने इस नजारे को अपनी आँखों में हमेशा के लिए कैद करने की नाकाम कोशिश की। उसकी त्वचा इतनी मुलायम लग रही थी कि मेरा उसकी शरीर के हर हिस्से को चाटने का मन हुआ.. और आज मैंने अपने मन की बात सुनी।
सबसे पहले मैंने किमी के पैरों के अंगूठे को जीभ से सहलाया और धीरे-धीरे पूरा अंगूठा मुंह में भर के चूसने लगा। किमी के लिए यह सब नया था.. वो हड़बड़ा कर उठ गई, पर उसे आनन्द भी आ रहा था, उसकी सिसकारियों और शरीर की कंपन साफ पता चल रही थी।
मैंने उसके दोनों पैर के अंगूठे बड़े मजे से चूसे.. फिर उसकी दोनों टांगों पर बारी-बारी जीभ फिराने लगा। मैं अपनी जीभ उसके पंजों से शुरू करके उसकी जांघों तक फिराता था, जिससे वो एकदम से सिहर रही थी।
फिर मैं खिसक कर ऊपर आ गया और उसके पेट और नाभि में जीभ घुमाने लगा, किमी पागल हुए जा रही थी।
मैंने जीभ को ऊपर की ओर बढ़ाते हुए उसके उरोज और निप्पल तक पहुँचाई। जब जीभ निप्पल तक पहुँचती थी, तब मैं अचानक ही उसके पूरे उरोज को खाने जैसा प्रयास करता था।
किमी ने आँखें बंद कर ली थीं और ‘आई लव यू संदीप..’ की रट लगाने लगी, मैं अपने ही काम में व्यस्त रहा।
जब मैंने उसके कंधों, कान और गाल को चूमा तो वो सिहर उठी। उसने मुझे जकड़ना चाहा और तभी मैंने उसके मुंह में जीभ डाल दी। मैं उसे उत्तेजक चुंबन देना चाह रहा था और वो मेरे हर हमले का जबाव मुझसे बढ़ कर दे रही थी।
उसने मेरे कानों में कहा- संदीप अब देर किस बात की..!
मैंने उसकी आँखों को देखा.. उसमें वासना ही वासना भरी थी, पर मैं अभी कुछ और चाहता था, इसलिए मैंने उठ कर अपनी दिशा बदली। अब मैंने उसके चेहरे की ओर अपनी कमर और उसकी कमर की ओर अपना चेहरा रखा। इस दौरान मैंने किमी को खुद के उभारों को दबाते देखा।
मैंने फिर नाभि से जीभ फिराना चालू किया और इस बार मेरे जीभ का अंतिम पड़ाव किमी की योनि का ऊपरी सिरा था। किमी ने मेरा सर पकड़ लिया और कराहने लगी, मैंने भी अपना जौहर दिखाते हुए योनि के चारों ओर जीभ घुमाई और योनि की दरारों में जीभ फेरने लगा।
किमी के शरीर की झुरझुरी साफ महसूस हो रही थी, किमी ने मेरे बाल और जोर से खींचे.. शायद कुछ बाल उखड़ भी गए हों।
तभी मैंने कुछ देर रुककर किमी से कहा- किमी लिंगराज के लिए अपने मुंह का द्वार खोल दो..!
किमी ने कहा- क्या संदीप.. और क्या-क्या कराओगे मुझसे!
इतना ही कह कर वो मेरे लिंग पर जीभ फिराने लगी.. पहले तो उसने खांसने का नाटक किया.. फिर जल्द ही लिंग को मुंह की गहराइयों तक ले जाकर चूसने लगी।
मन तो किमी का पहले ही उसे चूसने का हो रहा होगा.. पर शायद मेरे कहने का इंतजार कर रही थी। क्योंकि कोई भी इंसान जो सेक्स के लिए तड़प रहा हो उसके सामने सात इंच का तना हुआ गोरा लिंग लहरा रहा हो.. तो मन तो करेगा ही.. और अभी तो मेरे लिंग का आकार उत्तेजना की वजह से और ज्यादा भी हो गया था।
अब हम दोनों 69 की पोजीशन में मुख मैथुन में लगे हुए थे।
किमी ने एक बार फिर साथ छोड़ दिया और उसी वक्त उसने मेरा लिंग अपने दांतों में जकड़ लिया। मैं चीख पड़ा, किमी कांपते हुए झड़ गई, उसके अमृत की कुछ बूँदें मेरे जीभ में लगीं, पर मैंने सारा रस नहीं पिया क्योंकि मुझे अच्छा नहीं लगता।
अब किमी ने लिंग से दांतों की पकड़ ढीली की.. तब मैंने अपना लिंग उसके मुंह से निकाल लिया। मेरा लिंग दर्द की वजह से थोड़ा सिकुड़ गया था। वैसे अच्छा ही हुआ.. नहीं तो मेरा भी स्खलन अब तक हो चुका होता।
फिर दोनों लिपट कर कुछ देर लेट गए, किमी ने मुझे न जाने कितनी बार चूमा और थैंक्स कहा।
कुछ देर ऐसे ही उसके उरोजों और शरीर से खेलने के बाद मैं एक बार फिर जोश में आ गया था। किमी की भट्ठी भी दुबारा जलने लगी थी।
इसी बीच किमी बाथरूम से होकर आ गई और अब उसकी योनि भी साफ थी। हम एक बार फिर जल्दी से मुख मैथुन की मुद्रा में आ गए और जैसे ही मुझे अपने लिंग में पूर्ण तनाव महसूस हुआ, मैंने किमी के टांगों को फैलाया और उसकी योनि पर अपना लिंग टिका कर बैठ गया।
मैंने किमी की योनि को अपने लिंग से सहलाया.. किमी ने बिस्तर को जकड़ लिया था, मानो वह हमले के लिए तैयारी कर रही हो।
उसकी योनि ने मेरा मार्ग आसान करने के लिए चिपचिपा द्रव्य छोड़ दिया था, अब मैंने किमी की आँखों में देखा और अपनी भौंहे उचका कर शरारती इशारा किया तो किमी शरमा गई और ‘धत’ कहते हुए मुंह घुमा लिया।
अब मैंने लिंग को उसके योनि में प्रवेश करा दिया.. अन्दर के गर्म लावे को मेरा लिंग साफ-साफ महसूस कर सकता था। किमी की आँखें बंद करते हुए एक ‘आह..’ भरी और इसी सिसकारी के साथ किमी ने लिंग को अपने अन्दर ले लिया। हालांकि उसकी सील पहले से टूटी हुई थी.. पर योनि की कसावट अभी भी बरकरार थी।
मैंने कमर धीरे-धीरे हिलाया और उसे छेड़ा- गाजर इससे भी मोटी थी क्या?
किमी ने ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ के साथ लड़खड़ाते हुए कहा- आह्ह.. बड़ा बेशर्म है रे तू.. बड़ी थी या छोटी.. मैं नहीं जानती.. पर ये जरूर है कि आज जैसा मजा मैंने जिन्दगी के किसी पल में नहीं लिया!
और इतना कहने के साथ ही उसके मासूम आंसू गालों पर ढलक आए। किमी उस वक्त और भी बला की खूबसूरत लगने लगी, किमी की आँखें वासना से लाल हो गई थीं और उसने मुझसे निवेदन के लहजे में कहा- संदीप अब और बर्दाश्त नहीं होता.. आज मुझे ऐसे रगड़ो कि जिन्दगी भर न भूल पाऊं.. और हाँ संदीप, मैंने आज से अपनी जिन्दगी तुम्हारे नाम कर दी है, अब कभी मुझसे दूर न होना।
इतना सुनकर मेरे अन्दर का जोश बढ़ गया.. मैंने किमी से कहा- तुम चिंता छोड़ कर सिर्फ आनन्द लो!
मैं अपना घोड़ा तेज दौड़ाने लगा… कमरा आआआअ… ऊऊऊउउउ की मादक आवाजों से गूँजने लगा। किमी के पूरे शरीर को मैं बार-बार सहला रहा था, किमी ने अपने उरोज खुद थाम रखे थे, अब हम दोनों के बीच शर्म नाम की कोई चीज नहीं थी।
सम्भोग की गति बढ़ने लगी.. फिर और ज्यादा बढ़ने लगी.. और तब तक बढ़ती रही, जब तक तूफान शांत न हो गया, हम दोनों एक साथ ही स्खलित हुए थे।
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