RE: kamukta औरत का सबसे मंहगा गहना
मेरी जेठानी बहुत कमीनी थी, उसने सबसे पहले मेरे उस दिन के व्यवहार के लिए खरी खोटी सुनाई और कहा- तू तो बहुत अकड़ती थी ना, ले अब कुत्ते के लंड जैसा अटक गया ना तेरी चुत में.. और चुत फट गई.. सो अलग, देख तो तेरी चुत की कैसे धज्जियाँ उड़ गई हैं!
वो मुझे और ज्यादा डरा रही थी।
मैं उसके पैरों में गिर गई- दीदी मुझे बचा लो.. एक बार ये गाजर निकाल दो फिर आप जो कहोगी मैं करूँगी।
उसने कहा- सोच ले.. जो कहूँगी, वो करना पड़ेगा!
मैंने कहा- सोच लिया दीदी.. आप जो कहोगी, मैं वो करने को तैयार हूँ।
तो वो बोली- फिर ठीक है अब तू फिकर मत कर.. जा बिस्तर में लेट जा, मैं अभी गाजर निकालने का सामान लेकर आती हूँ।
मैं बिस्तर में लेट कर इंतजार करने लगी, जेठानी करीब दस मिनट बाद आई। उसके हाथ में नारियल तेल का डिब्बा और गाड़ी में रहने वाला पेंचकस आदि टूल थे। उसने उसे मेरे पैरों के पास रखा और थोड़ा ऊपर आकर मेरे दोनों कंधों को जकड़ लिया, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि जेठानी क्या कर रही है।
उसने मुझे जकड़ने के बाद आवाज लगाई- आ जाओ जी.. मछली जाल में कैद है..!
सामने से जेठ जी अन्दर आ गए।
‘हाय राम.. दीदी आपने जेठ जी को क्यों बताया? अब वो क्या सोचेंगे.. मैं तो कहीं की नहीं रही!’
मैं योनि खोले टांगें फैलाए लेटी थी, मैंने हड़बड़ाने की कोशिश की, पर जेठानी ने मुझे जकड़ रखा था।
जेठ जी सामने आकर बोले- साली गाजर योनि में डालते समय लाज नहीं आई.. और अब नखरे दिखा रही है, शांति से पड़ी रह, इसी में सबकी भलाई है। देख.. केवल आधा इंच गाजर ही बाहर दिख रही है, ज्यादा हिलोगी तो वो भी अन्दर घुस जाएगी, फिर आपरेशन के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा।
मुझे उनकी बात सही लगी.. मैंने जेठानी से कहा- हाँ, अब मैं नहीं हिलूँगी, मुझे छोड़ दो।
जेठानी के छोड़ते ही मैंने नजर योनि में डाली.. सही में डेढ़ इंच गाजर में से एक इंच और अन्दर घुस गई थी और योनि तो ऐसी लाल दिख रही थी मानो पान खाकर 50-100 लोगों ने एक साथ थूक दिया हो।
मैंने जेठ जी से कहा- अब आप ही कुछ कीजिए जेठ जी?
उन्होंने कहा- करूँगा तो मैं बहुत कुछ.. पर अभी सिर्फ ये गाजर निकाल देता हूँ।
मैं उनका इशारा समझ चुकी थी, पर अभी मेरे लिए गाजर निकलवाना ही सबसे ज्यादा जरूरी था।
जेठ जी ने तेल के डिब्बे को खोलकर मेरी योनि में तेल की धार पिचकाई और बहुत सारा तेल अन्दर तक डालने की कोशिश की, फिर जेठानी से कहा- तुम इसके दोनों पैर फैला के रखो, ध्यान रहे गाजर खींचते वक्त कहीं ये पैर सिकोड़े ना, क्योंकि दर्द बहुत ज्यादा होगा।
जेठानी ने मेरे दोनों पैर फैलाए और कहा- चुप रहना कुतिया.. अपनी ही करनी भोग रही है, ज्यादा चिल्लाना मत और अपना वादा याद रखना।
अब जेठ जी ने बड़ी सफाई से पेंचकस में गाजर को फंसाया और जोर लगा कर बाहर खींचने लगे।
दर्द के कारण मैं बेहोशी की स्थित में आ गई, अगर तेल ना डाला होता तो मैं सच में मर ही जाती।
उई माँ.. मैं तो मर गई रे.. कहते हुए मैं अचेत हो गई।
जब मुझे होश आया तो जेठानी मेरे सर के पास बैठी थी और सुबह होने वाली थी।
जेठानी ने कहा- चल अब तू आराम कर, रात की बात भूल जाना, ज्यादा सोचना मत.. हाँ लेकिन वादा याद रखना, मैं उसे जब चाहूं मांग सकती हूँ।
मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया और अनमने मन से ‘धन्यवाद दीदी’ कहा।
सुबह उठ कर मुझे चलने में तकलीफ हो रही थी, मैं जब अपने कमरे से बाहर निकली तो मैं जेठ जेठानी से नजरें नहीं मिला पा रही थी।
जेठानी ने पास आकर कहा- जो हुआ उसके लिए ज्यादा मत सोच और आज रात अपना वादा पूरा करने के लिए तैयार रहना।
मैंने तुरंत ही जेठानी से गिड़गिड़ाते हुए कहा- दीदी आप क्या चाहती हो, पहले वो खुल कर बताओ!
तो उसने कहा- अरे तुम इतनी भी तो भोली नहीं हो.. तेरे जेठ तेरे तुझे चखना चाहते हैं।
मैंने कहा- इसमें आपको क्या मिलेगा दीदी?
उसने कहा- हमारी शादी को हुए आठ साल हो गए और अभी तक बच्चा नहीं हुआ है.. इसलिए मैंने इक्कीस गुरुवार का व्रत रखा है, ताकि मैं ठाकुर जी को प्रसन्न कर सकूँ और इस बीच मैं अपने पति से संबंध नहीं बना सकती हूँ। लेकिन तेरे जेठ पर ये बंदिश लागू नहीं है, वो किसी दूसरे से संबंध बना सकते हैं। अगर मैं उन्हें ऐसा करने से रोकूँगी तो वो मेरा व्रत पूरा नहीं होने देंगे। वो तो रोज ही सेक्स करने वाले व्यक्ति हैं, वो इतने दिन नहीं रुक पायेंगे और फिर उनकी हालत मैं समझ सकती हूँ।
मैंने कहा- पर दीदी, आज तक मैंने किसी के साथ संबंध ही नहीं बनाए हैं और इसी कारण से सबसे पहले मैं अपने पति से संबंध बनाना चाहती हूँ, बस मुझे पति के साथ सेक्स संबंध बनाने तक की मोहलत दे दो.. प्लीज दीदी… फिर मैं अपना वादा पूरा करने के लिए तैयार हूँ।
जेठानी भी एक स्त्री ही थी, सो उसने मेरी व्यथा समझ कर ‘हाँ कह दी.. और कहा- अब तेरे खसम को जल्दी ही तेरे ऊपर चढ़वाती हूँ।
जेठानी ने मेरी मजबूरी समझी, इसलिए अब वो मुझे थोड़ी अच्छी लगने लगी।
जेठानी की कही हुई बात सच निकली, एक हफ्ते के भीतर ही मेरे पति ने एक रात मुझसे संभोग करने की इच्छा जताई, अनायास ही मेरी आँखों में आंसू आ गए। हालांकि वह नशे की हालत में सेक्स करना चाहते थे, मैं फिर भी तैयार थी, मेरे मन में बस यही तसल्ली थी कि कम से कम मैं शादीशुदा होने का अर्थ पूर्ण कर पाऊंगी।
लेकिन जैसा मैंने सोचा था, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, सुधीर नशे की हालत में आए और उन्होंने मुझे बिस्तर पर लेटने और कपड़े उतारने को कहा, मैंने वैसा ही किया और हब्शी की तरह मुझे नोंचने लगे।
उनका लिंग भी मेरे सपने के जैसा नहीं था.. मैंने तो सपने में लगभग आठ इंच के लिंग की कल्पना की थी, पर वास्तविकता में वह महज छ: इंच का लग रहा था। मेरे पति का लिंग बहुत सख्त भी नहीं था, वह कभी मेरे उरोजों को दबाते, कभी होंठों को चूसते।
मुझे उनकी ये हरकत कामोत्तेजित करने के बजाए घृणित काम करने जैसी लग रही थी क्योंकि दारू की तेज गंध मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।
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